< इब्रानियों 5 >
1 अब इंसान ों में से चुने गए इमाम — ए — आज़म को इस लिए मुक़र्रर किया जाता है कि वह उन की ख़ातिर ख़ुदा की ख़िदमत करे, ताकि वह गुनाहों के लिए नज़राने और क़ुर्बानियाँ पेश करे।
ⲁ̅ⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ ⲅⲁⲣ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲟⲩϫⲓ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲉϣⲁⲩⲕⲁⲑⲓⲥⲧⲁ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲉϫⲛ̅ⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲛ̅ⲛⲁϩⲣⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ϫⲉ ⲉϥⲉⲧⲁⲗⲉⲇⲱⲣⲟⲛ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ϩⲓⲑⲩⲥⲓⲁ ϩⲁⲛⲟⲃⲉ.
2 वह जाहिल और आवारा लोगों के साथ नर्म सुलूक रख सकता है, क्यूँकि वह ख़ुद कई तरह की कमज़ोरियों की गिरफ़्त में होता है।
ⲃ̅ⲉⲩⲛ̅ϭⲟⲙ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲉϣⲡ̅ϩⲓⲥⲉ ⲙⲛ̅ⲛⲉⲧⲟ ⲛ̅ⲁⲧⲥⲟⲟⲩⲛ. ⲙⲛ̅ⲛⲉⲧⲡⲗⲁⲛⲁ. ⲉⲃⲟⲗ ϩⲱⲱϥ ϫⲉ ϥϣⲟⲟⲡ ϩⲛ̅ⲟⲩⲙⲛ̅ⲧϭⲱⲃ.
3 यही वजह है कि उसे न सिर्फ़ क़ौम के गुनाहों के लिए बल्कि अपने गुनाहों के लिए भी क़ुर्बानियाँ चढ़ानी पड़ती हैं।
ⲅ̅ⲁⲩⲱ ⲉⲧⲃⲏⲏⲧⲥ̅ ϣ̅ϣⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲉϣⲁϥⲧⲁⲗⲟ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ϩⲁⲡⲗⲁⲟⲥ. ⲛϥ̅ⲧⲁⲗⲟ ϩⲱⲱϥ ϩⲁⲣⲟϥ ⲛ̅ⲧⲉⲉⲓϩⲉ ϩⲁⲛⲉϥⲛⲟⲃⲉ·
4 और कोई अपनी मर्ज़ी से इमाम — ए — आज़म का 'इज़्ज़त वाला ओह्दा नहीं अपना सकता बल्कि ज़रूरी है कि ख़ुदा उसे हारून की तरह बुला कर मुक़र्रर करे।
ⲇ̅ⲛⲉⲣⲉⲡⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲡⲟⲩⲁ ϫⲓ ⲛⲁϥ ⲁⲛ ⲙⲡⲧⲁⲉⲓⲟ. ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲩⲉⲓⲛⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲛ̅ⲁⲁⲣⲱⲛ.
5 इसी तरह मसीह ने भी अपनी मर्ज़ी से इमाम — ए — आज़म का 'इज़्ज़त वाला ओह्दा नहीं अपनाया। इस के बजाए ख़ुदा ने उस से कहा, “तू मेरा बेटा है आज तू मुझसे पैदा हुआ है।”
ⲉ̅ⲧⲁⲓ̈ ⲧⲉ ⲑⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲭ̅ⲥ̅. ⲛ̅ⲧⲁϥϯⲉⲟⲟⲩ ⲛⲁϥ ⲟⲩⲁⲁϥ ⲁⲛ ⲉⲧⲣⲉϥϣⲱⲡⲉ ⲛ̅ⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ. ⲁⲗⲗⲁ ⲡⲉⲛⲧⲁϥϣⲁϫⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ ⲡⲉ. ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲟⲕ ⲡⲉ ⲡⲁϣⲏⲣⲉ ⲁⲛⲟⲕ ⲁⲓ̈ϫⲡⲟⲕ ⲙ̅ⲡⲟⲟⲩ.
