< हिज़ि 37 >
1 ख़ुदावन्द का हाथ मुझ पर था, और उसने मुझे अपनी रूह में उठा लिया और उस वादी में जो हड्डियों से पुर थी, मुझे उतार दिया।
El Señor me recogió y me llevó con su Espíritu. Me puso en medio de un valle que estaba lleno de huesos.
2 और मुझे उनके आसपास चारों तरफ़ फिराया, और देख, वह वादी के मैदान में ब — कसरत और बहुत सूखी थीं।
Me condujo alrededor de ellos, y en todas las direcciones vi muchísimos huesos en el fondo del valle. Estaban muy secos.
3 और उसने मुझे फ़रमाया, कि 'ऐ आदमज़ाद, क्या यह हड्डियाँ ज़िन्दा हो सकती हैं मेंने जवाब दिया, कि 'ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा, तू ही जानता है।
Entonces me preguntó: “Hijo de hombre, ¿pueden estos huesos volver a la vida?”. “Señor Dios, sólo tú sabes la respuesta”, le contesté.
4 फिर उसने मुझे फ़रमाया, तू इन हड्डियों पर नबुव्वत कर और इनसे कह, ऐ सूखी हड्डियों, ख़ुदावन्द का कलाम सुनो।
Me dijo: “Profetiza a estos huesos y diles: ¡Huesos secos, escuchad este mensaje del Señor!
5 ख़ुदावन्द ख़ुदा इन हड्डियों को यूँ फ़रमाता है: कि मैं तुम्हारे अन्दर रूह डालूँगा और तुम ज़िन्दा हो जाओगी।
Esto es lo que el Señor Dios dice a estos huesos: Soplaré aire en ustedes y volverán a la vida.
6 और तुम पर नसें फैलाऊँगा और गोश्त चढ़ाऊँगा, और तुम को चमड़ा पहनाऊँगा और तुम में दम फूकूँगा, और तुम ज़िन्दा होगी और जानोगी कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।
Les daré tendones y haré que les crezca carne y los cubriré con piel. Les insuflaré aire para que vuelvan a la vida. Entonces sabrás que yo soy el Señor”.
7 तब मैंने हुक्म के मुताबिक़ नबुव्वत की, और जब मैं नबुव्वत कर रहा था तो एक शोर हुआ, और देख, ज़लज़ला आया और हड्डियाँ आपस में मिल गई, हर एक हड्डी अपनी हड्डी से।
Así que profeticé tal como se me había ordenado. Cuando empecé a profetizar, de repente oí un ruido seco. Los huesos se unieron, hueso pegado a hueso.
8 और मैंने निगाह की तो क्या देखता हूँ कि नसें और गोश्त उन पर चढ़ आए, और उन पर चमड़े की पोशिश हो गई, लेकिन उनमें दम न था।
Mientras miraba, vi que les crecían tendones y carne, y que la piel los cubría; pero los cuerpos no respiraban.
9 तब उसने मुझे फ़रमाया, नबुव्वत कर, तू हवा से नबुव्वत कर ऐ आदमज़ाद, और हवा से कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि ऐ दम, तू चारों तरफ़ से आ और इन मक़्तूलों पर फूँक कि ज़िन्दा हो जाएँ।
Entonces me dijo: “¡Anuncia al aliento! Profetiza, hijo de hombre, y dile al aliento que esto es lo que dice el Señor Dios: ¡Aliento, ven de los cuatro vientos, y sopla en estos cuerpos, para que vuelvan a la vida!”
10 इसलिए मैंने हुक्म के मुताबिक़ नबुव्वत की और उनमें दम आया, और वह ज़िन्दा होकर अपने पाँव पर खड़ी हुई; एक बहुत बड़ा लश्कर!
Así que profeticé tal como me había ordenado, y el aliento entró en los cuerpos, y éstos volvieron a la vida y se pusieron de pie, ¡un enorme ejército!
