< पैदाइश 12 >

1 ख़ुदावन्द ने इब्रहाम से कहा, कि तू अपने वतन और अपने नातेदारों के बीच से और अपने बाप के घर से निकल कर उस मुल्क में जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा।
وَقَالَ ٱلرَّبُّ لِأَبْرَامَ: «ٱذْهَبْ مِنْ أَرْضِكَ وَمِنْ عَشِيرَتِكَ وَمِنْ بَيْتِ أَبِيكَ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أُرِيكَ.١
2 और मैं तुझे एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा और बरकत दूँगा और तेरा नाम सरफ़राज़ करूँगा; इसलिए तू बरकत का ज़रिया' हो।
فَأَجْعَلَكَ أُمَّةً عَظِيمَةً وَأُبَارِكَكَ وَأُعَظِّمَ ٱسْمَكَ، وَتَكُونَ بَرَكَةً.٢
3 जो तुझे मुबारक कहें उनको मैं बरकत दूँगा, और जो तुझ पर ला'नत करे उस पर मैं ला'नत करूँगा, और ज़मीन के सब क़बीले तेरे वसीले से बरकत पाएँगे।
وَأُبَارِكُ مُبَارِكِيكَ، وَلَاعِنَكَ أَلْعَنُهُ. وَتَتَبَارَكُ فِيكَ جَمِيعُ قَبَائِلِ ٱلْأَرْضِ».٣
4 तब इब्रहाम ख़ुदावन्द के कहने के मुताबिक़ चल पड़ा और लूत उसके साथ गया, और अब्राम पच्छत्तर साल का था जब वह हारान से रवाना हुआ।
فَذَهَبَ أَبْرَامُ كَمَا قَالَ لَهُ ٱلرَّبُّ وَذَهَبَ مَعَهُ لُوطٌ. وَكَانَ أَبْرَامُ ٱبْنَ خَمْسٍ وَسَبْعِينَ سَنَةً لَمَّا خَرَجَ مِنْ حَارَانَ.٤
5 और इब्रहाम ने अपनी बीवी सारय, और अपने भतीजे लूत को, और सब माल को जो उन्होंने जमा किया था, और उन आदमियों को जो उनको हारान में मिल गए थे साथ लिया, और वह मुल्क — ए — कनान को रवाना हुए और मुल्क — ए — कनान में आए।
فَأَخَذَ أَبْرَامُ سَارَايَ ٱمْرَأَتَهُ، وَلُوطًا ٱبْنَ أَخِيهِ، وَكُلَّ مُقْتَنَيَاتِهِمَا ٱلَّتِي ٱقْتَنَيَا وَٱلنُّفُوسَ ٱلَّتِي ٱمْتَلَكَا فِي حَارَانَ. وَخَرَجُوا لِيَذْهَبُوا إِلَى أَرْضِ كَنْعَانَ. فَأَتَوْا إِلَى أَرْضِ كَنْعَانَ.٥
6 और इब्रहाम उस मुल्क में से गुज़रता हुआ मक़ाम — ए — सिकम में मोरा के बलूत तक पहुँचा। उस वक़्त मुल्क में कनानी रहते थे।
وَٱجْتَازَ أَبْرَامُ فِي ٱلْأَرْضِ إِلَى مَكَانِ شَكِيمَ إِلَى بَلُّوطَةِ مُورَةَ. وَكَانَ ٱلْكَنْعَانِيُّونَ حِينَئِذٍ فِي ٱلْأَرْضِ.٦
7 तब ख़ुदावन्द ने इब्रहाम को दिखाई देकर कहा कि यही मुल्क मैं तेरी नसल को दूँगा। और उसने वहाँ ख़ुदावन्द के लिए जो उसे दिखाई दिया था, एक क़ुर्बानगाह बनाई।
وَظَهَرَ ٱلرَّبُّ لِأَبْرَامَ وَقَالَ: «لِنَسْلِكَ أُعْطِي هَذِهِ ٱلْأَرْضَ». فَبَنَى هُنَاكَ مَذْبَحًا لِلرَّبِّ ٱلَّذِي ظَهَرَ لَهُ.٧
8 और वहाँ से कूच करके उस पहाड़ की तरफ़ गया जो बैत — एल के मशरिक़ में है, और अपना डेरा ऐसे लगाया कि बैत — एल मग़रिब में और 'एे मशरिक़ में पड़ा; और वहाँ उसने ख़ुदावन्द के लिए एक क़ुर्बानगाह बनाई और ख़ुदावन्द से दुआ की।
ثُمَّ نَقَلَ مِنْ هُنَاكَ إِلَى ٱلْجَبَلِ شَرْقِيَّ بَيْتِ إِيلٍ وَنَصَبَ خَيْمَتَهُ. وَلَهُ بَيْتُ إِيلَ مِنَ ٱلْمَغْرِبِ وَعَايُ مِنَ ٱلْمَشْرِقِ. فَبَنَى هُنَاكَ مَذْبَحًا لِلرَّبِّ وَدَعَا بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ.٨
9 और इब्रहाम सफ़र करता करता दख्खिन की तरफ़ बढ़ गया।
ثُمَّ ٱرْتَحَلَ أَبْرَامُ ٱرْتِحَالًا مُتَوَالِيًا نَحْوَ ٱلْجَنُوبِ.٩
