< पैदाइश 41 >
1 पूरे दो साल के बाद फ़िर'औन ने ख़्वाब में देखा कि वह दरिया-ए-नील के किनारे खड़ा है;
ἐγένετο δὲ μετὰ δύο ἔτη ἡμερῶν Φαραω εἶδεν ἐνύπνιον ᾤετο ἑστάναι ἐπὶ τοῦ ποταμοῦ
2 और उस दरिया में से सात ख़ूबसूरत और मोटी — मोटी गायें निकल कर सरकंडों के खेत में चरने लगीं।
καὶ ἰδοὺ ὥσπερ ἐκ τοῦ ποταμοῦ ἀνέβαινον ἑπτὰ βόες καλαὶ τῷ εἴδει καὶ ἐκλεκταὶ ταῖς σαρξὶν καὶ ἐβόσκοντο ἐν τῷ ἄχει
3 उनके बाद और सात बदशक्ल और दुबली — दुबली गायें दरिया से निकलीं और दूसरी गायों के बराबर दरिया के किनारे जा खड़ी हुई।
ἄλλαι δὲ ἑπτὰ βόες ἀνέβαινον μετὰ ταύτας ἐκ τοῦ ποταμοῦ αἰσχραὶ τῷ εἴδει καὶ λεπταὶ ταῖς σαρξὶν καὶ ἐνέμοντο παρὰ τὰς βόας παρὰ τὸ χεῖλος τοῦ ποταμοῦ
4 और यह बदशक्ल और दुबली दुबली गायें उन सातों ख़ूबसूरत और मोटी मोटी गायों को खा गई, तब फ़िर'औन जाग उठा।
καὶ κατέφαγον αἱ ἑπτὰ βόες αἱ αἰσχραὶ καὶ λεπταὶ ταῖς σαρξὶν τὰς ἑπτὰ βόας τὰς καλὰς τῷ εἴδει καὶ τὰς ἐκλεκτάς ἠγέρθη δὲ Φαραω
5 और वह फिर सो गया और उसने दूसरा ख़्वाब देखा कि एक टहनी में अनाज की सात मोटी और अच्छी — अच्छी बालें निकलीं।
καὶ ἐνυπνιάσθη τὸ δεύτερον καὶ ἰδοὺ ἑπτὰ στάχυες ἀνέβαινον ἐν πυθμένι ἑνὶ ἐκλεκτοὶ καὶ καλοί
6 उनके बाद और सात पतली और पूरबी हवा की मारी मुरझाई हुई बालें निकलीं।
ἄλλοι δὲ ἑπτὰ στάχυες λεπτοὶ καὶ ἀνεμόφθοροι ἀνεφύοντο μετ’ αὐτούς
7 यह पतली बालें उन सातों मोटी और भरी हुई बालों को निगल गई। और फ़िर'औन जाग गया और उसे मा'लूम हुआ कि यह ख़्वाब था।
καὶ κατέπιον οἱ ἑπτὰ στάχυες οἱ λεπτοὶ καὶ ἀνεμόφθοροι τοὺς ἑπτὰ στάχυας τοὺς ἐκλεκτοὺς καὶ τοὺς πλήρεις ἠγέρθη δὲ Φαραω καὶ ἦν ἐνύπνιον
8 और सुबह को यूँ हुआ कि उसका जी घबराया तब उसने मिस्र के सब जादूगरों और सब अक्लमन्दों को बुलवा भेजा, और अपना ख़्वाब उनको बताया। लेकिन उनमें से कोई फ़िर'औन के आगे उनकी ता'बीर न कर सका।
ἐγένετο δὲ πρωὶ καὶ ἐταράχθη ἡ ψυχὴ αὐτοῦ καὶ ἀποστείλας ἐκάλεσεν πάντας τοὺς ἐξηγητὰς Αἰγύπτου καὶ πάντας τοὺς σοφοὺς αὐτῆς καὶ διηγήσατο αὐτοῖς Φαραω τὸ ἐνύπνιον καὶ οὐκ ἦν ὁ ἀπαγγέλλων αὐτὸ τῷ Φαραω
9 उस वक़्त सरदार साक़ी ने फ़िर'औन से कहा, मेरी ख़ताएँ आज मुझे याद आईं।
