< पैदाइश 24 >

1 और अब्रहाम ज़ईफ़ और उम्र दराज़ हुआ और ख़ुदावन्द ने सब बातों में अब्रहाम को बरकत बख़्शी थी।
সেইদিনের অব্রাহাম বৃদ্ধ ও তাঁর অনেক বয়স হয়েছিল এবং সদাপ্রভু অব্রাহামকে সব বিষয়ে আশীর্বাদ করেছিলেন।
2 और अब्रहाम ने अपने घर के ख़ास नौकर से, जो उसकी सब चीज़ों का मुख़्तार था कहा, तू अपना हाथ ज़रा मेरी रान के नीचे रख कि।
তখন অব্রাহাম নিজের দাসকে, তাঁর সমস্ত বিষয়ের অধ্যক্ষ, গৃহের প্রাচীনকে বললেন, “অনুরোধ করি, তুমি আমার উরুর নীচে হাত দাও;
3 मैं तुझ से ख़ुदावन्द की जो ज़मीन — ओ — आसमान का ख़ुदा है क़सम लें, कि तू कना'नियों की बेटियों में से जिनमें मैं रहता हूँ, किसी को मेरे बेटे से नहीं ब्याहेगा।
আমি তোমাকে স্বর্গ মর্ত্ত্যের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নামে এই শপথ করাই, যে কনানীয় লোকদের মধ্যে আমি বাস করছি, তুমি আমার ছেলের বিয়ের জন্য তাঁদের কোনো মেয়ে গ্রহণ করব না,
4 बल्कि तू मेरे वतन में मेरे रिश्तेदारों के पास जा कर मेरे बेटे इस्हाक़ के लिए बीवी लाएगा।
কিন্তু আমার দেশে আমার আত্মীয়দের কাছে গিয়ে আমার পুত্র ইস্‌হাকের জন্য মেয়ে আনবে।”
5 उस नौकर ने उससे कहा, “शायद वह 'औरत इस मुल्क में मेरे साथ आना न चाहे; तो क्या मैं तेरे बेटे को उस मुल्क में जहाँ से तू आया फिर ले जाऊँ?”
তখন সেই দাস তাঁকে বললেন, “কি জানি, আমার সঙ্গে এই দেশে আসতে কোনো মেয়ে রাজি হবে না; আপনি যে দেশ ছেড়ে এসেছেন, আপনার ছেলেকে কি আবার সেই দেশে নিয়ে যাব?”
6 तब अब्रहाम ने उससे कहा ख़बरदार तू मेरे बेटे को वहाँ हरगिज़ न ले जाना।
তখন অব্রাহাম তাঁকে বললেন, “সাবধান, কোনোভাবে আমার ছেলেকে আবার সেখানে নিয়ে যেও না।
7 ख़ुदावन्द, आसमान का ख़ुदा, जो मुझे मेरे बाप के घर और मेरी पैदाइशी जगह से निकाल लाया, और जिसने मुझ से बातें कीं और क़सम खाकर मुझ से कहा, कि मैं तेरी नसल को यह मुल्क दूँगा; वही तेरे आगे — आगे अपना फ़िरिश्ता भेजेगा कि तू वहाँ से मेरे बेटे के लिए बीवी लाए।
সদাপ্রভু, স্বর্গের ঈশ্বর, যিনি আমাকে বাবার বাড়ি ও আত্মীয়দের মধ্য থেকে এনেছেন, আমার সঙ্গে আলাপ করেছেন এবং এমন শপথ করেছেন যে, আমি তোমার বংশকে এই দেশ দেব, তিনিই তোমার আগে নিজের দূত পাঠাবেন; তাতে তুমি আমার ছেলের জন্য সেখান থেকে একটি মেয়ে নিয়ে আসতে পারবে।
