< इब्रानियों 10 >
1 मूसा की शरी'अत आने वाली अच्छी और असली चीज़ों की सिर्फ़ नक़ली सूरत और साया है। यह उन चीज़ों की असली शक्ल नहीं है। इस लिए यह उन्हें कभी भी कामिल नहीं कर सकती जो साल — ब — साल और बार बार ख़ुदा के हुज़ूर आ कर वही क़ुर्बानियाँ पेश करते रहते हैं।
ⲁ̅ⲪⲚⲞⲘⲞⲤ ⲄⲀⲢ ⲈⲞⲨⲞⲚⲦⲀϤ ⲚⲞⲨϦⲎⲒⲂⲒ ⲚⲦⲈⲚⲒⲀⲄⲀⲐⲞⲚ ⲈⲐⲚⲎⲞⲨ ⲚⲦⲀⲒϨⲒⲔⲰⲚ ⲀⲚ ⲦⲈ ⲚⲦⲈⲚⲀⲒϨⲂⲎⲞⲨⲒ ⲚⲦⲈⲘⲢⲞⲘⲠⲒ ϦⲈⲚⲚⲀⲒϢⲞⲨϢⲰⲞⲨϢⲒ ⲢⲰ ⲚⲀⲒ ⲈⲦⲞⲨⲒⲚⲒ ⲘⲘⲰⲞⲨ ⲈϦⲞⲨⲚ ϢⲀⲂⲞⲖ ⲘⲘⲞⲚ ϢϪⲞⲘ ⲘⲘⲰⲞⲨ ⲈⲚⲈϨ ⲈϪⲈⲔ ⲚⲎ ⲈⲐⲚⲎⲞⲨ ⲈϦⲞⲨⲚ.
2 अगर वह कामिल कर सकती तो क़ुर्बानियाँ पेश करने की ज़रूरत न रहती। क्यूँकि इस सूरत में इबादत करने से एक बार सदा के लिए पाक — साफ़ हो जाते और उन्हें गुनाहगार होने का शऊर न रहता।
ⲃ̅ⲘⲘⲞⲚ ⲚⲀⲨⲚⲀⲔⲎⲚ ⲀⲚ ⲠⲈ ⲈⲨⲒⲚⲒ ⲘⲘⲰⲞⲨ ⲈϦⲞⲨⲚ ⲈⲐⲂⲈ ϪⲈ ⲘⲘⲞⲚ ϨⲖⲒ ⲚⲤⲨⲚⲎⲆⲈⲤⲒⲤ ⲚⲦⲰⲞⲨ ⲚⲦⲈϨⲀⲚⲚⲞⲂⲒ ϦⲀ ⲚⲎ ⲈⲦϢⲈⲘϢⲒ ⲈⲀⲨⲦⲞⲨⲂⲞ ⲚⲞⲨⲤⲞⲠ.
3 लेकिन इस के बजाए यह क़ुर्बानियाँ साल — ब — साल लोगों को उन के गुनाहों की याद दिलाती हैं।
ⲅ̅ⲀⲖⲖⲀ ⲚϦⲢⲎⲒ ⲚϦⲎⲦⲞⲨ ⲚⲀⲨⲒⲢⲒ ⲘⲪⲘⲈⲨⲒ ⲚⲚⲒⲚⲞⲂⲒ ⲈⲦⲈⲘⲢⲞⲘⲠⲒ.
4 क्यूँकि मुम्किन ही नहीं कि बैल — बकरों का ख़ून गुनाहों को दूर करे।
ⲇ̅ⲞⲨⲘⲈⲦⲀⲦϪⲞⲘ ⲄⲀⲢ ⲦⲈ ⲚⲦⲈⲠⲤⲚⲞϤ ⲚⲦⲈϨⲀⲚⲘⲀⲤⲒ ⲚⲈⲘ ϨⲀⲚⲂⲀⲢⲎⲒⲦ ⲈⲈⲖ ϨⲀⲚⲚⲞⲂⲒ.
