< पैदाइश 24 >

1 और अब्रहाम ज़ईफ़ और उम्र दराज़ हुआ और ख़ुदावन्द ने सब बातों में अब्रहाम को बरकत बख़्शी थी।
وَشَاخَ إِبْرَاهِيمُ وَتَقَدَّمَ بِهِ الْعُمْرُ. وَبَارَكَ الرَّبُّ إِبْرَاهِيمَ فِي كُلِّ شَيْءٍ.١
2 और अब्रहाम ने अपने घर के ख़ास नौकर से, जो उसकी सब चीज़ों का मुख़्तार था कहा, तू अपना हाथ ज़रा मेरी रान के नीचे रख कि।
وَقَالَ إِبْرَاهِيمُ لِرَئِيسِ عَبِيدِهِ، الْمُتَوَلِّي جَمِيعَ شُؤُونِ بَيْتِهِ: «ضَعْ يَدَكَ تَحْتَ فَخْذِي،٢
3 मैं तुझ से ख़ुदावन्द की जो ज़मीन — ओ — आसमान का ख़ुदा है क़सम लें, कि तू कना'नियों की बेटियों में से जिनमें मैं रहता हूँ, किसी को मेरे बेटे से नहीं ब्याहेगा।
فَأَسْتَحْلِفَكَ بِالرَّبِّ إِلَهِ السَّمَاءِ وَالأَرْضِ أَنْ لَا تَأْخُذَ لابْنِي زَوْجَةً مِنْ بَنَاتِ الْكَنْعَانِيِّينَ الَّذِيْنَ أَنَا مُقِيمٌ فِي وَسَطِهِمْ.٣
4 बल्कि तू मेरे वतन में मेरे रिश्तेदारों के पास जा कर मेरे बेटे इस्हाक़ के लिए बीवी लाएगा।
بَلْ تَمْضِي إِلَى بَلَدِي وَإِلَى عَشِيرَتِي، وَتَأْخُذُ زَوْجَةً لابْنِي إِسْحاقَ».٤
5 उस नौकर ने उससे कहा, “शायद वह 'औरत इस मुल्क में मेरे साथ आना न चाहे; तो क्या मैं तेरे बेटे को उस मुल्क में जहाँ से तू आया फिर ले जाऊँ?”
فَقَالَ لَهُ الْعَبْدُ: «هَبْ أَنَّ الْمَرْأَةَ لَا تَشَاءُ أَنْ تَتْبَعَنِي إِلَى هَذِهِ الأَرْضِ، فَهَلْ أَرْجِعُ بِابْنِكَ إِلَى الأَرْضِ الَّتِي ارْتَحَلْتَ عَنْهَا؟».٥
6 तब अब्रहाम ने उससे कहा ख़बरदार तू मेरे बेटे को वहाँ हरगिज़ न ले जाना।
فَأَجَابَ إِبْرَاهِيمُ: «إِيَّاكَ أَنْ تَرْجِعَ بِابْنِي إِلَى هُنَاكَ،٦
7 ख़ुदावन्द, आसमान का ख़ुदा, जो मुझे मेरे बाप के घर और मेरी पैदाइशी जगह से निकाल लाया, और जिसने मुझ से बातें कीं और क़सम खाकर मुझ से कहा, कि मैं तेरी नसल को यह मुल्क दूँगा; वही तेरे आगे — आगे अपना फ़िरिश्ता भेजेगा कि तू वहाँ से मेरे बेटे के लिए बीवी लाए।
فَالرَّبُّ إِلَهُ السَّمَاءِ الَّذِي أَخَذَنِي مِنْ بَيْتِ أَبِي وَمِنْ أَرْضِ قَوْمِي، وَخَاطَبَنِي وَأَقْسَمَ لِي قَائِلاً: لِذُرِّيَّتِكَ أَهَبُ هَذِهِ الأَرْضَ، هُوَ يُرْسِلُ مَلاكَهُ أَمَامَكَ لِتَأْخُذَ زَوْجَةً لابْنِي مِنْ هُنَاكَ.٧
8 और अगर वह 'औरत तेरे साथ आना न चाहे, तो तू मेरी इस क़सम से छूटा, लेकिन मेरे बेटे को हरगिज़ वहाँ न ले जाना।