8 और अगर वह 'औरत तेरे साथ आना न चाहे, तो तू मेरी इस क़सम से छूटा, लेकिन मेरे बेटे को हरगिज़ वहाँ न ले जाना।
যদি কোনো মেয়ে তোমার সঙ্গে আসতে রাজি না হয়, তবে তুমি আমার এই শপথ থেকে মুক্ত হবে; কিন্তু কোনো ভাবে আমার ছেলেকে আবার সে দেশে নিয়ে যেও না।”
9 उस नौकर ने अपना हाथ अपने आक़ा अब्रहाम की रान के नीचे रख कर उससे इस बात की क़सम खाई।
তাতে সেই দাস নিজের প্রভু অব্রাহামের উরুর নীচে হাত দিয়ে সেই বিষয়ে শপথ করলেন।
10 तब वह नौकर अपने आक़ा के ऊँटों में से दस ऊँट लेकर रवाना हुआ, और उसके आक़ा की अच्छी अच्छी चीज़ें उसके पास थीं, और वह उठकर मसोपतामिया में नहूर के शहर को गया।
১০পরে সেই দাস নিজের প্রভুর উটেদের মধ্য থেকে দশটা উট ও নিজের প্রভুর সব রকমের ভালো জিনিসপত্র হাতে নিয়ে চলে গেলেন, অরাম-নহরয়িম দেশে, নাহোরের নগরে যাত্রা করলেন।
11 और शाम को जिस वक़्त 'औरतें पानी भरने आती है उस ने उस शहर के बाहर बावली के पास ऊँटों को बिठाया।
১১আর সন্ধ্যাবেলায় যে দিনের স্ত্রীলোকের জল তুলতে বের হয়, সেই দিনের তিনি নগরের বাইরে কুয়োর কাছে উটদেরকে বসিয়ে রাখলেন
12 और कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, मेरे आक़ा अब्रहाम के खुदा, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ के आज तू मेरा काम बना दे, और मेरे आक़ा अब्रहाम पर करम कर।
১২তিনি বললেন, “হে সদাপ্রভু, আমার কর্তা অব্রাহামের ঈশ্বর, অনুরোধ করি, আজ আমার সামনে শুভফল উপস্থিত কর, আমার প্রভু অব্রাহামের প্রতি দয়া কর।
13 देख, मैं पानी के चश्मा पर खड़ा हूँ और इस शहर के लोगों की बेटियाँ पानी भरने को आती हैं;
১৩দেখ, আমি এই সজল কুয়োর কাছে দাঁড়িয়ে আছি এবং এই নগরবাসীদের মেয়েরা জল তুলতে বাইরে আসছে;
14 इसलिए ऐ ख़ुदावन्द ऐसा हो कि जिस लड़की से मैं कहूँ, कि तू ज़रा अपना घड़ा झुका दे तो मैं पानी पी लूँ और वह कहे, कि ले पी, और मैं तेरे ऊँटों को भी पिला दूँगी'; तो वह वही हो जिसे तूने अपने बन्दे इस्हाक़ के लिए ठहराया है; और इसी से मैं समझ लूँगा कि तूने मेरे आक़ा पर करम किया है।”
১৪অতএব যে মেয়েকে আমি বলব, আপনার কলসি নামিয়ে আমাকে জল পান করান, সে যদি বলে, পান কর, তোমার উটদেরকেও পান করাব, তবে তোমার দাস ইস্‌হাকের জন্য তোমার নিরূপিত মেয়ে সেই হোক; এতে আমি জানব যে, তুমি আমার প্রভুর প্রতি দয়া করলে।”