5 इस लिए मसीह दुनिया में आते वक़्त ख़ुदा से कहता है, कि तूने“क़ुर्बानी और नज़र को पसन्द ना किया बल्कि मेरे लिए एक बदन तैयार किया।
ⲉ̅ⲈⲐⲂⲈⲪⲀⲒ ⲈϤⲚⲎⲞⲨ ⲈϦⲞⲨⲚ ⲈⲠⲒⲔⲞⲤⲘⲞⲤ ϤϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ϪⲈ ⲞⲨϢⲞⲨϢⲰⲞⲨϢⲒ ⲚⲈⲘ ⲞⲨⲠⲢⲞⲤⲪⲰⲢⲀ ⲘⲠⲈⲔⲞⲨⲀϢⲞⲨ ⲞⲨⲤⲰⲘⲀ ⲆⲈ ⲠⲈⲦⲀⲔⲤⲈⲂⲦⲞⲦϤ ⲚⲎⲒ.
6 राख होने वाली क़ुर्बानियाँ और गुनाह की क़ुर्बानियों से तू ख़ुश न हुआ।”
ⲋ̅ϨⲀⲚϬⲖⲒⲖ ⲚⲈⲘ ⲈⲐⲂⲈ ⲪⲚⲞⲂⲒ ⲘⲠⲈⲔϮⲘⲀϮ ⲈϨⲢⲎⲒ ⲈϪⲰⲞⲨ.
7 फिर मैं बोल उठा, ऐ ख़ुदा, मैं हाज़िर हूँ ताकि तेरी मर्ज़ी पूरी करूँ।
ⲍ̅ⲦⲞⲦⲈ ⲀⲒϪⲞⲤ ϪⲈ ⲒⲤ ϨⲎⲠⲠⲈ ϮⲚⲎⲞⲨ ϦⲈⲚⲞⲨⲔⲀϨⲒ ⲚϪⲰⲘ ⲈⲤⲤϦⲎⲞⲨⲦ ⲈⲐⲂⲎⲦ ⲈⲐⲢⲒⲒⲢⲒ ⲪⲚⲞⲨϮ ⲘⲠⲈⲦⲈϨⲚⲀⲔ.
8 पहले मसीह कहता है, “न तू क़ुर्बानियाँ, नज़रें, राख होने वाली क़ुर्बानियाँ या गुनाह की क़ुर्बानियाँ चाहता था, न उन्हें पसन्द करता था।” अगरचे शरी'अत इन्हें पेश करने का मुतालबा करती है।
ⲏ̅ⲤⲀⲠϢⲰⲒ ϤϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ϪⲈ ϨⲀⲚϢⲞⲨϢⲰⲞⲨϢⲒ ⲚⲈⲘ ϨⲀⲚⲠⲢⲞⲤⲪⲰⲢⲀ ⲚⲈⲘ ϨⲀⲚϬⲖⲒⲖ ⲚⲈⲘ ⲈⲐⲂⲈ ⲪⲚⲞⲂⲒ ⲘⲠⲈⲔⲞⲨⲀϢⲞⲨ ⲞⲨⲆⲈ ⲘⲠⲈⲔϮ ⲘⲀϮ ⲈϪⲰⲞⲨ ⲈⲦⲈ ⲚⲎ ⲚⲈⲈⲦⲞⲨⲒⲚⲒ ⲘⲘⲰⲞⲨ ⲈϦⲞⲨⲚ ⲔⲀⲦⲀ ⲠⲒⲚⲞⲘⲞⲤ.
9 फिर वह फ़रमाता है, “मैं हाज़िर हूँ ताकि तेरी मर्ज़ी पूरी करूँ।” यूँ वह पहला निज़ाम ख़त्म करके उस की जगह दूसरा निज़ाम क़ाईम करता है।
ⲑ̅ⲦⲞⲦⲈ ⲀϤϪⲞⲤ ϪⲈ ⲒⲤ ϨⲎⲠⲠⲈ ϮⲚⲎⲞⲨ ⲈⲒⲢⲒ ⲘⲠⲈⲦⲈϨⲚⲀⲔ ϤϦⲰⲦⲈⲂ ⲘⲠⲒϨⲞⲨⲒⲦ ϨⲒⲚⲀ ⲚⲦⲈϤⲦⲀϨⲈ ⲠⲒⲘⲀϨⲂ ⲈⲢⲀⲦϤ.