καὶ ἐλάλησεν ὁ ἀρχιοινοχόος πρὸς Φαραω λέγων τὴν ἁμαρτίαν μου ἀναμιμνῄσκω σήμερον
10 जब फ़िर'औन अपने ख़ादिमों से नाराज़ था और उसने मुझे और सरदार नानपज़ को जिलौदारों के सरदार के घर में नज़रबन्द करवा दिया।
Φαραω ὠργίσθη τοῖς παισὶν αὐτοῦ καὶ ἔθετο ἡμᾶς ἐν φυλακῇ ἐν τῷ οἴκῳ τοῦ ἀρχιμαγείρου ἐμέ τε καὶ τὸν ἀρχισιτοποιόν
11 तो मैंने और उसने एक ही रात में एक — एक ख़्वाब देखा, यह ख्वाब हम ने अपने अपने होनहार के मुताबिक़ देखे।
καὶ εἴδομεν ἐνύπνιον ἐν νυκτὶ μιᾷ ἐγώ τε καὶ αὐτός ἕκαστος κατὰ τὸ αὑτοῦ ἐνύπνιον εἴδομεν
12 वहाँ एक 'इब्री जवान, जिलौदारों के सरदार का नौकर, हमारे साथ था। हम ने उसे अपने ख़्वाब बताए और उसने उनकी ता'बीर की, और हम में से हर एक को हमारे ख़्वाब के मुताबिक़ उसने ता'बीर बताई।
ἦν δὲ ἐκεῖ μεθ’ ἡμῶν νεανίσκος παῖς Εβραῖος τοῦ ἀρχιμαγείρου καὶ διηγησάμεθα αὐτῷ καὶ συνέκρινεν ἡμῖν
13 और जो ता'बीर उसने बताई थी वैसा ही हुआ, क्यूँकि मुझे तो उसने मेरे मन्सब पर बहाल किया था और उसे फाँसी दी थी।
ἐγενήθη δὲ καθὼς συνέκρινεν ἡμῖν οὕτως καὶ συνέβη ἐμέ τε ἀποκατασταθῆναι ἐπὶ τὴν ἀρχήν μου ἐκεῖνον δὲ κρεμασθῆναι
14 तब फ़िर'औन ने यूसुफ़ को बुलवा भेजा: तब उन्होंने जल्द उसे क़ैद खाने से बाहर निकाला, और उसने हजामत बनवाई और कपड़े बदल कर फ़िर'औन के सामने आया।
ἀποστείλας δὲ Φαραω ἐκάλεσεν τὸν Ιωσηφ καὶ ἐξήγαγον αὐτὸν ἐκ τοῦ ὀχυρώματος καὶ ἐξύρησαν αὐτὸν καὶ ἤλλαξαν τὴν στολὴν αὐτοῦ καὶ ἦλθεν πρὸς Φαραω
15 फ़िर'औन ने यूसुफ़ से कहा, “मैंने एक ख़्वाब देखा है जिसकी ता'बीर कोई नहीं कर सकता, और मुझ से तेरे बारे में कहते हैं कि तू ख़्वाब को सुन कर उसकी ता'बीर करता है।”
εἶπεν δὲ Φαραω τῷ Ιωσηφ ἐνύπνιον ἑώρακα καὶ ὁ συγκρίνων οὐκ ἔστιν αὐτό ἐγὼ δὲ ἀκήκοα περὶ σοῦ λεγόντων ἀκούσαντά σε ἐνύπνια συγκρῖναι αὐτά
16 यूसुफ़ ने फ़िर'औन को जवाब दिया, “मैं कुछ नहीं जानता, ख़ुदा ही फ़िर'औन को सलामती बख़्श जवाब देगा।”
ἀποκριθεὶς δὲ Ιωσηφ τῷ Φαραω εἶπεν ἄνευ τοῦ θεοῦ οὐκ ἀποκριθήσεται τὸ σωτήριον Φαραω
17 तब फ़िर'औन ने यूसुफ़ से कहा, मैंने ख़्वाब में देखा कि मैं दरिया-ए-नील के किनारे खड़ा हूँ।
