< हिज़ि 47 >

1 फिर वह मुझे हैकल के दरवाज़े पर वापस लाया, और क्या देखता हूँ कि हैकल के आस्ताने के नीचे से पानी पूरब की तरफ़ निकल रहा है क्यूँकि हैकल का सामना पूरब की तरफ़ था और पानी हैकल के दाहनी तरफ़ के नीचे से मज़बह के दक्खिनी जानिब से बहता था।
Afterward he brought me again to the door of the house; and, behold, waters issued out from under the threshold of the house eastward: for the front of the house stood toward the east, and the waters came down from under from the right side of the house, at the south side of the altar.
2 तब वह मुझे उत्तरी फाटक की राह से बाहर लाया, और मुझे उस राह से जिसका रुख़ पूरब की तरफ़ है, बैरूनी फाटक पर वापस लाया या'नी पूरब रूया फाटक पर; और क्या देखता हूँ कि दहनी तरफ़ से पानी जारी है।
Then he brought me out of the way of the gate northward, and led me about the way outside to the outer gate by the way that looketh eastward; and, behold, there ran out waters on the right side.
3 और उस मर्द ने जिसके हाथ में पैमाइश की डोरी थी, पूरब की तरफ़ बढ़ कर हज़ार हाथ नापा, और मुझे पानी में से चलाया और पानी टखनों तक था।
And when the man that had the line in his hand went forth eastward, he measured a thousand cubits, and he brought me through the waters; the waters were to the ankles.
4 फिर उसने हज़ार हाथ और नापा और मुझे उसमें से चलाया, और पानी घुटनों तक था; फिर उसने एक हज़ार हाथ और नापा और मुझे उसमें से चलाया, और पानी कमर तक था।
Again he measured a thousand, and brought me through the waters; the waters were to the knees. Again he measured a thousand, and brought me through; the waters were to the loins.
5 फिर उसने एक हज़ार और नापा, और वह ऐसा दरिया था कि मैं उसे पार नहीं कर सकता था, क्यूँकि पानी चढ़ कर तैरने के दर्जे को पहुँच गया और ऐसा दरिया बन गया जिसको पार करना मुम्किन न था।
Afterward he measured a thousand; and it was a river that I could not pass over: for the waters had risen, waters to swim in, a river that could not be passed over.
6 और उसने मुझ से कहा, ऐ आदमज़ाद! क्या तूने यह देखा? तब वह मुझे लाया और दरिया के किनारे पर वापस पहुँचाया।
And he said to me, Son of man, hast thou seen this? Then he brought me, and caused me to return to the brink of the river.
7 और जब मैं वापस आया तो क्या देखता हूँ कि दरिया के किनारे दोनों तरफ़ बहुत से दरख़्त हैं।
Now when I had returned, behold, at the bank of the river were very many trees on the one side and on the other.
8 तब उसने मुझे फ़रमाया कि यह पानी पूरबी 'इलाक़े की तरफ़ बहता है, और मैदान में से होकर समन्दर में जा मिलता है, और समन्दर में मिलते ही उसके पानी को शीरीं कर देगा।
Then said he to me, These waters issue out toward the east country, and go down into the desert, and go into the sea: which being brought forth into the sea, the waters shall be healed.
9 और यूँ होगा कि जहाँ कहीं यह दरिया पहुँचेगा, हर एक चलने फिरने वाला जानदार ज़िन्दा रहेगा और मछलियों की बड़ी कसरत होगी क्यूँकि यह पानी वहाँ पहुँचा और वह शीरीं हो गया इसलिए जहाँ कहीं यह दरया पहुँचेगा ज़िन्दगी बख्शेगा।
And it shall come to pass, that every thing that liveth, which moveth, wherever the rivers shall come, shall live: and there shall be a very great multitude of fish, because these waters shall come there: for they shall be healed; and every thing shall live where the river cometh.
10 और यूँ होगा कि शिकारी उसके किनारे खड़े रहेंगे, 'ऐन जदी से ऐन 'अजलईम तक जाल बिछाने की जगह होगी, उसकी मछलियाँ अपनी अपनी जिन्स के मुताबिक़ बड़े समन्दर की मछलियों की तरह कसरत से होंगी।
And it shall come to pass, that the fishermen shall stand upon it from Engedi even to Eneglaim; they shall be a place to spread forth nets; their fish shall be according to their kinds, as the fish of the great sea, very many.
11 लेकिन उसकी कीच की जगहें और दलदले शीरीं न की जायेंगी वह नमक ज़ार ही रहेंगी।
But its miry places and its marshes shall not be healed; they shall be given to salt.
