< पैदाइश 13 >

1 और इब्रहाम मिस्र से अपनी बीवी और अपने सब माल और लूत को साथ ले कर कनान के दख्खिन की तरफ़ चला।
وَغَادَرَ أَبْرَامُ مِصْرَ وَتَوَجَّهَ هُوَ وَزَوْجَتُهُ وَلُوطٌ وَكُلُّ مَا كَانَ لَهُ، نَحْوَ مِنْطَقَةِ النَّقَبِ١
2 और इब्रहाम के पास चौपाए और सोना चाँदी बकसरत था।
وَكَانَ أَبْرَامُ يَمْلِكُ ثَرْوَةً طَائِلَةً مِنَ الْمَوَاشِي وَالْفِضَّةِ وَالذَّهَبِ.٢
3 और वह कनान के दख्खिन से सफ़र करता हुआ बैत — एल में उस जगह पहुँचा जहाँ पहले बैत — एल और एे के बीच उसका डेरा था।
وَظَلَّ يَتنَقَّلُ فِي مِنْطَقَةِ النَّقَبِ مُتَّجِهاً إِلَى بَيْتِ إِيلٍ، إِلَى الْمَكَانِ الَّذِي كَانَ قَدْ نَصَبَ فِيهِ خِيَامَهُ أَوَّلاً بَيْنَ بَيْتِ إِيلٍ وَعَايَ.٣
4 या'नी वह मक़ाम जहाँ उसने शुरु' में क़ुर्बानगाह बनाई थी, और वहाँ इब्रहाम ने ख़ुदावन्द से दुआ की।
حَيْثُ كَانَ قَدْ شَيَّدَ الْمَذْبَحَ أَوَّلاً، وَدَعَا هُنَاكَ أَبْرَامُ بِاسْمِ الرَّبِّ.٤
5 और लूत के पास भी जो इब्रहाम का हमसफ़र था भेड़ — बकरियाँ, गाय — बैल और डेरे थे।
وَكَانَ لِلُوطٍ الْمُرَافِقِ لأَبْرَامَ غَنَمٌ وَبَقَرٌ وَخِيَامٌ أَيْضاً.٥
6 और उस मुल्क में इतनी गुन्जाइश न थी कि वह इकट्ठे रहें, क्यूँकि उनके पास इतना माल था कि वह इकट्ठे नहीं रह सकते थे।
فَضَاقَتْ بِهِمَا الأَرْضُ لِكَثْرَةِ أَمْلاكِهِمَا فَلَمْ يَقْدِرَا أَنْ يَسْكُنَا مَعاً.٦
7 और इब्रहाम के चरवाहों और लूत के चरवाहों में झगड़ा हुआ; और कना'नी और फ़रिज़्ज़ी उस वक़्त मुल्क में रहते थे।
وَنَشَبَ نِزَاعٌ بَيْنَ رُعَاةِ مَوَاشِي أَبْرَامَ وَرُعَاةِ مَوَاشِي لُوطٍ، فِي الْوَقْتِ الَّذِي كَانَ فِيهِ الْكَنْعَانِيُّونَ وَالْفِرِزِّيُّونَ يُقِيمُونَ فِي الأَرْضِ.٧
8 तब इब्रहाम ने लूत से कहा कि मेरे और तेरे बीच और मेरे चरवाहों और तेरे चरवाहों के बीच झगड़ा न हुआ करे, क्यूँकि हम भाई हैं।
فَقَالَ أَبْرَامُ لِلُوطٍ: «لا يَكُنْ نِزَاعٌ بَيْنِي وَبَيْنَكَ، وَلا بَيْنَ رُعَاتِي وَرُعَاتِكَ لأَنَّنَا نَحْنُ أَخَوَانِ.٨
9 क्या यह सारा मुल्क तेरे सामने नहीं? इसलिए तू मुझ से अलग हो जा: अगर तू बाएँ जाए तो मैं दहने जाऊँगा, और अगर तू दहने जाए तो मैं बाएँ जाऊँगा।
أَلَيْسَتِ الأَرْضُ كُلُّهَا أَمَامَكَ؟ فَاعْتَزِلْ عَنِّي. إِنِ اتَّجَهْتَ شِمَالاً، أَتَّجِهْ أَنَا يَمِيناً، وَإِنْ تَحَوَّلْتَ يَمِيناً، أَتَحَوَّلْ أَنَا شِمَالاً».٩
10 तब लूत ने आँख उठाकर यरदन की सारी तराई पर जो ज़ुग़र की तरफ़ है नज़र दौड़ाई। क्यूँकि वह इससे पहले कि ख़ुदावन्द ने सदूम और 'अमूरा को तबाह किया, ख़ुदावन्द के बाग़ और मिस्र के मुल्क की तरह खू़ब सेराब थी।