15 वह यह कह ही रहा था कि रिब्क़ा, जो अब्रहाम के भाई नहूर की बीवी मिल्काह के बेटे बैतूएल से पैदा हुई थी, अपना घड़ा कंधे पर लिए हुए निकली।
১৫এই কথা বলতে না বলতে, দেখ, রিবিকা কলসি কাঁধে করে বাইরে আসলেন; তিনি অব্রাহামের নাহর নামক ভাইয়ের স্ত্রী মিল্কার ছেলে বথূয়েলের মেয়ে।
16 वह लड़की निहायत ख़ूबसूरत और कुंवारी, और मर्द से नवाक़िफ़ थी। वह नीचे पानी के चश्मा के पास गई और अपना घड़ा भर कर ऊपर आई।
১৬সেই মেয়ে দেখতে বড়ই সুন্দরী এবং অবিবাহিতা ও পুরুষের পরিচয় অপ্রাপ্তা ছিলেন। তিনি কূপে নেমে কলসিতে জল ভরে উঠে আসছেন,
17 तब वह नौकर उससे मिलने को दौड़ा और कहा कि ज़रा अपने घड़े से थोड़ा सा पानी मुझे पिला दे।
১৭এমন দিনের সেই দাস দৌড়িয়ে এসে তাঁর সঙ্গে দেখা করে বললেন, “অনুরোধ করি, আপনার কলসি থেকে আমাকে কিছু জল পান করতে দিন।”
18 उसने कहा, पीजिए साहब; “और फ़ौरन घड़े को हाथ पर उतार उसे पानी पिलाया।
১৮তিনি বললেন, “মহাশয়, পান করুন;” এই বলে তিনি শীঘ্র কলশি হাতের ওপরে নামিয়ে তাঁকে পান করতে দিলেন।
19 जब उसे पिला चुकी तो कहने लगी, कि मैं तेरे ऊँटों के लिए भी पानी भर — भर लाऊँगी, जब तक वह पी न चुकें।”
১৯আর তাঁকে পান করাবার পর বললেন, “যতক্ষণ আপনার উটেদের জল পান শেষ না হয়, ততক্ষণ আমি ওদের জন্যও জল তুলব।”
20 और फ़ौरन अपने घड़े को हौज़ में ख़ाली करके फिर बावली की तरफ़ पानी भरने दौड़ी गई, और उसके सब ऊँटों के लिए भरा।
২০পরে তিনি শীঘ্র পাত্রে কলশির জল ঢেলে আবার জল তুলতে কুয়োর কাছে দৌড়ে গিয়ে তাঁর উটদের জন্য জল তুললেন।
21 वह आदमी चुप — चाप उसे ग़ौर से देखता रहा, ताकि मा'लूम करे कि ख़ुदावन्द ने उसका सफ़र मुबारक किया है या नहीं।
২১তাতে সেই পুরুষ তাঁর প্রতি এক নজরে চেয়ে, সদাপ্রভু তাঁর যাত্রা সফল করেন কি না, তা জানার জন্য নীরব থাকলেন।
22 और जब ऊँट पी चुके तो उस शख़्स ने आधे मिस्काल सोने की एक नथ, और दस मिस्काल सोने के दो कड़े उसके हाथों के लिए निकाले।
২২উটেরা জল পান করার পর সেই পুরুষ অর্ধেক শেকল পরিমিত দুই হাতের সোনার নথ এবং দশ তোলা পরিমিত দুই হাতের সোনার বালা নিয়ে বললেন,
23 और कहा कि ज़रा मुझे बता कि तू किसकी बेटी है? और क्या तेरे बाप के घर में हमारे टिकने की जगह है?
২৩“আপনি কার মেয়ে? অনুরোধ করি, আমাকে বলুন, আপনার বাবার বাড়িতে কি আমাদের রাত কাটানোর জায়গা আছে?”
