< हिज़ि 47 >
1 फिर वह मुझे हैकल के दरवाज़े पर वापस लाया, और क्या देखता हूँ कि हैकल के आस्ताने के नीचे से पानी पूरब की तरफ़ निकल रहा है क्यूँकि हैकल का सामना पूरब की तरफ़ था और पानी हैकल के दाहनी तरफ़ के नीचे से मज़बह के दक्खिनी जानिब से बहता था।
Et convertit me ad portam domus, et ecce aquæ egrediebantur subter limen domus ad orientem: facies enim domus respiciebat ad orientem, aquæ autem descendebant in latus templi dextrum, ad meridiem altaris.
2 तब वह मुझे उत्तरी फाटक की राह से बाहर लाया, और मुझे उस राह से जिसका रुख़ पूरब की तरफ़ है, बैरूनी फाटक पर वापस लाया या'नी पूरब रूया फाटक पर; और क्या देखता हूँ कि दहनी तरफ़ से पानी जारी है।
Et eduxit me per viam portæ aquilonis, et convertit me ad viam foras portam exteriorem, viam quæ respiciebat ad orientem: et ecce aquæ redundantes a latere dextro.
3 और उस मर्द ने जिसके हाथ में पैमाइश की डोरी थी, पूरब की तरफ़ बढ़ कर हज़ार हाथ नापा, और मुझे पानी में से चलाया और पानी टखनों तक था।
Cum egrederetur vir ad orientem, qui habebat funiculum in manu sua, et mensus est mille cubitos, et traduxit me per aquam usque ad talos.
4 फिर उसने हज़ार हाथ और नापा और मुझे उसमें से चलाया, और पानी घुटनों तक था; फिर उसने एक हज़ार हाथ और नापा और मुझे उसमें से चलाया, और पानी कमर तक था।
Rursumque mensus est mille, et traduxit me per aquam usque ad genua.
5 फिर उसने एक हज़ार और नापा, और वह ऐसा दरिया था कि मैं उसे पार नहीं कर सकता था, क्यूँकि पानी चढ़ कर तैरने के दर्जे को पहुँच गया और ऐसा दरिया बन गया जिसको पार करना मुम्किन न था।
Et mensus est mille, et traduxit me per aquam usque ad renes. Et mensus est mille, torrentem quem non potui pertransire, quoniam intumuerant aquæ profundi torrentis, qui non potest transvadari.
6 और उसने मुझ से कहा, ऐ आदमज़ाद! क्या तूने यह देखा? तब वह मुझे लाया और दरिया के किनारे पर वापस पहुँचाया।
Et dixit ad me: Certe vidisti, fili hominis. Et eduxit me, et convertit ad ripam torrentis.
7 और जब मैं वापस आया तो क्या देखता हूँ कि दरिया के किनारे दोनों तरफ़ बहुत से दरख़्त हैं।
Cumque me convertissem, ecce in ripa torrentis ligna multa nimis ex utraque parte.
8 तब उसने मुझे फ़रमाया कि यह पानी पूरबी 'इलाक़े की तरफ़ बहता है, और मैदान में से होकर समन्दर में जा मिलता है, और समन्दर में मिलते ही उसके पानी को शीरीं कर देगा।
Et ait ad me: Aquæ istæ quæ egrediuntur ad tumulos sabuli orientalis, et descendunt ad plana deserti, intrabunt mare et exibunt: et sanabuntur aquæ.
9 और यूँ होगा कि जहाँ कहीं यह दरिया पहुँचेगा, हर एक चलने फिरने वाला जानदार ज़िन्दा रहेगा और मछलियों की बड़ी कसरत होगी क्यूँकि यह पानी वहाँ पहुँचा और वह शीरीं हो गया इसलिए जहाँ कहीं यह दरया पहुँचेगा ज़िन्दगी बख्शेगा।
Et omnis anima vivens quæ serpit quocumque venerit torrens, vivet: et erunt pisces multi satis, postquam venerint illuc aquæ istæ: et sanabuntur et vivent omnia ad quæ venerit torrens.
10 और यूँ होगा कि शिकारी उसके किनारे खड़े रहेंगे, 'ऐन जदी से ऐन 'अजलईम तक जाल बिछाने की जगह होगी, उसकी मछलियाँ अपनी अपनी जिन्स के मुताबिक़ बड़े समन्दर की मछलियों की तरह कसरत से होंगी।
Et stabunt super illas piscatores: ab Engaddi usque ad Engallim siccatio sagenarum erit: plurimæ species erunt piscium ejus, sicut pisces maris magni, multitudinis nimiæ.
11 लेकिन उसकी कीच की जगहें और दलदले शीरीं न की जायेंगी वह नमक ज़ार ही रहेंगी।
In littoribus autem ejus et in palustribus, non sanabuntur, quia in salinas dabuntur.