وَتَلَفَّتَ لُوطٌ حَوْلَهُ فَشَاهَدَ السُّهُولَ الْمُحِيطَةَ بِنَهْرِ الأُرْدُنِّ وَإذَا بِها رَيَّانَةٌ كُلُّهَا، قَبْلَمَا دَمَّرَ الرَّبُّ سَدُومَ وَعَمُورَةَ، وَكَأَنَّهَا جَنَّةُ الرَّبِّ كَأَرْضِ مِصْرَ الْمُمْتَدَّةِ إِلَى صُوغَرَ.١٠
11 तब लूत ने यरदन की सारी तराई को अपने लिए चुन लिया, और वह मशरिक़ की तरफ़ चला; और वह एक दूसरे से जुदा हो गए।
فَاخْتَارَ لُوطٌ لِنَفْسِهِ حَوْضَ الأُرْدُنِّ كُلَّهُ وَارْتَحَلَ شَرْقاً. وَهَكَذَا اعْتَزَلَ أَحَدُهُمَا عَنِ الآخَرِ.١١
12 इब्रहाम तो मुल्क — ए — कना'न में रहा, और लूत ने तराई के शहरों में सुकूनत इख़्तियार की और सदूम की तरफ़ अपना डेरा लगाया।
وَسَكَنَ أَبْرَامُ فِي أَرْضِ كَنْعَانَ، وَأَقَامَ لُوطٌ فِي مُدُنِ السَّهْلِ حَيْثُ نَصَبَ خِيَامَهُ بِجُوَارِ سَدُومَ.١٢
13 और सदूम के लोग ख़ुदावन्द की नज़र में निहायत बदकार और गुनहगार थे।
وَكَانَ أَهْلُ سَدُومَ مُتَوَرِّطِينَ فِي الشَّرِّ وَخَاطِئِينَ جِدّاً أَمَامَ الرَّبِّ.١٣
14 और लूत के जुदा हो जाने के बाद ख़ुदावन्द ने इब्रहाम से कह कि अपनी आँख उठा और जिस जगह तू है वहाँ से शिमाल दख्खिन और मशरिक़ और मग़रिब की तरफ़ नज़र दौड़ा।
وَقَالَ الرَّبُّ لأَبْرَامَ بَعْدَ أَنِ اعْتَزَلَ عَنْهُ لُوطٌ: «ارْفَعْ عَيْنَيْكَ وَتَلَفَّتْ حَوْلَكَ مِنَ الْمَوْضِعِ الَّذِي أَنْتَ فِيهِ، شِمَالاً وَجَنُوباً، شَرْقاً وَغَرْباً،١٤
15 क्यूँकि यह तमाम मुल्क जो तू देख रहा है, मैं तुझ को और तेरी नसल को हमेशा के लिए दूँगा।
فَإِنَّ هَذِهِ الأَرْضَ الَّتِي تَرَاهَا، سَأُعْطِيهَا لَكَ وَلِذُرِّيَّتِكَ إِلَى الأَبَدِ.١٥
16 और मैं तेरी नसल को ख़ाक के ज़र्रों की तरह बनाऊँगा, ऐसा कि अगर कोई शख़्स ख़ाक के ज़र्रों को गिन सके तो तेरी नसल भी गिन ली जाएगी।
وَسَأَجْعَلُ نَسْلَكَ كَتُرَابِ الأَرْضِ، فَإِنِ اسْتَطَاعَ أَحَدٌ أَنْ يُحْصِيَ تُرَابَ الأَرْضِ يَقْدِرُ آنَئِذٍ أَنْ يُحْصِيَ نَسْلَكَ١٦
17 उठ, और इस मुल्क की लम्बाई और चौड़ाई में घूम, क्यूँकि मैं इसे तुझ को दूँगा।
قُمْ وَامْشِ فِي طُولِ الأَرْضِ وَعَرْضِهَا لأَنِّي لَكَ أُعْطِيهَا».١٧
18 और इब्रहाम ने अपना डेरा उठाया, और ममरे के बलूतों में जो हबरून में हैं जा कर रहने लगा; और वहाँ ख़ुदावन्द के लिए एक क़ुर्बानगाह बनाई।
فَنَقَلَ أَبْرَامُ خِيَامَهُ ونَصَبَهَا فِي سَهْلِ مَمْرَا فِي حَبْرُونَ. وَهُنَاكَ بَنَى لِلرَّبِّ مَذْبَحاً.١٨

< पैदाइश 13 >