< हिज़ि 46 >
1 ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है, कि अन्दरूनी सहन का फाटक जिसका रुख़ पूरब की तरफ़ है, काम काज के छ: बन्द रहेगा; लेकिन सबत के दिन खोला जाएगा, और नए चाँद के दिन भी खोला जाएगा।
So spricht der Herr, Jehova: Das Tor des inneren Vorhofs, welches gegen Osten sieht, soll die sechs Werktage geschlossen sein; aber am Sabbathtage soll es geöffnet werden, und am Tage des Neumondes soll es geöffnet werden.
2 और फ़रमारवा बैरूनी फाटक के आस्ताने के रास्ते से दाख़िल होगा, फाटक की चौखट के पास खड़ा रहेगा; और काहिन उसकी सोख़्तनी क़ुर्बानी और उसकी सलामती की क़ुर्बानियाँ पेशकरेंगे, वह फाटक के आसताने पर सिज्दा करके बाहर निकलेगा लेकिन फाटक शाम तक बन्द न होगा।
Und der Fürst soll durch die Torhalle hineingehen von außen her und sich an die Pfosten des Tores stellen; und die Priester sollen sein Brandopfer und seine Friedensopfer opfern, und er soll auf der Schwelle des Tores anbeten und hinausgehen; das Tor soll aber nicht geschlossen werden bis zum Abend.
3 और मुल्क के लोग उसी फाटक के दरवाज़े पर, सबतों और नए चाँद के वक़्तों में ख़ुदावन्द के सामने सिज्दा किया करेंगे
Und das Volk des Landes soll anbeten am Eingang dieses Tores, an den Sabbathen und an den Neumonden, vor Jehova. -
4 और सोख़्तनी क़ुर्बानी जो फ़रमारवा सबत के दिन ख़ुदावन्द के सामने पेश करेगा, छ: बे'ऐब बर्रे और एक बे'ऐब मेंढा,
Und das Brandopfer, welches der Fürst dem Jehova am Sabbathtage darbringen soll: sechs Lämmer ohne Fehl und ein Widder ohne Fehl.
5 और नज़र की कु़र्बानी मेंढे के लिए एक एफ़ा और बर्रों के लिए नज़र की कु़र्बानी उसकी तौफ़ीक़ के एक एफ़ा के लिए एक हीन तेल।
Und als Speisopfer: ein Epha Feinmehl zu jedem Widder; und zu den Lämmern als Speisopfer: eine Gabe seiner Hand; und Öl, ein Hin zu jedem Epha.
6 और नए चाँद के रोज़ एक बे'ऐब बछड़ा और छ: बर्रे और एक मेंढा, सब के सब बे'ऐब
Und am Tage des Neumondes: ein junger Farren ohne Fehl und sechs Lämmer und ein Widder; ohne Fehl sollen sie sein.
7 और वह नज़र की कु़र्बानी तैयार करेगा या'नी बछड़े के लिए एक एफ़ा और मेंढे के लिए एक एफ़ा और बर्रों के लिए उसकी तौफ़ीक़ के मुताबिक़, हर एक एफ़ा के लिए एक हीन तेल।
Und ein Epha zu jedem Farren und ein Epha zu jedem Widder soll er als Speisopfer opfern; und zu den Lämmern, nach dem was seine Hand aufbringen kann; und Öl, ein Hin zu jedem Epha. -
8 जब फ़रमारवा अन्दर आए, फाटक के आस्ताने के रास्ते से दाख़िल होगा और उसी रास्ते से निकलेगा।
Und wenn der Fürst hineingeht, soll er durch die Torhalle hineingehen; und durch sie soll er hinausgehen.
