< हिज़ि 40 >

1 हमारी ग़ुलामी के पच्चीसवें बरस के शुरू' में और महीने की दसवीं तारीख़ को, जो शहर की तस्ख़ीर का चौदहवाँ साल था, उसी दिन ख़ुदावन्द का हाथ मुझ पर था, और वह मुझे वहाँ ले गया।
בְּעֶשְׂרִים וְחָמֵשׁ שָׁנָה לְגָלוּתֵנוּ בְּרֹאשׁ הַשָּׁנָה בֶּעָשׂוֹר לַחֹדֶשׁ בְּאַרְבַּע עֶשְׂרֵה שָׁנָה אַחַר אֲשֶׁר הֻכְּתָה הָעִיר בְּעֶצֶם ׀ הַיּוֹם הַזֶּה הָיְתָה עָלַי יַד־יְהֹוָה וַיָּבֵא אֹתִי שָֽׁמָּה׃
2 वह मुझे ख़ुदा की रोयतों में इस्राईल के मुल्क में ले गया और उसने मुझे एक बहुत बुलन्द पहाड़ पर उतारा, और उसी पर दक्खिन की तरफ़ जैसे एक शहर का सा नक़्शा था।
בְּמַרְאוֹת אֱלֹהִים הֱבִיאַנִי אֶל־אֶרֶץ יִשְׂרָאֵל וַיְנִיחֵנִי אֶל־הַר גָּבֹהַּ מְאֹד וְעָלָיו כְּמִבְנֵה־עִיר מִנֶּֽגֶב׃
3 जब वह मुझे वहाँ ले गया तो क्या देखता हूँ कि एक शख़्स है जिसकी झलक पीतल के जैसी है, और वह सन की डोरी और पैमाइश का सरकण्डा हाथ में लिए फाटक पर खड़ा है।
וַיָּבֵיא אוֹתִי שָׁמָּה וְהִנֵּה־אִישׁ מַרְאֵהוּ כְּמַרְאֵה נְחֹשֶׁת וּפְתִיל־פִּשְׁתִּים בְּיָדוֹ וּקְנֵה הַמִּדָּה וְהוּא עֹמֵד בַּשָּֽׁעַר׃
4 और उस शख़्स ने मुझे कहा, कि 'ऐ आदमज़ाद, अपनी आँखों से देख और कानों से सुन, और जो कुछ मैं तुझे दिखाऊँ उस सब पर ख़ूब ग़ौर कर, क्यूँकि तू इसी लिए यहाँ पहुँचाया गया है कि मैं यह सब कुछ तुझे दिखाऊँ; इसलिए जो कुछ तू देखता है, बनी इस्राईल से बयान कर।
וַיְדַבֵּר אֵלַי הָאִישׁ בֶּן־אָדָם רְאֵה בְעֵינֶיךָ וּבְאׇזְנֶיךָ שְּׁמָע וְשִׂים לִבְּךָ לְכֹל אֲשֶׁר־אֲנִי מַרְאֶה אוֹתָךְ כִּי לְמַעַן הַרְאוֹתְכָה הֻבָאתָה הֵנָּה הַגֵּד אֶת־כׇּל־אֲשֶׁר־אַתָּה רֹאֶה לְבֵית יִשְׂרָאֵֽל׃
5 और क्या देखता हूँ कि घर के चारों तरफ़ दीवार है, और उस शख़्स के हाथ में पैमाइश का सरकण्डा है, छ: हाथ लम्बा और हर एक हाथ पूरे हाथ से चार उँगल बड़ा था; इसलिए उसने उस दीवार की चौड़ाई नापी, वह एक सरकण्डा हुई और ऊँचाई एक सरकण्डा।
וְהִנֵּה חוֹמָה מִחוּץ לַבַּיִת סָבִיב ׀ סָבִיב וּבְיַד הָאִישׁ קְנֵה הַמִּדָּה שֵׁשׁ־אַמּוֹת בָּֽאַמָּה וָטֹפַח וַיָּמׇד אֶת־רֹחַב הַבִּנְיָן קָנֶה אֶחָד וְקוֹמָה קָנֶה אֶחָֽד׃