إِنْ أَبَتِ الْمَرْأَةُ أَنْ تَتْبَعَكَ، تَكُونُ آنَئِذٍ فِي حِلٍّ مِنْ حَلْفِي هَذَا، أَمَّا ابْنِي فَإِيَّاكَ أَنْ تَرْجِعَ بِهِ إِلَى هُنَاكَ».٨
9 उस नौकर ने अपना हाथ अपने आक़ा अब्रहाम की रान के नीचे रख कर उससे इस बात की क़सम खाई।
فَوَضَعَ الْعَبْدُ يَدَهُ تَحْتَ فَخْذِ سَيِّدِهِ إِبْرَاهِيمَ وَحَلَفَ لَهُ عَلَى ذَلِكَ.٩
10 तब वह नौकर अपने आक़ा के ऊँटों में से दस ऊँट लेकर रवाना हुआ, और उसके आक़ा की अच्छी अच्छी चीज़ें उसके पास थीं, और वह उठकर मसोपतामिया में नहूर के शहर को गया।
وَاخْتَارَ الْعَبْدُ عَشَرَةَ جِمَالٍ وَحَمَّلَهَا مِنْ جَمِيعِ خَيْرَاتِ مَوْلاهُ الَّتِي فِي يَدِهِ، وَقَامَ وَانْطَلَقَ إِلَى أَرَامِ النَّهْرَيْنِ إِلَى مَدِينَةِ نَاحُورَ.١٠
11 और शाम को जिस वक़्त 'औरतें पानी भरने आती है उस ने उस शहर के बाहर बावली के पास ऊँटों को बिठाया।
وَهُنَاكَ أَنَاخَ الْجِمَالَ خَارِجَ الْمَدِينَةِ عِنْدَ بِئْرِ الْمَاءِ وَقْتَ الْمَسَاءِ، فِي مَوْعِدِ خُرُوجِ الْمُسْتَقِيَاتِ مِنَ النِّسَاءِ،١١
12 और कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, मेरे आक़ा अब्रहाम के खुदा, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ के आज तू मेरा काम बना दे, और मेरे आक़ा अब्रहाम पर करम कर।
وَقَالَ: «أَيُّهَا الرَّبُّ إِلَهَ سَيِّدِي إِبْرَاهِيمَ، أَتَوَسَّلُ إِلَيْكَ أَنْ تُيَسِّرَ أَمْرِي الْيَوْمَ وَتُسْدِيَ مَعْرُوفاً لِسَيِّدِي إِبْرَاهِيمَ.١٢
13 देख, मैं पानी के चश्मा पर खड़ा हूँ और इस शहर के लोगों की बेटियाँ पानी भरने को आती हैं;
هَا أَنَا وَاقِفٌ عِنْدَ بِئْرِ الْمَاءِ حَيْثُ تُقْبِلُ بَنَاتُ أَهْلِ الْمَدِينَةِ١٣
14 इसलिए ऐ ख़ुदावन्द ऐसा हो कि जिस लड़की से मैं कहूँ, कि तू ज़रा अपना घड़ा झुका दे तो मैं पानी पी लूँ और वह कहे, कि ले पी, और मैं तेरे ऊँटों को भी पिला दूँगी'; तो वह वही हो जिसे तूने अपने बन्दे इस्हाक़ के लिए ठहराया है; और इसी से मैं समझ लूँगा कि तूने मेरे आक़ा पर करम किया है।”
فَلْيَكُنْ أَنَّ الْفَتَاةَ الَّتِي أَقُولُ لَهَا: ضَعِي جَرَّتَكِ لأَشْرَبَ مِنْهَا، فَتُجِيبُ: اشْرَبْ وَأَنَا أَسْقِي جِمَالَكَ أَيْضاً، تَكُونُ هِيَ الَّتِي اخْتَرْتَهَا لِعَبْدِكَ إِسْحاقَ. وَبِذَلِكَ أُدْرِكُ أَنَّكَ أَسْدَيْتَ مَعْرُوفاً لِسَيِّدِي».١٤