10 और उस की मर्ज़ी पूरी हो जाने से हमें ईसा मसीह के बदन के वसीले से ख़ास — ओ — मुक़द्दस किया गया है। क्यूँकि उसे एक ही बार सदा के लिए हमारे लिए क़ुर्बान किया गया।
ⲓ̅ⲪⲀⲒ ⲈⲦⲀⲚⲦⲞⲨⲂⲞ ⲚϨⲢⲎⲒ ϦⲈⲚⲠⲈⲦⲈϨⲚⲀϤ ⲈⲂⲞⲖ ϨⲒⲦⲈⲚ ϮⲠⲢⲞⲤⲪⲰⲢⲀ ⲚⲦⲈⲠⲤⲰⲘⲀ ⲚⲒⲎⲤⲞⲨⲤ ⲠⲬⲢⲒⲤⲦⲞⲤ ⲚⲞⲨⲤⲞⲠ.
11 हर इमाम रोज़ — ब — रोज़ मक़्दिस में खड़ा अपनी ख़िदमत के फ़राइज़ अदा करता है। रोज़ाना और बार बार वह वही क़ुर्बानियाँ पेश करता रहता है जो कभी भी गुनाहों को दूर नहीं कर सकतीं।
ⲓ̅ⲁ̅ⲞⲨⲞϨ ⲞⲨⲎⲂ ⲚⲒⲂⲈⲚ ⲈϤⲞϨⲒ ⲈⲢⲀⲦϤ ⲘⲘⲎⲚⲒ ⲈϤϢⲈⲘϢⲒ ⲚⲀⲒϢⲞⲨϢⲰⲞⲨϢⲒ ⲢⲰ ⲈϤⲒⲚⲒ ⲘⲘⲰⲞⲨ ⲈϦⲞⲨⲚ ⲚⲞⲨⲘⲎϢ ⲚⲤⲞⲠ ⲚⲀⲒ ⲈⲦⲈ ⲘⲘⲞⲚ ϢϪⲞⲘ ⲘⲘⲰⲞⲨ ⲈⲚⲈϨ ⲈⲈⲖ ⲚⲞⲂⲒ.
12 लेकिन मसीह ने गुनाहों को दूर करने के लिए एक ही क़ुर्बानी पेश की, एक ऐसी क़ुर्बानी जिस का असर सदा के लिए रहेगा। फिर वह ख़ुदा के दहने हाथ बैठ गया।
ⲓ̅ⲃ̅ⲪⲀⲒ ⲆⲈ ⲀϤⲈⲚϤ ⲈϨⲢⲎⲒ ⲈϪⲈⲚ ⲚⲈⲚⲚⲞⲂⲒ ⲚⲞⲨϢⲞⲨϢⲰⲞⲨϢⲒ ⲚⲞⲨⲰⲦ ⲀϤϨⲈⲘⲤⲒ ⲤⲀⲞⲨⲒⲚⲀⲘ ⲘⲪⲚⲞⲨϮ ϢⲀ ⲈⲂⲞⲖ.
13 वहीं वह अब इन्तिज़ार करता है जब तक ख़ुदा उस के दुश्मनों को उस के पाँओ की चौकी न बना दे।
ⲓ̅ⲅ̅ⲦⲞ ⲖⲞⲒⲠⲞⲚ ⲈϤϪⲞⲨϢⲦ ϢⲀⲦⲞⲨⲬⲰ ⲚⲚⲈϤϪⲀϪⲒ ⲤⲀⲠⲈⲤⲎⲦ ⲚⲚⲈϤϬⲀⲖⲀⲨϪ.
14 यूँ उस ने एक ही क़ुर्बानी से उन्हें सदा के लिए कामिल बना दिया है जिन्हें पाक किया जा रहा है।
ⲓ̅ⲇ̅ⲞⲨⲠⲢⲞⲤⲪⲰⲢⲀ ⲚⲞⲨⲰⲦ ⲈⲐⲚⲀϪⲈⲔ ⲚⲎ ⲈⲐⲚⲀⲦⲞⲨⲂⲰⲞⲨ ϢⲀ ⲈⲂⲞⲖ.
