< हिज़ि 27 >

1 फिर ख़ुदावन्द का कलाम मुझपर नाज़िल हुआ।
याहवेह का वचन मेरे पास आया:
2 कि 'ऐ आदमज़ाद, तू सूर पर नोहा शुरू' कर।
“हे मनुष्य के पुत्र, सोर के लिए एक विलापगीत लो.
3 और सूर से कह तुझे, जिसने समन्दर के मदख़ल में जगह पाई और बहुत से बहरी मुल्क के लोगों के लिए तिजारत गाह है, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि 'ऐ सूर, तू कहता है, मेरा हुस्न कामिल है। किया।
सोर से कहो, जो समुद्र के प्रवेश द्वार पर बसा है और बहुत से समुद्रतट पर लोगों का व्यापारी है, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: “‘हे सोर, तुम कहते हो, “मैं पूरी तरह सुंदर हूं.”
4 तेरी सरहदें समन्दर के बीच हैं, तेरे मिस्तिरियों ने तेरी ख़ुशनुमाई को कामिल किया है।
तुम्हारी सीमा समुद्र के गर्भ तक थी; तुम्हें बनाने वालों ने तुम्हें पूरी तरह सुंदर बनाया.
5 उन्होंने सनीर के सरोओं से लाकर तेरे जहाज़ों के तख़्ते बनाए, और लुबनान से देवदार काटकर तेरे लिए मस्तूल बनाए।
उन्होंने तुम्हारी सब इमारती लकड़ी सेनीर पहाड़ के सनौवर के पेड़ों से ली हैं; उन्होंने तुम्हारे लिये एक मस्तूल बनाने के लिये लबानोन के देवदार की लकड़ी का उपयोग किया है.
6 बसन के बलूत से टाट बनाए तेरे तख़्ते जज़ाइर — ए — कित्तीम के सनूबर से हाथी दांत जड़कर तैयार किये गए।
तुम्हारे पतवारों के लिए उन्होंने बाशान के बांज वृक्षों की लकड़ी का उपयोग किया है; तुम्हारे पानी जहाज़ का छत कित्तिम समुद्रतट के चीड़ वृक्ष का है, जिसे हाथी-दांत से सजाया गया है.
7 तेरा बादबान मिस्री मुनक़्क़श कतान का था ताकि तेरे लिए झन्डे का काम दे, तेरा शामियाना जज़ाईरे इलिसा के कबूदी व अर्गवानी रंग का था।
तुम्हारे जहाज़ का पाल मिस्र देश के सुंदर कसीदा किए हुए मलमल के कपड़े का था, और यह तुम्हारे ध्वज के रूप में काम करता था; तुम्हारा तिरपाल (चांदनी) एलिशाह के समुद्रतट का था, जिसका रंग नीला और बैंगनी था.
8 सैदा और अर्वद के रहने वाले तेरे मल्लाह थे और ऐ सूर तेरे 'अक़्लमन्द तुझ में तेरे नाख़ुदा थे।
सीदोन और आरवद के लोग तुम्हारे मल्लाह थे; हे सोर, तुम्हारे निपुण लोग नाविक के रूप में जहाज़ पर थे.
9 जबल के बुजु़र्ग और 'अक़्लमन्द तुझ में थे कि रखना बन्दी करें, समन्दर के सब जहाज़ और उनके मल्लाह तुझमें हाज़िर थे कि तेरे लिए तिजारत का काम करें।
जहाज़ के जोड़ों को ठीक करने के लिये जहाज़ पर गेबल के अनुभवी शिल्पकार जहाज़ के शिल्पी के रूप में थे. समुद्र के सारे जहाज़ और उनके नाविक तुम्हारे व्यापारिक माल का लेनदेन करने के लिये तुम्हारे साथ थे.
10 फ़ारस और लूद और फूत के लोग तेरे लिए लश्कर के जंगी बहादुर थे। वह तुझ में सिपर और खूद को लटकाते और तुझे रौनक बख़्शाते थे।
“‘तुम्हारी सेना में परसिया, लूद और पूत के लोग शामिल थे. उन्होंने तुम्हारी शोभा बढ़ाते हुए, अपनी ढाल और टोप दीवारों पर टांग दिये थे.
