< यसा 21 >
1 दश्त — ए — दरिया के बारे में नबुवत: जिस तरह दक्खिनी हवा ज़ोर से चली आती है, उसी तरह वह दश्त से और मुहीब सरज़मीन से नज़दीक आ रहा है।
Onus deserti maris. [Sicut turbines ab africo veniunt, de deserto venit, de terra horribili.
2 एक हौलनाक ख़्वाब मुझे नज़र आया; दग़ाबाज़ दग़ाबाज़ी करता है; और ग़ारतगर ग़ारत करता है ऐ ऐलाम, चढ़ाई कर; ऐ मादै, मुहासिरा कर; मैं वह सब कराहना जो उसकी वजह से हुआ, ख़त्म करता हूँ।
Visio dura nuntiata est mihi: qui incredulus est infideliter agit; et qui depopulator est vastat. Ascende, Ælam; obside, Mede; omnem gemitum ejus cessare feci.
3 इसलिए मेरी कमर में सख़्त दर्द है, मैं जैसे दर्द — ए — ज़िह में तड़पता हूँ, मैं ऐसा परेशान हूँ कि सुन नहीं सकता; मैं ऐसा परेशान हूँ कि देख नहीं सकता।
Propterea repleti sunt lumbi mei dolore; angustia possedit me sicut angustia parturientis; corrui cum audirem, conturbatus sum cum viderem.
4 मेरा दिल धड़कता है, और ख़ौफ़ अचानक मुझ पर ग़ालिब आ गया; शफ़क़ — ए — शाम जिसका मैं आरज़ूमन्द था, मेरे लिए ख़ौफ़नाक हो गई।
Emarcuit cor meum; tenebræ stupefecerunt me: Babylon dilecta mea posita est mihi in miraculum.
5 दस्तरख़्वान बिछाया गया, निगहबान खड़ा किया गया, वह खाते हैं और पीते हैं; उठो ऐ सरदारो सिपर पर तेल मलो!
Pone mensam, contemplare in specula comedentes et bibentes: surgite, principes, arripite clypeum.
6 क्यूँकि ख़ुदावन्द ने मुझे यूँ फ़रमाया, कि “जा निगहबान बिठा; वह जो कुछ देखे वही बताए।
Hæc enim dixit mihi Dominus: Vade, et pone speculatorem, et quodcumque viderit annuntiet.
7 उसने सवार देखे, जो दो — दो आते थे, और गधों और ऊँटों पर सवार और उसने बड़े ग़ौर से सुना।”
Et vidit currum duorum equitum, ascensorem asini, et ascensorem cameli; et contemplatus est diligenter multo intuitu.
8 तब उसने शेर की तरह आवाज़ से पुकारा, ऐ ख़ुदावन्द, मैं अपनी दीदगाह पर तमाम दिन खड़ा रहा, और मैंने हर रात पहरे की जगह पर काटी।
Et clamavit leo: Super speculam Domini ego sum, stans jugiter per diem; et super custodiam meam ego sum, stans totis noctibus.
9 और देख, सिपाहियों के ग़ोल और उनके सवार दो — दो करके आते हैं! “फिर उसने यूँ कहा, कि बाबुल गिर पड़ा, गिर पड़ा; और उसके मा'बूदों की सब तराशी हुई मूरतें बिल्कुल टूटी पड़ी हैं।”
Ecce iste venit ascensor vir bigæ equitum; et respondit, et dixit: Cecidit, cecidit Babylon, et omnia sculptilia deorum ejus contrita sunt in terram.
10 ऐ मेरे गाहे हुए और मेरे खलीहान के ग़ल्ले, जो कुछ मैंने रब्ब — उल — अफ़वाज इस्राईल के ख़ुदा से सुना, तुमसे कह दिया।
Tritura mea et filii areæ meæ, quæ audivi a Domino exercituum, Deo Israël, annuntiavi vobis.]
11 दूमा के बारे में नबुव्वत किसी ने मुझ को श'ईर से पुकारा कि ऐ निगहबान, रात की क्या ख़बर है?
Onus Duma. [Ad me clamat ex Seir: Custos, quid de nocte? custos, quid de nocte?
12 निगाहबान ने कहा, सुबह होती है और रात भी अगर तुम पूछना चाहते हो तो पूछो तुम फिर आना?
Dixit custos: Venit mane et nox; si quæritis, quærite; convertimini, venite.]
13 'अरब के बारे में नबुव्वत ऐ ददानियों के क़ाफ़िलों, तुम 'अरब के जंगल में रात काटोगे।
Onus in Arabia. [In saltu ad vesperam dormietis, in semitis Dedanim.
14 वह प्यासे के पास पानी लाए, तेमा की सरज़मीन के बाशिन्दे, रोटी लेकर भागने वाले से मिलने को निकले।
Occurrentes sitienti ferte aquam, qui habitatis terram austri; cum panibus occurrite fugienti.
15 क्यूँकि वह तलवारों के सामने से नंगी तलवार से, और खेंची हुई कमान से, और जंग की शिद्दत से भागे हैं।
A facie enim gladiorum fugerunt, a facie gladii imminentis, a facie arcus extenti, a facie gravis prælii.
16 क्यूँकि ख़ुदावन्द ने मुझ से यूँ कहा कि मज़दूर के बरसों के मुताबिक़, एक बरस के अन्दर अन्दर क़ीदार की सारी हशमत जाती रहेगी।
Quoniam hæc dicit Dominus ad me: Adhuc in uno anno, quasi in anno mercenarii, et auferetur omnis gloria Cedar.
17 और तीर अन्दाज़ों की ता'दाद का बक़िया या'नी बनी क़ीदार के बहादुर थोड़े से होंगे; क्यूँकि इस्राईल के ख़ुदा ने यूँ फ़रमाया है।
Et reliquiæ numeri sagittariorum fortium de filiis Cedar imminuentur; Dominus enim Deus Israël locutus est.]