15 रूह — उल — क़ुद्दूस भी हमें इस के बारे में गवाही देता है। पहले वह कहता है,
ⲓ̅ⲉ̅ϤⲈⲢⲘⲈⲐⲢⲈ ⲄⲀⲢ ⲚⲀⲚ ⲚϪⲈⲠⲒⲠⲚⲈⲨⲘⲀⲈⲐⲞⲨⲀⲂ ⲘⲈⲚⲈⲚⲤⲀ ⲐⲢⲈϤϪⲞⲤ ⲄⲀⲢ
16 “ख़ुदा फ़रमाता है कि, जो 'अहद मैं उन दिनों के बाद उनसे बाँधूंगा वो ये है कि मैं अपने क़ानून उन के दिलों पर लिखूँगा और उनके ज़हन में डालूँगा।”
ⲓ̅ⲋ̅ϪⲈ ⲦⲀⲒⲆⲒⲀⲐⲎⲔⲎ ⲈⲦⲀⲒⲤⲈⲘⲚⲎⲦⲤ ⲚⲈⲘⲰⲞⲨ ⲘⲈⲚⲈⲚⲤⲀ ⲚⲀⲒⲈϨⲞⲞⲨ ⲈⲦⲈⲘⲘⲀⲨ ⲠⲈϪⲈ ⲠϬⲞⲒⲤ ⲈⲒⲈϮ ⲚⲚⲀⲚⲞⲘⲞⲤ ⲈϦⲢⲎⲒ ⲈⲠⲞⲨϨⲎⲦ ⲞⲨⲞϨ ϮⲚⲀⲤϦⲎⲦⲞⲨ ⲈϪⲈⲚ ⲚⲞⲨⲘⲈⲨⲒ.
17 फिर वह कहता है, “उस वक़्त से मैं उन के गुनाहों और बुराइयों को याद नहीं करूँगा।”
ⲓ̅ⲍ̅ⲞⲨⲞϨ ⲚⲚⲀⲈⲢⲪⲘⲈⲨⲒ ϪⲈ ⲚⲚⲞⲨⲚⲞⲂⲒ ⲚⲈⲘ ⲚⲞⲨⲀⲚⲞⲘⲒⲀ.
18 और जहाँ इन गुनाहों की मुआफ़ी हुई है वहाँ गुनाहों को दूर करने की क़ुर्बानियों की ज़रूरत ही नहीं रही।
ⲓ̅ⲏ̅ⲠⲒⲘⲀ ⲄⲀⲢ ⲈⲦⲈ ⲞⲨⲬⲰ ⲈⲂⲞⲖ ⲘⲘⲞϤ ⲚⲦⲈⲚⲀⲒ ⲒⲈ ⲘⲘⲞⲚ ⲠⲢⲞⲤⲪⲰⲢⲀ ϪⲈ ⲈⲐⲂⲈ ⲪⲚⲞⲂⲒ.
19 चुनाँचे भाइयों, अब हम ईसा के ख़ून के वसीले से पूरे यक़ीन के साथ पाकतरीन कमरे में दाख़िल हो सकते हैं।
ⲓ̅ⲑ̅ⲈⲞⲨⲞⲚ ⲚⲦⲀⲚ ⲞⲨⲚ ⲘⲘⲀⲨ ⲚⲀⲤⲚⲎⲞⲨ ⲚⲞⲨⲰⲚϨ ⲈⲂⲞⲖ ⲈⲪⲘⲰⲒⲦ ⲈϦⲞⲨⲚ ⲚⲦⲈⲚⲈⲐⲞⲨⲀⲂ ϦⲈⲚⲠⲤⲚⲞϤ ⲚⲒⲎⲤⲞⲨⲤ.
20 अपने बदन की क़ुर्बानी से ईसा ने उस कमरे के पर्दे में से गुज़रने का एक नया और ज़िन्दगीबख़्श रास्ता खोल दिया।
ⲕ̅ⲪⲎ ⲈⲦⲀϤⲀⲒϤ ⲘⲂⲈⲢⲒ ⲚⲀⲚ ⲠⲒⲘⲰⲒⲦ ⲘⲂⲈⲢⲒ ⲞⲨⲞϨ ⲈⲦⲞⲚϦ ⲈⲂⲞⲖ ϨⲒⲦⲈⲚ ⲠⲒⲔⲀⲦⲀⲠⲈⲦⲀⲤⲘⲀ ⲈⲦⲈ ⲦⲈϤⲤⲀⲢⲜ ⲦⲈ.
21 हमारा एक अज़ीम इमाम — ए — आज़म है जो ख़ुदा के घर पर मुक़र्रर है।
ⲕ̅ⲁ̅ⲚⲈⲘ ⲞⲨⲚⲒϢϮ ⲚⲞⲨⲎⲂ ⲈϪⲈⲚ ⲠⲎⲒ ⲘⲪⲚⲞⲨϮ.