11 अर्वद के मर्द तेरी ही फ़ौज के साथ चारों तरफ़ तेरी शहरपनाह पर मौजूद थे और बहादुर तेरे बुर्जों पर हाज़िर थे, उन्होंने अपनी सिप्परें चारों तरफ़ तेरी दीवारों पर लटकाई और तेरे जमाल को कामिल किया।
आरवद और हेलेक के लोग चारों तरफ से तुम्हारी दीवारों का पहरा दिये; गम्माद के लोग तुम्हारे स्तंभों पर थे. उन्होंने अपनी ढालें तुम्हारी दीवारों पर टांग दी; उन्होंने तुम्हारी सुंदरता में चार चांद लगाया.
12 'तरसीस ने हर तरह के माल की कसरत की वजह से तेरे साथ तिजारत की, वह चाँदी और लोहा और रॉगा और सीसा लाकर तेरे बाज़ारों में सौदागरी करते थे।
“‘सभी प्रकार की चीज़ों की अधिकता के कारण तरशीश के लोगों ने तुम्हारे साथ व्यापार किया; उन्होंने तुम्हारे सामानों को चांदी, लोहा, टीन और सीसा देकर खरीदा.
13 यावान तूबल और मसक तेरे ताजिर थे, वह तेरे बाज़ारों में और लुबनान तेरे बाज़ारों में गु़लामों और पीतल के बर्तनों की सौदागरी करते थे।
“‘यावन (ग्रीस), तूबल और मेशेख तुमसे व्यापार करते थे; वे तुम्हें तुम्हारे व्यापारिक सामानों के बदले मानव प्राणी और कांसे के चीज़ों को देते थे.
14 अहल — ए — तुजरमा ने तेरे बाज़ारों में घोड़ों, जंगी घोड़ों और खच्चरों की तिजारत की।
“‘बेथ-तोगरमाह के लोग तुम्हारे व्यापारिक सामानों के बदले रथ खींचनेवाले घोड़े, सेना के घोड़े और खच्चर दिया करते थे.
15 अहल ए — ददान तेरे ताजिर थे बहुत से बहरी मुल्क तिजारत के लिए तेरे इख़्तियार में वह हाथी दान्त और आबनूस मुबादला के लिए तेरे पास लाते थे
“‘रोडीस के लोग तुमसे व्यापार करते थे, और समुद्रतट के बहुतेरे देश तुम्हारे ग्राहक थे; वे अपना भुगतान हाथी-दांत और आबनूस (तेंदू) की लकड़ी देकर करते थे.
16 अरामी तेरी दस्तकारी की कसरत की वजह से तेरे साथ तिजारत करते थे वह गौहर — ए — शब — चराग़ और अर्गवानी रंग और चिकनदोज़ी और कतान और मूंगा और मल्लाह थे लाल लाकर तुझ से ख़रीद — ओ — फ़रोख़्त करते थे।
“‘तुम्हारे पास सामानों की अधिकता के कारण, अराम ने तुमसे व्यापार किया; वे तुम्हारी वस्तुओं के मूल्य के बदले तुम्हें हरित नीलमणि, बैंगनी रंग के कपड़े, कसीदा किए हुए कपड़े, अच्छे किस्म के मलमल कपड़े, मूंगा और लाल रत्न देते थे.
17 यहूदाह और इस्राईल का मुल्क तेरे ताजिर थे, वह मिनीत और पन्नग का गेहूँ और शहद और रोगन और बिलसान लाकर तेरे साथ तिजारत करते थे।
“‘यहूदिया तथा इस्राएल देश ने भी तुमसे व्यापार किया; वे तुम्हारे सामानों के भुगतान के बदले तुम्हें मिन्‍निथ में उपजे गेहूं, मिठाई, मधु, जैतून तेल और मलहम देते थे.