6 तब वह पूरब रूया फाटक पर आया, और उसकी सीढ़ी पर चढ़ा और उस फाटक के आस्ताने को नापा, जो एक सरकण्डा चौड़ा था और दूसरे आस्ताने का 'अर्ज़ भी एक सरकण्डा था।
וַיָּבוֹא אֶל־שַׁעַר אֲשֶׁר פָּנָיו דֶּרֶךְ הַקָּדִימָה וַיַּעַל בְּמַעֲלוֹתָו וַיָּמׇד ׀ אֶת־סַף הַשַּׁעַר קָנֶה אֶחָד רֹחַב וְאֵת סַף אֶחָד קָנֶה אֶחָד רֹֽחַב׃
7 और हर एक कोठरी एक सरकण्डा लम्बी और एक सरकण्डा चौड़ी थी, और कोठरियों के बीच पाँच पाँच हाथ का फ़ासिला था, और फाटक की डयोढ़ी के पास अन्दर की तरफ़ फाटक का आस्ताना एक सरकण्डा था।
וְהַתָּא קָנֶה אֶחָד אֹרֶךְ וְקָנֶה אֶחָד רֹחַב וּבֵין הַתָּאִים חָמֵשׁ אַמּוֹת וְסַף הַשַּׁעַר מֵאֵצֶל אֻלָם הַשַּׁעַר מֵהַבַּיִת קָנֶה אֶחָֽד׃
8 और उसने फाटक के आँगन अन्दर से एक सरकण्डा नापी।
וַיָּמׇד אֶת־אֻלָם הַשַּׁעַר מֵהַבַּיִת קָנֶה אֶחָֽד׃
9 तब उसने फाटक के आँगन आठ हाथ नापी, और उसके सुतून दो हाथ और फाटक के आँगन अन्दर की तरफ़ थी।
וַיָּמׇד אֶת־אֻלָם הַשַּׁעַר שְׁמֹנֶה אַמּוֹת וְאֵילָו שְׁתַּיִם אַמּוֹת וְאֻלָם הַשַּׁעַר מֵהַבָּֽיִת׃
10 और पूरब रूया फाटक की कोठरियाँ तीन इधर और तीन उधर थीं, यह तीनों पैमाइश में बराबर थीं, और इधर — उधर के सुतूनों का एक ही नाप था।
וְתָאֵי הַשַּׁעַר דֶּרֶךְ הַקָּדִים שְׁלֹשָׁה מִפֹּה וּשְׁלֹשָׁה מִפֹּה מִדָּה אַחַת לִשְׁלׇשְׁתָּם וּמִדָּה אַחַת לָאֵילִם מִפֹּה וּמִפּֽוֹ׃
11 और उसने फाटक के दरवाज़े की चौड़ाई दस हाथ और लम्बाई तेरह हाथ नापी।
וַיָּמׇד אֶת־רֹחַב פֶּתַח־הַשַּׁעַר עֶשֶׂר אַמּוֹת אֹרֶךְ הַשַּׁעַר שְׁלוֹשׁ עֶשְׂרֵה אַמּֽוֹת׃
12 और कोठरियों के आगे का हाशिया हाथ भर इधर और हाथ भर उधर था, और कोठरियाँ छ: हाथ इधर और छ: हाथ उधर थीं।
וּגְבוּל לִפְנֵי הַתָּאוֹת אַמָּה אֶחָת וְאַמָּֽה־אַחַת גְּבוּל מִפֹּה וְהַתָּא שֵׁשׁ־אַמּוֹת מִפּוֹ וְשֵׁשׁ אַמּוֹת מִפּֽוֹ׃
13 तब उसने फाटक की एक कोठरी की छत से दूसरी की छत तक पच्चीस हाथ चौड़ा नापा दरवाज़े के सामने का दरवाज़ा।