24 उसने उससे कहा कि मैं बैतूएल की बेटी हूँ। वह मिल्काह का बेटा है जो नहूर से उसके हुआ।
২৪তিনি উত্তর করলেন, “আমি সেই বথূয়েলের মেয়ে, যিনি মিল্কার ছেলে, যাঁকে তিনি নাহোরের জন্য জন্ম দিয়েছিলেন।”
25 और यह भी उससे कहा कि हमारे पास भूसा और चारा बहुत है, और टिकने की जगह भी है।
২৫তিনি আরও বললেন, “খড় ও কলাই আমাদের কাছে যথেষ্ট আছে এবং রাত কাটাবার জায়গাও আছে।”
26 तब उस आदमी ने झुक कर ख़ुदावन्द को सिज्दा किया,
২৬তখন সে ব্যক্তি মাথা নিচু করে সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে প্রার্থনা করলেন,
27 और कहा, “ख़ुदावन्द मेरे आक़ा अब्रहाम का ख़ुदा मुबारक हो, जिसने मेरे आक़ा को अपने करम और सच्चाई से महरूम नहीं रख्खा और मुझे तो ख़ुदावन्द ठीक राह पर चलाकर मेरे आक़ा के भाइयों के घर लाया।”
২৭তিনি বললেন, “আমার কর্তা অব্রাহামের ঈশ্বর সদাপ্রভু ধন্য হোন, তিনি আমার কর্তার সঙ্গে নিজের দয়া ও সত্য ব্যবহার অস্বীকার করেননি; সদাপ্রভু আমাকেও পথঘটনাতে আমার কর্তার আত্মীয়দের বাড়িতে আনলেন।”
28 तब उस लड़की ने दौड़ कर अपनी माँ के घर में यह सब हाल कह सुनाया।
২৮পরে সেই মেয়ে দৌড়ে গিয়ে নিজের মায়ের ঘরের লোকদেরকে এই সব কথা জানালেন।
29 और रिब्क़ा का एक भाई था जिसका नाम लाबन था; वह बाहर पानी के चश्मा पर उस आदमी के पास दौड़ा गया।
২৯আর রিবিকার এক ভাই ছিলেন, তাঁর নাম লাবন; সেই লাবন বাইরে ঐ ব্যক্তির উদ্দেশ্যে কূপের কাছে দৌড়ে গেলেন।
30 और ऐसा हुआ कि जब उसने वह नथ देखी, और वह कड़े भी जो उसकी बहन के हाथों में थे, और अपनी बहन रिब्क़ा का बयान भी सुन लिया कि उस शख़्स ने मुझ से ऐसी — ऐसी बातें कहीं, तो वह उस आदमी के पास आया और देखा कि वह चश्मा के नज़दीक ऊँटों के पास खड़ा है।
৩০নথ ও বোনের হাতে বালা দেখে এবং সেই ব্যক্তি আমাকে এই কথা বললেন, নিজের বোন রিবিকার মুখে এই শুনে, তিনি সেই পুরুষের কাছে গেলেন, আর দেখ, তিনি কুয়োর কাছে উটদের সঙ্গে দাঁড়িয়ে ছিলেন;
31 तब उससे कहा, “ऐ, तू जो ख़ुदावन्द की तरफ़ से मुबारक है। अन्दर चल, बाहर क्यूँ खड़ा है? मैंने घर को और ऊँटों के लिए भी जगह को तैयार कर लिया है।”
৩১আর লাবন বললেন, “হে সদাপ্রভুর আশীর্বাদপাত্র, আসুন, কেন বাইরে দাঁড়িয়ে আছেন? আমি তো ঘর এবং উটদের জন্যও জায়গা তৈরী করেছি।”
32 तब वह आदमी घर में आया, और उसने उसके ऊँटों को खोला और ऊँटों के लिए भूसा और चारा, और उसके और उसके साथ के आदमियों के पॉव धोने को पानी दिया।
৩২তখন ঐ লোক বাড়িতে ঢুকে উটদের সজ্জা খুললে তিনি উটদের জন্য খড় ও কলাই দিলেন এবং তাঁর ও তার সঙ্গী লোকদের পা ধোবার জল দিলেন।
