< इब्रानियों 2 >

1 इसलिए जो बातें हम ने सुनी, उन पर और भी दिल लगाकर ग़ौर करना चाहिए, ताकि बहक कर उनसे दूर न चले जाएँ।
لهذا لازم است که به دقت بلیغ تر آنچه راشنیدیم گوش دهیم، مبادا که از آن ربوده شویم.۱
2 क्यूँकि जो कलाम फ़रिश्तों के ज़रिए फ़रमाया गया था, जब वो क़ाईम रहा और हर क़ुसूर और नाफ़रमानी का ठीक ठीक बदला मिला,
زیرا هر گاه کلامی که بوساطت فرشتگان گفته شد برقرار گردید، بقسمی که هر تجاوز وتغافلی را جزای عادل می‌رسید،۲
3 तो इतनी बड़ी नजात से ग़ाफ़िल रहकर हम क्यूँकर चल सकते हैं? जिसका बयान पहले ख़ुदावन्द के वसीले से हुआ, और सुनने वालों से हमें पूरे — सबूत को पहुँचा।
پس ما چگونه رستگار گردیم اگر از چنین نجاتی عظیم غافل باشیم؟ که در ابتدا تکلم به آن از خداوند بود و بعدکسانی که شنیدند، بر ما ثابت گردانیدند؛۳
4 और साथ ही ख़ुदा भी अपनी मर्ज़ी के मुवाफ़िक़ निशानों, और 'अजीब कामों, और तरह तरह के मोजिज़ों, और रूह — उल — क़ुद्दूस की ने'मतों के ज़रिए से उसकी गवाही देता रहा।
درحالتی که خدا نیز با ایشان شهادت می‌داد به آیات و معجزات و انواع قوات و عطایای روح‌القدس برحسب اراده خود.۴
5 उसने उस आनेवाले जहान को जिसका हम ज़िक्र करते हैं, फ़रिश्तों के ताबे' नहीं किया।
زیرا عالم آینده‌ای را که ذکر آن را می‌کنیم مطیع فرشتگان نساخت.۵
6 बल्कि किसी ने किसी मौक़े पर ये बयान किया है, “इंसान क्या चीज़ है जो तू उसका ख़याल करता है? या आदमज़ाद क्या है जो तू उस पर निगाह करता है?
لکن کسی در موضعی شهادت داده، گفت: «چیست انسان که او را بخاطرآوری یا پسر انسان که از او تفقد نمایی؟۶
7 तू ने उसे फ़रिश्तों से कुछ ही कम किया; तू ने उस पर जलाल और 'इज़्ज़त का ताज रख्खा, और अपने हाथों के कामों पर उसे इख़्तियार बख़्शा।
او را ازفرشتگان اندکی پست‌تر قرار دادی و تاج جلال واکرام را بر سر او نهادی و او را بر اعمال دستهای خود گماشتی.۷
8 तू ने सब चीज़ें ताबे' करके उसके क़दमों तले कर दी हैं।” पस जिस सूरत में उसने सब चीज़ें उसके ताबे' कर दीं, तो उसने कोई चीज़ ऐसी न छोड़ी जो उसके ताबे, न हो। मगर हम अब तक सब चीज़ें उसके ताबे' नहीं देखते।
همه‌چیز را زیر پایهای اونهادی.» پس چون همه‌چیز را مطیع او گردانید، هیچ‌چیز را نگذاشت که مطیع او نباشد. لکن الان هنوز نمی بینیم که همه‌چیز مطیع وی شده باشد.۸
9 अलबत्ता उसको देखते हैं जो फ़रिश्तों से कुछ ही कम किया गया, या'नी ईसा को मौत का दुःख सहने की वजह से जलाल और 'इज़्ज़त का ताज उसे पहनाया गया है, ताकि ख़ुदा के फ़ज़ल से वो हर एक आदमी के लिए मौत का मज़ा चखे।