11 तब उसने मुझे फ़रमाया, कि 'ऐ आदमज़ाद, यह हड्डियाँ तमाम बनी — इस्राईल हैं; देख, यह कहते हैं, 'हमारी हड्डियाँ सूख गई और हमारी उम्मीद जाती रही, हम तो बिल्कुल फ़ना हो गए।
Me dijo: “Hijo de hombre, estos huesos representan a todo el pueblo de Israel. Escucha lo que dice la gente: ‘Nuestros huesos se han secado y nuestra esperanza ha sido aplastada. Hemos sido aniquilados’.
12 इसलिए तू नबुव्वत कर और इनसे कह ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि ऐ मेरे लोगो, देखो मैं तुम्हारी क़ब्रों को खोलूँगा और तुम को उनसे बाहर निकालूँगा और इस्राईल के मुल्क में लाऊँगा।
“Así que profetiza y diles que esto es lo que dice el Señor Dios: Pueblo mío, voy a abrir tus tumbas y te sacaré de ellas, y te llevaré de vuelta al país de Israel.
13 और ऐ मेरे लोगों जब मैं तुम्हारी क़ब्रों को खोलूँगा और तुम को उनसे बाहर निकालूँगा, तब तुम जानोगे कि ख़ुदावन्द मैं हूँ।
Entonces sabrán que yo soy el Señor, cuando abra sus tumbas y los saque de ellas, pueblo mío.
14 और मैं अपनी रूह तुम में डालूँगा और तुम ज़िन्दा हो जाओगे, और मैं तुम को तुम्हारे मुल्क में बसाऊँगा, तब तुम जानोगे कि मैं ख़ुदावन्द ने फ़रमाया और पूरा किया, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
Pondré mi Espíritu en ustedes y volverán a vivir, y los llevaré de vuelta a su propio país. Entonces sabrás que yo, el Señor, he hablado, y lo cumpliré, declara el Señor”.
15 फिर ख़ुदा वन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
Otro mensaje del Señor me llegó, diciendo:
16 कि 'ऐ आदमज़ाद, एक छड़ी ले और उस पर लिख, 'यहूदाह और उसके रफ़ीक़ बनी — इस्राईल के लिए; फिर दूसरी छड़ी ले और उस पर यह लिख, 'इफ़्राईम की छड़ी यूसुफ़ और उसके रफ़ीक़ तमाम बनी इस्राईल के लिए।
“Hijo de hombre, toma un pedazo de madera y escribe en él ‘Esto pertenece a Judá y a las tribus israelitas aliadas a ellos’. Luego toma otro trozo de madera y escribe en él ‘Esto pertenece a José. Este es el pedazo de madera de Efraín y de las tribus israelitas aliadas a ellos’.
17 और उन दोनों को जोड़ दे कि एक ही छड़ी तेरे लिए हों, और वह तेरे हाथ में एक होंगी।
Luego une los dos trozos de madera en uno solo, de modo que los tengas como uno solo en tu mano.
18 और जब तेरी क़ौम के लोग तुझ से पूछे और कहें, कि “इन कामों से तेरा क्या मतलब है? क्या तू हमें नहीं बताएगा?”
“Cuando tu pueblo venga y te pregunte: ‘¿Vas a explicar de qué se trata todo esto?’
19 तो तू उनसे कहना, कि ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि देख, मैं यूसुफ़ की छड़ी को जो इफ़्राईम के हाथ में है, और उसके रफ़ीकों को जो इस्राईल के क़बीले हैं, लूँगा और यहूदाह की छड़ी के साथ जोड़ दूँगा और उनको एक ही छड़ी बना दूँगा और वह मेरे हाथ में एक होंगी।
Diles que esto es lo que dice el Señor Dios: Voy a tomar el trozo de madera de José, que tiene Efraín, junto con las tribus israelitas aliadas a ellos, y los uniré con el trozo de madera de Judá. Los convertiré en un solo pedazo de madera, y serán como uno solo en mi mano.