וַיָּמׇד אֶת־הַשַּׁעַר מִגַּג הַתָּא לְגַגּוֹ רֹחַב עֶשְׂרִים וְחָמֵשׁ אַמּוֹת פֶּתַח נֶגֶד פָּֽתַח׃
14 और उसने सुतून साठ हाथ नापे और सहन के सुतून दरवाज़े के चारों तरफ़ थे।
וַיַּעַשׂ אֶת־אֵילִים שִׁשִּׁים אַמָּה וְאֶל־אֵיל הֶחָצֵר הַשַּׁעַר סָבִיב ׀ סָבִֽיב׃
15 और मदख़ल के फाटक के सामने से लेकर, अन्दरूनी फाटक के आँगन तक पचास हाथ का फ़ासिला था।
וְעַל פְּנֵי הַשַּׁעַר (היאתון) [הָאִיתוֹן] עַל־לִפְנֵי אֻלָם הַשַּׁעַר הַפְּנִימִי חֲמִשִּׁים אַמָּֽה׃
16 और कोठरियों में और उनके सुतूनों में फाटक के अन्दर चारों तरफ़ झरोके थे, वैसे ही आँगन के अन्दर भी चारों तरफ़ झरोके थे, और सुतूनों पर खजूर की सूरतें थीं।
וְחַלּוֹנוֹת אֲטֻמוֹת אֶֽל־הַתָּאִים וְאֶל אֵלֵיהֵמָה לִפְנִימָה לַשַּׁעַר סָבִיב ׀ סָבִיב וְכֵן לָאֵֽלַמּוֹת וְחַלּוֹנוֹת סָבִיב ׀ סָבִיב לִפְנִימָה וְאֶל־אַיִל תִּמֹרִֽים׃
17 फिर वह मुझे बाहर के सहन में ले गया, और क्या देखता हूँ कि कमरे हैं और चारों तरफ़ सहन में फ़र्श लगा था, और उस फ़र्श पर तीस कमरे थे।
וַיְבִיאֵנִי אֶל־הֶחָצֵר הַחִיצוֹנָה וְהִנֵּה לְשָׁכוֹת וְרִֽצְפָה עָשׂוּי לֶחָצֵר סָבִיב ׀ סָבִיב שְׁלֹשִׁים לְשָׁכוֹת אֶל־הָרִֽצְפָֽה׃
18 और वह फ़र्श या'नी नीचे का फ़र्श फाटकों के साथ साथ बराबर लगा था।
וְהָרִֽצְפָה אֶל־כֶּתֶף הַשְּׁעָרִים לְעֻמַּת אֹרֶךְ הַשְּׁעָרִים הָרִֽצְפָה הַתַּחְתּוֹנָֽה׃
19 तब उसने उसकी चौड़ाई नीचे के फाटक के सामने से अन्दर के सहन के आगे, पूरब और उत्तर की तरफ़ बाहर बाहर सौ हाथ नापी।
וַיָּמׇד רֹחַב מִלִּפְנֵי הַשַּׁעַר הַתַּחְתּוֹנָה לִפְנֵי הֶחָצֵר הַפְּנִימִי מִחוּץ מֵאָה אַמָּה הַקָּדִים וְהַצָּפֽוֹן׃
20 फिर उसने बाहर के सहन के उत्तर रूया फाटक की लम्बाई और चौड़ाई नापी।
וְהַשַּׁעַר אֲשֶׁר פָּנָיו דֶּרֶךְ הַצָּפוֹן לֶחָצֵר הַחִיצוֹנָה מָדַד אׇרְכּוֹ וְרׇחְבּֽוֹ׃
21 और उसकी कोठरियाँ तीन इस तरफ़ और तीन उस तरफ़ और उसके सुतून और मेहराब पहले फाटक के नाप के मुताबिक़ थे; उसकी लम्बाई पचास हाथ और चौड़ाई पच्चीस हाथ थी।
