< यसा 17 >
1 दमिश्क़ के बारे में बार — ए — नबुव्वत, “देखो दमिश्क़ अब तो शहर न रहेगा, बल्कि खण्डर का ढेर होगा।
Onus Damasci. Ecce Damascus desinet esse civitas, et erit sicut acervus lapidum in ruina.
2 'अरो'ईर की बस्तियाँ वीरान हैं और ग़ल्लों की चरागाहें होंगी; वह वहाँ बैठेगे, और कोई उनके डराने को भी वहाँ न होगा।
Derelictæ civitates Aroër gregibus erunt, et requiescent ibi, et non erit qui exterreat.
3 और इफ़्राईम में कोई क़िला' न रहेगा, दमिश्क़ और अराम के बक़िए से सल्तनत जाती रहेगी; रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है, जो हाल बनी — इस्राईल की शौकत का हुआ वही उनका होगा।
Et cessabit adjutorium ab Ephraim, et regnum a Damasco; et reliquiæ Syriæ sicut gloria filiorum Israël erunt, dicit Dominus exercituum.
4 और उस वक़्त यूँ होगा कि या'क़ूब की हश्मत घट जाएगी, और उसका चर्बीदार बदन दुबला हो जाएगा।
Et erit in die illa: attenuabitur gloria Jacob, et pinguedo carnis ejus marcescet.
5 यह ऐसा होगा जैसा कोई खड़े खेत काटकर ग़ल्ला जमा' करे और अपने हाथ से बालें तोड़े; बल्कि ऐसा होगा जैसा कोई रिफ़ाईम की वादी में ख़ोशाचीनी करे।
Et erit sicut congregans in messe quod restiterit, et brachium ejus spicas leget; et erit sicut quærens spicas in valle Raphaim.
6 ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा फ़रमाता है कि तब उसका बक़िया बहुत ही थोड़ा होगा, जैसे ज़ैतून के दरख़्त का जब वह हिलाया जाए, या'नी दो तीन दाने चोटी की शाख़ पर, चार पाँच फलवाले दरख़्त की बैरूनी शाख़ों पर।
Et relinquetur in eo sicut racemus et sicut excussio oleæ duarum vel trium olivarum in summitate rami, sive quatuor aut quinque in cacuminibus ejus fructus ejus, dicit Dominus Deus Israël.
7 उस रोज़ इंसान अपने ख़ालिक़ की तरफ़ नज़र करेगा और उसकी आँखें इस्राईल के क़ुद्दूस की तरफ़ देखेंगी;
In die illa inclinabitur homo ad factorem suum, et oculi ejus ad Sanctum Israël respicient;
8 और वह मज़बहों या'नी अपने हाथ के काम पर नज़र न करेगा, और अपनी दस्तकारी या'नी यसीरतों और बुतों की परवा न करेगा।
et non inclinabitur ad altaria quæ fecerunt manus ejus; et quæ operati sunt digiti ejus non respiciet lucos et delubra.
9 उस वक़्त उसके फ़सीलदार शहर उजड़े जंगल और पहाड़ की चोटी पर के मक़ामात की तरह होंगे; जो बनी — इस्राईल के सामने उजड़ गए, और वहाँ वीरानी होगी।
In die illa erunt civitates fortitudinis ejus derelictæ sicut aratra, et segetes quæ derelictæ sunt a facie filiorum Israël; et eris deserta.
10 चूँकि तूने अपने नजात देनेवाले ख़ुदा को फ़रामोश किया, और अपनी तवानाई की चट्टान को याद न किया; इसलिए तू ख़ूबसूरत पौधे लगाता और 'अजीब कलमें उसमें जमाता है।
Quia oblitus es Dei salvatoris tui, et fortis adjutoris tui non es recordata: propterea plantabis plantationem fidelem, et germen alienum seminabis;
11 लगाते वक़्त उसके चारों तरफ़ अहाता बनाता है, और सुबह को उसमें फूल खिलते हैं; लेकिन उसका हासिल दुख और सख़्त मुसीबत के वक़्त बेकार है।
in die plantationis tuæ labrusca, et mane semen tuum florebit; ablata est messis in die hæreditatis, et dolebit graviter.
12 आह! बहुत से लोगों का हंगामा है! जो समन्दर के शोर की तरह शोर मचाते हैं, और उम्मतों का धावा बड़े सैलाब के रेले की तरह है।
Væ multitudini populorum multorum, ut multitudo maris sonantis; et tumultus turbarum, sicut sonitus aquarum multarum.
13 उम्मतें सैलाब — ए — 'अज़ीम की तरह आ पड़ेंगी; लेकिन वह उनको डॉंटेगा, और वह दूर भाग जाएँगी, और उस भूसे की तरह जो टीलों के ऊपर आँधी से उड़ता फिरे और उस गर्द की तरह जो बगोले में चक्कर खाए रगेदी जाएँगी।
Sonabunt populi sicut sonitus aquarum inundantium, et increpabit eum, et fugiet procul; et rapietur sicut pulvis montium a facie venti, et sicut turbo coram tempestate.
14 शाम के वक़्त तो हैबत है! सुबह होने से पहले वह हलाक हैं! ये हमारे ग़ारतगरों का हिस्सा और हम को लूटनेवालों का हिस्सा है।
In tempore vespere, et ecce turbatio; in matutino, et non subsistet. Hæc est pars eorum qui vastaverunt nos, et sors diripientium nos.