< हिज़ि 2 >

1 और उसने मुझे कहा, “ऐ आदमज़ाद अपने पाँव पर खड़ा हो कि मैं तुझसे बातें करूँ।”
ויאמר אלי בן אדם עמד על רגליך ואדבר אתך
2 जब उसने मुझे यूँ कहा, तो रूह मुझ में दाख़िल हुई और मुझे पाँव पर खड़ा किया; तब मैंने उसकी सुनी जो मुझ से बातें करता था।
ותבא בי רוח כאשר דבר אלי ותעמדני על רגלי ואשמע את מדבר אלי
3 चुनाँचे उसने मुझ से कहा, कि 'ऐआदमज़ाद, मैं तुझे बनी — इस्राईल के पास, या'नी उस सरकश क़ौम के पास जिसने मुझ से सरकशी की है भेजता हूँ वह और उनके बाप दादा आज के दिन तक मेरे गुनाहगार होते आए हैं।
ויאמר אלי בן אדם שולח אני אותך אל בני ישראל--אל גוים המורדים אשר מרדו בי המה ואבותם פשעו בי עד עצם היום הזה
4 क्यूँकि जिनके पास मैं तुझ को भेजता हूँ, वह सख़्त दिल और बेहया फ़र्ज़न्द हैं; तू उनसे कहना, 'ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है।
והבנים קשי פנים וחזקי לב--אני שולח אותך אליהם ואמרת אליהם כה אמר אדני יהוה
5 तो चाहे वह सुनें या न सुने क्यूँकि वह तो सरकश ख़ान्दान हैं तोभी इतना तो होगा कि वह जानेंगे कि उनमें से एक नबी खड़ा हुआ।
והמה אם ישמעו ואם יחדלו כי בית מרי המה--וידעו כי נביא היה בתוכם
6 तू ऐ आदमज़ाद उनसे परेशान न हो और उनकी बातों से न डर, हर वक़्त तू ऊँट कटारों और काँटों से घिरा है और बिच्छुओं के बीच रहता है। उनकी बातों से तरसान न हो और उनके चेहरों से न घबरा, अगरचे वह बाग़ी ख़ान्दान हैं।
ואתה בן אדם אל תירא מהם ומדבריהם אל תירא כי סרבים וסלונים אותך ואל עקרבים אתה יושב מדבריהם אל תירא ומפניהם אל תחת כי בית מרי המה
7 तब तू मेरी बातें उनसे कहना, चाहे वह सुनें चाहे न सुनें, क्यूँकि वह बहुत बाग़ी हैं।
ודברת את דברי אליהם אם ישמעו ואם יחדלו כי מרי המה
8 “लेकिन ऐ आदमज़ाद, तू मेरा कलाम सुन। तू उस सरकश ख़ान्दान की तरह सरकशी न कर, अपना मुँह खोल और जो कुछ मैं तुझे देता हूँ खा ले।”
ואתה בן אדם שמע את אשר אני מדבר אליך--אל תהי מרי כבית המרי פצה פיך--ואכל את אשר אני נתן אליך
9 और मैंने निगाह की, तो क्या देखता हूँ कि एक हाथ मेरी तरफ़ बढ़ाया हुआ है, और उसमें किताब का तूमार है।
ואראה והנה יד שלוחה אלי והנה בו מגלת ספר
10 और उसने उसे खोल कर मेरे सामने रख दिया। उसमें अन्दर बाहर लिखा हुआ था, और उसमें नोहा और मातम और आह और नाला मरकूम था।
ויפרש אותה לפני והיא כתובה פנים ואחור וכתוב אליה קנים והגה והי

< हिज़ि 2 >