< इब्रानियों 3 >
1 पस ऐ पाक भाइयों! तुम जो आसमानी बुलावे में शरीक हो, उस रसूल और सरदार काहिन ईसा पर ग़ौर करो जिसका हम करते हैं;
POR tanto, hermanos santos, participantes de la vocación celestial, considerad al Apóstol y Pontífice de nuestra profesión, Cristo Jesús;
2 जो अपने मुक़र्रर करनेवाले के हक़ में दियानतदार था, जिस तरह मूसा ख़ुदा के सारे घर में था।
El cual es fiel al que le constituyó, como también lo fué Moisés sobre toda su casa.
3 क्यूँकि वो मूसा से इस क़दर ज़्यादा 'इज़्ज़त के लायक़ समझा गया, जिस क़दर घर का बनाने वाला घर से ज़्यादा इज़्ज़तदार होता है।
Porque de tanto mayor gloria que Moisés éste es estimado digno, cuanto tiene mayor dignidad que la casa el que la fabricó.
4 चुनाँचे हर एक घर का कोई न कोई बनाने वाला होता है, मगर जिसने सब चीज़ें बनाइं वो ख़ुदा है।
Porque toda casa es edificada de alguno: mas el que crió todas las cosas es Dios.
5 मूसा तो उसके सारे घर में ख़ादिम की तरह दियानतदार रहा, ताकि आइन्दा बयान होनेवाली बातों की गवाही दे।
Y Moisés á la verdad fué fiel sobre toda su casa, como siervo, para testificar lo que se había de decir;
6 लेकिन मसीह बेटे की तरह उसके घर का मालिक है, और उसका घर हम हैं; बशर्ते कि अपनी दिलेरी और उम्मीद का फ़ख़्र आख़िर तक मज़बूती से क़ाईम रख्खें।
Mas Cristo como hijo, sobre su casa; la cual casa somos nosotros, si hasta el cabo retuviéremos firme la confianza y la gloria de la esperanza.
7 पस जिस तरह कि पाक रूह कलाम में फ़रमाता है, “अगर आज तुम उसकी आवाज़ सुनो,
Por lo cual, como dice el Espíritu Santo: Si oyereis hoy su voz,
8 तो अपने दिलों को सख़्त न करो, जिस तरह ग़ुस्सा दिलाने के वक़्त आज़माइश के दिन जंगल में किया था।
No endurezcáis vuestros corazones como en la provocación, en el día de la tentación en el desierto,
9 जहाँ तुम्हारे बाप — दादा ने मुझे जाँचा और आज़माया और चालीस बरस तक मेरे काम देखे।
Donde me tentaron vuestros padres; me probaron, y vieron mis obras cuarenta años.
10 इसलिए मैं उस पीढ़ी से नाराज़ हुआ, और कहा, 'इनके दिल हमेशा गुमराह होते रहते है, और उन्होंने मेरी राहों को नहीं पहचाना।
A causa de lo cual me enemisté con esta generación, y dije: Siempre divagan ellos de corazón, y no han conocido mis caminos.
11 चुनाँचे मैंने अपने ग़ुस्से में क़सम खाई, 'ये मेरे आराम में दाख़िल न होने पाएँगे'।”
Juré, pues, en mi ira: No entrarán en mi reposo.
12 ऐ भाइयों! ख़बरदार! तुम में से किसी का ऐसा बुरा और बे — ईमान दिल न हो, जो ज़िन्दा ख़ुदा से फिर जाए।
Mirad, hermanos, que en ninguno de vosotros haya corazón malo de incredulidad para apartarse del Dios vivo:
13 बल्कि जिस रोज़ तक आज का दिन कहा जाता है, हर रोज़ आपस में नसीहत किया करो, ताकि तुम में से कोई गुनाह के धोखे में आकर सख़्त दिल न हो जाए।
Antes exhortaos los unos á los otros cada día, entre tanto que se dice Hoy; porque ninguno de vosotros se endurezca con engaño de pecado:
14 क्यूँकि हम मसीह में शरीक हुए हैं, बशर्ते कि अपने शुरुआत के भरोसे पर आख़िर तक मज़बूती से क़ाईम रहें।
Porque participantes de Cristo somos hechos, con tal que conservemos firme hasta el fin el principio de nuestra confianza;
15 चुनाँचे कलाम में लिखा है “अगर आज तुम उसकी आवाज़ सुनो, तो अपने दिलों को सख़्त न करो, जिस तरह कि ग़ुस्सा दिलाने के वक़्त किया था।”
Entre tanto que se dice: Si oyereis hoy su voz, no endurezcáis vuestros corazones, como en la provocación.
16 किन लोगों ने आवाज़ सुन कर ग़ुस्सा दिलाया? क्या उन सब ने नहीं जो मूसा के वसीले से मिस्र से निकले थे?
Porque algunos de los que habían salido de Egipto con Moisés, habiendo oído, provocaron, aunque no todos.
17 और वो किन लोगों से चालीस बरस तक नाराज़ रहा? क्या उनसे नहीं जिन्होंने गुनाह किया, और उनकी लाशें वीराने में पड़ी रहीं?
Mas ¿con cuáles estuvo enojado cuarenta años? ¿No fué con los que pecaron, cuyos cuerpos cayeron en el desierto?
18 और किनके बारे में उसने क़सम खाई कि वो मेरे आराम में दाख़िल न होने पाएँगे, सिवा उनके जिन्होंने नाफ़रमानी की?
¿Y á quiénes juró que no entrarían en su reposo, sino á aquellos que no obedecieron?
19 ग़रज़ हम देखते हैं कि वो बे — ईमानी की वजह से दाख़िल न हो सके।
Y vemos que no pudieron entrar á causa de incredulidad.