15 वह यह कह ही रहा था कि रिब्क़ा, जो अब्रहाम के भाई नहूर की बीवी मिल्काह के बेटे बैतूएल से पैदा हुई थी, अपना घड़ा कंधे पर लिए हुए निकली।
وَقَبْلَ أَنْ يُتِمَّ صَلاتَهُ إِذَا بِهِ يُشَاهِدُ رِفْقَةَ ابْنَةَ بَتُوئِيلَ ابْنِ مِلْكَةَ زَوْجَةِ نَاحُورَ أَخِي إِبْرَاهِيمَ مُقْبِلَةً، وَجَرَّتُهَا عَلَى كَتِفِهَا.١٥
16 वह लड़की निहायत ख़ूबसूरत और कुंवारी, और मर्द से नवाक़िफ़ थी। वह नीचे पानी के चश्मा के पास गई और अपना घड़ा भर कर ऊपर आई।
وَكَانَتِ الْفَتَاةُ رَائِعَةَ الْجَمَالِ، عَذْرَاءَ لَمْ يَمَسَّهَا رَجُلٌ. فَنَزَلَتْ إِلَى الْعَيْنِ وَمَلأَتْ جَرَّتَهَا ثُمَّ صَعِدَتْ،١٦
17 तब वह नौकर उससे मिलने को दौड़ा और कहा कि ज़रा अपने घड़े से थोड़ा सा पानी मुझे पिला दे।
فَرَكَضَ الْعَبْدُ لِلِقَائِهَا وَقَالَ: «أَرْجُوكِ، اسْقِينِي قَلِيلاً مِنْ مَاءِ جَرَّتِكِ».١٧
18 उसने कहा, पीजिए साहब; “और फ़ौरन घड़े को हाथ पर उतार उसे पानी पिलाया।
فَأَجَابَتِ الْفَتَاةُ: «اشْرَبْ يَا سَيِّدِي». وَأَسْرَعَتْ وَأَنْزَلَتْ جَرَّتَهَا عَلَى يَدِهَا وَسَقَتْهُ.١٨
19 जब उसे पिला चुकी तो कहने लगी, कि मैं तेरे ऊँटों के लिए भी पानी भर — भर लाऊँगी, जब तक वह पी न चुकें।”
وَبَعْدَ أَنْ شَرِبَ قَالَتْ: «أَسْتَقِي لِجِمَالِكَ أَيْضاً حَتَّى تَرْتَوِيَ».١٩
20 और फ़ौरन अपने घड़े को हौज़ में ख़ाली करके फिर बावली की तरफ़ पानी भरने दौड़ी गई, और उसके सब ऊँटों के लिए भरा।
وَمَضَتْ مُسْرِعَةً وَأَفْرَغَتْ جَرَّتَهَا فِي حَوْضِ الْمَاءِ، ثُمَّ رَكَضَتْ نَحْوَ الْبِئْرِ فَاسْتَقَتْ لِكُلِّ جِمَالِهِ.٢٠
21 वह आदमी चुप — चाप उसे ग़ौर से देखता रहा, ताकि मा'लूम करे कि ख़ुदावन्द ने उसका सफ़र मुबारक किया है या नहीं।
وَظَلَّ الرَّجُلُ يَتَأَمَّلُهَا صَامِتاً لِيَعْلَمَ إِنْ كَانَ الرَّبُّ قَدْ وَفَّقَ مَسْعَاهُ أَمْ لا.٢١
22 और जब ऊँट पी चुके तो उस शख़्स ने आधे मिस्काल सोने की एक नथ, और दस मिस्काल सोने के दो कड़े उसके हाथों के लिए निकाले।
وَعِنْدَمَا ارْتَوَتِ الْجِمَالُ تَنَاوَلَ الرَّجُلُ خِزَامَةً ذَهَبِيَّةً وَزْنُهَا نِصْفُ شَاقِلٍ (نَحْوَ سِتَّةِ جِرَامَاتٍ) وَسُوَارَيْنِ ذَهَبِيَّيْنِ وَزْنُهُمَا عَشَرَةُ شَواقِلَ (نَحْوَ مِئَةٍ وَعِشْرِينَ جِرَاماً)،٢٢
23 और कहा कि ज़रा मुझे बता कि तू किसकी बेटी है? और क्या तेरे बाप के घर में हमारे टिकने की जगह है?
