< इस्त 31 >
1 और मूसा ने जा कर यह बातें सब इस्राईलियों को सुनाई,
Und Mose ging hin und redete diese Worte zu ganz Israel und sprach zu ihnen:
2 और उनको कहा कि “मैं तो आज कि दिन एक सौ बीस बरस का हूँ, मैं अब चल फिर नहीं सकता; और ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा है कि तू इस यरदन पार नहीं जाएगा।
Ich bin heute hundertundzwanzig Jahre alt, ich kann nicht mehr aus und eingehen; auch hat der HERR zu mir gesagt: Du sollst diesen Jordan nicht überschreiten!
3 इसलिए ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा ही तेरे आगे — आगे पार जाएगा, और वही उन क़ौमों को तेरे आगे से फ़ना करेगा और तू उसका वारिस होगा; और जैसा ख़ुदावन्द ने कहा है, यशू'अ तुम्हारे आगे — आगे पार जाएगा।
Der HERR, dein Gott, geht selbst vor dir hinüber; Er selbst wird diese Völker vor dir her vertilgen, daß du sie überwindest; Josua geht vor dir hinüber, wie der HERR gesagt hat.
4 और ख़ुदावन्द उनसे वही करेगा जो उसने अमोरियों के बादशाह सीहोन और 'ओज और उनके मुल्क से किया, कि उनको फ़ना कर डाला।
Und der HERR wird an ihnen tun, wie er mit Sihon und Og, den Königen der Amoriter, und ihrem Lande getan, welche er vertilgt hat.
5 और ख़ुदावन्द उनको तुमसे शिकस्त दिलाएगा, और तुम उनसे उन सब हुक्मों के मुताबिक़ पेश आना जो मैंने तुमको दिए हैं।
Und wenn der HERR sie vor euch dahingegeben hat, so sollt ihr mit ihnen verfahren nach dem ganzen Gebot, das ich euch geboten habe.
6 तू मज़बूत हो जा और हौसला रख; मत डर और न उनसे ख़ौफ़ खा, क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा ख़ुद ही तेरे साथ जाता है; वह तुझसे दस्तबरदार नहीं होगा, और न तुमको छोड़ेगा।”
Seid tapfer und stark, fürchtet euch nicht und lasset euch nicht vor ihnen grauen; denn der HERR, dein Gott, geht selbst mit dir; er wird die Hände nicht von dir abtun, noch dich verlassen!
7 फिर मूसा ने यशू'अ को बुलाकर सब इस्राईलियों के सामने उससे कहा, “तू मज़बूत हो जा और हौसला रख; क्यूँकि तू इस क़ौम के साथ उस मुल्क में जाएगा, जिसको ख़ुदावन्द ने उनके बाप — दादा से क़सम खाकर देने को कहा था, और तू उनको उसका वारिस बनाएगा।
Und Mose rief Josua und sprach zu ihm vor ganz Israel: Sei tapfer und stark; denn du wirst mit diesem Volk in das Land kommen, das der HERR ihren Vätern zugeschworen hat, und du wirst es als Erbe unter sie austeilen.
8 और ख़ुदावन्द ही तेरे आगे — आगे चलेगा; वह तेरे साथ रहेगा, वह तुझ से न दस्तबरदार होगा, न तुझे छोड़ेगा; इसलिए तू ख़ौफ़ न कर और बे — दिल न हो।”
Der HERR aber, der selbst vor dir hergeht, wird mit dir sein und wird die Hand nicht von dir abziehen, noch dich verlassen; fürchte dich nicht und erschrick nicht!
9 और मूसा ने इस शरी'अत को लिखकर उसे काहिनों के, जो बनी लावी और ख़ुदावन्द के 'अहद के संन्दूक के उठाने वाले थे, और इस्राईल के सब बुज़ुर्गों के सुपर्द किया।
Und Mose schrieb dieses Gesetz und gab es den Priestern, den Kindern Levi, welche die Lade des Bundes des Herrn trugen, und allen Ältesten Israels.
10 फिर मूसा ने उनको यह हुक्म दिया, हर सात बरस के आख़िर में छुटकारे के साल के मु'अय्यन वक़्त पर झोपड़ियों के 'ईद में,
Und Mose gebot ihnen und sprach: Nach Verlauf von sieben Jahren, zur Zeit des Erlaßjahres, am Feste der Laubhütten,
11 जब सब इस्राईली ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा के सामने उस जगह आ कर हाज़िर हों जिसे वह ख़ुद चुनेगा, तो तुम इस शरी'अत को पढ़कर सब इस्राईलियों को सुनाना।
wenn ganz Israel kommt, um vor dem HERRN, deinem Gott, zu erscheinen an dem Ort, den er erwählen wird, sollst du dieses Gesetz vor ganz Israel lesen lassen, vor ihren Ohren.
