< ख़ुरु 3 >

1 और मूसा के ससुर यित्रो कि जो मिदियान का काहिन था, भेड़ — बकारियाँ चराता था। और वह भेड़ — बकरियों को हंकाता हुआ उनको वीराने की परली तरफ़ से ख़ुदा के पहाड़ होरिब के नज़दीक ले आया।
Y apacentando Moisés las ovejas de Jetro su suegro, sacerdote de Madián, llevó las ovejas detrás del desierto, y vino a Horeb, monte de Dios.
2 और ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता एक झाड़ी में से आग के शो'ले में उस पर ज़ाहिर हुआ। उसने निगाह की और क्या देखता है, कि एक झाड़ी में आग लगी हुई है पर वह झाड़ी भसम नहीं होती।
Y apareciósele el ángel de Jehová en una llama de fuego en medio de un zarzal: y él miró, y vio que el zarzal ardía en fuego, y el zarzal no se consumía.
3 तब मूसा ने कहा, “मैं अब ज़रा उधर कतरा कर इस बड़े मन्ज़र को देखूँ कि यह झाड़ी क्यूँ नहीं जल जाती।”
Entonces Moisés dijo: Ahora yo iré, y veré esta grande visión, por qué causa el zarzal no se queme.
4 जब ख़ुदावन्द ने देखा कि वह देखने को कतरा कर आ रहा है, तो ख़ुदा ने उसे झाड़ी में से पुकारा और कहा, ऐ मूसा! ऐ मूसा! “उसने कहा, मैं हाज़िर हूँ।”
Y viendo Jehová que iba a ver, llamóle Dios de medio del zarzal, y dijo: Moisés, Moisés: Y él respondió: Heme aquí.
5 तब उसने कहा, “इधर पास मत आ। अपने पाँव से जूता उतार, क्यूँकि जिस जगह तू खड़ा है वह पाक ज़मीन है।”
Y dijo: No te llegues acá: quita tus zapatos de tus pies, porque el lugar en que tú estás, tierra santa es.
6 फिर उसने कहा कि मैं तेरे बाप का ख़ुदा, या'नी अब्रहाम का ख़ुदा और इस्हाक़ का ख़ुदा और या'क़ूब का ख़ुदा हूँ। मूसा ने अपना मुँह छिपाया क्यूँकि वह ख़ुदा पर नज़र करने से डरता था।
Y dijo: Yo soy el Dios de tu padre, Dios de Abraham, Dios de Isaac, Dios de Jacob. Entonces Moisés cubrió su rostro, porque tuvo miedo de mirar a Dios.
7 और ख़ुदावन्द ने कहा, “मैंने अपने लोगों की तक्लीफ़ जो मिस्र में हैं ख़ूब देखी, और उनकी फ़रियाद जो बेगार लेने वालों की वजह से है सुनी, और मैं उनके दुखों को जानता हूँ।
Y dijo Jehová: Viendo he visto la aflicción de mi pueblo, que está en Egipto; y he oído su clamor a causa de sus exactores, por lo cual yo he entendido sus dolores.
8 और मैं उतरा हूँ कि उनको मिस्रियों के हाथ से छुड़ाऊँ, और उस मुल्क से निकाल कर उनको एक अच्छे और बड़े मुल्क में जहाँ दूध और शहद बहता है या'नी कना'नियों और हित्तियों और अमोरियों और फ़रिज़्ज़ीयों और हव्वियों और यबूसियों के मुल्क में पहुँचाऊँ।
Y he descendido para librarlos de mano de los Egipcios: yo los sacaré de esta tierra a una tierra buena y ancha, a tierra que corre leche y miel; a los lugares del Cananeo, del Jetteo, del Amorreo, del Ferezeo, del Heveo, y del Jebuseo.
9 देख बनी — इस्राईल की फ़रियाद मुझ तक पहुँची है, और मैंने वह जु़ल्म भी जो मिस्री उन पर करते हैं देखा है।
El clamor de los hijos de Israel ha venido ahora delante de mí: y también he visto la opresión con que los Egipcios les oprimen.
10 इसलिए अब आ मैं तुझे फ़िर'औन के पास भेजता हूँ कि तू मेरी क़ौम बनी — इस्राईल को मिस्र से निकाल लाए।”
Ven pues ahora, y enviarte he a Faraón, para que saques a mi pueblo, los hijos de Israel, de Egipto.
11 मूसा ने ख़ुदा से कहा, “मैं कौन हूँ जो फ़िर'औन के पास जाऊँ और बनी — इस्राईल को मिस्र से निकाल लाऊँ?”
Entonces Moisés respondió a Dios: ¿Quién soy yo, para que vaya a Faraón, y saque de Egipto a los hijos de Israel?
12 उसने कहा, “मैं ज़रूर तेरे साथ रहूँगा और इसका कि मैंने तुझे भेजा है तेरे लिए यह निशान होगा, कि जब तू उन लोगों को मिस्र से निकाल लाएगा तो तुम इस पहाड़ पर ख़ुदा की इबादत करोगे।”
Y él le respondió: Porque yo seré contigo: y esto te será por señal, de que yo te he enviado: Después que hubieres sacado a este pueblo de Egipto, serviréis a Dios sobre este monte.