وَسَأَلَهَا: «ابْنَةُ مَنْ أَنْتِ؟ أَخْبِرِينِي: هَلْ فِي بَيْتِ أَبِيكِ مَوْضِعٌ نَبِيتُ فِيهِ؟»٢٣
24 उसने उससे कहा कि मैं बैतूएल की बेटी हूँ। वह मिल्काह का बेटा है जो नहूर से उसके हुआ।
فَأَجَابَتْهُ: «أَنَا ابْنَةُ بَتُوئِيلَ ابْنِ مِلْكَةَ الَّذِي أَنْجَبَتْهُ لِنَاحُورَ،٢٤
25 और यह भी उससे कहा कि हमारे पास भूसा और चारा बहुत है, और टिकने की जगह भी है।
عِنْدَنَا كَثِيرٌ مِنَ التِّبْنِ وَالْعَلَفِ، وَمَكَانٌ لِتَبِيتُوا فِيهِ».٢٥
26 तब उस आदमी ने झुक कर ख़ुदावन्द को सिज्दा किया,
فَأَطْرَقَ الرَّجُلُ بِرَأْسِهِ وَسَجَدَ لِلرَّبِّ مُصَلِّياً:٢٦
27 और कहा, “ख़ुदावन्द मेरे आक़ा अब्रहाम का ख़ुदा मुबारक हो, जिसने मेरे आक़ा को अपने करम और सच्चाई से महरूम नहीं रख्खा और मुझे तो ख़ुदावन्द ठीक राह पर चलाकर मेरे आक़ा के भाइयों के घर लाया।”
«تَبَارَكَ الرَّبُّ إِلَهُ سَيِّدِي إِبْرَاهِيمَ الَّذِي لَمْ يَتَخَلَّ عَنْ لُطْفِهِ وَوَفَائِهِ لِسَيِّدِي. أَمَّا أَنَا فَقَدْ هَدَانِي الرَّبُّ فِي الطَّرِيقِ إِلَى بَيْتِ إِخْوَةِ سَيِّدِي».٢٧
28 तब उस लड़की ने दौड़ कर अपनी माँ के घर में यह सब हाल कह सुनाया।
فَهُرِعَتِ الْفَتَاةُ وَأَخْبَرَتْ بَيْتَ أُمِّهَا بِهَذِهِ الأُمُورِ.٢٨
29 और रिब्क़ा का एक भाई था जिसका नाम लाबन था; वह बाहर पानी के चश्मा पर उस आदमी के पास दौड़ा गया।
وَكَانَ لِرِفْقَةَ أَخٌ يُدْعَى لابَانَ، فَأَسْرَعَ نَحْوَ الرَّجُلِ عِنْدَ بِئْرِ الْمَاءِ،٢٩
30 और ऐसा हुआ कि जब उसने वह नथ देखी, और वह कड़े भी जो उसकी बहन के हाथों में थे, और अपनी बहन रिब्क़ा का बयान भी सुन लिया कि उस शख़्स ने मुझ से ऐसी — ऐसी बातें कहीं, तो वह उस आदमी के पास आया और देखा कि वह चश्मा के नज़दीक ऊँटों के पास खड़ा है।
إِذْ كَانَ قَدْ رَأَى الْخِزَامَةَ وَالسِّوَارَيْنِ عَلَى يَدَيْ أُخْتِهِ، وَسَمِعَ حَدِيثَهَا عَنِ الرَّجُلِ؛ فَوَجَدَهُ وَاقِفاً بِالْقُرْبِ مِنَ الْجِمَالِ عِنْدَ الْمَاءِ،٣٠
31 तब उससे कहा, “ऐ, तू जो ख़ुदावन्द की तरफ़ से मुबारक है। अन्दर चल, बाहर क्यूँ खड़ा है? मैंने घर को और ऊँटों के लिए भी जगह को तैयार कर लिया है।”
فَقَالَ: «ادْخُلْ أَيُّهَا الْمُبَارَكُ مِنَ الرَّبِّ، لِمَاذَا تَقِفُ خَارِجاً؟ لَقَدْ أَعْدَدْتُ الْبَيْتَ وَكَذَلِكَ مَكَاناً لِلْجِمَالِ».٣١
32 तब वह आदमी घर में आया, और उसने उसके ऊँटों को खोला और ऊँटों के लिए भूसा और चारा, और उसके और उसके साथ के आदमियों के पॉव धोने को पानी दिया।
فَدَخَلَ الرَّجُلُ إِلَى الْمَنْزِلِ، وَحَلَّ عَنِ الْجِمَالِ، وَقَدَّمَ لَهَا تِبْناً وَعَلَفاً، وَأَتَى لابَانُ بِمَاءٍ لِغَسْلِ رِجْلَيْهِ وَأَرْجُلِ مُرَافِقِيهِ.٣٢