22 इस लिए आएँ, हम ख़ुलूसदिली और ईमान के पूरे यक़ीन के साथ ख़ुदा के हुज़ूर आएँ। क्यूँकि हमारे दिलों पर मसीह का ख़ून छिड़का गया है ताकि हमारे मुजरिम दिल साफ़ हो जाएँ। और, हमारे बदनों को पाक — साफ़ पानी से धोया गया है।
ⲕ̅ⲃ̅ⲘⲀⲢⲈⲚⲒ ⲈϦⲞⲨⲚ ϦⲈⲚⲞⲨϨⲎⲦ ⲘⲘⲎⲒ ⲚⲈⲘ ⲞⲨϪⲰⲔ ⲚⲦⲈⲞⲨⲚⲀϨϮ ⲈⲨⲚⲞⲨϪϦ ⲚϪⲈⲚⲈⲚϨⲎⲦ ⲈⲂⲞⲖ ϨⲀ ⲤⲨⲚⲎⲆⲈⲤⲒⲤ ⲈⲤϨⲰⲞⲨ ⲞⲨⲞϨ ⲈⲢⲈ ⲠⲈⲚⲤⲰⲘⲀ ϪⲰⲔⲈⲘ ϦⲈⲚⲞⲨⲘⲰⲞⲨ ⲈϤⲦⲞⲨⲂⲎ ⲞⲨⲦ.
23 आएँ, हम मज़बूती से उस उम्मीद को थामे रखें जिस का इक़रार हम करते हैं। हम लड़खड़ा न जाएँ, क्यूँकि जिस ने इस उम्मीद का वादा किया है वह वफ़ादार है।
ⲕ̅ⲅ̅ⲘⲀⲢⲈⲚⲀⲘⲞⲚⲒ ⲘⲠⲒⲞⲨⲞⲚϨ ⲈⲂⲞⲖ ⲚⲦⲈϮϨⲈⲖⲠⲒⲤ ⲚⲀⲦⲢⲒⲔⲒ ϤⲈⲚϨⲞⲦ ⲄⲀⲢ ⲚϪⲈⲪⲎ ⲈⲦⲀϤⲰϢ
24 और आएँ, हम इस पर ध्यान दें कि हम एक दूसरे को किस तरह मुहब्बत दिखाने और नेक काम करने पर उभार सकें।
ⲕ̅ⲇ̅ⲘⲀⲢⲈⲚϮϨⲐⲎⲚ ⲈⲚⲈⲚⲈⲢⲎⲞⲨ ϦⲈⲚⲞⲨⲬⲞϨ ⲚⲦⲈⲞⲨⲀⲄⲀⲠⲎ ⲚⲈⲘ ϨⲀⲚϨⲂⲎⲞⲨⲒ ⲈⲚⲀⲚⲈⲨ.
25 हम एकसाथ जमा होने से बाज़ न आएँ, जिस तरह कुछ की आदत बन गई है। इस के बजाए हम एक दूसरे की हौसला अफ़्ज़ाई करें, ख़ासकर यह बात मद्द — ए — नज़र रख कर कि ख़ुदावन्द के दिन के आने तक।
ⲕ̅ⲉ̅ⲚⲦⲈⲚⲬⲰ ⲚⲤⲰⲚ ⲀⲚ ⲚⲦⲈⲚⲤⲨⲚⲀⲄⲰⲄⲎ ⲔⲀⲦⲀ ⲪⲢⲎϮ ⲈⲦⲈ ⲦⲔⲀϨⲤ ⲚⲦⲈϨⲀⲚⲞⲨⲞⲚ ⲦⲈ ⲀⲖⲖⲀ ⲈⲢⲈⲦⲈⲚϮⲚⲞⲘϮ ⲚϨⲞⲨⲞ ⲘⲀⲖⲖⲞⲚ ϨⲞⲤⲞⲚ ⲈⲢⲈⲦⲈⲚⲚⲀⲨ ϪⲈ ⲀⲨϦⲰⲚⲦ ⲚϪⲈⲠⲒⲈϨⲞⲞⲨ.