ἐλάλησεν δὲ Φαραω τῷ Ιωσηφ λέγων ἐν τῷ ὕπνῳ μου ᾤμην ἑστάναι παρὰ τὸ χεῖλος τοῦ ποταμοῦ
18 और उस दरिया में से सात मोटी और ख़ूबसूरत गायें निकल कर सरकंडों के खेत में चरने लगीं।
καὶ ὥσπερ ἐκ τοῦ ποταμοῦ ἀνέβαινον ἑπτὰ βόες καλαὶ τῷ εἴδει καὶ ἐκλεκταὶ ταῖς σαρξὶν καὶ ἐνέμοντο ἐν τῷ ἄχει
19 उनके बाद और सात ख़राब और निहायत बदशक्ल और दुबली गायें निकलीं, और वह इस क़दर बुरी थीं कि मैंने सारे मुल्क — ए — मिस्र में ऐसी कभी नहीं देखीं।
καὶ ἰδοὺ ἑπτὰ βόες ἕτεραι ἀνέβαινον ὀπίσω αὐτῶν ἐκ τοῦ ποταμοῦ πονηραὶ καὶ αἰσχραὶ τῷ εἴδει καὶ λεπταὶ ταῖς σαρξίν οἵας οὐκ εἶδον τοιαύτας ἐν ὅλῃ γῇ Αἰγύπτῳ αἰσχροτέρας
20 और वह दुबली और बदशक्ल गायें उन पहली सातों मोटी गायों को खा गई;
καὶ κατέφαγον αἱ ἑπτὰ βόες αἱ αἰσχραὶ καὶ λεπταὶ τὰς ἑπτὰ βόας τὰς πρώτας τὰς καλὰς καὶ ἐκλεκτάς
21 और उनके खा जाने के बाद यह मा'लूम भी नहीं होता था कि उन्होंने उनको खा लिया है, बल्कि वह पहले की तरह जैसी की तैसी बदशक्ल रहीं। तब मैं जाग गया।
καὶ εἰσῆλθον εἰς τὰς κοιλίας αὐτῶν καὶ οὐ διάδηλοι ἐγένοντο ὅτι εἰσῆλθον εἰς τὰς κοιλίας αὐτῶν καὶ αἱ ὄψεις αὐτῶν αἰσχραὶ καθὰ καὶ τὴν ἀρχήν ἐξεγερθεὶς δὲ ἐκοιμήθην
22 और फिर ख़्वाब में देखा कि एक टहनी में सात भरी और अच्छी — अच्छी बालें निकलीं।
καὶ εἶδον πάλιν ἐν τῷ ὕπνῳ μου καὶ ὥσπερ ἑπτὰ στάχυες ἀνέβαινον ἐν πυθμένι ἑνὶ πλήρεις καὶ καλοί
23 और उनके बाद और सात सूखी और पतली और पूरबी हवा की मारी मुरझाई हुई बालें निकलीं।
ἄλλοι δὲ ἑπτὰ στάχυες λεπτοὶ καὶ ἀνεμόφθοροι ἀνεφύοντο ἐχόμενοι αὐτῶν
24 और यह पतली बाले उन सातों अच्छी — अच्छी बालों को निगल गई। और मैंने इन जादूगरों से इसका बयान किया लेकिन ऐसा कोई न निकला जो मुझे इसका मतलब बताता।
καὶ κατέπιον οἱ ἑπτὰ στάχυες οἱ λεπτοὶ καὶ ἀνεμόφθοροι τοὺς ἑπτὰ στάχυας τοὺς καλοὺς καὶ τοὺς πλήρεις εἶπα οὖν τοῖς ἐξηγηταῖς καὶ οὐκ ἦν ὁ ἀπαγγέλλων μοι
25 तब यूसुफ़ ने फ़िर'औन से कहा कि फ़िर'औन का ख़्वाब एक ही है, जो कुछ ख़ुदा करने को है उसे उसने फ़िर'औन पर ज़ाहिर किया है।
καὶ εἶπεν Ιωσηφ τῷ Φαραω τὸ ἐνύπνιον Φαραω ἕν ἐστιν ὅσα ὁ θεὸς ποιεῖ ἔδειξεν τῷ Φαραω