6 कहीं और वह फ़रमाता है, “तू अबद तक इमाम है, ऐसा इमाम जैसा मलिक — ए — सिद्क़ था।” (aiōn )
ⲋ̅ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲟⲛ ⲉϣⲁϥϫⲟⲟⲥ ϩⲛ̅ⲕⲉⲙⲁ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲟⲕ ⲡⲉ ⲡⲟⲩⲏⲏⲃ ϣⲁⲉⲛⲉϩ ⲕⲁⲧⲁⲧⲧⲁⲝⲓⲥ ⲙ̅ⲙⲉⲗⲭⲓⲥⲉⲇⲉⲕ. (aiōn )
7 जब ईसा इस दुनिया में था तो उस ने ज़ोर ज़ोर से पुकार कर और आँसू बहा बहा कर उसे दुआएँ और इल्तिजाएँ पेश कीं जो उसको मौत से बचा सकता था और ख़ुदा तरसी की वजह से उसकी सुनी गई।
ⲍ̅ⲡⲁⲓ̈ ϩⲛ̅ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲛ̅ⲧⲉϥⲥⲁⲣⲝ̅ ⲁϥϫⲓⲥⲉ ϩⲣⲁⲓ ϩⲛ̅ϩⲉⲛⲥⲟⲡⲥ̅ ⲙⲛ̅ϩⲉⲛⲕⲱⲣϣ̅ ⲛ̅ⲛⲁϩⲣⲛ̅ⲡⲉⲧⲉⲟⲩⲛ̅ϭⲟⲙ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲉⲧⲟⲩϫⲟϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲙⲟⲩ. ϩⲛ̅ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ⲁϣⲕⲁⲕ ⲙⲛ̅ϩⲉⲛⲣⲙ̅ⲉⲓⲏ. ⲁⲩⲱ ⲉⲁⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲣⲟϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛⲧ(ϩ)ⲟⲧⲉ.
8 वह ख़ुदा का फ़र्ज़न्द तो था, तो भी उस ने दुःख उठाने से फ़रमाँबरदारी सीखी।
ⲏ̅ⲕⲁⲓⲡⲉⲣ ⲉⲡϣⲏⲣⲉ ⲡⲉ ⲁϥⲥⲃⲱ ⲉⲡⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛⲉⲛⲧⲁϥϣⲟⲡⲟⲩ.
9 जब वह कामिलियत तक पहुँच गया तो वह उन सब की अबदी नजात का सरचश्मा बन गया जो उस की सुनते हैं। (aiōnios )
ⲑ̅ⲁⲩⲱ ⲉⲁϥϫⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲁϥϣⲱⲡⲉ ⲛ̅ⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛ̅ⲥⲱϥ ⲛ̅ⲁⲓⲧⲓⲟⲥ ⲙ̅ⲡⲉⲩϫⲁⲓ̈ ⲛ̅ϣⲁⲉⲛⲉϩ. (aiōnios )
10 उस वक़्त ख़ुदा ने उसे इमाम — ए — आज़म भी मुतअय्युन किया, ऐसा इमाम जैसा मलिक — ए — सिद्क़ था।
ⲓ̅ⲉⲁⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛ̅ⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ ⲕⲁⲧⲁⲧⲧⲁⲝⲓⲥ ⲙ̅ⲙⲉⲗⲭⲓⲥⲉⲇⲉⲕ.