9 लेकिन जब मुल्क के लोग मुक़र्ररा ईदों के वक़्त ख़ुदावन्द के सामने हाज़िर होंगे, जो उत्तरी फाटक के रास्ते से सिज्दा करने को दाख़िल होगा वह दक्खिन फाटक के रास्ते से बाहर जाएगा, जो दक्खिनी फाटक के रास्ते से अन्दर आता है वह उत्तरी फाटक के रास्ते से बाहर जाएगा; जिस फाटक के रास्ते से वह अन्दर आया उससे वापस न जाएगा, बल्कि सीधा अपने सामने के फाटक के रास्ते से निकल जाएगा।
Und wenn das Volk des Landes an den Festen vor Jehova kommt: wer durch das Nordtor hineingeht, um anzubeten, soll durch das Südtor hinausgehen; und wer durch das Südtor hineingeht, soll durch das Nordtor hinausgehen; er soll nicht durch das Tor zurückkehren, durch welches er hineingegangen ist, sondern stracks vor sich hinausgehen.
10 और जब वह अन्दर जाएँगे तो फ़रमारवा भी उनके बीच होकर जाएगा, और जब वह बाहर निकलेंगे तो सब इकट्ठे जाएँगे।
Und der Fürst soll mitten unter ihnen hineingehen, wenn sie hineingehen; und wenn sie hinausgehen, sollen sie zusammen hinausgehen. -
11 और ईदों और मज़हबी तहवारों के वक़्त में नज़र की कु़र्बानी बैल के लिए एक एफ़ा, मेंढे के लिए एक एफ़ा होगी, और बर्रों के लिए उसकी तौफ़ीक़ के मुताबिक़ और हर एक एफ़ा के लिए एक हीन तेल।
Und an den Festen und zu den Festzeiten soll das Speisopfer sein: ein Epha Feinmehl zu jedem Farren und ein Epha zu jedem Widder; und zu den Lämmern eine Gabe seiner Hand; und Öl, ein Hin zu jedem Epha.
12 और जब फ़रमारवा रज़ा की कु़र्बानी तैयार करे या'नी सोख़्तनी कु़बानी या सलामती की कु़र्बानी ख़ुदावन्द के सामने रज़ा की कु़र्बानी के तौर पर लाए तो वह फाटक जिसका रुख पूरब की तरफ़ उसके लिए खोला जाएगा और सबत के दिन की तरह वह अपनी सोख़्तनी कु़र्बानी और सलामती की कु़र्बानी पेश करेगा, तब वह बाहर निकल आएगा और उसके निकलने के बाद फाटक बन्द किया जाएगा।
Und wenn der Fürst ein freiwilliges Brandopfer oder freiwillige Friedensopfer dem Jehova opfern will, so soll man ihm das Tor öffnen, welches gegen Osten sieht; und er soll sein Brandopfer und seine Fiedensopfer opfern, gleichwie er am Sabbathtage tut; und wenn er hinausgeht, so soll man das Tor verschließen, nachdem er hinausgegangen ist. -
13 तो हर रोज़ ख़ुदावन्द के सामने पहले साल का एक बे'ऐब बर्रा सोख़्तनी कु़र्बानी के लिए पेश करेगा, तू हर सुबह पेश करेगा।
Und du sollst täglich ein einjähriges Lamm ohne Fehl dem Jehova als Brandopfer opfern, Morgen für Morgen sollst du es opfern.
14 और तू उसके साथ हर सुबह नज़र की कु़र्बानी पेश करेगा या'नी एफ़ा का छटा हिस्सा, और मैदे के साथ मिलाने को तेल के हीन की एक तिहाई, दाइमी हुक्म के मुताबिक़ हमेशा के लिए ख़ुदावन्द के सामने यह नज़र की कु़र्बानी होगी।
Und ein Speisopfer sollst du dazu opfern, Morgen für Morgen: ein sechstel Epha; und Öl, ein drittel Hin, um das Feinmehl zu befeuchten, als Speisopfer dem Jehova: ewige Satzungen, die beständig währen sollen.
15 इसी तरह वह बर्रे और नज़र की कु़र्बानी और तेल हर सुबह हमेशा की सोख़्तनी कु़र्बानी के लिए अदा करेंगे।
Und opfert das Lamm und das Speisopfer und das Öl, Morgen für Morgen, als ein beständiges Brandopfer.