33 और खाना उसके आगे रख्खा गया, लेकिन उसने कहा कि मैं जब तक अपना मतलब बयान न कर लूँ नहीं खाऊँगा। उसने कहा, अच्छा, कह।
৩৩পরে তাঁর সামনে আহারের জিনিস রাখা হল, কিন্তু তিনি বললেন, “যা বলার না বলে আমি আহার করব না।” লাবন বললেন, “বলুন।”
34 तब उसने कहा कि मैं अब्रहाम का नौकर हूँ।
৩৪তখন তিনি বলতে লাগলেন, “আমি অব্রাহামের দাস;”
35 और ख़ुदावन्द ने मेरे आक़ा को बड़ी बरकत दी है, और वह बहुत बड़ा आदमी हो गया है; और उसने उसे भेड़ — बकरियाँ, और गाय बैल और सोना चाँदी और लौंडिया और ग़ुलाम और ऊँट और गधे बख़्शे हैं।
৩৫সদাপ্রভু আমার কর্তাকে প্রচুর আশীর্বাদ করেছেন, আর তিনি বড় মানুষ হয়েছেন এবং [সদাপ্রভু] তাঁকে ভেড়া ও পশুপাল এবং রূপা ও সোনা এবং দাস ও দাসী এবং উট ও গাধা দিয়েছেন।
36 और मेरे आक़ा की बीवी सारा के जब वह बुढ़िया हो गई, उससे एक बेटा हुआ। उसी को उसने अपना सब कुछ दे दिया है।
৩৬আর আমার কর্তার স্ত্রী সারা বৃদ্ধ বয়সে তাঁর জন্য এক ছেলের জন্ম দিয়েছেন, তাঁকেই তিনি আপনার সব কিছু দিয়েছেন।
37 और मेरे आक़ा ने मुझे क़सम दे कर कहा है, कि तू कना'नियों की बेटियों में से, जिनके मुल्क में मैं रहता हूँ किसी को मेरे बेटे से न ब्याहना।
৩৭আর আমার কর্তা আমাকে শপথ করিয়ে বললেন, “আমি যাদের দেশে বাস করছি, তুমি আমার ছেলের জন্য সেই কনানীয়দের কোনো মেয়ে এন না;
38 बल्कि तू मेरे बाप के घर और मेरे रिश्तेदारों में जाना और मेरे बेटे के लिए बीवी लाना।
৩৮কিন্তু আমার বাবার বংশের ও আমার আত্মীয়ের কাছে গিয়ে আমার ছেলের জন্য মেয়ে এন।”
39 तब मैंने अपने आक़ा से कहा, 'शायद वह 'औरत मेरे साथ आना न चाहे।
৩৯তখন আমি কর্তাকে বললাম, “কি জানি, কোনো মেয়ে আমার সঙ্গে আসবে না।”
40 तब उसने मुझ से कहा, 'ख़ुदावन्द, जिसके सामने मैं चलता रहा हूँ, अपना फ़रिश्ता तेरे साथ भेजेगा और तेरा सफ़र मुबारक करेगा; तू मेरे रिश्तेदारों और मेरे बाप के ख़ान्दान में से मेरे बेटे के लिए बीवी लाना।
৪০তিনি বললেন, “আমি যাঁর সামনে চলাফেরা করি সেই সদাপ্রভু তোমার সঙ্গে নিজের দূত পাঠিয়ে তোমার যাত্রা সফল করবেন; এবং তুমি আমার আত্মীয় ও আমার বাবার বংশ থেকে আমার ছেলের জন্য মেয়ে আনবে।
41 और जब तू मेरे ख़ान्दान में जा पहुँचेगा, तब मेरी क़सम से छूटेगा; और अगर वह कोई लड़की न दें, तो भी तू मेरी क़सम से छूटा।
৪১তা করলে এই শপথ থেকে মুক্ত হবে; আমার আত্মীয়ের কাছে গেলে যদি তারা [মেয়ে] না দেয়, তবে তুমি এই শপথ থেকে মুক্ত হবে।”