12 और दरया के क़रीब उसके दोनों किनारों पर हर क़िस्म के मेवादार दरख़्त उगेंगे जिनके पत्ते कभी न मुरझायेंगे और जिनके मेवे कभी ख़त्म न होंगे वह हर महीने नए मेवे लायेंगे क्यूँकि उनका पानी हैकल में से जारी है और उनके मेवे खाने के लिए और उनके पत्ते दवा के लिए होंगे।
Et super torrentem orietur in ripis ejus, ex utraque parte, omne lignum pomiferum: non defluet folium ex eo, et non deficiet fructus ejus: per singulos menses afferet primitiva, quia aquæ ejus de sanctuario egredientur: et erunt fructus ejus in cibum, et folia ejus ad medicinam.
13 ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि यह वह सरहद है जिसके मुताबिक़ तुम ज़मीन को तक़सीम करोगे, ताकि इस्राईल के बारह क़बीलों की मीरास हो; यूसुफ़ के लिए दो हिस्से होंगे।
Hæc dicit Dominus Deus: Hic est terminus in quo possidebitis terram in duodecim tribubus Israël: quia Joseph duplicem funiculum habet.
14 और तुम सब यकसाँ उसे मीरास में पाओगे, जिसके ज़रिए मैंने क़सम खाई कि तुम्हारे बाप — दादा को दूँ और यह ज़मीन तुम्हारी मीरास होगी।
Possidebitis autem eam singuli æque ut frater suus, super quam levavi manum meam ut darem patribus vestris: et cadet terra hæc vobis in possessionem.
15 'और ज़मीन की हदें यह होंगी: उत्तर की तरफ़ बड़े समन्दर से लेकर हतलून से होती हुई सिदाद के मदख़ल तक,
Hic est autem terminus terræ: ad plagam septentrionalem, a mari magno via Hethalon, venientibus Sedada,
16 हमात बैरूत — सिबरैम जो दमिश्क़ की सरहद और हमात की सरहद के बीच है, और हसर हतीकून जो हौरान के किनारे पर है।
Emath, Berotha, Sabarim, quæ est inter terminum Damasci et confinium Emath, domus Tichon, quæ est juxta terminum Auran.
17 और समन्दर से सरहद यह होगी: या'नी हसर 'ऐनान दमिश्क़ की सरहद, और उत्तर की उत्तरी अतराफ़, हमात की सरहद उत्तरी जानिब यही है।
Et erit terminus a mari usque ad atrium Enon, terminus Damasci: et ab aquilone ad aquilonem, terminus Emath plaga septentrionalis.
18 और पूरबी सरहद हौरान और दमिश्क़, और जिल'आद के बीच से और इस्राईल की सरज़मीन के बीच से यरदन पर होगी; उत्तरी सरहद से पूरबी समन्दर तक नापना पूरबी जानिब यही है।
Porro plaga orientalis de medio Auran, et de medio Damasci, et de medio Galaad, et de medio terræ Israël, Jordanis disterminans ad mare orientale. Metiemini etiam plagam orientalem.
19 और दक्खिन की तरफ़ दक्खिनी सरहद यह है: या'नी तमर से मरीबूत के क़ादिस के पानी से और नहर — ए — मिस्र से होकर बड़े समन्दर तक, पच्छिमी जानिब यही है।
Plaga autem australis meridiana, a Thamar usque ad aquas contradictionis Cades, et torrens usque ad mare magnum: et hæc est plaga ad meridiem australis.
20 और उसी सरहद से हमात के मदख़ल के सामने बड़ा समन्दर दक्खिनी सरहद होगा दक्खिनी जानिब यही है।
Et plaga maris, mare magnum a confinio per directum, donec venias Emath: hæc est plaga maris.
21 इसी तरह तुम क़बाइल — ए — इस्राईल के मुताबिक़ ज़मीन को आपस में तक़सीम करोगे।
Et dividetis terram istam vobis per tribus Israël:
22 और यूँ होगा कि तुम अपने और उन बेगानों के बीच, जो तुम्हारे साथ बसते हैं और जिनकी औलाद तुम्हारे बीच पैदा हुई जो तुम्हारे लिए देसी बनी — इस्राईल की तरह होंगे; मीरास तक़सीम करने के लिए पर्ची डालोगे, वह तुम्हारे साथ क़बाइल — ए — इस्राईल के बीच मीरास पाएँगे।
et mittetis eam in hæreditatem vobis, et advenis qui accesserint ad vos, qui genuerint filios in medio vestrum: et erunt vobis sicut indigenæ inter filios Israël: vobiscum divident possessionem in medio tribuum Israël.
23 और यूँ होगा कि जिस जिस क़बीले में कोई बेगाना बसता होगा, उसी में तुम उसे मीरास दोगे। ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
In tribu autem quacumque fuerit advena, ibi dabitis possessionem illi, ait Dominus Deus.