< पैदाइश 43 >
1 और काल मुल्क में और भी सख़्त हो गया।
Ahora la tierra estaba pasando por una gran hambruna.
2 और यूँ हुआ कि जब उस ग़ल्ले को जिसे मिस्र से लाए थे, खा चुके तो उनके बाप ने उनसे कहा कि जाकर हमारे लिए फिर कुछ अनाज मोल ले आओ।
Y cuando todo el trigo que habían adquirido en Egipto se agotó, su padre les dijo: Vayan otra vez, y compren un poco de alimento.
3 तब यहूदाह ने उसे कहा कि उस शख़्स ने हम को निहायत ताकीद से कह दिया था कि तुम मेरा मुँह न देखोगे, जब तक तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ न हो।
Y Judá le dijo: El varón nos dijo con un juramento: No volverás a venir delante de mí sin tu hermano.
4 इसलिए अगर तू हमारे भाई को हमारे साथ भेज दे, तो हम जाएँगे और तेरे लिए अनाज मोल लाएँगे।
Si permites que nuestro hermano vaya con nosotros, descenderemos y compraremos comida:
5 और अगर तू उसे न भेजे तो हम नहीं जाएँगे; क्यूँकि उस शख़्स ने कह दिया है कि तुम मेरा मुँह न देखोगे जब तक तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ न हो'।
Pero si no lo enviases, no descenderemos; porque el hombre nos dijo: No vendrás delante de mí si tu hermano no está contigo.
6 तब इस्राईल ने कहा कि तुम ने मुझ से क्यूँ यह बदसुलूकी की, कि उस शख़्स को बता दिया कि हमारा एक भाई और भी है?
Entonces dijo Israel: ¿Por qué fuiste tan cruel conmigo, y le dijiste que tenías otro hermano?
7 उन्होंने कहा, “उस शख़्स ने बजिद्द हो कर हमारा और हमारे ख़ान्दान का हाल पूछा कि 'क्या तुम्हारा बाप अब तक ज़िन्दा है? और क्या तुम्हारा कोई और भाई है?' तो हम ने इन सवालों के मुताबिक़ उसे बता दिया। हम क्या जानते थे कि वह कहेगा, 'अपने भाई को ले आओ'।”
Y dijeron: El hombre nos hizo una serie de preguntas acerca de nosotros y nuestra familia, diciendo: ¿Tu padre aún vive? ¿tienes otro hermano? Y tuvimos que darle respuestas; ¿Cómo íbamos a tener idea de que diría: Regresa con tu hermano?
8 तब यहूदाह ने अपने बाप इस्राईल से कहा कि उस लड़के को मेरे साथ कर दे तो हम चले जाएँगे; ताकि हम और तू और हमारे बाल बच्चे ज़िन्दा रहें और हलाक न हों।
Entonces Judá dijo a Israel, su padre: Envía al niño conmigo, y subamos y vamos, para que nosotros, tú y nuestros pequeños no muramos.
9 और मैं उसका ज़िम्मेदार होता हूँ, तू उसको मेरे हाथ से वापस माँगना। अगर मैं उसे तेरे पास पहुँचा कर सामने खड़ा न कर दूँ, तो मैं हमेशा के लिए गुनहगार ठहरूंगा।
Ponlo a mi cuidado y hazme responsable de él; si no te lo devuelvo de manera segura, deja que el mío sea el pecado para siempre.
10 अगर हम देर न लगाते तो अब तक दूसरी दफ़ा' लौट कर आ भी जाते।
Verdaderamente, si no hubiéramos dejado pasar el tiempo, podríamos haber regresado de nuevo.
11 तब उनके बाप इस्राईल ने उनसे कहा, “अगर यही बात है तो ऐसा करो कि अपने बर्तनों में इस मुल्क की मशहूर पैदावार में से कुछ उस शख़्स के लिए नज़राना लेते जाओ; जैसे थोड़ा सा रौग़ान — ए — बलसान, थोड़ा सा शहद, कुछ गर्म मसाले, और मुर्र और पिस्ता और बादाम,
Entonces su padre Israel les dijo: Si tiene que ser así, haz esto: toma de los mejores frutos de la tierra en tus sacos para darle al hombre perfumes, miel, especias y nueces.