11 इस के बारे में हम ज़्यादा बहुत कुछ कह सकते हैं, लेकिन हम मुश्किल से इस का ख़ुलासा कर सकते हैं, क्यूँकि आप सुनने में सुस्त हैं।
ⲓ̅ⲁ̅ⲡⲁⲓ̈ ⲉⲧⲉⲣⲉⲡϣⲁϫⲉ ⲟϣ ⲛⲁⲛ ⲉϣⲁϫⲉ ⲉⲣⲟϥ. ⲁⲩⲱ ⲉϥⲙⲟⲕϩ̅ ⲉⲃⲟⲗϥ̅. ⲉⲧⲃⲉϫⲉⲁⲧⲉⲧⲛ̅ϣⲱⲡⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛ̅ϣⲟⲟⲛⲉ ϩⲛ̅ⲛⲉⲧⲛ̅ⲙⲁⲁϫⲉ.
12 असल में इतना वक़्त गुज़र गया है कि अब आप को ख़ुद उस्ताद होना चाहिए। अफ़्सोस कि ऐसा नहीं है बल्कि आप को इस की ज़रूरत है कि कोई आप के पास आ कर आप को ख़ुदा के कलाम की बुनियादी सच्चाइयाँ दुबारा सिखाए। आप अब तक सख़्त ग़िज़ा नहीं खा सकते बल्कि आप को दूध की ज़रूरत है।
ⲓ̅ⲃ̅ⲕⲁⲓⲅⲁⲣ ⲉϣϣⲉ ⲉⲣⲱⲧⲛ̅ ⲉⲣ̅ⲥⲁϩ ⲉⲧⲃⲉⲡⲉⲩⲟⲉⲓϣ. ⲧⲉⲧⲛ̅ⲣ̅ⲭⲣⲓⲁ ⲟⲛ ⲛ̅ϯⲥⲃⲱ ⲛⲏⲧⲛ̅. ϫⲉ ⲟⲩ ⲛⲉ ⲛⲉⲥⲧⲟⲓⲭⲓⲟⲛ ⲛ̅ⲧⲁⲣⲭⲏ ⲛ̅ⲛ̅ϣⲁϫⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲁⲩⲱ ⲁⲧⲉⲧⲛ̅ϣⲱⲡⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛ̅ⲣ̅ⲭⲣⲓⲁ ⲛ̅ⲟⲩⲉⲣⲱⲧⲉ ⲛ̅ⲟⲩϩⲣⲉ ⲁⲛ ⲉⲥϫⲟⲟⲣ.
13 जो दूध ही पी सकता है वह अभी छोटा बच्चा ही है और वह रास्तबाज़ी की तालीम से ना समझ है।
ⲓ̅ⲅ̅ⲟⲩⲟⲛ ⲅⲁⲣ ⲛⲓⲙ ⲉⲧϫⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲉⲣⲱⲧⲉ. ⲟⲩⲁⲧⲥⲟⲟⲩⲛ ⲡⲉ ⲙ̅ⲡϣⲁϫⲉ ⲛ̅ⲧⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥⲩⲛⲏ. ⲟⲩⲕⲟⲩⲓ̈ ⲅⲁⲣ ⲡⲉ.
14 इस के मुक़ाबिले में सख़्त ग़िज़ा बालिग़ों के लिए है जिन्हों ने अपनी बलूग़त के ज़रिए अपनी रुहानी ज़िन्दगी को इतनी तर्बियत दी है कि वह भलाई और बुराई में पहचान कर सकते हैं।
ⲓ̅ⲇ̅ⲧⲁⲛⲓⲧⲉⲗⲓⲟⲥ ⲇⲉ ⲧⲉϩⲣⲉ ⲉⲧϫⲟⲟⲣ. ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲧⲃⲉⲑⲉⲝⲓⲥ ⲉⲩⲛ̅ⲧⲁⲩ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲛ̅ⲛⲉⲩⲁⲓⲥⲑⲏⲧⲏⲣⲓⲟⲛ ⲉⲩⲅⲩⲙⲛⲁⲍⲉ ⲉⲇⲓⲁⲕⲣⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲧⲙⲏⲧⲉ ⲙ̅ⲡⲡⲉⲧⲛⲁⲛⲟⲩϥ ⲙⲛ̅ⲡⲡⲉⲑⲟⲟⲩ·