< होसी 11 >
1 जब इस्राईल अभी बच्चा ही था, मैने उससे मुहब्बत रख्खी, और अपने बेटे को मिस्र से बुलाया।
“When Israel was a child, then I loved him, and called my son out of Egypt.
2 उन्होंने जिस क़द्र उनको बुलाया, उसी क़द्र वह दूर होते गए; उन्होंने बा'लीम के लिए कु़र्बानियाँ पेश कीं और तराशी हुई मूरतों के लिए ख़ुशबू जलाया।
They called to them, so they went from them. They sacrificed to the Baals, and burned incense to engraved images.
3 मैंने बनी इफ़्राईम को चलना सिखाया; मैंने उनको गोद में उठाया, लेकिन उन्होंने न जाना कि मैं ही ने उनको सेहत बख़्शी।
Yet I taught Ephraim to walk. I took them by their arms, but they didn’t know that I healed them.
4 मैंने उनको इंसानी रिश्तों और मुहब्बत की डोरियों से खींचा; मैं उनके हक़ में उनकी गर्दन पर से जूआ उतारने वालों की तरह हुआ, और मैंने उनके आगे खाना रख्खा।
I drew them with cords of a man, with ties of love; and I was to them like those who lift up the yoke on their necks; and I bent down to him and I fed him.
5 वह फिर मुल्क — ए — मिस्र में न जाएँगे, बल्कि असूर उनका बादशाह होगा; क्यूँकि वह वापस आने से इन्कार करते हैं।
“They won’t return into the land of Egypt; but the Assyrian will be their king, because they refused to repent.
6 तलवार उनके शहरों पर आ पड़ेगी, और उनके अड़बंगों को खा जाएगी और ये उन ही की मश्वरत का नतीजा होगा।
The sword will fall on their cities, and will destroy the bars of their gates, and will put an end to their plans.
7 क्यूँकि मेरे लोग मुझ से नाफ़रमानी पर आमादा हैं, बावुजूद ये कि उन्होंने उनको बुलाया कि हक़ ता'ला की तरफ़ रुजू' लाए; लेकिन किसी ने न चाहा कि उसकी इबादत करें।
My people are determined to turn from me. Though they call to the Most High, he certainly won’t exalt them.
8 ऐ इफ़्राईम, मैं तुझ से क्यूँकर दस्तबरदार हो जाऊँ? ऐ इस्राईल, मैं तुझे क्यूँकर तर्क करूं? मैं क्यूँकर तुझे अदमा की तरह बनाऊ? और ज़िबू'ईम तरह बनाऊँ मेरा दिल मुझ में पेच खाता है; मेरी शफ़क़त मौजज़न है।
“How can I give you up, Ephraim? How can I hand you over, Israel? How can I make you like Admah? How can I make you like Zeboiim? My heart is turned within me, my compassion is aroused.
9 मैं अपने क़हर की शिद्दत के मुताबिक़ 'अमल नहीं करूँगा, मैं हरगिज़ इफ़्राईम को हलाक न करूँगा; क्यूँकि मैं इंसान नहीं, ख़ुदा हूँ। तेरे बीच सुकूनत करने वाला कु़द्दूस, और मैं क़हर के साथ नहीं आऊँगा।
I will not execute the fierceness of my anger. I will not return to destroy Ephraim, for I am God, and not man—the Holy One among you. I will not come in wrath.
10 वह ख़ुदावन्द की पैरवी करेंगे, जो शेर — ए — बबर की तरह गरजेगा, क्यूँकि वह गरजेगा, और उसके फ़र्ज़न्द मग़रिब की तरफ़ से काँपते हुए आएँगे।
They will walk after Yahweh, who will roar like a lion; for he will roar, and the children will come trembling from the west.
11 वह मिस्र से परिन्दे की तरह, और असूर के मुल्क से कबूतर की तरह काँपते हुए आएँगे; और मैं उनको उनके घरों में बसाऊँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
They will come trembling like a bird out of Egypt, and like a dove out of the land of Assyria; and I will settle them in their houses,” says Yahweh.
12 इफ़्राईम ने दरोगगोई से और इस्राईल के घराने ने मक्कारी से मुझ को घेरा है, लेकिन यहूदाह अब तक ख़ुदा के साथ हाँ उस क़ुद्दूस वफ़ादार के साथ हुक्मरान हैं।
Ephraim surrounds me with falsehood, and the house of Israel with deceit. Judah still strays from God, and is unfaithful to the Holy One.