12 और दूना दाम अपने हाथ में ले लो, और वह नक़दी जो फेर दी गई और तुम्हारे बोरों के मुँह में रख्खी मिली अपने साथ वापस ले जाओ; क्यूँकि शायद भूल हो गई होगी।
y toma el doble de dinero contigo; es decir, recuperar el dinero que se puso en sus sacos, ya que puede haber sido un error;
13 और अपने भाई को भी साथ लो, और उठ कर फिर उस शख़्स के पास जाओ।
y toma a tu hermano y vuelve al hombre:
14 और ख़ुदा — ए — क़ादिर उस शख़्स को तुम पर मेहरबानी करे, ताकि वह तुम्हारे दूसरे भाई को और बिनयमीन को तुम्हारे साथ भेज दे। मैं अगर बे — औलाद हुआ तो हुआ।”
Y que Dios, el Gobernador de todos, te dé misericordia delante del hombre, para que él te devuelva a tu otro hermano y a Benjamín. Si me van a quitar a mis hijos; no hay ayuda para eso.
15 तब उन्होंने नज़राना लिया और दूना दाम भी हाथ में ले लिया, और बिनयमीन को लेकर चल पड़े; और मिस्र पहुँच कर यूसुफ़ के सामने जा खड़े हुए।
Entonces tomaron lo que su padre dijo por el hombre, y el doble de dinero en sus manos, y Benjamín, y se fueron a Egipto, y se presentaron delante de José.
16 जब यूसुफ़ ने बिनयमीन को उनके साथ देखा तो उसने अपने घर के मुन्तज़िम से कहा, “इन आदमियों को घर में ले जा, और कोई जानवर ज़बह करके खाना तैयार करवा; क्यूँकि यह आदमी दोपहर को मेरे साथ खाना खाएँगे।”
Y cuando José vio a Benjamín, dijo a su principal siervo: Toma estos hombres en mi casa, y prepara una comida, porque ellos comerán conmigo al mediodía.
17 उस शख़्स ने जैसा यूसुफ़ ने फ़रमाया था किया, और इन आदमियों को यूसुफ़ के घर में ले गया।
Y el siervo hizo como José dijo, y tomó los hombres en la casa de José.
18 जब इनको यूसुफ़ के घर में पहुँचा दिया तो डर के मारे कहने लगे, “वह नक़दी जो पहली दफ़ा' हमारे बोरों में रख कर वापस कर दी गई थी, उसी की वजह से हम को अन्दर करवा दिया है; ताकि उसे हमारे ख़िलाफ़ बहाना मिल जाए और वह हम पर हमला करके हम को ग़ुलाम बना ले और हमारे गधों को छीन ले।”
Ahora los hombres estaban llenos de temor porque los habían llevado a la casa de José y dijeron: Es por el dinero que pusimos en nuestras maletas la primera vez; él está buscando algo en contra de nosotros, para tendernos una trampa sobre nosotros y nos lleve a nosotros y a nuestros asnos como sus siervos.
19 और वह यूसुफ़ के घर के मुन्तज़िम के पास गए और दरवाज़े पर खड़े होकर उससे कहने लगे,
Y subieron al siervo principal de José a la puerta de la casa,
20 “जनाब, हम पहले भी यहाँ अनाज मोल लेने आए थे;
Y dijo: Oh mi señor, solo bajamos la primera vez para comprar comida;
21 और यूँ हुआ कि जब हम ने मंज़िल पर उतर कर अपने बोरों को खोला, तो अपनी अपनी पूरी तौली हुई नक़दी अपने अपने बोरे के मुँह में रख्खी देखी, इसलिए हम उसे अपने साथ वापस लेते आए हैं।
Y cuando llegamos al lugar de descanso de nuestra noche, al abrir nuestras costales vimos que el dinero de cada hombre estaba en la boca de su bolsa, todo nuestro dinero en su totalidad: y lo tenemos con nosotros para devolverlo;
22 और हम अनाज मोल लेने को और भी नक़दी साथ लाए हैं, ये हम नहीं जानते के हमारी नक़दी किसने हमारे बोरों में रख दी।”
Además de más dinero, para obtener comida: no tenemos idea de quién puso nuestro dinero en nuestros costales.
23 उसने कहा कि तुम्हारी सलामती हो, मत डरो! तुम्हारे ख़ुदा और तुम्हारे बाप के ख़ुदा ने तुम्हारे बोरों में तुम को ख़ज़ाना दिया होगा, मुझे तो तुम्हारी नक़दी मिल चुकी। फिर वह शमौन को निकाल कर उनके पास ले आया।
Entonces el siervo dijo: Paz a ustedes; no teman; su Dios, el Dios de su padre, ha puesto riquezas en sus bolsas para ustedes; yo tenía su dinero. Luego dejó que Simeón fuera con ellos.