اما او را که اندکی از فرشتگان کمتر شد می‌بینیم، یعنی عیسی را که به زحمت موت تاج جلال واکرام بر سر وی نهاده شد تا به فیض خدا برای همه ذائقه موت را بچشد.۹
10 क्यूँकि जिसके लिए सब चीज़ें है और जिसके वसीले से सब चीज़ें हैं, उसको यही मुनासिब था कि जब बहुत से बेटों को जलाल में दाख़िल करे, तो उनकी नजात के बानी को दुखों के ज़रिए से कामिल कर ले।
زیرا او را که بخاطروی همه و از وی همه‌چیز می‌باشد، چون فرزندان بسیار را وارد جلال می‌گرداند، شایسته بود که رئیس نجات ایشان را به دردها کامل گرداند.۱۰
11 इसलिए कि पाक करने वाला और पाक होनेवाला सब एक ही नस्ल से हैं, इसी ज़रिए वो उन्हें भाई कहने से नहीं शरमाता।
زانرو که چون مقدس کننده و مقدسان همه از یک می‌باشند، از این جهت عار ندارد که ایشان را برادر بخواند.۱۱
12 चुनाँचे वो फ़रमाता है, “तेरा नाम मैं अपने भाइयों से बयान करूँगा, कलीसिया में तेरी हम्द के गीत गाऊँगा।”
چنانکه می‌گوید: «اسم تو را به برادران خود اعلام می‌کنم و در میان کلیساتو را تسبیح خواهم خواند.»۱۲
13 और फिर ये, “देख मैं उस पर भरोसा रखूँगा।” और फिर ये, “देख मैं उन लड़कों समेत जिन्हें ख़ुदा ने मुझे दिया।”
و ایض: «من بروی توکل خواهم نمود.» و نیز: «اینک من وفرزندانی که خدا به من عطا فرمود.»۱۳
14 पस जिस सूरत में कि लड़के ख़ून और गोश्त में शरीक हैं, तो वो ख़ुद भी उनकी तरह उनमें शरीक हुआ, ताकि मौत के वसीले से उसको जिसे मौत पर क़ुदरत हासिल थी, या'नी इब्लीस को, तबाह कर दे;
پس چون فرزندان در خون و جسم شراکت دارند، او نیز همچنان در این هر دو شریک شد تابوساطت موت، صاحب قدرت موت یعنی ابلیس را تباه سازد،۱۴
15 और जो उम्र भर मौत के डर से ग़ुलामी में गिरफ़्तार रहे, उन्हें छुड़ा ले।
و آنانی را که از ترس موت، تمام عمر خود را گرفتار بندگی می‌بودند، آزاد گرداند.۱۵
16 क्यूँकि हक़ीक़त में वो फ़रिश्तों का नहीं, बल्कि अब्रहाम की नस्ल का साथ देता है।
زیرا که در حقیقت فرشتگان را دستگیری نمی نماید بلکه نسل ابراهیم را دستگیری می‌نماید.۱۶
17 पस उसको सब बातों में अपने भाइयों की तरह बनना ज़रूरी हुआ, ताकि उम्मत के गुनाहों का कफ़्फ़ारा देने के वास्ते, उन बातों में जो ख़ुदा से ता'अल्लुक़ रखती है, एक रहम दिल और दियानतदार सरदार काहिन बने।
از این جهت می‌بایست در هر امری مشابه برادران خود شود تا در امور خدا رئیس کهنه‌ای کریم و امین شده، کفاره گناهان قوم رابکند.۱۷
18 क्यूँकि जिस सूरत में उसने ख़ुद की आज़माइश की हालत में दुःख उठाया, तो वो उनकी भी मदद कर सकता है जिनकी आज़माइश होती है।
زیرا که چون خود عذاب کشیده، تجربه دید استطاعت دارد که تجربه شدگان را اعانت فرماید.۱۸

< इब्रानियों 2 >