42 इसलिए मैं आज पानी के उस चश्मा पर आकर कहने लगा, 'ऐ ख़ुदावन्द, मेरे आक़ा अब्रहाम के ख़ुदा, अगर तू मेरे सफ़र को जो मैं कर रहा हूँ मुबारक करता है।
৪২আর আজ আমি ঐ কূপের কাছে পৌছালাম, আর বললাম, “হে সদাপ্রভু, আমার কর্তা অব্রাহামের ঈশ্বর, তুমি যদি আমার এই যাত্রা সফল কর,
43 तो देख, मैं पानी के चश्मा के पास खड़ा होता हूँ, और ऐसा हो कि जो लड़की पानी भरने निकले और मैं उससे कहूँ, 'ज़रा अपने घड़े से थोड़ा पानी मुझे पिला दे,
৪৩তবে দেখ, আমি এই কুয়োর কাছে দাঁড়িয়ে আছি; অতএব জল তুলতে আসার জন্য যে মেয়েকে আমি বলব, নিজের কলসি থেকে আমাকে কিছু জল পান করতে দিন,”
44 और वह मुझे कहे कि तू भी पी और मैं तेरे ऊँटों के लिए भी भर दूँगी, तो वो वही 'औरत हो जिसे ख़ुदावन्द ने मेरे आक़ा के बेटे के लिए ठहराया है।
৪৪তিনি যদি বলেন, “তুমিও পান কর এবং তোমার উটেদের জন্যও আমি জল তুলে দেব; তবে তিনি সেই মেয়ে হোন, যাঁকে সদাপ্রভু আমার কর্তার ছেলের জন্য মনোনীত করেছেন।”
45 मैं दिल में यह कह ही रहा था कि रिब्क़ा अपना घड़ा कन्धे पर लिए हुए बाहर निकली, और नीचे चश्मा के पास गई, और पानी भरा। तब मैंने उससे कहा, 'ज़रा मुझे पानी पिला दे।
৪৫এই কথা আমি মনে মনে বলতে না বলতে, দেখ, রিবিকা কলসি কাঁধে করে বাইরে আসলেন; পরে তিনি কূপে নেমে জল তুললে আমি বললাম, “অনুরোধ করি, আমাকে জল পান করান।”
46 उसने फ़ौरन अपना घड़ा कन्धे पर से उतारा और कहा, 'ले पी और मैं तेरे ऊँटों को भी पिला दूँगी। तब मैंने पिया और उसने मेरे ऊँटों को भी पिलाया।
৪৬তখন তিনি তাড়াতাড়ি কাঁধ থেকে কলসি নামিয়ে বললেন “পান করুন, আমি আপনার উটদেরকেও পান করাব।” তখন আমি পান করলাম; আর তিনি উটদেরকেও পান করালেন।
47 फिर मैंने उससे पूछा, 'तू किसकी बेटी है?' उसने कहा, 'मैं बैतूएल की बेटी हूँ, वह नहूर का बेटा है जो मिल्काह से पैदा हुआ; फिर मैंने उसकी नाक में नथ और उसके हाथों में कड़े पहना दिए।
৪৭পরে আমি তাঁকে জিজ্ঞাসা করলাম, “আপনি কার মেয়ে?” তিনি উত্তর করলেন, “আমি বথূয়েলের মেয়ে, তিনি নাহোরের ছেলে, যাঁকে মিল্কা তাঁর জন্য জন্ম দিয়েছিলেন।” তখন আমি তাঁর নাকে নথ ও হাতে বালা পরিয়ে দিলাম।
48 और मैंने झुक कर ख़ुदावन्द को सिज्दा किया और ख़ुदावन्द, अपने आक़ा अब्रहाम के ख़ुदा को मुबारक कहा, जिसने मुझे ठीक राह पर चलाया कि अपने आक़ा के भाई की बेटी उसके बेटे के लिए ले जाऊँ।
৪৮আর মাথা নিচু করে সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে প্রার্থনা করলাম এবং যিনি আমার কর্তার ছেলের জন্য তাঁর ভাইয়ের মেয়ে গ্রহণের জন্য আমাকে প্রকৃত পথে আনলেন, আমার কর্তা অব্রাহামের ঈশ্বর সেই সদাপ্রভুকে ধন্যবাদ করলাম।