18 अहल — ए — दमिश्क़ तेरी दस्तकारी की कसरत की वजह से, और क़िस्म क़िस्म के माल की ज़्यादती के ज़रिए' हलबून की मय और सफ़ेद ऊन की तिजारत तेरे यहाँ करते थे।
“‘तुम्हारे पास उत्पादन की अधिकता और सामानों की अत्यधिक प्रचुरता के कारण दमेशेक ने तुमसे व्यापार किया. तुम्हारे सामान: बना हुआ लोहा, दालचीनी और तेजपत्ती के बदले उन्होंने तुम्हें हेलबोन की दाखमधु,
19 दान और यावान ऊज़ाल से तज और आबदार फ़ौलाद और अगर तेरे बाज़ारों में लाते थे।
जाहर का ऊन और उजाल में बने दाखमधु की लकड़ी के पीपे देने का प्रस्ताव दिया.
20 ददान तेरा ताजिर था, जो सवारी के चार — जामे तेरे हाथ बेचता था।
“‘देदान नगर तुम्हें घोड़े की पीठ पर बिछानेवाले कंबल देता था.
21 'अरब और कीदार के सब अमीर तिजारत की राह से तेरे हाथ में थे, वह बर्रे और मेंढे और बकरियाँ लाकर तेरे साथ तिजारत करते थे।
“‘अरेबिया के लोग और केदार देश के सब राजकुमार तुम्हारे ग्राहक थे; वे तुम्हें तुम्हारे सामान के बदले मेमने, मेढ़े और बकरियां देकर तुमसे लेनदेन करते थे.
22 सबा और रा'माह के सौदागर तेरे साथ सौदागरी करते थे; वह हर क़िस्म के नफ़ीस मसाल्हे और हर तरह के क़ीमती पत्थर और सोना, तेरे बाज़ारों में लाकर ख़रीद — ओ — फ़रोख़्त करते थे।
“‘शीबा तथा रामाह के व्यापारियों ने तुमसे व्यापार किया; तुम्हारे व्यापारिक सामानों के बदले वे तुम्हें सब प्रकार के सर्वोत्तम मसाले, बहुमूल्य रत्न एवं सोना देते थे.
23 हरान और कन्ना और अदन और सबा के सौदागर, और असूर और किलमद के बाशिन्दे तेरे साथ सौदागरी करते थे।
“‘हारान, कन्‍नेह, एदेन, शीबा, अश्शूर तथा किलमाद के व्यापारियों ने भी तुम्हारे ही साथ व्यापार किया.
24 यही तेरे सौदागर थे, जो लाजूर्दी कपड़े और कम ख़्वाब और नफ़ीस लिबासों से भरे देवदार के सन्दूक़, डोरी से कसे हुए तेरी तिजारतगाह में बेचने को लाते थे।
तुम्हारे बाज़ार के जगह में, वे तुम्हें तुम्हारे सामानों के बदले सुंदर कपड़े, नीले कपड़े, कसीदा किए हुए कपड़े और आंटी गई और कसकर बांधी गई डोरियों वाले रंग-बिरंगे कंबल देते थे.
25 तरसीस के जहाज़ तेरी तिजारत के कारवान थे, तू मा'मूर और वस्त — ए — बहर में बहुत शान — ओ — शौकत रखता था।
“‘तुम्हारे व्यापारिक सामानों का परिवहन तरशीश के पानी जहाजों से होता है जब तुम समुद्री यात्रा में जाते हो तो जहाज़ में तुम्हारा भारी माल भरा रहता है.
26 “तेरे मल्लाह तुझे गहरे पानी में लाए, पूरबी हवा ने तुझ को वस्त — ए — बहर में तोड़ा है।
तुम्हारे जहाज़ के चालक तुम्हें गहरे समुद्र में ले जाते हैं. पर पूर्व की हवा दूर समुद्र में तुम्हारे जहाज़ के टुकड़े-टुकड़े कर देगी.
27 तेरा माल — ओ — अस्बाब और तेरी अजनास — ए — तिजारत और तेरे अहल — ए — जहाज़ व ना ख़ुदा तेरे रखना बन्दी करनेवाले और तेरे कारोबार के गुमाश्ते और सब जंगी मर्द जो तुझ में हैं, उस तमाम जमा'अत के साथ जो तुझ में है, तेरी तबाही के दिन समन्दर के बीच में गिरेंगे।
तुम्हारी संपत्ति, व्यापारिक सामान और वस्तुएं, तुम्हारे नाविक, जहाज़ चलानेवाले और जहाज़ बनानेवाले, तुम्हारे व्यापारी और तुम्हारे सब सैनिक, और जहाज़ के सारे लोग उस दिन समुद्र की गहराई में डूब जाएंगे जब तुम्हारा जहाज़ टूट जाएगा.
