< ख़ुरु 14 >
1 और ख़ुदावन्द ने मूसा से फ़रमाया, कि
And YHWH speaks to Moses, saying,
2 “बनी — इस्राईल को हुक्म दे कि वह लौट कर मिजदाल और समुन्दर के बीच फ़ी हख़ीरोत के सामने बाल — सफ़ोन के आगे ख़ेमे लगाएँ, उसी के आगे समुन्दर के किनारे किनारे ख़ेमें लगाना।
“Speak to the sons of Israel, and they turn back and encamp before Pi-Hahiroth, between Migdol and the sea, before Ba‘al-Zephon; you encamp in front of it by the sea,
3 फ़िर'औन बनी — इस्राईल के हक़ में कहेगा कि वह ज़मीन की उलझनों में आकर वीरान में घिर गए हैं।
and Pharaoh has said of the sons of Israel, They are entangled in the land, the wilderness has shut on them;
4 और मैं फ़िर'औन के दिल को सख़्त करूँगा और वह उनका पीछा करेगा, और मैं फ़िर'औन और उसके सारे लश्कर पर मुम्ताज़ हूँगा और मिस्री जान लेंगे कि ख़ुदावन्द मैं हूँ।” और उन्होंने ऐसा ही किया।
and I have strengthened the heart of Pharaoh, and he has pursued after them, and I am honored by Pharaoh, and by all his force, and the Egyptians have known that I [am] YHWH”; and they do so.
5 जब मिस्र के बादशाह को ख़बर मिली कि वह लोग चल दिए, तो फ़िर'औन और उसके खादिमों का दिल उन लोगों की तरफ़ से फिर गया, और वह कहने लगे कि हम ने यह क्या किया, कि इस्राईलियों को अपनी ख़िदमत से छुट्टी देकर उनको जाने दिया?
And it is declared to the king of Egypt that the people have fled, and the heart of Pharaoh and of his servants is turned against the people, and they say, “What [is] this we have done, that we have sent Israel away from our service?”
6 तब उसने अपना रथ तैयार करवाया और अपनी क़ौम के लोगों को साथ लिया,
And he harnesses his chariot, and he has taken his people with him,
7 और उसने छ: सौ चुने हुए रथ बल्कि मिस्र के सब रथ लिए और उन सभों में सरदारों को बिठाया।
and he takes six hundred chosen chariots, even all the chariots of Egypt, and captains over them all;
8 और ख़ुदावन्द ने मिस्र के बादशाह फ़िर'औन के दिल को सख़्त कर दिया और उसने बनी इस्राईल का पीछा किया, क्यूँकि बनी — इस्राईल बड़े फ़ख़्र से निकले थे।
and YHWH strengthens the heart of Pharaoh king of Egypt, and he pursues after the sons of Israel, and the sons of Israel are going out with a high hand,
9 और मिस्री फ़ौज ने फ़िर'औन के सब घोड़ों और रथों और सवारों समेत उनका पीछा किया और उनको जब वह समुन्दर के किनारे फ़ी — हख़ीरोत के पास बाल सफ़ोन के सामने ख़ेमा लगा रहे थे जा लिया।
and the Egyptians pursue after them, and all the chariot horses of Pharaoh, and his horsemen, and his force, overtake them, encamping by the sea, by Pi-Hahiroth, before Ba‘al-Zephon.
10 और जब फ़िर'औन नज़दीक आ गया तब बनी — इस्राईल ने आँख उठा कर देखा कि मिस्री उनका पीछा किए चले आते हैं, और वह बहुत ख़ौफ़ज़दा हो गए। तब बनी — इस्राईल ने ख़ुदावन्द से फ़रियाद की,
And Pharaoh has drawn near, and the sons of Israel lift up their eyes, and behold, the Egyptians are journeying after them, and they fear exceedingly, and the sons of Israel cry to YHWH.
11 और मूसा से कहने लगे, “क्या मिस्र में क़ब्रे न थीं जो तू हम को वहाँ से मरने के लिए वीराने में ले आया है? तूने हम से यह क्या किया कि हम को मिस्र से निकाल लाया?
