< हिज़ि 6 >

1 और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ।
Et la parole de l'Éternel me fut adressée en ces mots:
2 कि ऐ आदमज़ाद, इस्राईल के पहाड़ों की तरफ़ मुँह करके उनके ख़िलाफ़ नबुव्वत कर
Fils de l'homme, tourne tes regards vers les montagnes d'Israël, et prophétise contre elles
3 और यूँ कह, कि ऐ इस्राईल के पहाड़ों, खु़दावन्द खु़दा का कलाम सुनो! खु़दावन्द ख़ुदा पहाड़ों और टीलों को और नहरों और वादियों को यूँ फ़रमाता है: कि देखो, मैं, हाँ मैं ही तुम पर तलवार चलाऊँगा, और तुम्हारे ऊँचे मक़ामों को ग़ारत करूँगा।
et dis: Montagnes d'Israël, écoutez la parole du Seigneur, de l'Éternel. Ainsi parle le Seigneur, l'Éternel, aux montagnes et aux collines, aux vallées et aux vallons: Voici, je fais venir contre vous l'épée, et je détruirai vos hauts lieux,
4 और तुम्हारी कु़र्बानगाहें उजड़ जाएँगी और तुम्हारी सूरज की मूरतें तोड़ डाली जाएगी और मैं तुम्हारे मक़तूलों को तुम्हारे बुतों के आगे डाल दूँगा।
et vos autels seront dévastés, et vos statues du soleil brisées, et je ferai tomber vos hommes tués devant vos idoles,
5 और बनी — इस्राईल की लाशें उनके बुतों के आगे फेंक दूँगा, और मैं तुम्हारी हड्डियों को तुम्हारी कु़र्बानगाहों के चारों तरफ़ तितर — बितर करूँगा।
et je placerai les cadavres des enfants d'Israël devant leurs idoles, et je répandrai vos ossements autour de vos autels.
6 तुम्हारे क़याम के तमाम इलाक़ों के शहर वीरान होंगे और ऊँचे मक़ाम उजाड़े जायेंगे ताकि तुम्हारी क़ुर्बानगाहें ख़राब और वीरान हों और तुम्हारे बुत तोड़े जाएँ और बाक़ी न रहें और तुम्हारी सूरज की मूरतें काट डाली जाएँ और तुम्हारी दस्तकारियाँ हलाक हों।
Dans tous vos établissements les villes seront désolées, et les hauteurs dévastées, afin que vos autels soient désolés et dévastés, et que vos idoles soient brisées et anéanties, et que vos statues du soleil soient mutilées, et que tous vos ouvrages soient détruits.
7 और मक़्तूल तुम्हारे बीच गिरेंगे, और तुम जानोगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।
Et les hommes tués tomberont parmi vous, et vous saurez que je suis l'Éternel.
8 “लेकिन मैं एक बक़िया छोड़ दूँगा, या'नी वह चन्द लोग जो क़ौमों के बीच तलवार से बच निकलेंगे जब तुम ग़ैर मुल्कों में तितर बितर हो जाओगे।
Mais j'en laisserai un reste, puisqu'il en est d'entre vous qui échapperont à l'épée parmi les nations, quand vous serez dispersés dans leurs pays.
9 और जो तुम में से बच रहेंगे उन क़ौमों के बीच जहाँ जहाँ वह ग़ुलाम होकर जाएँगे मुझको याद करेंगे, जब मैं उनके बेवफ़ा दिलों को जो मुझ से दूर हुए और उनकी आँखों को जो बुतों की पैरवी में नाफ़रमान हुईं, शिकस्त करूँगा और वह ख़ुद अपनी तमाम बद'आमाली की वजह से जो उन्होंने अपने तमाम घिनौने कामों में की, अपनी ही नज़र में नफ़रती ठहरेंगे।
Et les vôtres qui échapperont, se souviendront de moi parmi les nations où ils seront menés captifs, quand j'aurai brisé leur cœur adultère qui s'était détaché de moi, et leurs yeux adultères qui suivaient leurs idoles, et quand ils auront eux-mêmes en dégoût les crimes qu'ils commirent par toutes leurs abominations.
10 तब वह जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ, और मैंने यूँ ही नहीं फ़रमाया था कि मैं उन पर यह बला लाऊँगा।”
Alors ils reconnaîtront que je suis l'Éternel: ce n'est pas vainement que j'ai parlé de leur faire tous ces maux.
11 ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि “हाथ पर हाथ मार और पाँव ज़मीन पर पटक कर कह, कि बनी — इस्राईल के तमाम घिनौने कामों पर अफ़सोस! क्यूँकि वह तलवार और काल और वबा से हलाक होंगे।
Ainsi parle le Seigneur, l'Éternel: Bats des mains et frappe du pied, et dis un hélas! sur toutes les méchantes abominations de la maison d'Israël, car par l'épée, la famine et la peste ils tomberont.
12 जो दूर हैं वह वबा से मरेगा और जो नज़दीक है तलवार से क़त्ल किया जाएगा, और जो बाक़ी रहे और महसूर हो वह काल से मरेगा, और मैं उन पर अपने क़हर को यूँ पूरा करूँगा।
Éloigné, par la peste on mourra; et rapproché, sous l'épée on tombera; laissé de reste et conservé, de la famine on mourra;
13 और जब उनके मक़्तूल हर ऊँचे टीले पर और पहाड़ों की सब चोटियों पर, और हर एक हरे दरख़्त और घने बलूत के नीचे, हर जगह जहाँ वह अपने सब बुतों के लिए ख़ुशबू जलाते थे; उनके बुतों के पास उनकी कु़र्बानगाहों के चारों तरफ़ पड़े हुए होंगे, तब वह पहचानेंगे कि ख़ुदावन्द मैं हूँ।
ainsi assouvirai-je ma colère sur eux. Alors vous reconnaîtrez que je suis l'Éternel, quand leurs blessés seront gisants au milieu de leurs idoles, autour de leurs autels, sur toute colline élevée, sur tous les sommets des montagnes, et sous tous les arbres verts, et sous tous les chênes touffus, lieux où ils ont offert de doux parfums à toutes leurs idoles.
14 और मैं उन पर हाथ चलाऊँगा, और वीराने से दिबला तक उनके मुल्क की सब बस्तियाँ वीरान और सुनसान करूँगा। तब वह पहचानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।”
Et j'étendrai ma main contre eux, et ferai du pays un ravage et une désolation, plus grande que le désert de Dibla, dans tous les lieux où ils habitent. Alors ils reconnaîtront que je suis l'Éternel.

< हिज़ि 6 >