וְתָאָו שְׁלוֹשָׁה מִפּוֹ וּשְׁלֹשָׁה מִפּוֹ וְאֵילָו וְאֵֽלַמָּו הָיָה כְּמִדַּת הַשַּׁעַר הָרִאשׁוֹן חֲמִשִּׁים אַמָּה אׇרְכּוֹ וְרֹחַב חָמֵשׁ וְעֶשְׂרִים בָּאַמָּֽה׃
22 और उसके दरीचे और आँगन और खजूर के दरख़्त पूरब रूया फाटक के नाप के मुताबिक़ थे, और ऊपर जाने के लिए सात ज़ीने थे; उसके आँगन उनके आगे थी।
וְחַלּוֹנָו וְאֵֽילַמָּו וְתִימֹרָו כְּמִדַּת הַשַּׁעַר אֲשֶׁר פָּנָיו דֶּרֶךְ הַקָּדִים וּבְמַעֲלוֹת שֶׁבַע יַעֲלוּ־בוֹ וְאֵילַמָּו לִפְנֵיהֶֽם׃
23 और अन्दर के सहन का फाटक उत्तर रूया और पूरब रूया फाटकों के सामने था, और उसने फाटक से फाटक तक सौ हाथ नापा।
וְשַׁעַר לֶחָצֵר הַפְּנִימִי נֶגֶד הַשַּׁעַר לַצָּפוֹן וְלַקָּדִים וַיָּמׇד מִשַּׁעַר אֶל־שַׁעַר מֵאָה אַמָּֽה׃
24 और वह मुझे दक्खिन की राह से ले गया, और क्या देखता हूँ कि दक्खिन की तरफ़ एक फाटक है, और उसने उसके सुतूनों को और उसके आँगन को इन्हीं नापों के मुताबिक़ नापा।
וַיּוֹלִכֵנִי דֶּרֶךְ הַדָּרוֹם וְהִנֵּה־שַׁעַר דֶּרֶךְ הַדָּרוֹם וּמָדַד אֵילָו וְאֵילַמָּו כַּמִּדּוֹת הָאֵֽלֶּה׃
25 और उसमें और उसके आँगन में चारों तरफ़ उन दरीचों की तरह दरीचे थे; लम्बाई पचास हाथ, चौड़ाई पच्चीस हाथ।
וְחַלּוֹנִים לוֹ וּלְאֵֽילַמָּו סָבִיב ׀ סָבִיב כְּהַחַלֹּנוֹת הָאֵלֶּה חֲמִשִּׁים אַמָּה אֹרֶךְ וְרֹחַב חָמֵשׁ וְעֶשְׂרִים אַמָּֽה׃
26 और उसके ऊपर जाने के लिए सात ज़ीने थे, और उसके आँगन उनके आगे थी और सुतूनों पर खजूर की सूरते थीं, एक इस तरफ़ और एक उस तरफ़।
וּמַעֲלוֹת שִׁבְעָה עֹֽלוֹתָו וְאֵלַמָּו לִפְנֵיהֶם וְתִמֹרִים לוֹ אֶחָד מִפּוֹ וְאֶחָד מִפּוֹ אֶל־אֵילָֽו׃
27 और दक्खिन की तरफ़ अन्दरूनी सहन का फाटक था, और उसने दक्खिन की तरफ़ फाटक से फाटक तक सौ हाथ नापा।
וְשַׁעַר לֶחָצֵר הַפְּנִימִי דֶּרֶךְ הַדָּרוֹם וַיָּמׇד מִשַּׁעַר אֶל־הַשַּׁעַר דֶּרֶךְ הַדָּרוֹם מֵאָה אַמּֽוֹת׃
28 और वह दक्खिनी फाटक की रास्ते से मुझे अन्दरूनी सहन में लाया, और इन्हीं नापों के मुताबिक़ उसने दक्खिनी फाटक को नापा।
וַיְבִיאֵנִי אֶל־חָצֵר הַפְּנִימִי בְּשַׁעַר הַדָּרוֹם וַיָּמׇד אֶת־הַשַּׁעַר הַדָּרוֹם כַּמִּדּוֹת הָאֵֽלֶּה׃