26 ख़बरदार! अगर हम सच्चाई जान लेने के बाद भी जान — बूझ कर गुनाह करते रहें तो मसीह की क़ुर्बानी इन गुनाहों को दूर नहीं कर सकेगी।
ⲕ̅ⲋ̅ⲀⲚϢⲀⲚⲈⲢⲚⲞⲂⲒ ⲄⲀⲢ ⲈⲚⲞⲨⲰϢ ⲘⲈⲚⲈⲚⲤⲀ ⲐⲢⲈⲚϬⲒ ⲘⲠⲤⲞⲨⲈⲚ ϮⲘⲈⲐⲘⲎⲒ ⲘⲘⲞⲚ ϢⲞⲨϢⲰⲞⲨϢⲒ ϪⲈ ⲤⲰϪⲠ ⲈⲐⲂⲈ ϨⲀⲚⲚⲞⲂⲒ.
27 फिर सिर्फ़ ख़ुदा की अदालत की हौलनाक उम्मीद बाक़ी रहेगी, उस भड़कती हुई आग की जो ख़ुदा के मुख़ालिफ़ों को ख़त्म कर डालेगी।
ⲕ̅ⲍ̅ⲞⲨϪⲒⲚϪⲞⲨϢⲦ ⲆⲈ ⲈⲂⲞⲖ ⲚⲦⲈⲞⲨϨⲀⲠ ⲈϤⲞⲒ ⲚϨⲞϮ ⲚⲈⲘ ⲞⲨⲬⲞϨ ⲚⲦⲈⲞⲨⲬⲢⲰⲘ ⲈϤⲚⲀⲞⲨⲰⲘ ⲚⲤⲀⲚⲎ ⲈⲦϮ ⲞⲨⲂⲎϤ.
28 जो मूसा की शरी'अत रद्द करता है उस पर रहम नहीं किया जा सकता बल्कि अगर दो या इस से ज़्यादा लोग इस जुर्म की गवाही दें तो उसे सज़ा — ए — मौत दी जाए।
ⲕ̅ⲏ̅ⲀⲢⲈϢⲀⲚ ⲞⲨⲀⲒ ϢⲈϢ ⲪⲚⲞⲘⲞⲤ ⲘⲘⲰⲨⲤⲎ ⲤⲀϬⲚⲈ ⲘⲈⲦϢⲈⲚϨⲎⲦ ⲈϨⲢⲎⲒ ⲈϪⲈⲚ ⲘⲈⲐⲢⲈ ⲂⲒⲈ ⲄϢⲀϤⲘⲞⲨ.
29 तो फिर क्या ख़याल है, वह कितनी सख़्त सज़ा के लायक़ होगा जिस ने ख़ुदा के फ़र्ज़न्द को पाँओ तले रौंदा? जिस ने अह्द का वह ख़ून हक़ीर जाना जिस से उसे ख़ास — ओ — मुक़द्दस किया गया था? और जिस ने फ़ज़ल के रूह की बेइज़्ज़ती की?
ⲕ̅ⲑ̅ⲒⲈ ⲦⲈⲦⲈⲚⲘⲈⲨⲒ ϪⲈ ϤⲚⲀⲘⲠϢⲀ ⲚⲞⲨⲎⲢ ⲚⲦϨⲈⲘⲔⲞ ⲈⲨϨⲰⲞⲨ ⲚϨⲞⲨⲞ ⲚϪⲈⲪⲎ ⲈⲐⲚⲀϨⲰⲘⲒ ⲈϪⲈⲚ ⲠϢⲎⲢⲒ ⲘⲪⲚⲞⲨϮ ⲞⲨⲞϨ ⲀϤⲬⲀ ⲠⲤⲚⲞϤ ⲚⲦⲈϮⲆⲒⲀⲐⲎⲔⲎ ⲚⲦⲞⲦϤ ϪⲈ ϤϬⲀϦⲈⲘ ⲪⲎ ⲈⲦⲀϤⲦⲞⲨⲂⲞ ⲚϨⲢⲎⲒ ⲚϦⲎⲦϤ ⲞⲨⲞϨ ⲠⲒⲠⲚⲈⲨⲘⲀⲚⲦⲈⲠⲒϨⲘⲞⲦ ⲀϤϢⲰϢϤ.
