< हबक़् 1 >
1 हबक़्क़ूक़क़ नबी के ख़्वाब की नबुव्वत के बारे में:
De godsspraak, die de profeet Hababuk schouwde:
2 ऐ ख़ुदावन्द, मैं कब तक फ़रियाद करूँगा, और तू न सुनेगा? मैं तेरे सामने कब तक चिल्लाऊँगा “ज़ुल्म”, “ज़ुल्म” और तू न बचाएगा?
Hoe lang, Jahweh, smeek ik om hulp, En wilt Gij niet horen; Roep ik tot u: Verdrukking, En brengt Gij geen redding?
3 तू क्यूँ मुझे बद किरदारी और टेढ़ी रविश दिखाता है? क्यूँकि ज़ुल्म और सितम मेरे सामने हैं फ़ितना — ओ — फ़साद खड़े होते रहते हैं।
Waarom laat Gij mij slechtheid zien, En moet ik onheil aanschouwen, Heb ik geweld en verdrukking voor ogen, Zijn twist en tweedracht ontbrand?
4 इसलिए शरी'अत कमज़ोर हो गई, और इन्साफ़ मुतलक़ जारी नहीं होता। क्यूँकि शरीर सादिक़ो को घेर लेते हैं; इसलिए इन्साफ़ का खू़न हो रहा है।
De Wet ligt verkracht, Het Recht wordt verstikt: Want de goddeloze houdt den vrome gevangen, Het recht wordt geschonden!
5 क़ौमों पर नज़र करो, और देखो; और हैरान हो; क्यूँकि मैं तुम्हारे दिनों में एक ऐसा काम करने को हूँ कि अगर कोई तुम से उसका बयान करे तो तुम हरगिज़ उम्मीद न करोगे।
Werpt een blik op de volken, ziet rond, En staat verbijsterd van schrik: Want Ik ga een werk in uw dagen voltrekken, Dat ge niet zoudt geloven, als het werd verteld.
6 क्यूँकि देखो, मैं कसदियों को चढ़ालाऊँगा: वह गु़स्सावर और कम'अक़्ल क़ौम हैं, जो चौड़ी ज़मीन से होकर गुज़रते हैं, ताकि उन बस्तियों पर जो उनकी नहीं हैं, क़ब्ज़ा कर लें।
Zie, Ik roep de Chaldeën op, Dat grimmige, onstuimige volk, Dat de breedte der aarde doorkruist, Om woonsteden van anderen te veroveren.
7 वह डरावने और ख़ौफ़नाक हैं: वह खु़द ही अपनी 'अदालत और शान का मसदर हैं।
Het is geducht en verschrikkelijk, Straf en vernieling gaan van hem uit;
8 उनके घोड़े चीतों से भी तेज़ रफ़्तार, और शाम को निकलने वाले भेड़ियों से ज़्यादा खू़ँख़्वार हैं; और उनके सवार कूदते फाँदते आते हैं। हाँ, वह दूर से चले आते हैं, वह उक़ाब की तरह हैं, जो अपने शिकार पर झपटता है।
Zijn paarden zijn sneller dan panters, Vlugger dan de wolven uit de woestijn. Zijn ruiters springen te paard, En komen van verre gevlogen; Zoals een gier zich werpt op zijn prooi,
9 वह सब ग़ारतगरी को आते हैं, वह सीधे बढ़े चले आते हैं; और उनके गु़लाम रेत के ज़र्रों की तरह बेशुमार होते हैं।
Schieten ze allemaal toe op geweld. Als de oostenwind giert het vooruit, En jaagt de gevangenen als zand te hoop;
10 वह बादशाहों को ठठ्ठों में उड़ाते, और 'उमरा को मसख़रा बनाते हैं। वह क़िलों' को हक़ीर जानते हैं, क्यूँकि वह मिट्टी से दमदमें बाँधकर उनको फ़तह कर लेते हैं।
Met koningen drijft het de spot, Met vorsten steekt het de draak. Het lacht om iedere vesting, Werpt aarde op, en neemt ze in;
11 तब वह हवा के झोंके की तरह गुज़रते और ख़ता करके गुनहगार होते हैं, क्यूँकि उनका ज़ोर ही उनका ख़ुदा है।
Dan jaagt het verder als een orkaan, En maakt een god van zijn kracht.
12 ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, ऐ मेरे कु़द्दूस, क्या तू अज़ल से नहीं है? हम नहीं मरेंगे। ऐ ख़ुदावन्द, तूने उनको 'अदालत के लिए ठहराया है, और ऐ चट्टान, तू ने उनको तादीब के लिए मुक़र्रर किया है।
Zijt gij dan niet sinds oude tijden Jahweh, mijn heilige God, die niet sterft? Jahweh, hebt Gij hèm dan bestemd, om recht te doen, Hem gegrond als een rots, om te straffen?
13 तेरी आँखें ऐसी पाक हैं कि तू गुनाह को देख नहीं सकता, और टेढ़ी रविश पर निगाह नहीं कर सकता। फिर तू दग़ाबाज़ों पर क्यूँ नज़र करता है, और जब शरीर अपने से ज़्यादा सादिक़ को निगल जाता है, तब तू क्यूँ ख़ामोश रहता है?
Uw ogen zijn toch te rein, om het kwaad te aanschouwen, Gij kunt toch het onrecht niet zien: Hoe kunt Gij dan de trouwelozen verdragen, Voor den boze zwijgen, die den vrome verslindt?
14 और बनी आदम को समन्दर की मछलियों, और कीड़े — मकौड़ों की तरह बनाता है जिन पर कोई हुकूमत करने वाला नहीं?
Waarom maakt Gij den mens dan als de vissen der zee, Als het gewemel, dat geen meester heeft:
15 वह उन सब को शस्त से उठा लेते हैं, और अपने जाल में फँसाते हैं; और महाजाल में जमा' करते हैं, इसलिए वह शादमान और ख़ुश वक़्त हैं।
Hij haalt ze allen op aan de angel, En sleept ze mee in zijn net. Dan verzamelt hij ze in zijn fuik, En verheugt en verblijdt zich erover,
16 इसीलिए वह अपने जाल के आगे क़ुर्बानी अदा करते हैं और अपने बड़े जाल के आगे ख़ुश्बू जलाते हैं, क्यूँकि इनके वसीले से उनका हिस्सा लज़ीज़, और उनकी ग़िज़ा चिकनी है।
Brengt hij offers aan zijn net, Brandt hij wierook voor zijn fuik. Want door hun hulp is zijn aandeel zo vet, En sappig zijn voedsel,
17 इसलिए क्या वह अपने जाल को ख़ाली करने और क़ौमों को बराबर क़त्ल करने से बाज़ न आएँगे?
Trekt hij zijn net op, schudt het leeg, Om altijd volken te moorden, zonder erbarmen!