20 और वह छड़ियाँ जिन पर तू लिखता है, उनकी आँखों के सामने तेरे हाथ में होंगी।
“Cuando tengas en tus manos los trozos de madera en los que has escrito, y mientras todos te miran,
21 और तू उनसे कहना, कि ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि मैं बनी इस्राईल को क़ौमों के बीच से जहाँ जहाँ वह गए हैं निकाल लाऊँगा और हर तरफ़ से उनको इकठ्ठा करूँगा और उनको उनके मुल्क में लाऊँगा।
diles que esto es lo que dice el Señor Dios: Voy a hacer volver a los israelitas de las naciones a las que han ido. Los reuniré de todas partes y los llevaré de vuelta a su propio país.
22 और मैं उनको उस मुल्क में इस्राईल के पहाड़ों पर एक ही क़ौम बनाऊँगा, और उन सब पर एक ही बादशाह होगा, और वह आगे को न दो क़ौमें होंगे और न दो मम्लकतों में तक़सीम किए जाएँगे।
Haré de ellos una sola nación en el país, que vivirá en las montañas de Israel, y un solo rey los gobernará a todos. Ya no serán dos naciones; nunca más se dividirán en dos reinos.
23 और वह फिर अपने बुतों से और अपनी नफ़रत अन्गेज़ चीज़ों से और अपनी ख़ताकारी से, अपने आपको नापाक न करेंगे बल्कि मैं उनको उनके तमाम घरों से, जहाँ उन्होंने गुनाह किया है, छुड़ाऊँगा और उनको पाक करूँगा और वह मेरे लोग होंगे और मैं उनका ख़ुदा हूँगा।
“Ya no se contaminarán con sus ídolos o imágenes repugnantes, ni con ninguno de sus pecados producto de su rebeldía. Los salvaré de todos sus pecados cuando me abandonaron, y los limpiaré. Ellos serán mi pueblo, y yo seré su Dios.
24 'और मेरा बन्दा दाऊद उनका बादशाह होगा और उन सबका एक ही चरवाहा होगा, और वह मेरे हुक्मों पर चलेंगे और मेरे क़ानून को मानकर उन पर 'अमल करेंगे।
Mi siervo David será su rey. Estarán unidos bajo un solo gobernante. Seguirán mis leyes, y observarán y practicarán mis reglamentos.
25 और वह उस मुल्क में जो मैंने अपने बन्दा या'क़ूब को दिया जिसमें तुम्हारे बाप दादा बसते थे, बसेंगे और वह और उनकी औलाद और उनकी औलाद की औलाद हमेशा तक उसमें सुकूनत करेंगे और मेरा बन्दा दाऊद हमेशा के लिए उनका फरमारवा होगा।
“Vivirán en el país que le di a mi siervo Jacob, donde vivieron sus antepasados. Vivirán allí con sus hijos y nietos para siempre, y mi siervo David será su príncipe para siempre.
26 और मैं उनके साथ सलामती का 'अहद बाधूँगा जो उनके साथ हमेशा का 'अहद होगा, और मैं उनको बसाऊँगा और फ़िरावानी बख्शूँगा और उनके बीच अपने हैकल को हमेशा के लिए क़ाईम करूँगा।
Haré un acuerdo de paz con ellos. Será un acuerdo eterno. Los haré seguros y aumentaré su número, y mantendré mi santuario allí con ellos para siempre.
27 मेरा खे़मा भी उनके साथ होगा, मैं उनका ख़ुदा हूँगा और वह मेरे लोग होंगे।
Mi tabernáculo estará con ellos. Yo seré su Dios, y ellos serán mi pueblo.
28 और जब मेरा हैकल हमेशा के लिए उनके बीच रहेगा तो क़ौमें जानेंगी कि मैं ख़ुदावन्द इस्राईल को पाक करता हूँ।
Las naciones reconocerán que yo soy el Señor que bendice a Israel, cuando mi santuario esté con ellos para siempre”.