13 तब मूसा ने ख़ुदा से कहा, “जब मैं बनी — इस्राईल के पास जाकर उनको कहूँ कि तुम्हारे बाप — दादा के ख़ुदा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है, और वह मुझे कहें कि उसका नाम क्या है? तो मैं उनको क्या बताऊँ?”
Y dijo Moisés a Dios: He aquí, yo vengo a los hijos de Israel, y les digo: El Dios de vuestros padres me ha enviado a vosotros: y si ellos me preguntan: ¿Cuál es su nombre? ¿Qué les responderé?
14 ख़ुदा ने मूसा से कहा, “मैं जो हूँ सो मैं हूँ। इसलिए तू बनी — इस्राईल से यूँ कहना, 'मैं जो हूँ ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है'।”
Y respondió Dios a Moisés: YO SOY EL QUE SOY. Y dijo: Así dirás a los hijos de Israel: YO SOY, me ha enviado a vosotros.
15 फिर ख़ुदा ने मूसा से यह भी कहा कि तू बनी — इस्राईल से यूँ कहना कि ख़ुदावन्द तुम्हारे बाप — दादा के ख़ुदा, अब्रहाम के ख़ुदा और इस्हाक़ के ख़ुदा और या'क़ूब के ख़ुदा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। हमेशा तक मेरा यही नाम है और सब नसलों में इसी से मेरा ज़िक्र होगा।
Y dijo más Dios a Moisés: Así dirás a los hijos de Israel: Jehová, el Dios de vuestros padres, el Dios de Abraham, Dios de Isaac, y Dios de Jacob, me ha enviado a vosotros. Este es mi nombre para siempre; y este es mi memorial por todos los siglos.
16 जा कर इस्राईली बुजु़र्गों को एक जगह जमा' कर और उनको कह, 'ख़ुदावन्द तुम्हारे बाप — दादा के ख़ुदा, अब्रहाम और इस्हाक़ और या'क़ूब के ख़ुदा ने मुझे दिखाई देकर यह कहा है कि मैंने तुम को भी, और जो कुछ बरताव तुम्हारे साथ मिस्र में किया जा रहा है उसे भी ख़ूब देखा है।
Vé, y junta los ancianos de Israel, y díles: Jehová, el Dios de vuestros padres, el Dios de Abraham, de Isaac, y de Jacob, me apareció, diciendo: Visitando os he visitado, y a lo que os es hecho en Egipto;
17 और मैंने कहा है कि मैं तुम को मिस्र के दुख में से निकाल कर कना'नियों और हित्तियों और अमोरियोंऔर फ़रिज़्ज़ियों और हव्वियों और यबूसियों के मुल्क में ले चलूँगा, जहाँ दूध और शहद बहता है।
Y dije: Yo os sacaré de la aflicción de Egipto a la tierra del Cananeo, y del Jetteo, y del Amorreo, y del Ferezeo, y del Heveo, y del Jebuseo, a una tierra que corre leche y miel.
18 और वह तेरी बात मानेंगे और तू इस्राईली बुज़ुर्गों को साथ लेकर मिस्र के बादशाह के पास जाना और उससे कहना कि 'ख़ुदावन्द इब्रानियों के ख़ुदा की हम से मुलाक़ात हुई। अब तू हम को तीन दिन की मंज़िल तक वीराने में जाने दे ताकि हम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए क़ुर्बानी करें।
Y oirán tu voz, e irás tú, y los ancianos de Israel al rey de Egipto, y decirle heis: Jehová, el Dios de los Hebreos, nos ha encontrado: por tanto nosotros iremos ahora camino de tres días por el desierto, para que sacrifiquemos a Jehová nuestro Dios.
19 और मैं जानता हूँ कि मिस्र का बादशाह तुम को न यूँ जाने देगा, न बड़े ज़ोर से।
Mas yo sé, que el rey de Egipto no os dejará ir, sino por mano fuerte.
20 तब मैं अपना हाथ बढ़ाऊँगा और मिस्र को उन सब 'अजायब से जो मैं उसमें करूँगा, मुसीबत में डाल दूँगा। इसके बाद वह तुम को जाने देगा।
Mas yo extenderé mi mano, y heriré a Egipto con todas mis maravillas, que haré en él; y entonces os dejará ir.
21 और मैं उन लोगों को मिस्रियों की नज़र में इज़्ज़त बख़्शूँगा और यूँ होगा कि जब तुम निकलोगे तो ख़ाली हाथ न निकलोगे।
Y yo daré a este pueblo gracia en los ojos de los Egipcios, para que cuando os partiereis, no salgáis vacíos:
22 बल्कि तुम्हारी एक — एक 'औरत अपनी अपनी पड़ौसन से और अपने — अपने घर की मेहमान से सोने चाँदी के ज़ेवर और लिबास माँग लेगी। इनको तुम अपने बेटों और बेटियों को पहनाओगे और मिस्रियों को लूट लोगे।
Y demandará cada mujer a su vecina y a su huéspeda vasos de plata, vasos de oro, y vestidos, los cuales pondréis sobre vuestros hijos, y vuestras hijas: y despojaréis a Egipto.

< ख़ुरु 3 >