< यसा 10 >
1 उन पर अफ़सोस जो बे इन्साफ़ी से फ़ैसले करते हैं और उन पर जो ज़ुल्म की रूबकारें लिखते हैं;
“Woe [to] those decreeing decrees of iniquity, And writers who have prescribed perverseness,
2 ताकि ग़रीबों को 'अदालत से महरूम करें, और जो मेरे लोगों में मोहताज हैं उनका हक़ छीन लें, और बेवाओं को लूटें, और यतीम उनका शिकार हों!
Of My people, That widows may be their prey, That they may spoil the fatherless.
3 इसलिए तुम मुताल्बे के दिन और उस ख़राबी के दिन, जो दूर से आएगी क्या करोगे? तुम मदद के लिए किसके पास दौड़ोगे? और तुम अपनी शौकत कहाँ रख छोड़ोगे?
And what do you do at a day of inspection? And at desolation that comes from afar? Near whom do you flee for help? And where do you leave your glory?
4 वह क़ैदियों में घुसेंगे और मक़तूलों के नीचे छिपेंगे। बावजूद इसके उसका क़हर टल नहीं गया बल्कि उसका हाथ अभी बढ़ा हुआ है।
It has bowed down without Me In the place of a bound one, And they fall in the place of the slain.” With all this His anger has not turned back, And His hand is still stretched out.
5 असूर या'नी मेरे क़हर की लाठी पर अफ़सोस! जो लठ उसके हाथ में है, वह मेरे क़हर का हथियार है।
“Woe [to] Asshur, a rod of My anger, And My indignation [is] a staff in their hand.
6 मैं उसे एक रियाकार क़ौम पर भेजूंगा, और उन लोगों की मुख़ालिफ़त में जिन पर मेरा क़हर है; मैं उसे हुक्म — ए — क़तई दूँगा कि माल लूटे और ग़नीमत ले ले, और उनको बाज़ारों की कीचड़ की तरह लताड़े।
I send him against a profane nation, And concerning a people of My wrath I charge him, To spoil spoil, and to seize prey, And to make it a treading-place as the clay of out places.
7 लेकिन उसका ये ख़याल नहीं है, और उसके दिल में ये ख़्वाहिश नहीं कि ऐसा करे; बल्कि उसका दिल ये चाहता है कि क़त्ल करे और बहुत सी क़ौमों को काट डाले।
And he does not think [it] so, And his heart does not reckon [it] so, For—to destroy [is] in his heart, And to cut off nations—not a few.
8 क्यूँकि वह कहता है, “क्या मेरे हाकिम सब के सब बादशाह नहीं?
For he says, Are my princes not altogether kings?
9 क्या कलनो करकिमीस की तरह नहीं और हमात अरफ़ाद की तरह नहीं और सामरिया दमिश्क़ की तरह नहीं है?
Is not Calno as Carchemish? Is not Hamath as Arpad? Is not Samaria as Damascus?
10 जिस तरह मेरे हाथ ने बुतों की ममलुकतें हासिल कीं, जिनकी खोदी हुई मूरतें येरूशलेम और सामरिया की मूरतों से कहीं बेहतर थीं;
As my hand has gotten to the kingdoms of a worthless thing, and their carved images, [Greater] than Jerusalem and than Samaria,
11 क्या जैसा मैंने सामरिया से और उसके बुतों से किया, वैसा ही येरूशलेम और उसके बुतों से न करूँगा?”
Do I not—as I have done to Samaria, And to her worthless things, So do to Jerusalem and to her grievous things?”
12 लेकिन यूँ होगा कि जब ख़ुदावन्द सिय्यून पहाड़ पर और येरूशलेम में अपना सब काम कर चुकेगा, तब वह फ़रमाता है मैं शाह — ए — असूर को उसके गुस्ताख़ दिल के समरह की और उसकी बुलन्द नज़री और घमण्ड की सज़ा दूँगा।
And it has come to pass, When the Lord fulfills all His work In Mount Zion and in Jerusalem, I see concerning the fruit of the greatness Of the heart of the king of Asshur, And concerning the glory of the height of his eyes.