29 और उसकी कोठरियों और उसके सुतूनों और उसके आँगन को इन्हीं नापों के मुताबिक पाया और उसमें और उसके आँगन में चारों तरफ़ दरीचे थे; लम्बाई पचास हाथ और चौड़ाई पच्चीस हाथ थी।
וְתָאָו וְאֵילָו וְאֵֽלַמָּו כַּמִּדּוֹת הָאֵלֶּה וְחַלּוֹנוֹת לוֹ וּלְאֵלַמָּו סָבִיב ׀ סָבִיב חֲמִשִּׁים אַמָּה אֹרֶךְ וְרֹחַב עֶשְׂרִים וְחָמֵשׁ אַמּֽוֹת׃
30 और आँगन चारों तरफ़ पच्चीस हाथ लम्बी और पाँच हाथ चौड़ी थी।
וְאֵלַמּוֹת סָבִיב ׀ סָבִיב אֹרֶךְ חָמֵשׁ וְעֶשְׂרִים אַמָּה וְרֹחַב חָמֵשׁ אַמּֽוֹת׃
31 उसकी आँगन बैरूनी सहन की तरफ़ थी और उसके सुतूनों पर खजूर की सूरतें थीं और ऊपर जाने के लिए आठ ज़ीने थे।
וְאֵלַמָּו אֶל־חָצֵר הַחִצוֹנָה וְתִמֹרִים אֶל־אֵילָו וּמַעֲלוֹת שְׁמוֹנֶה מַעֲלָֽו׃
32 और वह मुझे पूरब की तरफ़ अन्दरूनी सहन में लाया और इन्हीं नापों के मुताबिक़ फाटक को पाया।
וַיְבִיאֵנִי אֶל־הֶחָצֵר הַפְּנִימִי דֶּרֶךְ הַקָּדִים וַיָּמׇד אֶת־הַשַּׁעַר כַּמִּדּוֹת הָאֵֽלֶּה׃
33 और उसकी कोठरियों और सुतूनों और आँगन को इन्हीं नापों के मुताबिक़ पाया, और उसमें और उसके आँगन में चारों तरफ़ दरीचे थे; लम्बाई पचास हाथ चौड़ाई पच्चीस हाथ थी।
וְתָאָו וְאֵלָו וְאֵֽלַמָּו כַּמִּדּוֹת הָאֵלֶּה וְחַלּוֹנוֹת לוֹ וּלְאֵלַמָּו סָבִיב ׀ סָבִיב אֹרֶךְ חֲמִשִּׁים אַמָּה וְרֹחַב חָמֵשׁ וְעֶשְׂרִים אַמָּֽה׃
34 और उसका आँगन बैरूनी सहन की तरफ़ था और उसके सुतूनों पर इधर — उधर खजूर की सूरतें थीं, और ऊपर जाने के लिए आठ ज़ीने थे।
וְאֵלַמָּו לֶחָצֵר הַחִיצוֹנָה וְתִמֹרִים אֶל־אֵלָו מִפּוֹ וּמִפּוֹ וּשְׁמֹנֶה מַעֲלוֹת מַעֲלָֽו׃
35 और वह मुझे उत्तरी फाटक की तरफ़ ले गया और इन्हीं नापों के मुताबिक़ उसे पाया।
וַיְבִיאֵנִי אֶל־שַׁעַר הַצָּפוֹן וּמָדַד כַּמִּדּוֹת הָאֵֽלֶּה׃
36 उसकी कोठरियों और उसके सुतूनों और उसके आँगन को जिनमें चारों तरफ़ दरीचे थे, लम्बाई पचास हाथ चौड़ाई पच्चीस हाथ थी।
תָּאָו אֵלָו וְאֵלַמָּו וְחַלּוֹנוֹת לוֹ סָבִיב ׀ סָבִיב אֹרֶךְ חֲמִשִּׁים אַמָּה וְרֹחַב חָמֵשׁ וְעֶשְׂרִים אַמָּֽה׃