28 तेरे नाख़ुदाओं के चिल्लाने के शोर से तमाम 'इलाक़े थर्रा जायेंगे।
तुम्हारे जहाज़ चलानेवालों की चिल्लाहट से समुद्रतट कांप उठेगा;
29 और तमाम मल्लाह और अहल — ए — जहाज़ और समन्दर के सब नाख़ुदा, अपने जहाज़ों पर से उतर आएँगे; वह ख़ुश्की पर खड़े होंगे।
पतवार चलानेवाले सबके सब अपने जहाजों को छोड़ देंगे, मल्लाह और जहाज़ को चलानेवाले सबके सब जहाज़ से उतरकर समुद्रतट पर खड़े हो जाएंगे.
30 और अपनी आवाज़ बुलन्द करके तेरी वजह से चिल्लाएँगे, और अपने सिरों पर ख़ाक डालेंगे और राख में लोटेंगे।
वे तुम्हारे कारण चिल्लाएंगे और बिलख-बिलखकर रोएंगे; वे अपने सिर पर धूल छिड़क कर राख में लोटेंगे.
31 वह तेरी वजह से सिर मुंडाएँगे और टाट ओढेंगे वह तेरे लिए दिल शिकस्ता होकर रोएँगे और जॉगुदाज़ नोहा करेंगे।
वे तुम्हारे कारण अपना सिर मुंड़ा लेंगे और टाट का कपड़ा पहनेंगे. वे मन की वेदना और भारी शोक से तुम्हारे विषय रोएंगे.
32 और नोहा करते हुए तुझ पर मरसिया ख़वानी करेंगे और तुझ पर यूँ रोएँगे; 'कौन सूर की तरह है, जो समन्दर के बीच में तबाह हुआ?
जब वे तुम्हारे विषय में बहुत रोएंगे और शोक मनाएंगे, तो वे तुम्हारे विषय एक विलापगीत गाएंगे: “कौन समुद्र से घिरे हुए सोर के समान चुप था?”
33 जब तेरा माल — ए — तिजारत समन्दर पर से जाता था, तब तुझ से बहुत सी क़ौमें मालामाल होती थीं; तू अपनी दौलत और अजनास — ए — तिजारत की कसरत से इस ज़मीन के बादशाहों को दौलतमन्द बनाता था।
जब तुम्हारे व्यापार का माल समुद्र में होकर जाता था, तो उससे तुम बहुत सी जाति के लोगों को संतुष्ट करते थे; अपनी अपार संपत्ति और व्यापारिक माल से तुमने पृथ्वी के राजाओं को समृद्ध कर दिया.
34 लेकिन अब तू समन्दर की गहराई में पानी के ज़ोर से टूट गया है, तेरी अजनास — ए — तिजारत। और तेरे अन्दर की तमाम जमा'अत गिर गई।
अब तुम पानी की गहराइयों में समुद्र के द्वारा चकनाचूर हो गये हो; तुम्हारा व्यापार का माल और जहाज़ में तुम्हारे पूरे लोगों का जत्था तुम्हारे साथ डूब गया है.
35 बहरी मुल्क के सब रहने वाले तेरे ज़रिए' हैरत ज़दह होंगे और उनके बादशाह बहुत तरसान होंगे और उनका चेहरा ज़र्द हो जाएगा।
समुद्रतट पर सब रहनेवाले तुम्हारी दशा देख डर गये हैं; उनके राजा तो आतंक से कांपते हैं और डर से उनके चेहरे का रंग उड़ गया है.
36 क़ौमों के सौदागर तेरा ज़िक्र सुनकर सुसकारेंगे, तू जा — ए — 'इबरत होगा और बाक़ी न रहेगा।”
जनता के बीच जो व्यापारी है, वे तुम्हारी खिल्ली उड़ाते हैं; तुम्हारा एक डरावना अंत हो गया है और तुम्हारा अस्तित्व अब नहीं रहेगा.’”

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