< हिज़ि 30 >
1 और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ।
et factum est verbum Domini ad me dicens
2 कि 'ऐ आदमज़ाद, नबुव्वत कर और कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि चिल्ला कर कहो: अफ़सोस उस दिन पर!'
fili hominis propheta et dic haec dicit Dominus Deus ululate vae vae diei
3 इसलिए कि वह दिन क़रीब है, हाँ, ख़ुदावन्द का दिन या'नी बादलों का दिन क़रीब है। वह क़ौमों की सज़ा का वक़्त होगा।
quia iuxta est dies et adpropinquavit dies Domini dies nubis tempus gentium erit
4 क्यूँकि तलवार मिस्र पर आएगी, और जब लोग मिस्र में क़त्ल होंगे और ग़ुलामी में जाएँगे और उसकी बुनियादें बर्बाद की जायेंगी तो अहल — ए — कूश सख़्त दर्द में मुब्तिला होंगे।
et veniet gladius in Aegyptum et erit pavor in Aethiopia cum ceciderint vulnerati in Aegypto et ablata fuerit multitudo illius et destructa fundamenta eius
5 कूश और फूत और लूद और तमाम मिले जुले लोग, और कूब और उस सरज़मीन के रहने वाले जिन्होंने मु'आहिदा किया है, उनके साथ तलवार से क़त्ल होंगे।
Aethiopia et Lybia et Lydii et omne reliquum vulgus et Chub et filii terrae foederis cum eis gladio cadent
6 ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है: कि मिस्र के मददगार गिर जाएँगे और उसके ताक़त का ग़ुरूर जाता रहेगा, मिजदाल से असवान तक वह उसमें तलवार से क़त्ल होंगे, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
haec dicit Dominus Deus et corruent fulcientes Aegyptum et destruetur superbia imperii eius a turre Syenes gladio cadent in ea ait Dominus exercituum
7 और वह वीरान मुल्कों के साथ वीरान होंगे, और उसके शहर उजड़े शहरों के साथ उजाड़ रहेंगे।
et dissipabuntur in medio terrarum desolatarum et urbes eius in medio civitatum desertarum erunt
8 और जब मैं मिस्र में आग भड़काऊँगा, और उसके सब मददगार हलाक किए जाएँगे तो वह मा'लूम करेंगे कि ख़ुदावन्द मैं हूँ।
et scient quoniam ego Dominus cum dedero ignem in Aegyptum et adtriti fuerint omnes auxiliatores eius
9 उस रोज़ बहुत से क़ासिद जहाज़ों पर सवार होकर, मेरी तरफ़ से रवाना होंगे कि ग़ाफ़िल कूशियों को डराएँ, और वह सख़्त दर्द में मुब्तिला होंगे जैसे मिस्र की सज़ा के वक़्त, क्यूँकि देख वह दिन आता है।
in die illa egredientur nuntii a facie mea in trieribus ad conterendam Aethiopiae confidentiam et erit pavor in eis in die Aegypti quia absque dubio veniet
10 ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि मैं मिस्र के गिरोह को शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र के हाथ से बर्बाद — ओ — हलाक कर दूँगा।
haec dicit Dominus Deus et cessare faciam multitudinem Aegypti in manu Nabuchodonosor regis Babylonis
11 वह और उसके साथ उसके लोग जो क़ौमों में हैबतनाक हैं, मुल्क उजाड़ने को भेजे जाएँगे और वह मिस्र पर तलवार खींचेंगे और मुल्क को मक़्तूलों से भर देंगे।
ipse et populus eius cum eo fortissimi gentium adducentur ad disperdendam terram et evaginabunt gladios suos super Aegyptum et implebunt terram interfectis
12 और मैं नदियों को सुखा दूँगा और मुल्क को शरीरों के हाथ बेचूँगा और मैं उस सर ज़मीन को और उसकी तमाम मा'मूरी को अजनबियों के हाथ से वीरान करूँगा, मैं ख़ुदावन्द ने फ़रमाया है।
et faciam alveos fluminum aridos et tradam terram in manu pessimorum et dissipabo terram et plenitudinem eius in manu alienorum ego Dominus locutus sum
13 ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि “मैं बुतों को भी बर्बाद — ओ — हलाक करूँगा और नूफ़ में से मूरतों को मिटा डालूँगा और आइंदा को मुल्क — ए — मिस्र से कोई बादशाह खड़ा न होगा, और मैं मुल्क — ए — मिस्र में दहशत डाल दूँगा।