26 वह सात अच्छी — अच्छी गायें सात साल हैं, और वह सात अच्छी अच्छी बालें भी सात साल हैं; ख़्वाब एक ही है।
αἱ ἑπτὰ βόες αἱ καλαὶ ἑπτὰ ἔτη ἐστίν καὶ οἱ ἑπτὰ στάχυες οἱ καλοὶ ἑπτὰ ἔτη ἐστίν τὸ ἐνύπνιον Φαραω ἕν ἐστιν
27 और वह सात बदशक्ल और दुबली गायें जो उनके बाद निकलीं, और वह सात ख़ाली और पूरबी हवा की मारी मुरझाई हुई बालें भी सात साल ही हैं; मगर काल के सात बरस।
καὶ αἱ ἑπτὰ βόες αἱ λεπταὶ αἱ ἀναβαίνουσαι ὀπίσω αὐτῶν ἑπτὰ ἔτη ἐστίν καὶ οἱ ἑπτὰ στάχυες οἱ λεπτοὶ καὶ ἀνεμόφθοροι ἔσονται ἑπτὰ ἔτη λιμοῦ
28 यह वही बात है जो मैं फ़िर'औन से कह चुका हूँ कि जो कुछ ख़ुदा करने को है उसे उसने फ़िर'औन पर ज़ाहिर किया है।
τὸ δὲ ῥῆμα ὃ εἴρηκα Φαραω ὅσα ὁ θεὸς ποιεῖ ἔδειξεν τῷ Φαραω
29 देख! सारे मुल्क — ए — मिस्र में सात साल तो पैदावार ज़्यादा के होंगे।
ἰδοὺ ἑπτὰ ἔτη ἔρχεται εὐθηνία πολλὴ ἐν πάσῃ γῇ Αἰγύπτῳ
30 उनके बाद सात साल काल के आएँगे और तमाम मुल्क ए — मिस्र में लोग इस सारी पैदावार को भूल जाएँगे और यह काल मुल्क को तबाह कर देगा।
ἥξει δὲ ἑπτὰ ἔτη λιμοῦ μετὰ ταῦτα καὶ ἐπιλήσονται τῆς πλησμονῆς ἐν ὅλῃ γῇ Αἰγύπτῳ καὶ ἀναλώσει ὁ λιμὸς τὴν γῆν
31 और अज़ानी मुल्क में याद भी नहीं रहेगी, क्यूँकि जो काल बाद में पड़ेगा वह निहायत ही सख़्त होगा।
καὶ οὐκ ἐπιγνωσθήσεται ἡ εὐθηνία ἐπὶ τῆς γῆς ἀπὸ τοῦ λιμοῦ τοῦ ἐσομένου μετὰ ταῦτα ἰσχυρὸς γὰρ ἔσται σφόδρα
32 और फ़िर'औन ने जो यह ख़्वाब दो दफ़ा' देखा तो इसकी वजह यह है कि यह बात ख़ुदा की तरफ़ से मुक़र्रर हो चुकी है, और ख़ुदा इसे जल्द पूरा करेगा।
περὶ δὲ τοῦ δευτερῶσαι τὸ ἐνύπνιον Φαραω δίς ὅτι ἀληθὲς ἔσται τὸ ῥῆμα τὸ παρὰ τοῦ θεοῦ καὶ ταχυνεῖ ὁ θεὸς τοῦ ποιῆσαι αὐτό
33 इसलिए फ़िर'औन को चाहिए कि एक समझदार और 'अक़्लमन्द आदमी को तलाश कर ले और उसे मुल्क — ए — मिस्र पर मुख़्तार बनाए।
νῦν οὖν σκέψαι ἄνθρωπον φρόνιμον καὶ συνετὸν καὶ κατάστησον αὐτὸν ἐπὶ γῆς Αἰγύπτου
34 फ़िर'औन यह करे ताकि उस आदमी को इख़्तियार हो कि वह मुल्क में नाज़िरों को मुक़र्रर कर दे, और अज़ानी के सात बरसों में सारे मुल्क — ए — मिस्र की पैदावार का पाँचवा हिस्सा ले ले।