13 क्यूँकि वह कहता है, मैंने अपने बाज़ू की ताक़त से और अपनी 'अक़्ल से ये किया है, क्यूँकि मैं 'अक़्लमन्द हूँ, हाँ, मैंने क़ौमों की हदों को सरका दिया और उनके ख़ज़ाने लूट लिए, और मैंने बहादुरों की तरह तख़्त नशीनों को उतार दिया।
For he has said, “I have worked by the power of my hand, And by my wisdom, for I have been intelligent, And I remove borders of the peoples, And I have spoiled their chief ones, And I put down the inhabitants as a mighty one,
14 मेरे हाथ ने लोगों की दौलत को घोंसले की तरह पाया, और जैसे कोई उन अंडों को जो मतरूक पड़े हों समेट ले, वैसे ही मैं सारी ज़मीन पर क़ाबिज़ हुआ और किसी को ये हिम्मत न हुई कि पर हिलाए या चोंच खोले या चहचहाये।
And my hand gets to the wealth of the peoples as to a nest, And as a gathering of forsaken eggs I have gathered all the earth, And there has not been one moving wing, Or opening mouth, or whispering.”
15 क्या कुल्हाड़ा उसके रू — ब — रू जो उससे काटता है लाफ़ज़नी करेगा अर्राकश के सामने शेख़ी मारेगा जैसे 'असा अपने उठानेवाले को हरकत देता है और छड़ी आदमी को उठाती है।
Does the axe glorify itself Against him who is hewing with it? Does the saw magnify itself Against him who is shaking it? As a rod waving those lifting it up! As a staff lifting up that which is not wood!
16 इस वजह से ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज उसके फ़र्बा जवानों पर लाग़री भेजेगा और उसकी शौकत के नीचे एक सोज़िश आग की सोज़िश की तरह भड़काएगा।
Therefore the Lord, the Lord of Hosts, Sends leanness among his fat ones, And under his glory He kindles a burning As the burning of a fire.
17 बल्कि इस्राईल का नूर ही आग बन जाएगा और उसका क़ुद्दूस एक शो'ला होगा, और वह उसके ख़स — ओ — ख़ार को एक दिन में जलाकर भसम कर देगा।
And the light of Israel has been for a fire, And his Holy One for a flame, And it has burned, and devoured his thorn And his brier in one day.
18 और उसके बन और बाग़ की ख़ुशनुमाई को बिल्कुल बर्बाद — ओ — हलाक कर देगा “और वह ऐसा हो जाएगा जैसा कोई मरीज़ जो ग़श खाए।
And the glory of his forest, and his fruitful field, He consumes from soul even to flesh, And it has been as the fainting of a standard-bearer.
19 और उसके बाग़ के दरख़्त ऐसे थोड़े बाक़ी बचेंगे कि एक लड़का भी उनको गिन कर लिख ले।
And the rest of the trees of his forest [are] few, And a youth writes them.
20 और उस वक़्त यूँ होगा कि वह जो बनी इस्राईल में से बाक़ी रह जाएँगे और या'क़ूब के घराने में से बच रहेंगे, उस पर जिसने उनको मारा फिर भरोसा न करेंगे; बल्कि ख़ुदावन्द इस्राईल के क़ुद्दूस पर सच्चे दिल से भरोसा करेंगे।
And it has come to pass in that day, The remnant of Israel, And the escaped of the house of Jacob, Do not add anymore to lean on its striker, And have leaned on YHWH, The Holy One of Israel, in truth.
21 एक बक़िया या'नी या'क़ूब का बक़िया ख़ुदा — ए — क़ादिर की तरफ़ फिरेगा।
A remnant returns—a remnant of Jacob, To the Mighty God.