12 तुम सारे लोगों को, या'नी मर्दों और 'औरतों और बच्चों और अपनी बस्तियों के मुसाफ़िरों को जमा' करना, ताकि वह सुनें और सीखें और ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा का ख़ौफ़ मानें और इस शरी “अत की सब बातों पर एहतियात रखकर 'अमल करें;
Versammle das Volk, Männer und Weiber und Kinder, auch den Fremdling, der in deinen Toren ist, damit sie hören und lernen, auf daß sie den HERRN, euren Gott, fürchten und achtgeben, alle Worte dieses Gesetzes zu befolgen;
13 और उनके लड़के जिनको कुछ मा'लूम नहीं वह भी सुनें, और जब तक तुम उस मुल्क में जीते रहो जिस पर क़ब्ज़ा करने को तुम यरदन पार जाते हो, तब तक वह बराबर ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा का ख़ौफ़ मानना सीखें।”
und damit ihre Kinder, die es noch nicht wissen, es auch hören und lernen, auf daß sie den HERRN, euren Gott, fürchten alle Tage, die ihr in dem Lande lebet, in das ihr über den Jordan ziehet, um es einzunehmen.
14 फिर ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, “देख, तेरे मरने के दिन आ पहुँचे। इसलिए तू यशू'अ को बुला ले और तुम दोनों ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में हाज़िर हो जाओ, ताकि मैं उसे हिदायत करूँ।” चुनाँचे मूसा और यशू'अ रवाना होकर ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में हाज़िर हुए।
Und der HERR sprach zu Mose: Siehe, deine Zeit ist nahe, da du sterben mußt! Rufe Josua, und tretet in die Stiftshütte, damit ich ihn beauftrage! Mose ging hin mit Josua, und sie traten in die Stiftshütte.
15 और ख़ुदावन्द बादल के सुतून में होकर ख़ेमे में नमूदार हुआ, और बादल का सुतून ख़ेमे के दरवाज़े पर ठहर गया।
Der HERR aber erschien in der Hütte in der Wolkensäule, und die Wolkensäule stand über der Tür der Hütte.
16 तब ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, “देख, तू अपने बाप — दादा के साथ सो जाएगा; और यह लोग उठकर उस मुल्क के अजनबी मा'बूदों की पैरवी में, जिनके बीच वह जाकर रहेंगे ज़िनाकार हो जाएँगे और मुझको छोड़ देंगे, और उस 'अहद को जो मैंने उनके साथ बाँधा है तोड़ डालेंगे।
Und der HERR sprach zu Mose: Siehe, wenn du bei deinen Vätern liegst, wird dieses Volk aufstehen und den fremden Göttern des Landes, darein sie kommen, nachbuhlen, und sie werden mich verlassen und meinen Bund brechen, den ich mit ihnen gemacht habe.
17 तब उस वक़्त मेरा क़हर उन पर भड़केगा, और मैं उन को छोड़ दूँगा और उनसे अपना मुँह छिपा लूँगा; और वह निगल लिए जाएँगे और बहुत सी बलाएँ और मुसीबतें उन पर आएँगी, चुनाँचे वह उस दिन कहेंगे, 'क्या हम पर यह बलाएँ इसी वजह से नहीं आईं कि हमारा ख़ुदा हमारे बीच नहीं?'
So wird zu jener Zeit mein Zorn über sie ergrimmen, und ich werde sie verlassen und mein Angesicht vor ihnen verbergen, daß sie verzehrt werden. Und wenn sie dann viel Unglück und Angst treffen wird, werden sie sagen: «Hat mich nicht all dieses Übel getroffen, weil mein Gott nicht mit mir ist?»
18 उस वक़्त उन सब बदियों की वजह से, जो और मा'बूदों की तरफ़ माइल होकर उन्होंने की होंगी मैं ज़रूर अपना मुँह छिपा लूँगा।
Ich aber werde zu jener Zeit mein Angesicht gänzlich verbergen um all des Bösen willen, das sie getan haben, weil sie sich andern Göttern zugewandt haben.
19 इसलिए तुम यह गीत अपने लिए लिख लो, और तुम उसे बनी — इस्राईल को सिखाना और उनको हिफ़्ज़ करा देना, ताकि यह गीत बनी इस्राईल के ख़िलाफ़ मेरा गवाह रहे।
So schreibet euch nun dieses Lied auf, und lehret es die Kinder Israel und leget es in ihren Mund, daß mir dieses Lied ein Zeuge sei wider die Kinder Israel.
20 इसलिए कि जब मैं उनको उस मुल्क में, जिस की क़सम मैंने उनके बाप — दादा से खाई और जहाँ दूध और शहद बहता है पहुँचा दूँगा, और वह ख़ूब खा — खाकर मोटे हो जाएँगे; तब वह और मा'बूदों की तरफ़ फिर जाएँगे और उनकी इबादत करेंगे और मुझको हक़ीर जानेंगे और मेरे 'अहद को तोड़ डालेंगे।
Wenn ich sie nun in das Land bringe, das ich ihren Vätern zugeschworen habe, das von Milch und Honig fließt, und sie essen und satt und fett werden, so werden sie sich andern Göttern zuwenden und ihnen dienen und mich verachten und meinen Bund brechen.
