< हिज़ि 9 >

1 फिर उसने बुलन्द आवाज़ से पुकार कर मेरे कानों में कहा कि, उनको जो शहर के मुन्तज़िम हैं मैं नज़दीक बुला हर एक शख़्स अपना मुहलिक हथियार हाथ में लिए हो।
Und er rief mit lauter Stimme vor meinen Ohren und sprach: Laßt herzukommen die Heimsuchung der Stadt, und ein jeglicher habe eine mördliche Waffe in seiner Hand.
2 और देखो छ: मर्द ऊपर के फाटक के रास्ते से जो उत्तर की तरफ़ है चले आए और हर एक मर्द के हाथ में उसका खूँरेज़ हथियार था और उनके बीच एक आदमी कतानी लिबास पहने था और उसकी कमर पर लिखने की दवात थी तब वह अन्दर गए और पीतल के मज़बह के पास खड़े हुए।
Und siehe, es kamen sechs Männer auf dem Wege vom Obertor her, das gegen Mitternacht stehet, und ein jeglicher hatte eine schädliche Waffe in seiner Hand. Aber es war einer unter ihnen, der hatte Leinwand an und ein Schreibzeug an seiner Seite. Und sie gingen hinein und traten neben den ehernen Altar.
3 और इस्राईल के ख़ुदावन्द का जलाल करूबी पर से जिस पर वह था उठ कर घर के आस्ताना पर गया और उसने उस मर्द को जो कतानी लिबास पहने था और जिसके पास लिखने की दवात थी पुकारा।
Und die HERRLIchkeit des Gottes Israels erhub sich von dem Cherub, über dem sie war, zu der Schwelle am Hause und rief dem, der die Leinwand anhatte und das Schreibzeug an seiner Seite.
4 और ख़ुदावन्द ने उसे फ़रमाया, कि “शहर के बीच से, हाँ, येरूशलेम के बीच से गुज़र और उन लोगों की पेशानी पर जो उन सब नफ़रती कामों की वजह से जो उसके बीच किए जाते हैं, आहें मारते और रोते हैं, निशान कर दे।”
Und der HERR sprach zu ihm: Gehe durch die Stadt Jerusalem und zeichne mit einem Zeichen an die Stirn die Leute, so da seufzen und jammern über alle Greuel, so drinnen geschehen.
5 और उसने मेरे सुनते हुए दूसरों से फ़रमाया, उसके पीछे पीछे शहर में से गुज़र करो और मारो। तुम्हारी आँखें रि'आयत न करें, और तुम रहम न करो।
Zu jenen aber sprach er, daß ich's hörete: Gehet diesem nach durch die Stadt und schlaget drein; eure Augen sollen nicht schonen noch übersehen.
6 तुम बूढ़ों और जवानों और लड़कियों और नन्हें बच्चों और 'औरतों को बिल्कुल मार डालो, लेकिन जिनपर निशान है उनमें से किसी के पास न जाओ; और मेरे हैकल से शुरू' करो। तब उन्होंने उन बुजुर्गों से जो हैकल के सामने थे शुरू' किया।
Erwürget beide, Alte, Jünglinge, Jungfrauen, Kinder und Weiber, alles tot; aber die das Zeichen an sich haben, derer sollt ihr keinen anrühren. Fanget aber an an meinem Heiligtum! Und sie fingen an an den alten Leuten, so vor dem Hause waren.
7 और उसने उनको फ़रमाया, हैकल को नापाक करो, और मक़्तूलों से सहनों को भर दो। चलो, बाहर निकलो। इसलिए वह निकल गए और शहर में क़त्ल करने लगे।
Und er sprach zu ihnen: Verunreiniget das Haus und machet die Vorhöfe voll toter Leichname; gehet heraus! Und sie gingen heraus und schlugen in der Stadt.
8 और जब वह उनको क़त्ल कर रहे थे और मैं बच रहा था, तो यूँ हुआ कि मैं मुँह के बल गिरा और चिल्ला कर कहा, आह! ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा, क्या तू अपना क़हर — ए — शदीद येरूशलेम पर नाज़िल कर के इस्राईल के सब बाक़ी लोगों को हलाक करेगा?
Und da sie ausgeschlagen hatten, war ich noch übrig. Und ich fiel auf mein Angesicht, schrie und sprach: Ach, HERR HERR, willst du denn alle Übrigen in Israel verderben, daß du deinen Zorn so ausschüttest über Jerusalem?
9 तब उसने मुझे फ़रमाया, कि “इस्राईल और यहूदाह के ख़ान्दान की बदकिरदारी बहुत 'अज़ीम है, मुल्क खू़ँरेज़ी से पुर है और शहर बे इन्साफ़ी से भरा है; क्यूँकि वह कहते हैं, कि 'ख़ुदावन्द ने मुल्क को छोड़ दिया है और वह नहीं देखता।
Und er sprach zu mir: Es ist die Missetat des Hauses Israel und Juda allzusehr groß; es ist eitel Gewalt im Lande und Unrecht in der Stadt. Denn sie sprechen: Der HERR hat das Land verlassen und der HERR siehet uns nicht.
10 फिर मेरी आँख रि'आयत न करेगी, और मैं हरगिज़ रहम न करूँगा; मैं उनकी चाल चलन का बदला उनके सिर पर लाऊँगा।”
Darum soll mein Auge auch nicht schonen, will auch nicht gnädig sein, sondern ich will ihr Tun auf ihren Kopf werfen.
11 और देखो, उस आदमी ने जो कतानी लिबास पहने था और जिसके पास लिखने की दवात थी, यूँ कै़फ़ियत बयान की, जैसा तूने मुझे हुक्म दिया, मैंने किया।
Und siehe, der Mann, der die Leinwand anhatte und das Schreibzeug an seiner Seite, antwortete und sprach: Ich habe getan, wie du mir geboten hast.

< हिज़ि 9 >