16 ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि अगर फ़रमारवा अपने बेटों में से किसी को कोई हदिया दे, वह उसकी मीरास उसके बेटों की होगी; वह उनका मौरूसी माल है।
So spricht der Herr, Jehova: Wenn der Fürst einem seiner Söhne ein Geschenk gibt, so ist es dessen Erbteil; es soll seinen Söhnen gehören, es ist ihr Erbeigentum.
17 लेकिन अगर वह अपने गु़लामों में से किसी को अपनी मीरास में से हदिया दे, तो वह आज़ादी के साल तक उसका होगा; उसके बाद फिर फ़रमारवा का हो जाएगा। मगर उसकी मीरास उसके बेटों के लिए होगी।
Wenn er aber einem seiner Knechte ein Geschenk von seinem Erbteil gibt, so soll es demselben bis zum Freijahre gehören, und dann wieder an den Fürsten kommen; es ist ja sein Erbteil: seinen Söhnen, ihnen soll es gehören.
18 और फ़रमारवा लोगों की मीरास में से ज़ुल्म करके न लेगा, ताकि उनको उनकी मिल्कियत से बेदख़्ल करे; लेकिन वह अपनी ही मिल्कियत में से अपने बेटों को मीरास देगा, ताकि मेरे लोग अपनी अपनी मिलिकयत से जुदा न हो जाएँ।
Und der Fürst soll nichts von dem Erbteil des Volkes nehmen, so daß er sie aus ihrem Eigentum verdrängt; von seinem Eigentum soll er seinen Söhnen vererben, auf daß mein Volk nicht zerstreut werde, ein jeder aus seinem Eigentum.
19 फिर वह मुझे उस मदख़ल के रास्ते से जो फाटक के पहलू में था, काहिनों के पाक कमरों में जिनका रुख उत्तर की तरफ़ था, लाया और क्या देखता हूँ कि पच्छिम की तरफ़ पीछे कुछ ख़ाली जगह है।
Und er brachte mich durch den Zugang, der an der Seite des Tores war, zu den heiligen Zellen für die Priester, welche gegen Norden sahen; und siehe, daselbst war ein Ort an der äußersten Seite gegen Westen.
20 तब उसने मुझे फ़रमाया, देख, यह वह जगह है जिसमें काहिन जुर्म की क़ुर्बानी और ख़ता की क़ुर्बानी को जोश देंगे और नज़र की क़ुर्बानी पकायेंगे ताकि उनको बैरूनी सहन में ले जाकर लोगों की तक़दीस करें।
Und er sprach zu mir: Das ist der Ort, wo die Priester das Schuldopfer und das Sündopfer kochen, wo sie das Speisopfer backen sollen, damit sie es nicht in den äußeren Vorhof hinaustragen, das Volk zu heiligen. -
21 फिर वह मुझे बैरूनी सहन में लाया और सहन के चारों कोनों की तरफ़ मुझे ले गया, और देखो, सहन के हर कोने में एक और सहन था;
Und er führte mich hinaus in den äußeren Vorhof und ließ mich an den vier Ecken des Vorhofs vorübergehen; und siehe, in jeder Ecke des Vorhofs war ein Hof.
22 सहन के चारों कोनों में चालीस चालीस हाथ लम्बे और तीस तीस हाथ चौड़े सहन मुत्तसिल थे, यह चारों कोने वाले एक ही नाप के थे।
In den vier Ecken des Vorhofs waren geschlossene Höfe, vierzig Ellen lang und dreißig breit; alle vier Eckhöfe hatten einerlei Maß.
23 और उनके चारों तरफ़ या'नी उन चारों के चारों तरफ़ दीवार थी, और चारों तरफ़ दीवार के नीचे चूल्हे बने थे।
Und in denselben war eine Mauerreihe ringsherum bei allen vieren; und Kochherde waren unter den Mauerreihen angebracht ringsum.
24 तब उसने मुझे फ़रमाया, कि “यह चूल्हे हैं, जहाँ हैकल के ख़ादिम लोगों के ज़बीहे उबालेंगे।”
Und er sprach zu mir: Dies sind die Kochhäuser, wo die Diener des Hauses das Schlachtopfer des Volkes kochen sollen.