καὶ ποιησάτω Φαραω καὶ καταστησάτω τοπάρχας ἐπὶ τῆς γῆς καὶ ἀποπεμπτωσάτωσαν πάντα τὰ γενήματα τῆς γῆς Αἰγύπτου τῶν ἑπτὰ ἐτῶν τῆς εὐθηνίας
35 और वह उन अच्छे बरसों में जो आते हैं सब खाने की चीजें जमा' करें और शहर — शहर में गल्ला जो फ़िर'औन के इख़्तियार में हो, ख़ुराक के लिए फ़राहम करके उसकी हिफ़ाज़त करें।
καὶ συναγαγέτωσαν πάντα τὰ βρώματα τῶν ἑπτὰ ἐτῶν τῶν ἐρχομένων τῶν καλῶν τούτων καὶ συναχθήτω ὁ σῖτος ὑπὸ χεῖρα Φαραω βρώματα ἐν ταῖς πόλεσιν φυλαχθήτω
36 यही ग़ल्ला मुल्क के लिए ज़ख़ीरा होगा, और सातों साल के लिए जब तक मुल्क में काल रहेगा काफ़ी होगा, ताकि काल की वजह से मुल्क बर्बाद न हो जाए।
καὶ ἔσται τὰ βρώματα πεφυλαγμένα τῇ γῇ εἰς τὰ ἑπτὰ ἔτη τοῦ λιμοῦ ἃ ἔσονται ἐν γῇ Αἰγύπτῳ καὶ οὐκ ἐκτριβήσεται ἡ γῆ ἐν τῷ λιμῷ
37 य बात फ़िर'औन और उसके सब ख़ादिमों को पसंद आई।
ἤρεσεν δὲ τὰ ῥήματα ἐναντίον Φαραω καὶ ἐναντίον πάντων τῶν παίδων αὐτοῦ
38 तब फ़िर'औन ने अपने ख़ादिमों से कहा कि क्या हम को ऐसा आदमी जैसा यह है, जिसमें ख़ुदा का रूह है मिल सकता है?
καὶ εἶπεν Φαραω πᾶσιν τοῖς παισὶν αὐτοῦ μὴ εὑρήσομεν ἄνθρωπον τοιοῦτον ὃς ἔχει πνεῦμα θεοῦ ἐν αὐτῷ
39 और फ़िर'औन ने यूसुफ़ से कहा, चूँकि ख़ुदा ने तुझे यह सब कुछ समझा दिया है, इसलिए तेरी तरह समझदार और अक़्लमन्द कोई नहीं।
εἶπεν δὲ Φαραω τῷ Ιωσηφ ἐπειδὴ ἔδειξεν ὁ θεός σοι πάντα ταῦτα οὐκ ἔστιν ἄνθρωπος φρονιμώτερος καὶ συνετώτερός σου
40 इसलिए तू मेरे घर का मुख़्तार होगा और मेरी सारी रि'आया तेरे हुक्म पर चलेगी, सिर्फ़ तख़्त का मालिक होने की वजह से मैं बुज़ुर्गतर हूँगा।
σὺ ἔσῃ ἐπὶ τῷ οἴκῳ μου καὶ ἐπὶ τῷ στόματί σου ὑπακούσεται πᾶς ὁ λαός μου πλὴν τὸν θρόνον ὑπερέξω σου ἐγώ
41 और फ़िर'औन ने यूसुफ़ से कहा कि देख, मैं तुझे सारे मुल्क — ए — मिस्र का हाकिम बनाता हूँ
εἶπεν δὲ Φαραω τῷ Ιωσηφ ἰδοὺ καθίστημί σε σήμερον ἐπὶ πάσης γῆς Αἰγύπτου
42 और फ़िर'औन ने अपनी अंगूठी अपने हाथ से निकाल कर यूसुफ़ के हाथ में पहना दी, और उसे बारीक कतान के लिबास में आरास्ता करवा कर सोने का हार उसके गले में पहनाया।