49 इसलिए अब अगर तुम करम और सच्चाई से मेरे आक़ा के साथ पेश आना चाहते हो तो मुझे बताओ, और अगर नहीं तो कह दो, ताकि मैं दहनी या बाएँ तरफ़ फिर जाऊँ।
৪৯অতএব আপনারা যদি এখন আমার কর্তার সঙ্গে দয়া ও সত্য ব্যবহার করতে রাজি হন, তা বলুন; আর যদি না হন, তাও বলুন; তাতে আমি ডান দিকে কিম্বা বাম দিকে ফিরতে পারব।
50 तब लाबन और बैतूएल ने जवाब दिया, कि यह बात ख़ुदावन्द की तरफ़ से हुई है, हम तुझे कुछ बुरा या भला नहीं कह सकते।
৫০তখন লাবন ও বথুয়েল উত্তর করলেন, বললেন, “সদাপ্রভু থেকে এই ঘটনা হল, আমরা ভাল মন্দ কিছুই বলতে পারি না।
51 देख, रिब्क़ा तेरे सामने मौजूद है, उसे ले और जा, और ख़ुदावन्द के क़ौल के मुताबिक़ अपने आक़ा के बेटे से उसे ब्याह दे।
৫১ঐ দেখুন, রিবিকা আপনার সামনে আছে; ওকে নিয়ে চলে যান; এ আপনার কর্তার ছেলের স্ত্রী হোক, যেমন সদাপ্রভু বলেছেন।”
52 जब अब्रहाम के नौकर ने उनकी बातें सुनीं, तो ज़मीन तक झुक कर ख़ुदावन्द को सिज्दा किया।
৫২তাঁদের কথা শোনামাত্র অব্রামের দাস সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে মাটিতে নত হলেন।
53 और नौकर ने चाँदी और सोने के ज़ेवर, और लिबास निकाल कर रिब्क़ा को दिए, और उसके भाई और उसकी माँ को भी क़ीमती चीजें दीं।
৫৩পরে সেই দাস রূপার সোনার গয়না ও বস্ত্র বের করে রিবিকাকে দিলেন এবং তাঁর ভাইকে ও মাকে বহুমূল্য দ্রব্য দিলেন।
54 और उसने और उसके साथ के आदमियों ने खाया पिया और रात भर वहीं रहे; सुबह को वह उठे और उसने कहा, कि मुझे मेरे आक़ा के पास रवाना कर दो।
৫৪আর তিনি ও তাঁর সাথীরা ভোজন পান করে সেখানে রাত কাটালেন; পরে তাঁরা সকালে উঠলে তিনি বললেন, “আমার কর্তার কাছে আমাকে যেতে দিন।”
55 रिब्क़ा के भाई और माँ ने कहा, कि लड़की को कुछ दिन, कम से कम दस दिन, हमारे पास रहने दे; इसके बाद वह चली जाएगी।
৫৫তাতে রিবিকার ভাই ও মা বললেন, “মেয়েটী আমাদের কাছে কিছু দিন থাকুক, কমপক্ষে দশ দিন থাকুক, পরে যাবে।”
56 उसने उनसे कहा, कि मुझे न रोको क्यूँकि ख़ुदावन्द ने मेरा सफ़र मुबारक किया है, मुझे रुख़्सत कर दो ताकि मैं अपने आक़ा के पास जाऊँ।
৫৬কিন্তু তিনি তাঁদেরকে বললেন, “আমাকে দেরী করাবেন না কারণ সদাপ্রভু আমার যাত্রা সফল করলেন; আমাকে বিদায় করুন; আমি নিজ কর্তার কাছে যাই।”
57 उन्होंने कहा, “हम लड़की को बुलाकर पूछते हैं कि वह क्या कहती है।”
৫৭তাকে তাঁরা বললেন, “আমার মেয়েকে ডেকে তাকে সামনে জিজ্ঞাসা করি।”
58 तब उन्होंने रिब्क़ा को बुला कर उससे पूछा, “क्या तू इस आदमी के साथ जाएगी?” उसने कहा, “जाऊँगी।”