37 और उसके सुतून बैरूनी सहन की तरफ़ थे, और उसके सुतूनों पर इधर उधर खजूर की सूरतें थीं और ऊपर जाने के लिए आठ जीने थे।
וְאֵילָו לֶחָצֵר הַחִיצוֹנָה וְתִמֹרִים אֶל־אֵילָו מִפּוֹ וּמִפּוֹ וּשְׁמֹנֶה מַעֲלוֹת מַעֲלָֽו׃
38 और फाटकों के सुतूनों के पास दरवाज़ेदार हुजरा था, जहाँ सोख़्तनी कु़र्बानियाँ धोते थे।
וְלִשְׁכָּה וּפִתְחָהּ בְּאֵילִים הַשְּׁעָרִים שָׁם יָדִיחוּ אֶת־הָעֹלָֽה׃
39 और फाटक के आँगन में दो मेज़े इस तरफ़ और दो उस तरफ़ थीं, कि उन पर सोख़्तनी क़ुर्बानी और ख़ता की क़ुर्बानी और जुर्म की क़ुर्बानी ज़बह करें।
וּבְאֻלָם הַשַּׁעַר שְׁנַיִם שֻׁלְחָנוֹת מִפּוֹ וּשְׁנַיִם שֻׁלְחָנוֹת מִפֹּה לִשְׁחוֹט אֲלֵיהֶם הָעוֹלָה וְהַחַטָּאת וְהָאָשָֽׁם׃
40 और बाहर की तरफ़ उत्तरी फाटक के मदख़ल के पास दो मेज़ें थीं, और फाटक की डयोढ़ी की दूसरी तरफ़ दो मेजें।
וְאֶל־הַכָּתֵף מִחוּצָה לָֽעוֹלֶה לְפֶתַח הַשַּׁעַר הַצָּפוֹנָה שְׁנַיִם שֻׁלְחָנוֹת וְאֶל־הַכָּתֵף הָאַחֶרֶת אֲשֶׁר לְאֻלָם הַשַּׁעַר שְׁנַיִם שֻׁלְחָנֽוֹת׃
41 फाटक के पास चार मेज़ें इस तरफ़ और चार उस तरफ़ थीं, या'नी आठ मेज़े जिन पर ज़बह करें।
אַרְבָּעָה שֻׁלְחָנוֹת מִפֹּה וְאַרְבָּעָה שֻׁלְחָנוֹת מִפֹּה לְכֶתֶף הַשָּׁעַר שְׁמוֹנָה שֻׁלְחָנוֹת אֲלֵיהֶם יִשְׁחָֽטוּ׃
42 सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए तराशे हुए पत्थरों की चार मेजें थीं, जो डेढ़ हाथ लम्बी और डेढ़ हाथ चौड़ी और एक हाथ ऊँची थीं, जिन पर वह सोख़्तनी क़ुर्बानी और ज़बीहे को ज़बह करने के हथियार रखते थे।
וְאַרְבָּעָה שֻׁלְחָנוֹת לָעוֹלָה אַבְנֵי גָזִית אֹרֶךְ אַמָּה אַחַת וָחֵצִי וְרֹחַב אַמָּה אַחַת וָחֵצִי וְגֹבַהּ אַמָּה אֶחָת אֲלֵיהֶם וְיַנִּיחוּ אֶת־הַכֵּלִים אֲשֶׁר יִשְׁחֲטוּ אֶת־הָעוֹלָה בָּם וְהַזָּֽבַח׃
43 और उसके अन्दर चारों तरफ़ चार उंगल लम्बी अंकड़ियाँ लगी थीं और क़ुर्बानी का गोश्त मेज़ों पर था।
וְהַֽשְׁפַתַּיִם טֹפַח אֶחָד מוּכָנִים בַּבַּיִת סָבִיב ׀ סָבִיב וְאֶל־הַשֻּׁלְחָנוֹת בְּשַׂר הַקׇּרְבָֽן׃