καὶ περιελόμενος Φαραω τὸν δακτύλιον ἀπὸ τῆς χειρὸς αὐτοῦ περιέθηκεν αὐτὸν ἐπὶ τὴν χεῖρα Ιωσηφ καὶ ἐνέδυσεν αὐτὸν στολὴν βυσσίνην καὶ περιέθηκεν κλοιὸν χρυσοῦν περὶ τὸν τράχηλον αὐτοῦ
43 और उसने उसे अपने दूसरे रथ में सवार करा कर उसके आगे — आगे यह 'ऐलान करवा दिया, कि घुटने टेको और उसने उसे सारे मुल्क — ए — मिस्र का हाकिम बना दिया।
καὶ ἀνεβίβασεν αὐτὸν ἐπὶ τὸ ἅρμα τὸ δεύτερον τῶν αὐτοῦ καὶ ἐκήρυξεν ἔμπροσθεν αὐτοῦ κῆρυξ καὶ κατέστησεν αὐτὸν ἐφ’ ὅλης γῆς Αἰγύπτου
44 और फ़िर'औन ने यूसुफ़ से कहा, “मैं फ़िर'औन हूँ और तेरे हुक्म के बग़ैर कोई आदमी इस सारे मुल्क — ए — मिस्र में अपना हाथ या पाँव हिलाने न पाएगा।”
εἶπεν δὲ Φαραω τῷ Ιωσηφ ἐγὼ Φαραω ἄνευ σοῦ οὐκ ἐξαρεῖ οὐθεὶς τὴν χεῖρα αὐτοῦ ἐπὶ πάσῃ γῇ Αἰγύπτου
45 और फ़िर'औन ने यूसुफ़ का नाम सिफ़्नात फ़ा'नेह रख्खा, और उसने ओन के पुजारी फ़ोतीफ़िरा' की बेटी आसिनाथ को उससे ब्याह दिया, और यूसुफ़ मुल्क — ए — मिस्र में दौरा करने लगा।
καὶ ἐκάλεσεν Φαραω τὸ ὄνομα Ιωσηφ Ψονθομφανηχ καὶ ἔδωκεν αὐτῷ τὴν Ασεννεθ θυγατέρα Πετεφρη ἱερέως Ἡλίου πόλεως αὐτῷ γυναῖκα
46 और यूसुफ़ तीस साल का था जब वह मिस्र के बादशाह फ़िर'औन के सामने गया, और उसने फ़िर'औन के पास से रुख़्सत हो कर सारे मुल्क — ए — मिस्र का दौरा किया।
Ιωσηφ δὲ ἦν ἐτῶν τριάκοντα ὅτε ἔστη ἐναντίον Φαραω βασιλέως Αἰγύπτου ἐξῆλθεν δὲ Ιωσηφ ἐκ προσώπου Φαραω καὶ διῆλθεν πᾶσαν γῆν Αἰγύπτου
47 और अज़ानी के सात बरसों में इफ़्रात से फ़स्ल हुई।
καὶ ἐποίησεν ἡ γῆ ἐν τοῖς ἑπτὰ ἔτεσιν τῆς εὐθηνίας δράγματα
48 और वह लगातार सातों साल हर क़िस्म की ख़ुराक, जो मुल्क — ए — मिस्र में पैदा होती थी, जमा' कर करके शहरों में उसका ज़ख़ीरा करता गया। हर शहर की चारों तरफ़ो की ख़ुराक वह उसी शहर में रखता गया।
καὶ συνήγαγεν πάντα τὰ βρώματα τῶν ἑπτὰ ἐτῶν ἐν οἷς ἦν ἡ εὐθηνία ἐν γῇ Αἰγύπτου καὶ ἔθηκεν τὰ βρώματα ἐν ταῖς πόλεσιν βρώματα τῶν πεδίων τῆς πόλεως τῶν κύκλῳ αὐτῆς ἔθηκεν ἐν αὐτῇ
49 और यूसुफ़ ने ग़ल्ला समुन्दर की रेत की तरह निहायत कसरत से ज़ख़ीरा किया, यहाँ तक कि हिसाब रखना भी छोड़ दिया क्यूँ कि वह बे — हिसाब था।
καὶ συνήγαγεν Ιωσηφ σῖτον ὡσεὶ τὴν ἄμμον τῆς θαλάσσης πολὺν σφόδρα ἕως οὐκ ἠδύναντο ἀριθμῆσαι οὐ γὰρ ἦν ἀριθμός