33 और खाना उसके आगे रख्खा गया, लेकिन उसने कहा कि मैं जब तक अपना मतलब बयान न कर लूँ नहीं खाऊँगा। उसने कहा, अच्छा, कह।
ثُمَّ وَضَعَ الطَّعَامَ بَيْنَ يَدَيْهِ لِيَأْكُلَ. لَكِنَّهُ قَالَ: «لَنْ آكُلَ حَتَّى أُخْبِرَكُمْ بِمَا يَجِبُ أَنْ أَقُولَهُ». فَقَالَ لَهُ: «تَكَلَّمْ».٣٣
34 तब उसने कहा कि मैं अब्रहाम का नौकर हूँ।
فَقَالَ: «أَنَا عَبْدُ إِبْرَاهِيمَ،٣٤
35 और ख़ुदावन्द ने मेरे आक़ा को बड़ी बरकत दी है, और वह बहुत बड़ा आदमी हो गया है; और उसने उसे भेड़ — बकरियाँ, और गाय बैल और सोना चाँदी और लौंडिया और ग़ुलाम और ऊँट और गधे बख़्शे हैं।
وَقَدْ أَغْدَقَ الرَّبُّ عَلَى مَوْلايَ بَرَكَاتٍ جَمَّةً فَصَارَ عَظِيماً، إِذْ أَنْعَمَ عَلَيْهِ بِغَنَمٍ وَبَقَرٍ وَفِضَّةٍ وَذَهَبٍ وَعَبِيدٍ وَإِمَاءٍ وَجِمَالٍ وَحَمِيرٍ.٣٥
36 और मेरे आक़ा की बीवी सारा के जब वह बुढ़िया हो गई, उससे एक बेटा हुआ। उसी को उसने अपना सब कुछ दे दिया है।
وَأَنْجَبَتْ سَارَةُ امْرَأَةُ سَيِّدِي بَعْدَ أَنْ شَاخَتِ ابْناً لِسَيِّدِي أَوْرَثَهُ كُلَّ مَالَهُ٣٦
37 और मेरे आक़ा ने मुझे क़सम दे कर कहा है, कि तू कना'नियों की बेटियों में से, जिनके मुल्क में मैं रहता हूँ किसी को मेरे बेटे से न ब्याहना।
وَقَدِ اسْتَحْلَفَنِي سَيِّدِي أَلّا آخُذَ زَوْجَةً لابْنِهِ مِنْ بَنَاتِ الْكَنْعَانِيِّينَ الَّذِينَ يَسْكُنُ أَرْضَهُمْ،٣٧
38 बल्कि तू मेरे बाप के घर और मेरे रिश्तेदारों में जाना और मेरे बेटे के लिए बीवी लाना।
بَلْ أَذْهَبُ إِلَى بَيْتِ أَبِيهِ وَعَشِيرَتِهِ وَآخُذُ لابْنِهِ مِنْهُمْ زَوْجَةً.٣٨
39 तब मैंने अपने आक़ा से कहा, 'शायद वह 'औरत मेरे साथ आना न चाहे।
فَقُلْتُ لِسَيِّدِي: قَدْ تَأْبَى الْفَتَاةُ أَنْ تَتْبَعَنِي إِلَى هَذِهِ الأَرْضِ.٣٩
40 तब उसने मुझ से कहा, 'ख़ुदावन्द, जिसके सामने मैं चलता रहा हूँ, अपना फ़रिश्ता तेरे साथ भेजेगा और तेरा सफ़र मुबारक करेगा; तू मेरे रिश्तेदारों और मेरे बाप के ख़ान्दान में से मेरे बेटे के लिए बीवी लाना।
فَأَجَابَنِي: إِنَّ الرَّبَّ الَّذِي سَلَكْتُ أَمَامَهُ، هُوَ يُرْسِلُ مَلاكَهُ مَعَكَ وَيُوَفِّقُ مَسْعَاكَ فَتَأْخُذُ لابْنِي زَوْجَةً مِنْ عَشِيرَتِي وَمِنْ بَيْتِ أَبِي.٤٠
41 और जब तू मेरे ख़ान्दान में जा पहुँचेगा, तब मेरी क़सम से छूटेगा; और अगर वह कोई लड़की न दें, तो भी तू मेरी क़सम से छूटा।
وَإذَا قَدِمْتَ عَلَى قَوْمِي وَرَفَضُوا أَنْ يُعْطُوكَ إِيَّاهَا تَكُونُ آنَئِذٍ فِي حِلٍّ مِنْ حَلْفِي.٤١