30 क्यूँकि हम उसे जानते हैं जिस ने फ़रमाया, “इन्तिक़ाम लेना मेरा ही काम है, मैं ही बदला लूँगा।” उस ने यह भी कहा, “ख़ुदा अपनी क़ौम का इन्साफ़ करेगा।”
ⲗ̅ⲦⲈⲚⲤⲰⲞⲨⲚ ⲄⲀⲢ ⲘⲪⲎ ⲈⲦⲀϤϪⲞⲤ ϪⲈ ⲠϬⲒⲘⲠⲒϢⲒϢ ⲪⲰⲒ ⲀⲚⲞⲔ ⲠⲈ ⲞⲨⲞϨ ⲀⲚⲞⲔ ⲈⲐⲚⲀϮ ϢⲈⲂⲒⲰ ⲞⲨⲞϨ ⲠⲀⲖⲒⲚ ϪⲈ ⲠϬⲞⲒⲤ ⲚⲀϮϨⲀⲠ ⲈⲠⲈϤⲖⲀⲞⲤ.
31 यह एक हौलनाक बात है अगर ज़िन्दा ख़ुदा हमें सज़ा देने के लिए पकड़े।
ⲗ̅ⲁ̅ⲞⲨⲈⲢϨⲞϮ ⲚϨⲞⲨⲞ ⲠⲈ ⲈⲢⲀⲞⲨⲰ ⲈϦⲢⲎⲒ ⲈⲚⲈⲚϪⲒϪ ⲘⲪⲚⲞⲨϮ ⲈⲦⲞⲚϦ.
32 ईमान के पहले दिन याद करें जब ख़ुदा ने आप को रौशन कर दिया था। उस वक़्त के सख़्त मुक़ाबिले में आप को कई तरह का दुःख सहना पड़ा, लेकिन आप साबितक़दम रहे।
ⲗ̅ⲃ̅ⲀⲢⲒⲪⲘⲈⲨⲒ ⲚⲚⲈⲦⲈⲚⲈϨⲞⲞⲨ ⲚⲦⲈϢⲞⲢⲠ ⲚⲀⲢⲈⲦⲈⲚϬⲒ ⲘⲪⲞⲨⲰⲒⲚⲒ ⲚϦⲢⲎⲒ ⲚϦⲎⲦⲞⲨ ⲈⲀⲦⲈⲦⲈⲚⲀⲘⲞⲚⲒ ⲚⲦⲈⲚ ⲐⲎⲚⲞⲨ ϦⲈⲚⲞⲨⲚⲒϢϮ ⲚⲦⲈϨⲀⲚⲘⲔⲀⲨϨ.
33 कभी कभी आप की बेइज़्ज़ती और अवाम के सामने ही ईज़ा रसानी होती थी, कभी कभी आप उन के साथी थे जिन से ऐसा सुलूक हो रहा था।
ⲗ̅ⲅ̅ⲪⲀⲒ ⲘⲈⲚ ϪⲈ ϦⲈⲚϨⲀⲚϢⲰϢ ⲚⲈⲘ ϨⲀⲚϨⲞϪϨⲈϪ ⲈⲨⲈⲢⲐⲈⲀⲦⲢⲒⲌⲒⲚ ⲘⲘⲰⲦⲈⲚ ⲪⲀⲒ ⲆⲈ ϪⲈ ⲀⲢⲈⲦⲈⲚⲈⲢϢⲪⲎⲢ ⲚⲚⲎ ⲈⲐⲘⲞϢⲒ ⲘⲠⲀⲒⲢⲎϮ.
34 जिन्हें जेल में डाला गया आप उन के दुःख में शरीक हुए और जब आप का माल — ओ — ज़ेवर लूटा गया तो आप ने यह बात ख़ुशी से बर्दाश्त की। क्यूँकि आप जानते थे कि वह माल हम से नहीं छीन लिया गया जो पहले की तरह कहीं बेहतर है और हर सूरत में क़ाईम रहेगा।
ⲗ̅ⲇ̅ⲔⲈ ⲄⲀⲢ ⲀⲢⲈⲦⲈⲚϢⲈⲠⲘⲔⲀϨ ⲚⲈⲘ ⲚⲎ ⲈⲦⲤⲞⲚϨ ⲞⲨⲞϨ ⲠϨⲰⲖⲈⲘ ⲚⲦⲈⲚⲈⲦⲈⲚϨⲨⲠⲀⲢⲬⲞⲚⲦⲀ ⲀⲢⲈⲦⲈⲚϢⲞⲠϤ ⲈⲢⲰⲦⲈⲚ ϦⲈⲚⲞⲨⲢⲀϢⲒ ⲈⲢⲈⲦⲈⲚⲤⲰⲞⲨⲚ ϪⲈ ⲞⲨⲞⲚⲦⲰⲦⲈⲚ ⲘⲘⲀⲨ ⲚⲞⲨⲘⲈⲦⲢⲀⲘⲀⲞ ⲈⲤⲤⲞⲦⲠ ⲞⲨⲞϨ ⲈⲤⲚⲀⲞϨⲒ ϢⲀ ⲈⲂⲞⲖ.