12 और दरया के क़रीब उसके दोनों किनारों पर हर क़िस्म के मेवादार दरख़्त उगेंगे जिनके पत्ते कभी न मुरझायेंगे और जिनके मेवे कभी ख़त्म न होंगे वह हर महीने नए मेवे लायेंगे क्यूँकि उनका पानी हैकल में से जारी है और उनके मेवे खाने के लिए और उनके पत्ते दवा के लिए होंगे।
And by the river upon its bank, on this side and on that side, shall grow all trees for food, whose leaf shall not fade, neither shall its fruit be consumed: it shall bring forth new fruit according to its months, because their waters they issued out of the sanctuary: and its fruit shall be for food, and its leaf for medicine.
13 ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि यह वह सरहद है जिसके मुताबिक़ तुम ज़मीन को तक़सीम करोगे, ताकि इस्राईल के बारह क़बीलों की मीरास हो; यूसुफ़ के लिए दो हिस्से होंगे।
Thus saith the Lord GOD; This shall be the border, by which ye shall inherit the land according to the twelve tribes of Israel: Joseph shall have two portions.
14 और तुम सब यकसाँ उसे मीरास में पाओगे, जिसके ज़रिए मैंने क़सम खाई कि तुम्हारे बाप — दादा को दूँ और यह ज़मीन तुम्हारी मीरास होगी।
And ye shall inherit it, one as well as another: concerning which I lifted up my hand to give it to your fathers: and this land shall fall to you for inheritance.
15 'और ज़मीन की हदें यह होंगी: उत्तर की तरफ़ बड़े समन्दर से लेकर हतलून से होती हुई सिदाद के मदख़ल तक,
And this shall be the border of the land toward the north side, from the great sea, the way of Hethlon, as men go to Zedad;
16 हमात बैरूत — सिबरैम जो दमिश्क़ की सरहद और हमात की सरहद के बीच है, और हसर हतीकून जो हौरान के किनारे पर है।
Hamath, Berothah, Sibraim, which is between the border of Damascus and the border of Hamath; Hazarhatticon, which is by the border of Hauran.
17 और समन्दर से सरहद यह होगी: या'नी हसर 'ऐनान दमिश्क़ की सरहद, और उत्तर की उत्तरी अतराफ़, हमात की सरहद उत्तरी जानिब यही है।
And the border from the sea shall be Hazarenan, the border of Damascus, and the north northward, and the border of Hamath. And this is the north side.
18 और पूरबी सरहद हौरान और दमिश्क़, और जिल'आद के बीच से और इस्राईल की सरज़मीन के बीच से यरदन पर होगी; उत्तरी सरहद से पूरबी समन्दर तक नापना पूरबी जानिब यही है।
And the east side ye shall measure from Hauran, and from Damascus, and from Gilead, and from the land of Israel by Jordan, from the border to the east sea. And this is the east side.
19 और दक्खिन की तरफ़ दक्खिनी सरहद यह है: या'नी तमर से मरीबूत के क़ादिस के पानी से और नहर — ए — मिस्र से होकर बड़े समन्दर तक, पच्छिमी जानिब यही है।
And the south side southward, from Tamar even to the waters of strife in Kadesh, the river to the great sea. And this is the south side southward.
20 और उसी सरहद से हमात के मदख़ल के सामने बड़ा समन्दर दक्खिनी सरहद होगा दक्खिनी जानिब यही है।
The west side also shall be the great sea from the border, till a man cometh opposite Hamath. This is the west side.
21 इसी तरह तुम क़बाइल — ए — इस्राईल के मुताबिक़ ज़मीन को आपस में तक़सीम करोगे।
So shall ye divide this land to you according to the tribes of Israel.
22 और यूँ होगा कि तुम अपने और उन बेगानों के बीच, जो तुम्हारे साथ बसते हैं और जिनकी औलाद तुम्हारे बीच पैदा हुई जो तुम्हारे लिए देसी बनी — इस्राईल की तरह होंगे; मीरास तक़सीम करने के लिए पर्ची डालोगे, वह तुम्हारे साथ क़बाइल — ए — इस्राईल के बीच मीरास पाएँगे।
And it shall come to pass, that ye shall divide it by lot for an inheritance to you, and to the strangers that sojourn among you, who shall beget children among you: and they shall be to you as born in the country among the children of Israel; they shall have inheritance with you among the tribes of Israel.
23 और यूँ होगा कि जिस जिस क़बीले में कोई बेगाना बसता होगा, उसी में तुम उसे मीरास दोगे। ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
And it shall come to pass, that in what tribe the stranger sojourneth, there shall ye give him his inheritance, saith the Lord GOD.

< हिज़ि 47 >