24 और उस शख़्स ने उनको यूसुफ़ के घर में लाकर पानी दिया, और उन्होंने अपने पाँव धोए; और उनके गधों को चारा दिया।
Y el criado los tomó en la casa de José, y les dio agua para lavar sus pies; y les dio comida a sus asnos.
25 फिर उन्होंने यूसुफ़ के इन्तिज़ार में कि वह दोपहर को आएगा, नज़राना तैयार करके रख्खा; क्यूँकि उन्होंने सुना था कि उनको वहीं रोटी खानी है।
Y prepararon las cosas para José antes que él viniera a la mitad del día; porque se les había dado palabra de que allí tendrían que comer.
26 जब यूसुफ़ घर आया, तो वह उस नज़राने को जो उनके पास था उसके सामने ले गए, और ज़मीन पर झुक कर उसके सामने आदाब बजा लाए।
Y cuando entró José, le dieron las cosas que tenían para él, y se postraron hasta el suelo ante él.
27 उसने उनसे ख़ैर — ओ — 'आफियत पूछी और कहा कि तुम्हारा बूढ़ा बाप जिसका तुम ने ज़िक्र किया था अच्छा तो है? क्या वह अब तक ज़िन्दा है?
Y él dijo: ¿Cómo están? ¿Está bien tu padre, el viejo de quien me estabas hablando? ¿Todavía vive?
28 उन्होंने जवाब दिया, “तेरा ख़ादिम हमारा बाप ख़ैरियत से है; और अब तक ज़िन्दा है।” फिर वह सिर झुका — झुका कर उसके सामने आदाब बजा लाए।
Y ellos dijeron: Tu siervo, nuestro padre, está sano; él aún vive. Y cayeron sobre sus rostros delante de él.
29 फिर उसने आँख उठा कर अपने भाई बिनयमीन को जो उसकी माँ का बेटा था, देखा और कहा कि तुम्हारा सबसे छोटा भाई जिसका ज़िक्र तुम ने मुझ से किया था यही है? फिर कहा कि ऐ मेरे बेटे! ख़ुदा तुझ पर मेहरबान रहे।
Entonces, levantando los ojos, vio a Benjamín, su hermano, el hijo de su madre, y dijo: ¿Es éste tu hermano menor al que me diste palabra? Y él dijo: Dios sea bueno contigo, hijo mío.
30 तब यूसुफ़ ने जल्दी की क्यूँकि भाई को देख कर उसका जी भर आया, और वह चाहता था कि कहीं जाकर रोए। तब वह अपनी कोठरी में जा कर वहाँ रोने लगा।
Entonces el corazón de José se llenó de compasión por su hermano, y él entró rápidamente en su habitación, porque se llenó de lágrimas.
31 फिर वह अपना मुँह धोकर बाहर निकला और अपने को बर्दाश्त करके हुक्म दिया कि खाना लगाओ।
Luego, después de lavarse la cara, salió, y controlando sus sentimientos dijo: Pon comida delante de nosotros.
32 और उन्होंने उसके लिए अलग और उनके लिए जुदा, और मिस्रियों के लिए, जो उसके साथ खाते थे, जुदा खाना लगाया; क्यूँकि मिस्र के लोग इब्रानियों के साथ खाना नहीं खा सकते थे, क्यूँकि मिस्रियों को इससे कराहियत है।
y le prepararon una comida aparte, solo para ellos y para los egipcios que estaban con él solos; porque los egipcios no pueden comer con los hebreos, porque eso los haría inmundos.
33 और यूसुफ़ के भाई उसके सामने तरतीबवार अपनी उम्र की बड़ाई और छोटाई के मुताबिक़ बैठे और आपस में हैरान थे।
Y se les dio a todos sus asientos delante de él en orden de nacimiento, desde el mayor hasta el más joven: de modo que se miraban con asombro.
34 फिर वह अपने सामने से खाना उठा कर हिस्से कर — कर के उनको देने लगा, और बिनयमीन का हिस्सा उनके हिस्सों से पाँच गुना ज़्यादा था। और उन्होंने मय पी और उसके साथ खु़शी मनाई।
Y José les envió comida de su mesa, pero envió cinco veces más a Benjamín que a cualquiera de los otros. Y tomaron vino libremente con él.