< हिज़ि 19 >

1 अब तू इस्राईल के ''हाकिमों पर नौहा कर,
וְאַתָּה֙ שָׂ֣א קִינָ֔ה אֶל־נְשִׂיאֵ֖י יִשְׂרָאֵֽל׃
2 और कह, तेरी माँ कौन थी? एक शेरनी जो शेरों के बीच लेटी थी और जवान शेरों के बीच उसने अपने बच्चों को पाला।
וְאָמַרְתָּ֗ מָ֤ה אִמְּךָ֙ לְבִיָּ֔א בֵּ֥ין אֲרָי֖וֹת רָבָ֑צָה בְּת֥וֹךְ כְּפִרִ֖ים רִבְּתָ֥ה גוּרֶֽיהָ׃
3 और उसने अपने बच्चों में से एक को पाला, तो वह जवान शेर हुआ और शिकार करना सीख गया और आदमियों को निगलने लगा।
וַתַּ֛עַל אֶחָ֥ד מִגֻּרֶ֖יהָ כְּפִ֣יר הָיָ֑ה וַיִּלְמַ֥ד לִטְרָף־טֶ֖רֶף אָדָ֥ם אָכָֽל׃
4 और क़ौमों के बीच उसका ज़िक्र हुआ तो वह उनके गढ़े में पकड़ा गया, और वह उसे ज़न्जीरों से जकड़ कर ज़मीन — ए — मिस्र में लाए।
וַיִּשְׁמְע֥וּ אֵלָ֛יו גּוֹיִ֖ם בְּשַׁחְתָּ֣ם נִתְפָּ֑שׂ וַיְבִאֻ֥הוּ בַֽחַחִ֖ים אֶל־אֶ֥רֶץ מִצְרָֽיִם׃
5 और जब शेरनी ने देखा कि उसने बेफ़ाइदा इन्तिज़ार किया और उसकी उम्मीद जाती रही, तो उसने अपने बच्चों में से दूसरे को लिया और उसे पाल कर जवान शेर किया।
וַתֵּ֙רֶא֙ כִּ֣י נֽוֹחֲלָ֔ה אָבְדָ֖ה תִּקְוָתָ֑הּ וַתִּקַּ֛ח אֶחָ֥ד מִגֻּרֶ֖יהָ כְּפִ֥יר שָׂמָֽתְהוּ׃
6 और वह शेरों के बीच सैर करता फिरा और जवान शेर हुआ, और शिकार करना सीख गया और आदमियों को निगलने लगा।
וַיִּתְהַלֵּ֥ךְ בְּתוֹךְ־אֲרָי֖וֹת כְּפִ֣יר הָיָ֑ה וַיִּלְמַ֥ד לִטְרָף־טֶ֖רֶף אָדָ֥ם אָכָֽל׃
7 और उसने उनके महलों को बर्बाद किया, और उनके शहरों को वीरान किया; उसकी ग़रज़ से मुल्क उजड़ गया और उसकी आबादी न रही।
וַיֵּ֙דַע֙ אַלְמְנוֹתָ֔יו וְעָרֵיהֶ֖ם הֶחֱרִ֑יב וַתֵּ֤שַׁם אֶ֙רֶץ֙ וּמְלֹאָ֔הּ מִקּ֖וֹל שַׁאֲגָתֽוֹ׃
8 तब बहुत सी क़ौमें तमाम मुल्कों से उसकी घात में बैठीं, और उन्होंने उस पर अपना जाल फैलाया; वह उनके गढ़े में पकड़ा गया।
וַיִּתְּנ֨וּ עָלָ֥יו גּוֹיִ֛ם סָבִ֖יב מִמְּדִינ֑וֹת וַֽיִּפְרְשׂ֥וּ עָלָ֛יו רִשְׁתָּ֖ם בְּשַׁחְתָּ֥ם נִתְפָּֽשׂ׃
9 और उन्होंने उसे ज़न्जीरों से जकड़ कर पिंजरे में डाला और शाह — ए — बाबुल के पास ले आए। उन्होंने उसे क़िले' में बन्द किया, ताकि उसकी आवाज़ इस्राईल के पहाड़ों पर फिर सुनी न जाए।
וַֽיִּתְּנֻ֤הוּ בַסּוּגַר֙ בַּֽחַחִ֔ים וַיְבִאֻ֖הוּ אֶל־מֶ֣לֶךְ בָּבֶ֑ל יְבִאֻ֙הוּ֙ בַּמְּצֹד֔וֹת לְמַ֗עַן לֹא־יִשָּׁמַ֥ע קוֹל֛וֹ ע֖וֹד אֶל־הָרֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ פ
10 तेरी माँ उस ताक से' मुशाबह थी, जो तेरी तरह पानी के किनारे लगाई गई; वह पानी की बहुतायत के ज़रिए' फलदार और शाख़दार हुई।
אִמְּךָ֥ כַגֶּ֛פֶן בְּדָמְךָ֖ עַל־מַ֣יִם שְׁתוּלָ֑ה פֹּֽרִיָּה֙ וַֽעֲנֵפָ֔ה הָיְתָ֖ה מִמַּ֥יִם רַבִּֽים׃
11 और उसकी शाख़ें ऐसी मज़बूत हो गई के बादशाहों के 'असा उन से बनाए गए, और घनी शाख़ों में उसका तना बुलन्द हुआ और वह अपनी घनी शाख़ों के साथ ऊँची दिखाई देती थी।
וַיִּֽהְיוּ־לָ֞הּ מַטּ֣וֹת עֹ֗ז אֶל־שִׁבְטֵי֙ מֹֽשְׁלִ֔ים וַתִּגְבַּ֥הּ קֽוֹמָת֖וֹ עַל־בֵּ֣ין עֲבֹתִ֑ים וַיֵּרָ֣א בְגָבְה֔וֹ בְּרֹ֖ב דָּלִיֹּתָֽיו׃
12 लेकिन वह ग़ज़ब से उखाड़ कर ज़मीन पर गिराई गई, और पूरबी हवा ने उसका फल खु़श्क कर डाला, और उसकी मज़बूत डालियाँ तोड़ी गई और सूख गई और आग से भसम हुई।
וַתֻּתַּ֤שׁ בְּחֵמָה֙ לָאָ֣רֶץ הֻשְׁלָ֔כָה וְר֥וּחַ הַקָּדִ֖ים הוֹבִ֣ישׁ פִּרְיָ֑הּ הִתְפָּרְק֧וּ וְיָבֵ֛שׁוּ מַטֵּ֥ה עֻזָּ֖הּ אֵ֥שׁ אֲכָלָֽתְהוּ׃
13 और अब वह वीरान में सूखी और प्यासी ज़मीन में लगाई गई।
וְעַתָּ֖ה שְׁתוּלָ֣ה בַמִּדְבָּ֑ר בְּאֶ֖רֶץ צִיָּ֥ה וְצָמָֽא׃
14 और एक छड़ी से जो उसकी डालियों से बनी थी, आग निकलकर उसका फल खा गई और उसकी कोई ऐसी मज़बूत डाली न रही कि सल्तनत का 'असा हो। यह नोहा है और नोहे के लिए रहेगा।
וַתֵּצֵ֨א אֵ֜שׁ מִמַּטֵּ֤ה בַדֶּ֙יהָ֙ פִּרְיָ֣הּ אָכָ֔לָה וְלֹא־הָ֥יָה בָ֛הּ מַטֵּה־עֹ֖ז שֵׁ֣בֶט לִמְשׁ֑וֹל קִ֥ינָה הִ֖יא וַתְּהִ֥י לְקִינָֽה׃ פ

< हिज़ि 19 >