< हिज़ि 43 >

1 फिर वह मुझे फाटक पर ले आया, या'नी उस फाटक पर जिसका रुख़ पूरब की तरफ़ है;
Et duxit me ad portam quæ respiciebat ad viam orientalem.
2 और क्या देखता हूँ कि इस्राईल के ख़ुदा का जलाल पूरब की तरफ़ से आया, और उसकी आवाज़ सैलाब के शोर के जैसी थी, और ज़मीन उसके जलाल से मुनव्वर हो गई।
Et ecce gloria Dei Israël ingrediebatur per viam orientalem: et vox erat ei quasi vox aquarum multarum, et terra splendebat a majestate ejus.
3 और यह उस ख़्वाब की नुमाइश के मुताबिक़ था जो मैंने देखा था, हाँ, उस ख़्वाब के मुताबिक़ जो मैंने उस वक़्त देखा था जब मैं शहर को बर्बाद करने आया था, और यह रोयतें उस ख़्वाब की तरह थीं जो मैंने नहर — ए — किबार के किनारे पर देखा था; तब मैं मुँह के बल गिरा।
Et vidi visionem secundum speciem quam videram quando venit ut disperderet civitatem, et species secundum aspectum quem videram juxta fluvium Chobar: et cecidi super faciem meam.
4 और ख़ुदावन्द का जलाल उस फाटक की राह से, जिसका रुख़ पूरब की तरफ़ है हैकल में दाख़िल हुआ।
Et majestas Domini ingressa est templum per viam portæ quæ respiciebat ad orientem.
5 और रूह ने मुझे उठा कर अन्दरूनी सहन में पहुँचा दिया, और क्या देखता हूँ कि हैकल ख़ुदावन्द के जलाल से मा'मूर है।
Et elevavit me spiritus, et introduxit me in atrium interius: et ecce repleta erat gloria Domini domus.
6 और मैंने किसी की आवाज़ सुनी, जो हैकल में से मेरे साथ बातें करता था, और एक शख़्स मेरे पास खड़ा था।
Et audivi loquentem ad me de domo: et vir qui stabat juxta me
7 और उसने मुझे फ़रमाया, कि 'ऐ आदमज़ाद, यह मेरी तख़्तगाह और मेरे पाँव की कुर्सी है जहाँ मैं बनी — इस्राईल के बीच हमेशा तक रहूँगा और बनी इस्राईल और उनके बादशाह फिर कभी मेरे पाक नाम को अपनी बदकारी और अपने बादशाहों की लाशों से उनके मरने पर नापाक न करेंगे।
dixit ad me: Fili hominis, locus solii mei, et locus vestigiorum pedum meorum, ubi habito in medio filiorum Israël in æternum: et non polluent ultra domus Israël nomen sanctum meum, ipsi et reges eorum, in fornicationibus suis, et in ruinis regum suorum, et in excelsis.
8 क्यूँकि वह अपने आस्ताने मेरे आस्तानों के पास, और अपनी चौखटें मेरी चौखटों के पास लगाते थे, और मेरे और उनके बीच सिर्फ़ एक दीवार थी; उन्होंने अपने उन घिनौने कामों से जो उन्होंने किए मेरे पाक नाम को नापाक किया, इसलिए मैंने अपने क़हर में उनको हलाक किया।
Qui fabricati sunt limen suum juxta limen meum, et postes suos juxta postes meos, et murus erat inter me et eos: et polluerunt nomen sanctum meum in abominationibus quas fecerunt: propter quod consumpsi eos in ira mea.
9 अगरचे अब वह अपनी बदकारी और अपने बादशाहों की लाशें मुझ से दूर कर दें, तो मैं हमेशा तक उनके बीच रहूँगा।
Nunc ergo repellant procul fornicationem suam et ruinas regum suorum a me, et habitabo in medio eorum semper.
10 'ऐ आदमज़ाद, तू बनी — इस्राईल को यह घर दिखा, ताकि वह अपनी बदकिरदारी से शर्मिन्दा हो जाएँ और इस नमूने को नापें।
Tu autem, fili hominis, ostende domui Israël templum, et confundantur ab iniquitatibus suis, et metiantur fabricam,
11 और अगर वह अपने सब कामों से शर्मिंदा हों, तो उस घर का नक़्शा और उसकी तरतीब और उसके मख़ारिज और मदख़ल और उसकी तमाम शक्ल और उसके कुल हुक्मों और उसकी पूरी वज़ह और तमाम क़वानीन उनको दिखा, और उनकी आँखों के सामने उसको लिख, ताकि वह उसका कुल नक़्शा और उसके तमाम हुक्मों को मानकर उन पर 'अमल करें।
et erubescant ex omnibus quæ fecerunt. Figuram domus, et fabricæ ejus, exitus et introitus, et omnem descriptionem ejus, et universa præcepta ejus, cunctumque ordinem ejus, et omnes leges ejus ostende eis, et scribes in oculis eorum, ut custodiant omnes descriptiones ejus, et præcepta illius, et faciant ea.
12 इस घर का क़ानून यह है कि इसकी तमाम सरहदें पहाड़ की चोटी पर और इसके चारों तरफ़ बहुत पाक होंगी; देख, यही इस घर का क़ानून है।
Ista est lex domus in summitate montis: omnis finis ejus in circuitu, Sanctum sanctorum est. Hæc est ergo lex domus.