42 इसलिए मैं आज पानी के उस चश्मा पर आकर कहने लगा, 'ऐ ख़ुदावन्द, मेरे आक़ा अब्रहाम के ख़ुदा, अगर तू मेरे सफ़र को जो मैं कर रहा हूँ मुबारक करता है।
فَأَقْبَلْتُ الْيَوْمَ عَلَى الْعَيْنِ وَقُلْتُ: أَيُّهَا الرَّبُّ، إِلَهَ سَيِّدِي إِبْرَاهِيمَ. أَرْجُوكَ أَنْ تُوَفِّقَ مَسْعَايَ الَّذِي مِنْ أَجْلِهِ قُمْتُ بِهَذِهِ الرِّحْلَةِ.٤٢
43 तो देख, मैं पानी के चश्मा के पास खड़ा होता हूँ, और ऐसा हो कि जो लड़की पानी भरने निकले और मैं उससे कहूँ, 'ज़रा अपने घड़े से थोड़ा पानी मुझे पिला दे,
هَا أَنَا وَاقِفٌ عِنْدَ بِئْرِ الْمَاءِ، فَلْيَكُنْ أَنَّ الْفَتَاةَ الَّتِي تَأْتِي لِتَسْتَقِيَ، وَالَّتِي أَطْلُبُ مِنْهَا أَنْ تَسْقِيَنِي بَعْضَ الْمَاءِ،٤٣
44 और वह मुझे कहे कि तू भी पी और मैं तेरे ऊँटों के लिए भी भर दूँगी, तो वो वही 'औरत हो जिसे ख़ुदावन्द ने मेरे आक़ा के बेटे के लिए ठहराया है।
فَتَقُولُ لِي: اشْرَبْ أَنْتَ، وَأَنَا أَسْتَقِي لِجِمَالِكَ أَيْضاً، تَكُونُ هِيَ الْفَتَاةَ الَّتِي عَيَّنَهَا الرَّبُّ لابْنِ سَيِّدِي.٤٤
45 मैं दिल में यह कह ही रहा था कि रिब्क़ा अपना घड़ा कन्धे पर लिए हुए बाहर निकली, और नीचे चश्मा के पास गई, और पानी भरा। तब मैंने उससे कहा, 'ज़रा मुझे पानी पिला दे।
وَبَيْنَمَا كُنْتُ أُنَاجِي نَفْسِي بِهَذَا الْكَلامِ، إِذَا رِفْقَةُ قَادِمَةٌ، حَامِلَةً جَرَّةً عَلَى كَتِفِهَا، فَنَزَلَتْ إِلَى الْعَيْنِ وَاسْتَقَتْ، فَقُلْتُ لَهَا: أَرْجُوكِ أَنْ تَسْقِينِي٤٥
46 उसने फ़ौरन अपना घड़ा कन्धे पर से उतारा और कहा, 'ले पी और मैं तेरे ऊँटों को भी पिला दूँगी। तब मैंने पिया और उसने मेरे ऊँटों को भी पिलाया।
فَأَسْرَعَتْ وَوَضَعَتْ جَرَّتَهَا عَنْهَا قَائِلَةً: اشْرَبْ وَأَنَا أَسْقِي جِمَالَكَ أَيْضاً.٤٦
47 फिर मैंने उससे पूछा, 'तू किसकी बेटी है?' उसने कहा, 'मैं बैतूएल की बेटी हूँ, वह नहूर का बेटा है जो मिल्काह से पैदा हुआ; फिर मैंने उसकी नाक में नथ और उसके हाथों में कड़े पहना दिए।
ثُمَّ سَأَلْتُهَا: ابْنَةُ مَنْ أَنْتِ؟ فَأَجَابَتْ: ابْنَةُ بَتُوئِيلَ بْنِ نَاحُورَ الَّذِي أَنْجَبَتْهُ مِلْكَةُ لَهُ. فَوَضَعْتُ الْخِزَامَةَ فِي أَنْفِهَا وَالسِّوَارَيْنِ عَلَى يَدَيْهَا.٤٧
48 और मैंने झुक कर ख़ुदावन्द को सिज्दा किया और ख़ुदावन्द, अपने आक़ा अब्रहाम के ख़ुदा को मुबारक कहा, जिसने मुझे ठीक राह पर चलाया कि अपने आक़ा के भाई की बेटी उसके बेटे के लिए ले जाऊँ।
ثُمَّ خَرَرْتُ وَسَجَدْتُ وَبَارَكْتُ الرَّبَّ إِلَهَ مَوْلايَ إِبْرَاهِيمَ الَّذِي هَدَانِي فِي الطَّرِيقِ الْقَوِيمِ لِآخُذَ ابْنَةَ أَخِي سَيِّدِي لابْنِهِ.٤٨