50 और काल से पहले ओन के पुजारी फ़ोतीफ़िरा' की बेटी आसिनाथ के यूसुफ़ से दो बेटे पैदा हुए।
τῷ δὲ Ιωσηφ ἐγένοντο υἱοὶ δύο πρὸ τοῦ ἐλθεῖν τὰ ἑπτὰ ἔτη τοῦ λιμοῦ οὓς ἔτεκεν αὐτῷ Ασεννεθ θυγάτηρ Πετεφρη ἱερέως Ἡλίου πόλεως
51 और यूसुफ़ ने पहलौठे का नाम मनस्सी यह कह कर रख्खा, कि 'ख़ुदा ने मेरी और मेरे बाप के घर की सब मुसीबत मुझ से भुला दी।
ἐκάλεσεν δὲ Ιωσηφ τὸ ὄνομα τοῦ πρωτοτόκου Μανασση ὅτι ἐπιλαθέσθαι με ἐποίησεν ὁ θεὸς πάντων τῶν πόνων μου καὶ πάντων τῶν τοῦ πατρός μου
52 और दूसरे का नाम इफ़्राईम यह कह कर रख्खा, कि 'ख़ुदा ने मुझे मेरी मुसीबत के मुल्क में फलदार किया।
τὸ δὲ ὄνομα τοῦ δευτέρου ἐκάλεσεν Εφραιμ ὅτι ηὔξησέν με ὁ θεὸς ἐν γῇ ταπεινώσεώς μου
53 और अज़ानी के वह सात साल जो मुल्क — ए — मिस्र में हुए तमाम हो गए, और यूसुफ़ के कहने के मुताबिक़ काल के सात साल शुरू' हुए।
παρῆλθον δὲ τὰ ἑπτὰ ἔτη τῆς εὐθηνίας ἃ ἐγένοντο ἐν γῇ Αἰγύπτῳ
54 और सब मुल्कों में तो काल था लेकिन मुल्क — ए — मिस्र में हर जगह खुराक मौजूद थी।
καὶ ἤρξαντο τὰ ἑπτὰ ἔτη τοῦ λιμοῦ ἔρχεσθαι καθὰ εἶπεν Ιωσηφ καὶ ἐγένετο λιμὸς ἐν πάσῃ τῇ γῇ ἐν δὲ πάσῃ γῇ Αἰγύπτου ἦσαν ἄρτοι
55 और जब मुल्क — ए — मिस्र में लोग भूकों मरने लगे तो रोटी के लिए फ़िर'औन के आगे चिल्लाए। फ़िर'औन ने मिस्रियों से कहा कि यूसुफ़ के पास जाओ, जो कुछ वह तुम से कहे वह करो।
καὶ ἐπείνασεν πᾶσα ἡ γῆ Αἰγύπτου ἐκέκραξεν δὲ ὁ λαὸς πρὸς Φαραω περὶ ἄρτων εἶπεν δὲ Φαραω πᾶσι τοῖς Αἰγυπτίοις πορεύεσθε πρὸς Ιωσηφ καὶ ὃ ἐὰν εἴπῃ ὑμῖν ποιήσατε
56 और तमाम रू — ए — ज़मीन पर काल था; और यूसुफ़ अनाज के ज़खीरह को खुलवा कर मिस्रियों के हाथ बेचने लगा, और मुल्क — ए — मिस्र में सख़्त काल हो गया।
καὶ ὁ λιμὸς ἦν ἐπὶ προσώπου πάσης τῆς γῆς ἀνέῳξεν δὲ Ιωσηφ πάντας τοὺς σιτοβολῶνας καὶ ἐπώλει πᾶσι τοῖς Αἰγυπτίοις
57 और सब मुल्कों के लोग अनाज मोल लेने के लिए यूसुफ़ के पास मिस्र में आने लगे, क्यूँकि सारी ज़मीन पर सख़्त काल पड़ा था।
καὶ πᾶσαι αἱ χῶραι ἦλθον εἰς Αἴγυπτον ἀγοράζειν πρὸς Ιωσηφ ἐπεκράτησεν γὰρ ὁ λιμὸς ἐν πάσῃ τῇ γῇ