13 'और हाथ के नाप से मज़बह के यह नाप हैं, और इस हाथ की लम्बाई एक हाथ चार उँगल है। पाया एक हाथ का होगा, और चौड़ाई एक हाथ और उसके चारो तरफ़ बालिश्त भर चौड़ा हाशिया, और मज़बह का पाया यही है।
Istæ autem mensuræ altaris in cubito verissimo, qui habebat cubitum et palmum: in sinu ejus erat cubitus, et cubitus in latitudine: et definitio ejus usque ad labium ejus, et in circuitu palmus unus: hæc quoque erat fossa altaris.
14 और ज़मीन पर के इस पाये से लेकर नीचे की कुर्सी तक दो हाथ, और उसकी चौड़ाई एक हाथ और छोटी कुर्सी से बड़ी कुर्सी तक चार हाथ और चौड़ाई एक हाथ।
Et de sinu terræ usque ad crepidinem novissimam duo cubiti, et latitudo cubiti unius: et a crepidine minore usque ad crepidinem majorem quatuor cubiti, et latitudo cubiti unius.
15 और ऊपर का मज़बह चार हाथ का होगा, और मज़बह के ऊपर चार सींग होंगे।
Ipse autem ariel quatuor cubitorum, et ab ariel usque ad sursum cornua quatuor.
16 और मज़बह बारह हाथ लम्बा होगा और बारह हाथ चौड़ा मुरब्बा।
Et ariel duodecim cubitorum in longitudine per duodecim cubitos latitudinis, quadrangulatum æquis lateribus.
17 और कुर्सी चौदह हाथ लम्बी और चौदह हाथ चौड़ी मुरब्बा' और चारों तरफ़ उसका किनारा आधा हाथ, उसका पाया चारो तरफ़ एक हाथ और उसका ज़ीना पूरब रू होगा।
Et crepido quatuordecim cubitorum longitudinis per quatuordecim cubitos latitudinis in quatuor angulis ejus: et corona in circuitu ejus dimidii cubiti, et sinus ejus unius cubiti per circuitum: gradus autem ejus versi ad orientem.
18 और उसने मुझ से कहा, ऐ आदमज़ाद, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि मज़बह के यह हुक्म उस दिन जारी होंगे जब वह उसे बनाएँगे, ताकि उस पर सोख़्तनी क़ुर्बानी पेश करें और उस पर ख़ून छिड़कें।
Et dixit ad me: Fili hominis, hæc dicit Dominus Deus: Hi sunt ritus altaris, in quacumque die fuerit fabricatum, ut offeratur super illud holocaustum, et effundatur sanguis.
19 और तू लावी काहिनों को जो सदूक़ की नसल से हैं, जो मेरी ख़िदमत के लिए मेरे सामने आते हैं, ख़ता की क़ुर्बानी के लिए बछड़ा देना, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
Et dabis sacerdotibus et Levitis qui sunt de semine Sadoc, qui accedunt ad me, ait Dominus Deus, ut offerant mihi vitulum de armento pro peccato.
20 और तू उसके खू़न में से लेना और मज़बह के चारों सींगों पर, उसकी कुर्सी के चारों कोनों पर और उसके चारो तरफ़ के हाशिए पर लगाना; इसी तरह कफ़्फ़ारा देकर उसे पाक — ओ — साफ़ करना।
Et assumens de sanguine ejus, pones super quatuor cornua ejus, et super quatuor angulos crepidinis, et super coronam in circuitu: et mundabis illud et expiabis.
21 और ख़ता की क़ुर्बानी के लिए बछड़ा लेना, और वह घर की मुक़र्रर जगह में हैकल के बाहर जलाया जाएगा।
Et tolles vitulum qui oblatus fuerit pro peccato, et combures eum in separato loco domus, extra sanctuarium.
22 और तू दूसरे दिन एक बे'ऐब बकरा ख़ता की क़ुर्बानी के लिए पेश करना, और वह मज़बह को कफ़्फ़ारा देकर उसी तरह पाक करेंगे, जिस तरह बछड़े से पाक किया था।
Et in die secunda offeres hircum caprarum immaculatum pro peccato: et expiabunt altare sicut expiaverunt in vitulo.
23 और जब तू उसे पाक कर चुके तो एक बे'ऐब बछड़ा और गल्ले का एक बे'ऐब मेंढा पेश करना।
Cumque compleveris expians illud, offeres vitulum de armento immaculatum, et arietem de grege immaculatum.
24 और तू उनको ख़ुदावन्द के सामने लाना और काहिन उनपर नमक छिड़कें और उनको सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए ख़ुदावन्द के सामने पेश करें।
Et offeres eos in conspectu Domini: et mittent sacerdotes super eos sal, et offerent eos holocaustum Domino.
25 और तू सात दिन तक हर रोज़ एक बकरा ख़ता की क़ुर्बानी के लिए तैयार कर रखना, वह एक बछड़ा और गल्ले का एक मेंढा भी जो बे'ऐब हों तैयार कर रख्खें।
Septem diebus facies hircum pro peccato quotidie: et vitulum de armento, et arietem de pecoribus immaculatos offerent.
26 सात दिन तक वह मज़बह को कफ़्फ़ारा देकर पाक — ओ — साफ़ करेंगे और उसको मख़्सूस करेंगे।
Septem diebus expiabunt altare et mundabunt illud, et implebunt manum ejus.
27 और जब यह दिन पूरे होंगे, तो यूँ होगा कि आठवें दिन और आइन्दा काहिन तुम्हारी सोख़्तनी कुर्बानियों को और तुम्हारी सलामती की कु़र्बानियों को मज़बह पर पेश करूँगे, और मैं तुम को क़ुबूल करूँगा; ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
Expletis autem diebus, in die octava et ultra, facient sacerdotes super altare holocausta vestra, et quæ pro pace offerunt: et placatus ero vobis, ait Dominus Deus.

< हिज़ि 43 >