49 इसलिए अब अगर तुम करम और सच्चाई से मेरे आक़ा के साथ पेश आना चाहते हो तो मुझे बताओ, और अगर नहीं तो कह दो, ताकि मैं दहनी या बाएँ तरफ़ फिर जाऊँ।
وَالآنَ إِنْ كُنْتُمْ تُبْدُونَ لُطْفاً وَأَمَانَةً لِسَيِّدِي فَأَجِيبُوا طَلَبِي، وَإلَّا فَأَخْبِرُونِي لأَتَّجِهَ يَمِيناً أَوْ شِمَالاً».٤٩
50 तब लाबन और बैतूएल ने जवाब दिया, कि यह बात ख़ुदावन्द की तरफ़ से हुई है, हम तुझे कुछ बुरा या भला नहीं कह सकते।
فَأَجَابَ لابَانُ وَبَتُوئِيلُ: «قَدْ صَدَرَ هَذَا الأَمْرُ مِنَ الرَّبِّ، وَلا نَقْدِرُ أَنْ نَقُولَ لَكَ خَيْراً أَوْ شَرّاً.٥٠
51 देख, रिब्क़ा तेरे सामने मौजूद है, उसे ले और जा, और ख़ुदावन्द के क़ौल के मुताबिक़ अपने आक़ा के बेटे से उसे ब्याह दे।
هَا هِيَ رِفْقَةُ أَمَامَكَ، خُذْهَا وَامْضِ. لِتَكُنْ لابْنِ سَيِّدِكَ كَمَا قَالَ الرَّبُّ».٥١
52 जब अब्रहाम के नौकर ने उनकी बातें सुनीं, तो ज़मीन तक झुक कर ख़ुदावन्द को सिज्दा किया।
فَمَا إِنْ سَمِعَ عَبْدُ إِبْرَاهِيمَ كَلامَهُمْ حَتَّى خَرَّ عَلَى الأَرْضِ سَاجِداً لِلرَّبِّ،٥٢
53 और नौकर ने चाँदी और सोने के ज़ेवर, और लिबास निकाल कर रिब्क़ा को दिए, और उसके भाई और उसकी माँ को भी क़ीमती चीजें दीं।
ثُمَّ أَخْرَجَ جَوَاهِرَ مِنْ فِضَّةٍ وَمِنْ ذَهَبٍ وَثِيَاباً وَأَعْطَاهَا لِرِفْقَةَ، وَأَهْدَى أَيْضاً أَخَاهَا وَأُمَّهَا تُحَفاً٥٣
54 और उसने और उसके साथ के आदमियों ने खाया पिया और रात भर वहीं रहे; सुबह को वह उठे और उसने कहा, कि मुझे मेरे आक़ा के पास रवाना कर दो।
وَأَكَلَ وَشَرِبَ هُوَ وَرِجَالُهُ، وَقَضَوْا لَيْلَتَهُمْ هُنَاكَ. وَعِنْدَمَا اسْتَيْقَظُوا فِي الصَّبَاحِ قَالَ: «أَطْلِقُونِي لأَعُودَ إِلَى سَيِّدِي».٥٤
55 रिब्क़ा के भाई और माँ ने कहा, कि लड़की को कुछ दिन, कम से कम दस दिन, हमारे पास रहने दे; इसके बाद वह चली जाएगी।
فَأَجَابَ أَخُوهَا وَأُمُّهَا: «دَعِ الْفَتَاةَ تَمْكُثُ مَعْنَا عَشَرَةَ أَيَّامٍ أَوْ نَحْوَهَا، ثُمَّ بَعْدَ ذَلِكَ تَنْطَلِقُ».٥٥
56 उसने उनसे कहा, कि मुझे न रोको क्यूँकि ख़ुदावन्द ने मेरा सफ़र मुबारक किया है, मुझे रुख़्सत कर दो ताकि मैं अपने आक़ा के पास जाऊँ।
فَقَالَ لَهُمْ: «لا تُعِيقُونِي فَالرَّبُّ وَفَّقَ مَسْعَايَ، أَطْلِقُونِي لأَمْضِيَ إِلَى سَيِّدِي».٥٦
57 उन्होंने कहा, “हम लड़की को बुलाकर पूछते हैं कि वह क्या कहती है।”
فَقَالا: «نَدْعُو الْفَتَاةَ وَنَسْأَلُهَا رَأْيَهَا».٥٧
58 तब उन्होंने रिब्क़ा को बुला कर उससे पूछा, “क्या तू इस आदमी के साथ जाएगी?” उसने कहा, “जाऊँगी।”