haec dicit Dominus Deus et disperdam simulacra et cessare faciam idola de Memphis et dux de terra Aegypti non erit amplius et dabo terrorem in terra Aegypti
14 और फ़तरूस को वीरान करूँगाऔर जुअन में आग भड़काऊँगा और नो पर फ़तवा दूँगा।
et disperdam terram Fatures et dabo ignem in Tafnis et faciam iudicia in Alexandriam
15 और मैं सीन पर जो मिस्र का किला' है, अपना क़हर नाज़िल करूँगा और नो के गिरोह को काट डालूँगा।
et effundam indignationem meam super Pelusium robur Aegypti et interficiam multitudinem Alexandriae
16 और मैं मिस्र में आग लगा दूँगा, सीन को सख़्त दर्द होगा, और नो में रखने हो जाएँगे और नूफ़ पर हर दिन मुसीबत होगी।
et dabo ignem in Aegypto quasi parturiens dolebit Pelusium et Alexandria erit dissipata et in Memphis angustiae cotidianae
17 ओन और फ़ीबसत के जवान तलवार से क़त्ल होंगे और यह दोनों बस्तियाँ ग़ुलामी में जाएँगी।
iuvenes Eliupoleos et Bubasti gladio cadent et ipsae captivae ducentur
18 और तहफ़नहीस में भी दिन अँधेरा होगा, जिस वक़्त मैं वहाँ मिस्र के जूओं को तोडूँगा और उसकी क़ुव्वत की शौकत मिट जाएगी और उस पर घटा छा जाएगी और उसकी बेटियाँ ग़ुलाम होकर जाएँगी।
et in Tafnis nigrescet dies cum contrivero ibi sceptra Aegypti et defecerit in ea superbia potentiae eius ipsam nubes operiet filiae autem eius in captivitatem ducentur
19 इसी तरह से मिस्र को सज़ा दूँगा और वह जानेंगे कि ख़ुदावन्द मैं हूँ।”
et faciam iudicia in Aegypto et scient quia ego Dominus
20 ग्यारहवें बरस के पहले महीने की सातवीं तारीख़ को, ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
et factum est in undecimo anno in primo in septima mensis factum est verbum Domini ad me dicens
21 कि 'ऐ आदमज़ाद, मैंने शाह — ए — मिस्र फ़िर'औन का बाज़ू तोड़ा, और देख, वह बाँधा न गया, दवा लगा कर उस पर पट्टियाँ न कसी गई कि तलवार पकड़ने के लिए मज़बूत हो।
fili hominis brachium Pharao regis Aegypti confregi et ecce non est obvolutum ut restitueretur ei sanitas ut ligaretur pannis et farciretur linteolis et recepto robore posset tenere gladium
22 इसलिए ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि देख, मैं शाह — ए — मिस्र फ़िर'औन का मुख़ालिफ़ हूँ, और उसके बाज़ू ओं को या'नी मज़बूत और टूटे को तोडूँगा, और तलवार उसके हाथ से गिरा दूँगा।
propterea haec dicit Dominus Deus ecce ego ad Pharao regem Aegypti et comminuam brachium eius forte sed confractum et deiciam gladium de manu eius
23 और मिस्रियों को क़ौमों में तितर बितर और मुमालिक में तितर बितर करूँगा।
et dispergam Aegyptum in gentibus et ventilabo eos in terris
24 और मैं शाह — ए — बाबुल के बाज़ूओं को कु़व्वत बख़्शूँगा और अपनी तलवार उसके हाथ में दूँगा, लेकिन फ़िर'औन के बाज़ूओं को तोडूँगा और वह उसके आगे, उस घायल की तरह जो मरने पर ही आहें मारेगा।
et confortabo brachia regis Babylonis daboque gladium meum in manu eius et confringam brachia Pharaonis et gement gemitibus interfecti coram facie eius
25 हाँ शाह — ए — बाबुल के बाज़ूओं को सहारा दूँगा और फ़िर'औन के बाज़ू गिर जायेंगे और जब मैं अपनी तलवार शाह — ए — बाबुल के हाथ में दूँगा और वह उसको मुल्क — ए — मिस्र पर चलाएगा, तो वह जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।
et confortabo brachia regis Babylonis et brachia Pharaonis concident et scient quia ego Dominus cum dedero gladium meum in manu regis Babylonis et extenderit eum super terram Aegypti
26 और मैं मिस्रियों को क़ौमों में तितर बितर और ममलिक में तितर — बितर कर दूँगा, और वह जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।
et dispergam Aegyptum in nationes et ventilabo eos in terris et scient quia ego Dominus