And they say to Moses, “Because there are no graves in Egypt, have you taken us away to die in a wilderness? What is this you have done to us—to bring us out from Egypt?
12 क्या हम तुझ से मिस्र में यह बात न कहते थे कि हम को रहने दे कि हम मिस्रियों की ख़िदमत करें? क्यूँकि हमारे लिए मिस्रियों की ख़िदमत करना वीराने में मरने से बेहतर होता।”
Is this not the word which we spoke to you in Egypt, saying, Cease from us, and we serve the Egyptians; for [it is] better for us to serve the Egyptians than to die in a wilderness?”
13 तब मूसा ने लोगों से कहा, “डरो मत, चुपचाप खड़े होकर ख़ुदावन्द की नजात के काम को देखो जो वह आज तुम्हारे लिए करेगा। क्यूँकि जिन मिस्रियों को तुम आज देखते हो उनको फिर कभी हमेशा तक न देखोगे।
And Moses says to the people, “Do not fear, station yourselves, and see the salvation of YHWH, which He does for you today; for as you have seen the Egyptians today, you add no more to see them for all time;
14 ख़ुदावन्द तुम्हारी तरफ़ से जंग करेगा और तुम ख़ामोश रहोगे।”
YHWH fights for you, and you keep silent.”
15 और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, कि तू क्यूँ मुझ से फ़रियाद कर रहा है? बनी — इस्राईल से कह कि वह आगे बढ़ें।
And YHWH says to Moses, “Why do you cry to Me? Speak to the sons of Israel, and they journey;
16 और तू अपनी लाठी उठा कर अपना हाथ समुन्दर के ऊपर बढ़ा और उसे दो हिस्से कर, और बनी इस्राईल समुन्दर के बीच में से ख़ुश्क ज़मीन पर चल कर निकल जाएँगे।
and you, lift up your rod, and stretch out your hand toward the sea, and cleave it, and the sons of Israel go into the midst of the sea on dry land.
17 और देख, मिस्रियों के दिल सख़्त कर दूँगा और वह उनका पीछा करेंगे, और मैं फ़िर'औन और उसकी सिपाह और उसके रथों और सवारों पर मुम्ताज़ हूँगा।
And I—behold, I am strengthening the heart of the Egyptians, and they go in after them, and I am honored by Pharaoh, and by all his force, by his chariots, and by his horsemen;
18 और जब मैं फ़िर'औन और उसके रथों और सवारों पर मुम्ताज़ हो जाउँगा तो मिस्री जान लेंगे कि मैं ही ख़ुदावन्द हूँ।
and the Egyptians have known that I [am] YHWH, in My being honored by Pharaoh, by his chariots, and by his horsemen.”
19 और ख़ुदा उसका फ़रिश्ता जो इस्राईली लश्कर के आगे — आगे चला करता था जा कर उनके पीछे हो गया और बादल का वह सुतून उनके सामने से हट कर उनके पीछे जा ठहरा।
And the Messenger of God, who is going before the camp of Israel, journeys and goes at their rear; and the pillar of the cloud journeys from their front, and stands at their rear,
20 इस तरह वह मिस्रियों के लश्कर और इस्राईली लश्कर के बीच में हो गया, तब वहाँ बादल भी था और अन्धेरा भी तो भी रात को उससे रौशनी रही। तब वह रात भर एक दूसरे के पास नहीं आए।
and comes in between the camp of the Egyptians and the camp of Israel, and the cloud and the darkness are, and he enlightens the night, and the one has not drawn near to the other all the night.
21 फिर मूसा ने अपना हाथ समुन्दर के ऊपर बढ़ाया और ख़ुदावन्द ने रात भर तुन्द पूरबी आँधी चला कर और समुन्दर को पीछे हटा कर उसे ख़ुश्क ज़मीन बना दिया और पानी दो हिस्से हो गया।
And Moses stretches out his hand toward the sea, and YHWH causes the sea to go on by a strong east wind all the night, and makes the sea become dry ground, and the waters are cleaved,
22 और बनी — इस्राईल समुन्दर के बीच में से ख़ुश्क ज़मीन पर चल कर निकल गए और उनके दाहने और बाएँ हाथ पानी दीवार की तरह था।
and the sons of Israel go into the midst of the sea on dry land, and the waters [are] a wall to them, on their right and on their left.