فَدَعَيَا رِفْقَةَ وَسَأَلاهَا: «أَتَذْهَبِينَ مَعَ هَذَا الرَّجُلِ؟» فَأَجَابَتْ: «أَذْهَبُ».٥٨
59 तब उन्होंने अपनी बहन रिब्क़ा और उसकी दाया और अब्रहाम के नौकर और उसके आदमियों को रुख़सत किया।
فَصَرَفُوا رِفْقَةَ أُخْتَهُمْ وَمَعَهَا مُرَبِّيَتَهَا وَعَبْدَ إِبْرَاهِيمَ وَرِجَالَهُ،٥٩
60 और उन्होंने रिब्क़ा को दुआ दी और उससे कहा, “ऐ हमारी बहन, तू लाखों की माँ हो और तेरी नसल अपने कीना रखने वालों के फाटक की मालिक हो।”
وَبَارَكُوا رِفْقَةَ قَائِلِينَ لَهَا: «أَنْتِ أُخْتُنَا، فَلْتَتَكَاثَرِي لِتَصِيرِي أُلُوفَ أُلُوفٍ وَلْتَرِثْ ذُرِّيَّتُكِ مُدُنَ مُبْغِضِيهَا».٦٠
61 और रिब्क़ा और उसकी सहेलियाँ उठकर ऊँटों पर सवार हुई, और उस आदमी के पीछे हो लीं। तब वह आदमी रिब्क़ा को साथ लेकर रवाना हुआ।
فَنَهَضَتْ رِفْقَةُ وَفَتَيَاتُهَا وَرَكِبْنَ الْجِمَالَ وَتَبِعْنَ الرَّجُلَ. فَانْطَلَقَ الْعَبْدُ بِرِفْقَةَ وَمَضَى فِي طَرِيقِهِ.٦١
62 और इस्हाक़ बेरलही — रोई से होकर चला आ रहा था, क्यूँकि वह दख्खिन के मुल्क में रहता था।
وَكَانَ إِسْحاقُ الْمُقِيمُ آنَئِذٍ فِي النَّقَبِ قَدْ عَادَ مِنْ طَرِيقِ بِئْرِ «لَحَيْ رُئِي».٦٢
63 और शाम के वक़्त इस्हाक़ बैतुलख़ला को मैदान में गया, और उसने जो अपनी आँखें उठाई और नज़र की तो क्या देखता है कि ऊँट चले आ रहे हैं।
فَخَرَجَ عِنْدَ الْمَسَاءِ إِلَى الْحَقْلِ مُتَأَمِّلًا، وَإِذْ تَطَلَّعَ حَوْلَهُ شَاهَدَ جِمَالاً مُقْبِلَةً،٦٣
64 और रिब्क़ा ने निगाह की और इस्हाक़ को देख कर ऊँट पर से उतर पड़ी।
وَرَفَعَتْ رِفْقَةُ كَذَلِكَ عَيْنَيْهَا وَرَأَتْ إِسْحاقَ فَتَرَجَّلَتْ عَنِ الْجَمَلِ،٦٤
65 और उसने नौकर से पूछा, “यह शख़्स कौन है जो हम से मिलने की मैदान में चला आ रहा है?” उस नौकर ने कहा, “यह मेरा आक़ा है।” तब उसने बुरक़ा लेकर अपने ऊपर डाल लिया।
وَسَأَلَتِ الْعَبْدَ: «مَنْ هَذَا الرَّجُلُ الْمَاشِي فِي الْحَقْلِ لِلِقَائِنَا؟» فَقَالَ الْعَبْدُ: «هُوَ سَيِّدِي». فَتَنَاوَلَتِ الْحِجَابَ وَتَغَطَّتْ.٦٥
66 नौकर ने जो — जो किया था सब इस्हाक़ को बताया।
ثُمَّ حَدَّثَ الْعَبْدُ إِسْحاقَ بِكُلِّ الأُمُورِ الَّتِي قَامَ بِها.٦٦
67 और इस्हाक़ रिब्क़ा को अपनी माँ सारा के डेरे में ले गया। तब उसने रिब्क़ा से ब्याह कर लिया और उससे मुहब्बत की, और इस्हाक़ ने अपनी माँ के मरने के बाद तसल्ली पाई।
فَأَدْخَلَ إِسْحاقُ رِفْقَةَ إِلَى خَيْمَةِ أُمِّهِ سَارَةَ، وَتَزَوَّجَهَا وَأَحَبَّهَا وَتَعَزَّى بِها بَعْدَ مَوْتِ أُمِّهِ.٦٧

< पैदाइश 24 >