10 और उस मुल्क में काल पड़ा: और इब्रहाम मिस्र को गया कि वहाँ टिका रहे; क्यूँकि मुल्क में सख़्त काल था।
وَحَدَثَ جُوعٌ فِي ٱلْأَرْضِ، فَٱنْحَدَرَ أَبْرَامُ إِلَى مِصْرَ لِيَتَغَرَّبَ هُنَاكَ، لِأَنَّ ٱلْجُوعَ فِي ٱلْأَرْضِ كَانَ شَدِيدًا.١٠
11 और ऐसा हुआ कि जब वह मिस्र में दाख़िल होने को था तो उसने अपनी बीवी सारय से कहा कि देख, मैं जानता हूँ कि तू देखने में ख़ूबसूरत औरत है।
وَحَدَثَ لَمَّا قَرُبَ أَنْ يَدْخُلَ مِصْرَ أَنَّهُ قَالَ لِسَارَايَ ٱمْرَأَتِهِ: «إِنِّي قَدْ عَلِمْتُ أَنَّكِ ٱمْرَأَةٌ حَسَنَةُ ٱلْمَنْظَرِ.١١
12 और यूँ होगा कि मिस्री तुझे देख कर कहेंगे कि यह उसकी बीवी है, इसलिए वह मुझे तो मार डालेंगे मगर तुझे ज़िन्दा रख लेंगे।
فَيَكُونُ إِذَا رَآكِ ٱلْمِصْرِيُّونَ أَنَّهُمْ يَقُولُونَ: هَذِهِ ٱمْرَأَتُهُ. فَيَقْتُلُونَنِي وَيَسْتَبْقُونَكِ.١٢
13 इसलिए तू यह कह देना, कि मैं इसकी बहन हूँ, ताकि तेरी वजह से मेरा भला हो और मेरी जान तेरी बदौलत बची रहे।
قُولِي إِنَّكِ أُخْتِي، لِيَكُونَ لِي خَيْرٌ بِسَبَبِكِ وَتَحْيَا نَفْسِي مِنْ أَجْلِكِ».١٣
14 और यूँ हुआ कि जब इब्रहाम मिस्र में आया तो मिस्रियों ने उस 'औरत को देखा कि वह निहायत ख़ूबसूरत है।
فَحَدَثَ لَمَّا دَخَلَ أَبْرَامُ إِلَى مِصْرَ أَنَّ ٱلْمِصْرِيِّينَ رَأَوْا ٱلْمَرْأَةَ أَنَّهَا حَسَنَةٌ جِدًّا.١٤
15 और फ़िर'औन के हाकिमों ने उसे देख कर फ़िर'औन के सामने में उसकी ता'रीफ़ की, और वह 'औरत फ़िर'औन के घर में पहुँचाई गई।
وَرَآهَا رُؤَسَاءُ فِرْعَوْنَ وَمَدَحُوهَا لَدَى فِرْعَوْنَ، فَأُخِذَتِ ٱلْمَرْأَةُ إِلَى بَيْتِ فِرْعَوْنَ،١٥
16 और उसने उसकी ख़ातिर इब्रहाम पर एहसान किया; और भेड़ बकरियाँ और गाय, बैल और गधे और ग़ुलाम और लौंडियाँ और गधियाँ और ऊँट उसके पास हो गए।
فَصَنَعَ إِلَى أَبْرَامَ خَيْرًا بِسَبَبِهَا، وَصَارَ لَهُ غَنَمٌ وَبَقَرٌ وَحَمِيرٌ وَعَبِيدٌ وَإِمَاءٌ وَأُتُنٌ وَجِمَالٌ.١٦
17 लेकिन ख़ुदावन्द ने फ़िर'औन और उसके ख़ान्दान पर, इब्रहाम की बीवी सारय की वजह से बड़ी — बड़ी बलाएं नाज़िल कीं।
فَضَرَبَ ٱلرَّبُّ فِرْعَوْنَ وَبَيْتَهُ ضَرَبَاتٍ عَظِيمَةً بِسَبَبِ سَارَايَ ٱمْرَأَةِ أَبْرَامَ.١٧
18 तब फ़िर'औन ने इब्रहाम को बुला कर उससे कहा, कि तूने मुझ से यह क्या किया? तूने मुझे क्यूँ न बताया कि यह तेरी बीवी है।
فَدَعَا فِرْعَوْنُ أَبْرَامَ وَقَالَ: «مَا هَذَا ٱلَّذِي صَنَعْتَ بِي؟ لِمَاذَا لَمْ تُخْبِرْنِي أَنَّهَا ٱمْرَأَتُكَ؟١٨
19 तूने यह क्यूँ कहा कि वह मेरी बहन है? इसी लिए मैंने उसे लिया कि वह मेरी बीवी बने इसलिए देख तेरी बीवी हाज़िर है। उसको ले और चला जा।
لِمَاذَا قُلْتَ: هِيَ أُخْتِي، حَتَّى أَخَذْتُهَا لِي لِتَكُونَ زَوْجَتِي؟ وَٱلْآنَ هُوَذَا ٱمْرَأَتُكَ! خُذْهَا وَٱذْهَبْ!».١٩
20 और फ़िर'औन ने उसके हक़ में अपने आदमियों को हिदायत की, और उन्होंने उसे और उसकी बीवी को उसके सब माल के साथ रवाना कर दिया।
فَأَوْصَى عَلَيْهِ فِرْعَوْنُ رِجَالًا فَشَيَّعُوهُ وَٱمْرَأَتَهُ وَكُلَّ مَا كَانَ لَهُ.٢٠

< पैदाइश 12 >