22 क्यूँकि ऐ इस्राईल, तेरे लोग समन्दर की रेत की तरह हों, तोभी उनमें का सिर्फ़ एक बक़िया वापस आएगा; बर्बादी पूरे 'अद्ल से मुक़र्रर हो चुकी है।
For though your people Israel be as the sand of the sea, A remnant of it returns, A consumption determined, Overflowing [with] righteousness.
23 क्यूँकि ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज मुक़र्ररा बर्बादी तमाम इस ज़मीन पर ज़ाहिर करेगा।
For a consumption that is determined, The Lord, YHWH of Hosts, Is making in the midst of all the land.
24 लेकिन ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है ऐ मेरे लोगो, जो सिय्यून में बसते हो असूर से न डरो, अगरचे कि वह तुमको लठ से मारे और मिस्र की तरह तुम पर अपना 'असा उठाए।
Therefore, thus said the Lord, YHWH of Hosts: “Do not be afraid, My people, inhabiting Zion, because of Asshur, He strikes you with a rod, And his staff lifts up against you, in the way of Egypt.
25 लेकिन थोड़ी ही देर है कि जोश — ओ — ख़रोश ख़त्म होगा और उनकी हलाकत से मेरे क़हर की तस्कीन होगी।
For yet a very little [while], And the indignation has been completed, And My anger by their wearing out.”
26 क्यूँकि रब्ब — उल — अफ़वाज मिदियान की ख़ूँरेज़ी के मुताबिक़ जो 'ओरेब की चट्टान पर हुई, उस पर एक कोड़ा उठाएगा; उसका 'असा समन्दर पर होगा, हाँ वह उसे मिस्र की तरह उठाएगा।
And YHWH of Hosts is awaking for him, A scourge like the striking of Midian at the rock Oreb, And his rod [is] over the sea, And he has lifted it in the way of Egypt.
27 और उस वक़्त यूँ होगा कि उसका बोझ तेरे कंधे पर से और उसका बोझ तेरी गर्दन पर से उठा लिया जाएगा और वह बोझ मसह की वजह से तोड़ा जाएगा।”
And it has come to pass in that day, His burden is turned from off your shoulder, And his yoke from off your neck, And the yoke has been destroyed, because of prosperity.
28 वह अय्यात में आया है, मज्रून में से होकर गुज़र गया; उसने अपना अस्बाब मिकमास में रख्खा
He has come in against Aiath, He has passed over into Migron, At Michmash he looks after his vessels.
29 वह घाटी से पार गए उन्होंने जिब'आ में रात काटी, रामा परेशान है; जिब'आ — ए — साऊल भाग निकला है।
They have gone over the passage, They have made Geba a lodging place, Rama has trembled, Gibeah of Saul fled.
30 ऐ जल्लीम की बेटी, चीख़ मार! ऐ ग़रीब 'अन्तोत, अपनी आवाज़ लईस को सुना!
Cry aloud [with] your voice, daughter of Gallim, Give attention, Laish! Answer her, Anathoth.
31 मदमीना चल निकला, जेबीम के रहने वाले निकल भागे।
Madmenah has fled away, The inhabitants of the high places have hardened themselves.
32 वह आज के दिन नोब में ख़ेमाज़न होगा तब वह दुख़्तर — ए — सिय्यून के पहाड़ या'नी कोह — ए — येरूशलेम पर हाथ उठा कर धमकाएगा।
Yet today to remain in Nob, The mountain of the daughter of Zion waves its hand, The hill of Jerusalem.
33 देखो, ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज हैबतनाक तौर से मार कर शाख़ों को छाँट डालेगा; क़द्दावर काट डाले जाएँगें और बलन्द पस्त किए जाएँगे।
Behold, the Lord, YHWH of Hosts, Is lopping a branch with violence, And the high of stature are cut down, And the lofty have become low,
34 और वह जंगल की गुन्जान झाड़ियों को लोहे से काट डालेगा, और लुबनान एक ज़बरदस्त के हाथ से गिर जाएगा।
And He has gone around the thickets of the forest with iron, And Lebanon falls by a mighty one!