< इब्रानियों 5 >

1 अब इंसान ों में से चुने गए इमाम — ए — आज़म को इस लिए मुक़र्रर किया जाता है कि वह उन की ख़ातिर ख़ुदा की ख़िदमत करे, ताकि वह गुनाहों के लिए नज़राने और क़ुर्बानियाँ पेश करे।
Omnis namque pontifex ex hominibus assumptus, pro hominibus constituitur in iis quæ sunt ad Deum, ut offerat dona, et sacrificia pro peccatis:
2 वह जाहिल और आवारा लोगों के साथ नर्म सुलूक रख सकता है, क्यूँकि वह ख़ुद कई तरह की कमज़ोरियों की गिरफ़्त में होता है।
qui condolere possit iis qui ignorant et errant: quoniam et ipse circumdatus est infirmitate:
3 यही वजह है कि उसे न सिर्फ़ क़ौम के गुनाहों के लिए बल्कि अपने गुनाहों के लिए भी क़ुर्बानियाँ चढ़ानी पड़ती हैं।
et propterea debet, quemadmodum pro populo, ita etiam et pro semetipso offerre pro peccatis.
4 और कोई अपनी मर्ज़ी से इमाम — ए — आज़म का 'इज़्ज़त वाला ओह्दा नहीं अपना सकता बल्कि ज़रूरी है कि ख़ुदा उसे हारून की तरह बुला कर मुक़र्रर करे।
Nec quisquam sumit sibi honorem, sed qui vocatur a Deo, tamquam Aaron.
5 इसी तरह मसीह ने भी अपनी मर्ज़ी से इमाम — ए — आज़म का 'इज़्ज़त वाला ओह्दा नहीं अपनाया। इस के बजाए ख़ुदा ने उस से कहा, “तू मेरा बेटा है आज तू मुझसे पैदा हुआ है।”
Sic et Christus non semetipsum clarificavit ut pontifex fieret: sed qui locutus est ad eum: Filius meus es tu, ego hodie genui te.
6 कहीं और वह फ़रमाता है, “तू अबद तक इमाम है, ऐसा इमाम जैसा मलिक — ए — सिद्क़ था।” (aiōn g165)
Quemadmodum et in alio loco dicit: Tu es sacerdos in æternum, secundum ordinem Melchisedech. (aiōn g165)
7 जब ईसा इस दुनिया में था तो उस ने ज़ोर ज़ोर से पुकार कर और आँसू बहा बहा कर उसे दुआएँ और इल्तिजाएँ पेश कीं जो उसको मौत से बचा सकता था और ख़ुदा तरसी की वजह से उसकी सुनी गई।
Qui in diebus carnis suæ preces, supplicationesque ad eum qui possit illum salvum facere a morte cum clamore valido, et lacrimis offerens, exauditus est pro sua reverentia.
8 वह ख़ुदा का फ़र्ज़न्द तो था, तो भी उस ने दुःख उठाने से फ़रमाँबरदारी सीखी।
Et quidem cum esset Filius Dei, didicit ex iis, quæ passus est, obedientiam:
9 जब वह कामिलियत तक पहुँच गया तो वह उन सब की अबदी नजात का सरचश्मा बन गया जो उस की सुनते हैं। (aiōnios g166)
et consummatus, factus est omnibus obtemperantibus sibi, causa salutis æternæ, (aiōnios g166)
10 उस वक़्त ख़ुदा ने उसे इमाम — ए — आज़म भी मुतअय्युन किया, ऐसा इमाम जैसा मलिक — ए — सिद्क़ था।
appellatus a Deo pontifex juxta ordinem Melchisedech.
11 इस के बारे में हम ज़्यादा बहुत कुछ कह सकते हैं, लेकिन हम मुश्किल से इस का ख़ुलासा कर सकते हैं, क्यूँकि आप सुनने में सुस्त हैं।
De quo nobis grandis sermo, et ininterpretabilis ad dicendum: quoniam imbecilles facti estis ad audiendum.
12 असल में इतना वक़्त गुज़र गया है कि अब आप को ख़ुद उस्ताद होना चाहिए। अफ़्सोस कि ऐसा नहीं है बल्कि आप को इस की ज़रूरत है कि कोई आप के पास आ कर आप को ख़ुदा के कलाम की बुनियादी सच्चाइयाँ दुबारा सिखाए। आप अब तक सख़्त ग़िज़ा नहीं खा सकते बल्कि आप को दूध की ज़रूरत है।
Etenim cum deberetis magistri esse propter tempus, rursum indigetis ut vos doceamini quæ sint elementa exordii sermonum Dei: et facti estis quibus lacte opus sit, non solido cibo.
13 जो दूध ही पी सकता है वह अभी छोटा बच्चा ही है और वह रास्तबाज़ी की तालीम से ना समझ है।
Omnis enim, qui lactis est particeps, expers est sermonis justitiæ: parvulus enim est.
14 इस के मुक़ाबिले में सख़्त ग़िज़ा बालिग़ों के लिए है जिन्हों ने अपनी बलूग़त के ज़रिए अपनी रुहानी ज़िन्दगी को इतनी तर्बियत दी है कि वह भलाई और बुराई में पहचान कर सकते हैं।
Perfectorum autem est solidus cibus: eorum, qui pro consuetudine exercitatos habent sensus ad discretionem boni ac mali.

< इब्रानियों 5 >