35 चुनाँचे अपने इस भरोसे को हाथ से जाने न दें क्यूँकि इस का बड़ा अज्र मिलेगा।
ⲗ̅ⲉ̅ⲠⲈⲦⲈⲚⲞⲨⲰⲚϨ ⲞⲨⲚ ⲈⲂⲞⲖ ⲘⲠⲈⲢϨⲒⲦϤ ⲈⲂⲞⲖ ⲪⲀⲒ ⲈⲦⲈ ⲞⲨⲞⲚⲦⲀϤ ⲚⲞⲨⲚⲒϢϮ ⲚϢⲈⲂⲒⲈ ⲂⲈⲬⲈ ⲘⲘⲀⲨ.
36 लेकिन इस के लिए आप को साबित क़दमी की ज़रूरत है ताकि आप ख़ुदा की मर्ज़ी पूरी कर सकें और यूँ आप को वह कुछ मिल जाए जिस का वादा उस ने किया है।
ⲗ̅ⲋ̅ⲀⲢⲈⲦⲈⲚⲈⲢⲬⲢⲒⲀ ⲚⲞⲨϨⲨⲠⲞⲘⲞⲚⲎ ϨⲒⲚⲀ ⲀⲢⲈⲦⲈⲚϢⲀⲚⲒⲢⲒ ⲘⲪⲞⲨⲰϢ ⲘⲪⲚⲞⲨϮ ⲚⲦⲈⲦⲈⲚϬⲒ ⲘⲠⲒⲰϢ.
37 और कलाम में लिखा है “अब बहुत ही थोड़ा वक़्त बाक़ी है कि आने वाला आएगा और देर न करेगा।
ⲗ̅ⲍ̅ⲈⲦⲒ ⲄⲀⲢ ⲔⲈⲔⲞⲨϪⲒ ϨⲞⲤⲞⲚ ϨⲞⲤⲞⲚ ϤⲚⲀⲒ ⲚϪⲈⲠⲈⲐⲚⲎⲞⲨ ⲞⲨⲞϨ ϤⲚⲀⲰⲤⲔ ⲀⲚ
38 लेकिन मेरा रास्तबाज़ ईमान ही से जीता रहेगा, और अगर वो हटेगा तो मेरा दिल उससे ख़ुश न होगा।”
ⲗ̅ⲏ̅ⲠⲒⲐⲘⲎⲒ ⲆⲈ ϤⲚⲀⲰⲚϦ ⲈⲂⲞⲖ ϦⲈⲚⲪⲚⲀϨϮ ⲞⲨⲞϨ ⲈϢⲰⲠ ⲀϤϢⲀⲚϨⲰⲠ ⲚⲚⲈ ⲦⲀⲮⲨⲬⲎ ϮⲘⲀϮ ⲚϦⲎⲦϤ.
39 लेकिन हम उन में से नहीं हैं जो पीछे हट कर तबाह हो जाएँगे बल्कि हम उन में से हैं जो ईमान रख कर नजात पाते हैं।
ⲗ̅ⲑ̅ⲀⲚⲞⲚ ⲆⲈ ⲀⲚⲞⲚ ⲚⲀⲞⲨϨⲰⲠ ⲀⲚ ⲚⲦⲈⲞⲨⲪⲰⲦ ⲈⲪⲀϨⲞⲨ ⲈⲨⲦⲀⲔⲞ ⲀⲖⲖⲀ ⲚⲦⲈⲞⲨⲚⲀϨϮ ⲈⲨⲦⲀⲚϦⲞ ⲚⲦⲈϮⲮⲨⲬⲎ.