21 और यूँ होगा कि जब बहुत सी बलाएँ और मुसीबतें उन पर आएँगी, तो ये गीत गवाह की तरह उन पर शहादत देगा; इसलिए कि इसे उनकी औलाद कभी नहीं भूलेगी, क्यूँकि इस वक़्त भी उनको उस मुल्क में पहुँचाने से पहले जिसकी क़सम मैंने खाई है, मैं उनके ख़याल को जिसमें वह हैं जानता हूँ।”
Und wenn sie dann viel Unglück und Angst getroffen hat, soll dieses Lied wider sie zeugen; denn es soll nicht vergessen werden im Munde ihres Samens; denn ich weiß ihr Dichten, mit dem sie jetzt schon umgehen, ehe ich sie in das Land bringe, das ich [ihren Vätern] zugeschworen habe.
22 इसलिए मूसा ने उसी दिन इस गीत को लिख लिया और उसे बनी — इस्राईल को सिखाया।
Also schrieb Mose damals dieses Lied und lehrte es die Kinder Israel.
23 और उसने नून के बेटे यशू'अ को हिदायत की और कहा, “मज़बूत हो जा, और हौसला रख; क्यूँकि तू बनी — इस्राईल को उस मुल्क में ले जाएगा जिसकी क़सम मैंने उनसे खाई थी, और मैं तेरे साथ रहूँगा।”
Und er befahl Josua, dem Sohne Nuns, und sprach: Sei tapfer und stark, denn du sollst die Kinder Israel in das Land führen, das ich ihnen zugeschworen habe, und ich will mit dir sein!
24 और ऐसा हुआ कि जब मूसा इस शरी'अत की बातों को एक किताब में लिख चुका और वह ख़त्म हो गई,
Als nun Mose die Worte dieses Gesetzes bis zu Ende in ein Buch geschrieben hatte,
25 तो मूसा ने लावियों से, जो ख़ुदावन्द के 'अहद के संदूक़ को उठाया करते थे कहा,
gebot er den Leviten, welche die Lade des Bundes des HERRN trugen, und sprach:
26 “इस शरी'अत की किताब को लेकर ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के 'अहद के सन्दूक़ के पास रख दो, ताकि वह तुम्हारे बरख़िलाफ़ गवाह रहे।
Nehmet das Buch dieses Gesetzes und leget es an die Seite der Lade des Bundes des HERRN, eures Gottes, damit es daselbst ein Zeuge wider dich sei.
27 क्यूँकि मैं तुम्हारी बग़ावत और गर्दनकशी को जानता हूँ। देखो, अभी तो मेरे जीते जी तुम ख़ुदावन्द से बग़ावत करते रहे हो, तो मेरे मरने के बाद कितना ज़्यादा न करोगे?
Denn ich kenne deinen Ungehorsam und deine Halsstarrigkeit. Siehe, während ich noch heute unter euch lebe, seid ihr ungehorsam wider den HERRN; wieviel mehr nach meinem Tode!
28 तुम अपने क़बीले के सब बुज़ुर्गों और 'उहदेदारों को मेरे पास जमा' करो, ताकि मैं यह बातें उनके कानों में डाल दूँ और आसमान और ज़मीन को उनके बरख़िलाफ़ गवाह बनाऊँ।
So versammelt nun vor mir alle Ältesten eurer Stämme und eure Amtleute, damit ich diese Worte vor ihren Ohren rede und Himmel und Erde wider sie zu Zeugen nehme.
29 क्यूँकि मैं जानता हूँ कि मेरे मरने के बाद तुम अपने को बिगाड़ लोगे, और उस रास्ते से जिसका मैंने तुमको हुक्म दिया है फिर जाओगे; तब आख़िरी दिनों में तुम पर आफ़त टूटेगी, क्यूँकि तुम अपने कामों से ख़ुदावन्द को ग़ुस्सा दिलाने के लिए वह काम करोगे जो उसकी नज़र में बुरा है।”
Denn ich weiß, daß ihr nach meinem Tode gewiß verderblich handeln und von dem Wege abtreten werdet, den ich euch geboten habe; so wird euch in späteren Tagen dieses Unglück begegnen, weil ihr übelgetan habt vor den Augen des HERRN, indem ihr ihn durch die Werke eurer Hände erzürntet.
30 इसलिए मूसा ने इस गीत की बातें इस्राईल की सारी जमा'अत को आख़िर तक कह सुनाई।
Also redete Mose die Worte dieses Liedes vor den Ohren der ganzen Gemeinde Israel, bis zu Ende: