< इब्रानियों 11 >

1 ईमान क्या है? यह कि हम उस में क़ाईम रहें जिस पर हम उम्मीद रखते हैं और कि हम उस का यक़ीन रखें जो हम नहीं देख सकते।
विश्वास को अर्थ हय, जेकी हम आशा करजे हय ओको लायी निश्चित होनो, अऊर कोयी चिज ख हम चाहे देख नहीं रह्यो होना ओको अस्तित्व को बारे म निश्चित होनोच आत्मविश्वास हय।
2 ईमान ही से पुराने ज़मानो के लोगों को ख़ुदा की क़बूलियत हासिल हुई।
योच तरह प्राचिन काल को बुजूर्गों ख उन्को विश्वास को द्वारा परमेश्वर की सहमती हासिल भयी होती।
3 ईमान के ज़रिए हम जान लेते हैं कि कायनात को ख़ुदा के कलाम से पैदा किया गया, कि जो कुछ हम देख सकते हैं नज़र आने वाली चीज़ों से नहीं बना। (aiōn g165)
विश्वास सीच हम जान जाजे हय कि पूरो जगत की रचना परमेश्वर को शब्द को द्वारा भयी, येकोलायी जो बनायी गयी बाते दृश्य हय, ऊ दृश्य सीच नहीं बन्यो हय। (aiōn g165)
4 यह ईमान का काम था कि हाबिल ने ख़ुदा को एक ऐसी क़ुर्बानी पेश की जो क़ाइन की क़ुर्बानी से बेहतर थी। इस ईमान की बिना पर ख़ुदा ने उसे रास्तबाज़ ठहरा कर उस की अच्छी गवाही दी, जब उस ने उस की क़ुर्बानियों को क़बूल किया। और ईमान के ज़रिए वह अब तक बोलता रहता है हालाँकि वह मुर्दा है।
विश्वास को द्वारा हाबील न परमेश्वर ख कैन जसो उचित बलिदान चढ़ायो होतो, अऊर ओको विश्वास को द्वाराच सच्चायी सी चलन वालो आदमी होन की परमेश्वर सी सहमती हासिल करी कहालीकि परमेश्वर खुदच ओको दाना ख स्वीकार करयो। येको मतलब हाबील विश्वास को वजह ऊ अज भी बोलय हय जब की ऊ मर चुक्यो हय।
5 यह ईमान का काम था कि हनूक न मरा बल्कि ज़िन्दा हालत में आसमान पर उठाया गया। कोई भी उसे ढूँड कर पा न सका क्यूँकि ख़ुदा उसे आसमान पर उठा ले गया था। वजह यह थी कि उठाए जाने से पहले उसे यह गवाही मिली कि वह ख़ुदा को पसन्द आया।
विश्वास सीच हनोक उठाय लियो गयो कि मृत्यु ख बिना देखे अऊर ओख कोयी नहीं ढूंढ सक्यो कहालीकि परमेश्वर न ओख ऊपर उठाय लियो होतो शास्त्र कह्य हय की हनोक ऊपर उठायो जान सी पहिले ओन परमेश्वर ख खुश करयो होतो।
6 और ईमान रखे बग़ैर हम ख़ुदा को पसन्द नहीं आ सकते। क्यूँकि ज़रूरी है कि ख़ुदा के हुज़ूर आने वाला ईमान रखे कि वह है और कि वह उन्हें अज्र देता है जो उस के तालिब हैं।
विश्वास को बिना परमेश्वर ख खुश करनो असम्भव हय; कहालीकि जो परमेश्वर को जवर आवय हय ओख विश्वास करनो चाहिये कि परमेश्वर को अस्तित्व हय, अऊर उन्ख प्रतिफल देवय हय जो ओख ढूंढय हय।
7 यह ईमान का काम था कि नूह ने ख़ुदा की सुनी जब उस ने उसे आने वाली बातों के बारे में आगाह किया, ऐसी बातों के बारे में जो अभी देखने में नहीं आई थीं। नूह ने ख़ुदा का ख़ौफ़ मान कर एक नाव बनाई ताकि उस का ख़ानदान बच जाए। यूँ उस ने अपने ईमान के ज़रिए दुनिया को मुजरिम क़रार दिया और उस रास्तबाज़ी का वारिस बन गया जो ईमान से हासिल होती है।
विश्वास को वजह नूह ख जब परमेश्वर न भविष्य की बातों की चेतावनी दी गयी होती, जो ओन देखी भी नहीं होती, त ओन पवित्र भयपुर्वक अपनो परिवार ख बचावन लायी एक जहाज ख बनायो होतो। परिनाम स्वरूप ओको विश्वास को द्वाराच ओन जगत ख दोषी ठहरायो अऊर विश्वास को द्वारा परमेश्वर सी आवन वाली सच्चायी ख हासिल करयो।
8 यह ईमान का काम था कि अब्रहाम ने ख़ुदा की सुनी जब उस ने उसे बुला कर कहा कि वह एक ऐसे मुल्क में जाए जो उसे बाद में मीरास में मिलेगा। हाँ, वह अपने मुल्क को छोड़ कर रवाना हुआ, हालाँकि उसे मालूम न था कि वह कहाँ जा रहा है।
विश्वास सीच परमेश्वर न अब्राहम ख बुलायो त आज्ञा मान क असी जागा निकल गयो जेकी परमेश्वर न प्रतिज्ञा करी होती; अऊर यो नहीं जानत होतो कि ऊ कित जाय रह्यो हय, फिर भी अपनो देश छोड़ दियो।
9 ईमान के ज़रिए वह वादा किए हुए मुल्क में अजनबी की हैसियत से रहने लगा। वह खेमों में रहता था और इसी तरह इज़्हाक़ और याक़ूब भी जो उस के साथ उसी वादे के वारिस थे।
विश्वास को वजह जो प्रतिज्ञा करयो हुयो धरती म ओन अनजान परदेशी को जसो अपनो मण्डप बनाय क निवास करयो। ऊ तम्बूवों म वसोच रह्यो जसो इसहाक अऊर याकूब रह्यो होतो जो ओको संग परमेश्वर की उच प्रतिज्ञा को उत्तराधिकारी होतो।
10 क्यूँकि अब्रहाम उस शहर के इन्तिज़ार में था जिस की मज़बूत बुनियाद है और जिस का नक़्शा बनाने और तामीर करने वाला ख़ुद ख़ुदा है।
अब्राहम ऊ नगर की बाट देख रह्यो होतो जेक परमेश्वर न आकार दे क बनायो अऊर हमेशा मजबूत रहन वाली नीव डाली।
11 यह ईमान का काम था कि अब्रहाम बाप बनने के काबिल हो गया, हालाँकि वह बुढ़ापे की वजह से बाप नहीं बन सकता था। इसी तरह सारा भी बच्चे जन नहीं सकती थी। लेकिन अब्रहाम समझता था कि ख़ुदा जिस ने वादा किया है वफ़ादार है।
विश्वास को वजह अब्राहम जो बहुत बूढ्ढा भय गयो होतो अऊर सारा जो खुद बांझ होती परमेश्वर पर भरोसा करयो कि ऊ ओकी प्रतिज्ञा पूरी करय हय, अऊर अब्राहम बाप बन गयो।
12 अगरचे अब्रहाम तक़रीबन मर चुका था तो भी उसी एक शख़्स से बेशुमार औलाद निकली, तहदाद में आसमान पर के सितारों और साहिल पर की रेत के ज़र्रों के बराबर।
यो वजह अब्राहम सीच जो मरयो हुयो जसो होतो आसमान को तारों अऊर समुन्दर की रेतु को जसो अनगिनत वंश पैदा भयो।
13 यह तमाम लोग ईमान रखते रखते मर गए। उन्हें वह कुछ न मिला जिस का वादा किया गया था। उन्हों ने उसे सिर्फ़ दूर ही से देख कर ख़ुश हुए।
विश्वास ख अपनो मन म लियो हुयो हि पूरो लोग मर गयो जिन चिजे की परमेश्वर न प्रतिज्ञा करी होती उन्न या चिजे नहीं पायी उन्न बस दूर सीच देख्यो अऊर उन्को स्वागत करयो या उन्न यो खुलो तौर सी मान लियो कि हि यो धरती पर परदेशी अऊर अनजानो हय।
14 जो इस क़िस्म की बातें करते हैं वह ज़ाहिर करते हैं कि हम अब तक अपने वतन की तलाश में हैं।
हि लोग असी बाते कह्य हय कि हि यो दिखावय हय कि हि एक असो देश कि खोज म हय जो उन्को अपनो आय।
15 अगर उन के ज़हन में वह मुल्क होता जिस से वह निकल आए थे तो वह अब भी वापस जा सकते थे।
जो देश उन्न छोड्यो हय उन्ख सोचतो रहतो त फिर सी लौटन को अवसर रहतो।
16 इस के बजाए वह एक बेहतर मुल्क यानी एक आसमानी मुल्क की तमन्ना कर रहे थे। इस लिए ख़ुदा उन का ख़ुदा कहलाने से नहीं शर्माता, क्यूँकि उस ने उन के लिए एक शहर तैयार किया है।
पर हि एक अच्छो मतलब स्वर्गीय देश को अभिलाषा हंय; येकोलायी परमेश्वर उन्को परमेश्वर कहलावन म नहीं लजावय, कहालीकि ओन उन्को लायी एक नगर तैयार करयो हय।
17 यह ईमान का काम था कि अब्रहाम ने उस वक़्त इज़हाक़ को क़ुर्बानी के तौर पर पेश किया जब ख़ुदा ने उसे आज़माया। हाँ, वह अपने इकलौते बेटे को क़ुर्बान करने के लिए तैयार था अगरचे उसे ख़ुदा के वादे मिल गए थे
विश्वास कोच वजह अब्राहम न, जब परमेश्वर ओकी परीक्षा ले रह्यो होतो, अपनो बेटा इसहाक ख बलिदान को रूप म भेंट दियो; अब्राहम ऊ होतो जेक परमेश्वर न प्रतिज्ञा दी होती फिर भी ऊ अपनो एकलौतो बेटा ख बली चढ़ावन लायी तैयार होतो।
18 “कि तेरी नस्ल इज़्हाक़ ही से क़ाईम रहेगी।”
त ओख यद्दपि परमेश्वर न कह्यो होतो, “इसहाक सीच तोरो वंश बढ़ेंन,”
19 अब्रहाम ने सोचा, ख़ुदा मुर्दों को भी ज़िन्दा कर सकता है, और तबियत के लिहाज़ से उसे वाक़'ई इज़्हाक़ मुर्दों में से वापस मिल गया।
अब्राहम न सोच्यो होतो परमेश्वर इसहाक ख मरयो हुयो म सी भी जीन्दो कर सकय हय, अऊर वसो देख्यो जाय त एक तरह सी अब्राहम न इसहाक ख मरयो हुयो म सी फिर वापस पा लियो।
20 यह ईमान का काम था कि इज़्हाक़ ने आने वाली चीज़ों के लिहाज़ से याक़ूब और 'ऐसव को बर्क़त दी।
विश्वास को वजह इसहाक न याकूब अऊर एसाव ख ओको भविष्य को बारे म आशीर्वाद दियो।
21 यह ईमान का काम था कि याक़ूब ने मरते वक़्त यूसुफ़ के दोनों बेटों को बर्क़त दी और अपनी लाठी के सिरे पर टेक लगा कर ख़ुदा को सिज्दा किया।
विश्वास सीच याकूब न मरतो समय यूसुफ को दोयी बेटावों म सी एक एक ख आशीष दियो, अऊर अपनी लाठी को कोना को सहारा ले क परमेश्वर की आराधना करी।
22 यह ईमान का काम था कि यूसुफ़ ने मरते वक़्त यह पेशगोई की कि इस्राईली मिस्र से निकलेंगे बल्कि यह भी कहा कि निकलते वक़्त मेरी हड्डियाँ भी अपने साथ ले जाओ।
विश्वास सीच यूसुफ न, जब ऊ मरन पर होतो, त इस्राएलों ख निकल जान को बारे म ओन बोल्यो होतो, अऊर अपनी अस्थियों को संग का करनो चाहिये ओको आज्ञा दियो।
23 यह ईमान का काम था कि मूसा के माँ — बाप ने उसे पैदाइश के बाद तीन माह तक छुपाए रखा, क्यूँकि उन्हों ने देखा कि वह ख़ूबसूरत है। वह बादशाह के हुक्म की ख़िलाफ़ वरज़ी करने से न डरे।
विश्वास सीच मूसा को माय बाप न ओख, पैदा होन को बाद तीन महीना तक लूकाय रख्यो, कहालीकि उन्न देख्यो कि बच्चा सुन्दर हय, अऊर हि राजा की आज्ञा तोड़न सी नहीं डरयो।
24 यह ईमान का काम था कि मूसा ने परवान चढ़ कर इन्कार किया कि उसे फिर'औन की बेटी का बेटा ठहराया जाए।
विश्वास सीच मूसा न बड़ो होय क फिरौन की बेटी को टुरा कहलावन सी इन्कार करयो।
25 आरिज़ी तौर पर गुनाह से लुत्फ़ अन्दोज़ होने के बजाए उस ने ख़ुदा की क़ौम के साथ बदसुलूकी का निशाना बनने को तर्जीह दी।
येकोलायी कि ओख पाप म थोड़ो दिन को सुख भोगन सी परमेश्वर को लोगों को संग दु: ख भोगनो जादा उत्तम लग्यो।
26 वह समझा कि जब मेरी मसीह की ख़ातिर रुस्वाई की जाती है तो यह मिस्र के तमाम ख़ज़ानों से ज़्यादा क़ीमती है, क्यूँकि उस की आँखें आने वाले अज्र पर लगी रहीं।
ओन मसीह को वजह निन्दित होन को मिस्र को भण्डार सी बड़ो धन समझ्यो, कहालीकि ओकी आंखी भविष्य को प्रतिफल पान को तरफ लगी होती।
27 यह ईमान का काम था कि मूसा ने बादशाह के ग़ुस्से से डरे बग़ैर मिस्र को छोड़ दिया, क्यूँकि वह गोया अनदेखे ख़ुदा को लगातार अपनी आँखों के सामने रखता रहा।
विश्वास सीच राजा को गुस्सा सी नहीं डर क ओन मिस्र ख छोड़ दियो, कहालीकि ऊ अनदेखा ख मानो ओख अदृश्य परमेश्वर दिख रह्यो हय।
28 यह ईमान का काम था कि उस ने फ़सह की ईद मनह कर हुक्म दिया कि ख़ून को चौखटों पर लगाया जाए ताकि हलाक करने वाला फ़रिश्ता उन के पहलौठे बेटों को न छुए।
विश्वास सीच ओन फसह को त्यौहार अऊर दरवाजा पर खून छिड़कन को पालन करयो, ताकि मृत्यु को दूत इस्राएलियों की पहिली सन्तान ख नहीं मार सके।
29 यह ईमान का काम था कि इस्राईली बहर — ए — क़ुलज़ूम में से यूँ गुज़र सके जैसे कि यह ख़ुश्क ज़मीन थी। जब मिस्रियों ने यह करने की कोशिश की तो वह डूब गए।
विश्वास सीच हि इस्राएली लाल समुन्दर को पार असो उतर गयो, जसो सूखी जमीन पर सी; अऊर जब मिस्रियों न वसोच करनो चाह्यो त सब पानी म डुब मरयो।
30 यह ईमान का काम था कि सात दिन तक यरीहू शहर की फ़सील के गिर्द चक्कर लगाने के बाद पूरी दीवार गिर गई।
विश्वास सीच यरीहो की भीती, जब हि सात दिन तक ओको इस्राएलियों न चारयी तरफ चक्कर लगाय चुक्यो, त वा गिर पड़ी।
31 यह भी ईमान का काम था कि राहब फ़ाहिशा अपने शहर के बाक़ी नाफ़रमान रहने वालों के साथ हलाक न हुई, क्यूँकि उस ने इस्राईली जासूसों को सलामती के साथ ख़ुशआमदीद कहा था।
विश्वास सीच राहब वेश्या परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानन वालो को संग मारी नहीं गयी होती, कहालीकि ओन इस्राएली जासूसों को मित्रता पुर्वक स्वागत करयो होतो।
32 मैं ज़्यादा क्या कुछ कहूँ? मेरे पास इतना वक़्त नहीं कि मैं जिदाऊन, बरक़, सम्सून, इफ़्ताह, दाऊद, समूएल और नबियों के बारे में सुनाता रहूँ।
अब मय अऊर जादा का कहूं? कहालीकि समय नहीं रह्यो कि गिदोन, बाराक, शिमशोन, इफतह, दाऊद, शमूएल, अऊर भविष्यवक्तावों को वर्नन करू।
33 यह सब ईमान की वजह से ही कामियाब रहे। वह बादशाहों पर ग़ालिब आए और इन्साफ़ करते रहे। उन्हें ख़ुदा के वादे हासिल हुए। उन्हों ने शेर बबरों के मुँह बन्द कर दिए
इन्न विश्वास सीच राज्य जीत लियो; जो सच्च हय उच काम करयो; तथा जो परमेश्वर की प्रतिज्ञाये दी करी ओख हासिल करयो; उन्न सिंहों को मुंह बन्द करयो;
34 और आग के भड़कते शोलों को बुझा दिया। वह तलवार की ज़द से बच निकले। वह कमज़ोर थे लेकिन उन्हें ताक़त हासिल हुई। जब जंग छिड़ गई तो वह इतने ताक़तवर साबित हुए कि उन्हों ने ग़ैरमुल्की लश्करों को शिकस्त दी।
धधकती आगी की लपटो ख शान्त करयो; तलवार की धार सी बच निकल्यो; कमजोरियों म बलवन्त भयो; लड़ाई म वीर निकल्यो; विदेशियों की फौजों ख हरायो।
35 ईमान रखने के ज़रिए से औरतों को उन के मुर्दा अज़ीज़ ज़िन्दा हालत में वापस मिले।
विश्वास को द्वारा बाईयों न अपनो मरयो हुयो रिश्तेदारों ख फिर जीन्दो पायो; कितनो त सतातो हुयो मारयो गयो अऊर छुटकारा नहीं चाह्यो, ताकी हि अच्छो जीवन को पुनरुत्थान पा सकेंन।
36 कुछ को लान — तान और कोड़ों बल्कि ज़ंजीरों और क़ैद का भी सामना करना पड़ा।
कुछ त ठट्ठा उड़ायो जानो म; कोड़ा को सामना करनो पड़्यो जब कुछ ख जंजीरो सी जकड़ क जेलखाना म डाल दियो गयो।
37 उनपर पथराव किया गया, उन्हें आरे से चीरा गया, उन्हें तलवार से मार डाला गया। कुछ को भेड़ — बकरियों की खालों में घूमना फिरना पड़ा। ज़रूरतमन्द हालत में उन्हें दबाया और उन पर ज़ुल्म किया जाता रहा।
उन पर पथराव करयो गयो; उन्ख चीर क दोय भाग कर दियो गयो; उन्ख तलवार सी मारयो गयो; हि गरीब होतो, उन्ख यातनायें दी गयी, अऊर उन्को संग बुरो व्यवहार करयो गयो हि मेंढा अऊर शेरीयों की खाल ओढ़ क इत उत भटकत होतो;
38 दुनिया उन के लायक़ नहीं थी! वह वीरान जगहों में, पहाड़ों पर, ग़ारों और गड्ढों में आवारा फिरते रहे।
अऊर मरूस्थलों, पहाड़ियों, गुफावों, अऊर धरती की फूटो म भटकतो फिरयो। जगत उन्को लायक नहीं होतो।
39 इन सब को ईमान की वजह से अच्छी गवाही मिली। तो भी इन्हें वह कुछ हासिल न हुआ जिस का वादा ख़ुदा ने किया था।
विश्वास सीच उन्को लेखा जोखा रख्यो गयो। फिर भी परमेश्वर न करी हुयी बाते अऊर प्रतिज्ञा करी हुयी चिजे नहीं मिली।
40 क्यूँकि उस ने हमारे लिए एक ऐसा मन्सूबा बनाया था जो कहीं बेहतर है। वह चाहता था कि यह लोग हमारे बग़ैर कामिलियत तक न पहुँचें।
कहालीकि परमेश्वर न हमरो लायी पहिले सीच एक उत्तम योजना ठहरायी होती, ओको यो होतो कि हि भी हमरो संगच सम्पुर्न सिद्ध करयो जाय।

< इब्रानियों 11 >