23 और मिस्रियों ने पीछा किया और फ़िर'औन सब घोडे़ और रथ और सवार उनके पीछे — पीछे समुन्दर के बीच में चले गए।
And the Egyptians pursue, and go in after them (all the horses of Pharaoh, his chariots, and his horsemen) into the midst of the sea,
24 और रात के पिछले पहर ख़ुदावन्द ने आग और बादल के सुतून में से मिस्रियों के लश्कर पर नज़र कीऔर उनके लश्कर को घबरा दिया।
and it comes to pass, in the morning watch, that YHWH looks to the camp of the Egyptians through the pillar of fire and of the cloud, and troubles the camp of the Egyptians,
25 और उसने उनके रथों के पहियों को निकाल डाला इसलिए उनका चलना मुश्किल हो गया तब मिस्री कहने लगे, “आओ, हम इस्राईलियों के सामने से भागें, क्यूँकि ख़ुदावन्द उनकी तरफ़ से मिस्रियों के साथ जंग करता है।”
and turns aside the wheels of their chariots, and they lead them with difficulty, and the Egyptians say, “Let us flee from the face of Israel, for YHWH is fighting for them against the Egyptians.”
26 और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, कि अपना हाथ समुन्दर के ऊपर बढ़ा, ताकि पानी मिस्रियों और उनके रथों और सवारों पर फिर बहने लगे।
And YHWH says to Moses, “Stretch out your hand toward the sea, and the waters turn back on the Egyptians, on their chariots, and on their horsemen.”
27 और मूसा ने अपना हाथ समुन्दर के ऊपर बढ़ाया, और सुबह होते होते समुन्दर फिर अपनी असली ताक़त पर आ गया; और मिस्री उल्टे भागने लगे और ख़ुदावन्द ने समुन्दर के बीच ही में मिस्रियों को हलाक कर दिया।
And Moses stretches out his hand toward the sea, and the sea turns back, at the turning of the morning, to its perennial flow, and the Egyptians are fleeing at its coming, and YHWH shakes off the Egyptians in the midst of the sea,
28 और पानी पलट कर आया और उसने रथों और सवारों और फ़िर'औन सारे लश्कर जो इस्राईलियों का पीछा करता हुआ समुन्दर में गया था डुबो दिया और उसमे से एक भी बाक़ी न छोड़ा।
and the waters turn back, and cover the chariots and the horsemen, even all the force of Pharaoh, who are coming in after them into the sea—there has not been left even one of them.
29 लेकिन बनी — इस्राईल समुन्दर के बीच में ख़ुश्क ज़मीन पर चलकर निकल गए और पानी उनके दहने और बाएँ हाथ दीवार की तरह रहा।
And the sons of Israel have gone on dry land in the midst of the sea, and the waters [are] a wall to them, on their right and on their left;
30 फिर ख़ुदावन्द ने उस दिन इस्राईलियों को मिस्रियों को हाथ से इस तरह बचाया, और इस्राईलियों ने मिस्रियों को समुन्दर के किनारे मरे हुए पड़े देखा।
and YHWH saves Israel out of the hand of the Egyptians in that day, and Israel sees the Egyptians dead on the seashore,
31 और इस्राईलियों ने बड़ी क़ुदरत जो ख़ुदावन्द ने मिस्रियों पर ज़ाहिर की देखी, और वह लोग ख़ुदावन्द से डर गये और ख़ुदावन्द पर और उसके बन्दे मूसा पर ईमान लाए।
and Israel sees the great hand with which YHWH has worked against the Egyptians, and the people fear YHWH, and remain steadfast in YHWH, and in His servant Moses.