৫৮পরে তাঁরা রিবিকাকে ডেকে বললেন, “তুমি কি এই ব্যক্তির সঙ্গে যাবে?” তিনি বললেন, “যাব।”
59 तब उन्होंने अपनी बहन रिब्क़ा और उसकी दाया और अब्रहाम के नौकर और उसके आदमियों को रुख़सत किया।
৫৯তখন তাঁরা নিজেদের বোন রিবিকার কাছে ও তাঁর ধাত্রীকে এবং অব্রাহামের দাসকে ও তাঁর লোকদেরকে বিদায় করলেন।
60 और उन्होंने रिब्क़ा को दुआ दी और उससे कहा, “ऐ हमारी बहन, तू लाखों की माँ हो और तेरी नसल अपने कीना रखने वालों के फाटक की मालिक हो।”
৬০আর রিবিকাকে আশীর্বাদ করে বললেন, “তুমি আমাদের বোন, হাজার হাজার অযুতের মা হও; তোমার বংশ নিজের শত্রুর পুরদ্বার অধিকার করুক।”
61 और रिब्क़ा और उसकी सहेलियाँ उठकर ऊँटों पर सवार हुई, और उस आदमी के पीछे हो लीं। तब वह आदमी रिब्क़ा को साथ लेकर रवाना हुआ।
৬১পরে রিবিকা ও তাঁর দাসীরা উঠলেন এবং উটে চড়ে সেই মানুষের পিছনে গেলেন। এই ভাবে সেই দাস রিবিকাকে নিয়ে চলে গেলেন।
62 और इस्हाक़ बेरलही — रोई से होकर चला आ रहा था, क्यूँकि वह दख्खिन के मुल्क में रहता था।
৬২আর ইসহাক বের-লহয়-রয়ী নামক জায়গায় গিয়ে ফিরে এসেছিলেন, কারণ তিনি দক্ষিণ দেশে বাস করছিলেন।
63 और शाम के वक़्त इस्हाक़ बैतुलख़ला को मैदान में गया, और उसने जो अपनी आँखें उठाई और नज़र की तो क्या देखता है कि ऊँट चले आ रहे हैं।
৬৩ইসহাক সন্ধ্যাবেলায় ধ্যান করতে ক্ষেত্রে গিয়েছিলেন, পরে চোখ তুলে দেখলেন, আর দেখ, উট আসছে।
64 और रिब्क़ा ने निगाह की और इस्हाक़ को देख कर ऊँट पर से उतर पड़ी।
৬৪আর রিবিকা চোখ তুলে যখন ইসহাককে দেখলেন, তখন উট থেকে নামলেন।
65 और उसने नौकर से पूछा, “यह शख़्स कौन है जो हम से मिलने की मैदान में चला आ रहा है?” उस नौकर ने कहा, “यह मेरा आक़ा है।” तब उसने बुरक़ा लेकर अपने ऊपर डाल लिया।
৬৫সেই দাসকে জিজ্ঞাসা করলেন, “আমাদের সঙ্গে দেখা করতে ক্ষেত্রের মধ্য দিয়ে আসছেন, ঐ লোকটি কে?” দাস বললেন, “উনি আমার কর্তা” তখন রিবিকা ঘোমটা দিয়ে নিজেকে ঢাকলেন।
66 नौकर ने जो — जो किया था सब इस्हाक़ को बताया।
৬৬পরে সেই দাস ইসহাককে আপনার করা সমস্ত কাজের বিবরণ বললেন।
67 और इस्हाक़ रिब्क़ा को अपनी माँ सारा के डेरे में ले गया। तब उसने रिब्क़ा से ब्याह कर लिया और उससे मुहब्बत की, और इस्हाक़ ने अपनी माँ के मरने के बाद तसल्ली पाई।
৬৭তখন ইসহাক রিবিকাকে গ্রহণ করে সারা মায়ের তাঁবুতে নিয়ে গিয়ে তাকে বিয়ে করলেন এবং তাকে প্রেম করলেন। তাতে ইসহাক মায়ের মৃত্যুর শোক থেকে সান্ত্বনা পেলেন।

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