44 और अन्दरूनी फाटक से बाहर अन्दरूनी सहन में जो उत्तरी फाटक की जानिब था, गाने वालों के कमरे थे और उनका रुख़ दक्खिन की तरफ़ था, और एक पूरबी फाटक की जानिब था जिसका रुख़ उत्तर की तरफ़ था।
וּמִחוּצָה לַשַּׁעַר הַפְּנִימִי לִֽשְׁכוֹת שָׁרִים בֶּחָצֵר הַפְּנִימִי אֲשֶׁר אֶל־כֶּתֶף שַׁעַר הַצָּפוֹן וּפְנֵיהֶם דֶּרֶךְ הַדָּרוֹם אֶחָד אֶל־כֶּתֶף שַׁעַר הַקָּדִים פְּנֵי דֶּרֶךְ הַצָּפֹֽן׃
45 और उसने मुझ से कहा, कि “यह कमरा जिसका रुख़ दक्खिन की तरफ़ है, उन काहिनों के लिए है जो घर की निगहबानी करते हैं;
וַיְדַבֵּר אֵלָי זֹה הַלִּשְׁכָּה אֲשֶׁר פָּנֶיהָ דֶּרֶךְ הַדָּרוֹם לַכֹּהֲנִים שֹׁמְרֵי מִשְׁמֶרֶת הַבָּֽיִת׃
46 और वह कमरा जिसका रुख़ उत्तर की तरफ़ है, उन काहिनों के लिए है जो मज़बह की मुहाफ़िज़त में हाज़िर हैं; यह बनी सदूक़ हैं जो बनी लावी में से ख़ुदावन्द के सामने आते हैं कि उसकी ख़िदमत करें।”
וְהַלִּשְׁכָּה אֲשֶׁר פָּנֶיהָ דֶּרֶךְ הַצָּפוֹן לַכֹּהֲנִים שֹׁמְרֵי מִשְׁמֶרֶת הַמִּזְבֵּחַ הֵמָּה בְנֵֽי־צָדוֹק הַקְּרֵבִים מִבְּנֵֽי־לֵוִי אֶל־יְהֹוָה לְשָׁרְתֽוֹ׃
47 और उसने सहन को सौ हाथ लम्बा और सौ हाथ चौड़ा मुरब्बा नापा और मज़बह घर के सामने था।
וַיָּמׇד אֶת־הֶחָצֵר אֹרֶךְ ׀ מֵאָה אַמָּה וְרֹחַב מֵאָה אַמָּה מְרֻבָּעַת וְהַמִּזְבֵּחַ לִפְנֵי הַבָּֽיִת׃
48 फिर वह मुझे घर के आँगन में लाया और आँगन को नापा; पाँच हाथ इधर पाँच हाथ उधर और फाटक की चौड़ाई तीन हाथ इस तरफ़ थी और तीन हाथ उस तरफ़।
וַיְבִאֵנִי אֶל־אֻלָם הַבַּיִת וַיָּמָד אֵל אֻלָם חָמֵשׁ אַמּוֹת מִפֹּה וְחָמֵשׁ אַמּוֹת מִפֹּה וְרֹחַב הַשַּׁעַר שָׁלֹשׁ אַמּוֹת מִפּוֹ וְשָׁלֹשׁ אַמּוֹת מִפּֽוֹ׃
49 आँगन की लम्बाई बीस हाथ और चौड़ाई ग्यारह हाथ की और सीढ़ी के ज़ीने जिनसे उस पर चढ़ते थे और सुतूनों के पास पील पाए थे, एक इस तरफ़ और एक उस तरफ़।
אֹרֶךְ הָאֻלָם עֶשְׂרִים אַמָּה וְרֹחַב עַשְׁתֵּי עֶשְׂרֵה אַמָּה וּבַֽמַּעֲלוֹת אֲשֶׁר יַעֲלוּ אֵלָיו וְעַמֻּדִים אֶל־הָאֵילִים אֶחָד מִפֹּה וְאֶחָד מִפֹּֽה׃

< हिज़ि 40 >