< इस्त 30 >
1 और जब यह सब बातें या'नी बरकत और ला'नत जिनको मैंने आज तेरे आगे रख्खा है तुझ पर आएँ, और तू उन क़ौमों के बीच जिनमें ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझको हँका कर पहुँचा दिया हो उनको याद करें।
Cum ergo venerint super te omnes sermones isti, benedictio, sive maledictio, quam proposui in conspectu tuo: et ductus poenitudine cordis tui in universis gentibus, in quas disperserit te Dominus Deus tuus,
2 और तू और तेरी औलाद दोनों ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की तरफ़ फिरे, और उसकी बात इन सब हुक्मों के मुताबिक़ जो मैं आज तुझको देता हूँ अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से माने।
et reversus fueris ad eum, et obedieris eius imperiis, sicut ego hodie praecipio tibi, cum filiis tuis, in toto corde tuo, et in tota anima tua:
3 तो ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरी ग़ुलामी को पलटकर तुझ पर रहम करेगा, और फिरकर तुझको सब क़ौमों में से, जिनमें ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझको तितर — बितर किया हो जमा' करेगा।
reducet te Dominus Deus tuus de captivitate tua, ac miserebitur tui, et rursum congregabit te de cunctis populis, in quos te ante dispersit.
4 अगर तेरे आवारागर्द दुनिया के इन्तिहाई हिस्सों में भी हों, तो वहाँ से भी ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको जमा' करके ले आएगा।
Si ad cardines caeli fueris dissipatus, inde te retrahet Dominus Deus tuus,
5 और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उसी मुल्क में तुमको लाएगा जिस पर तुम्हारे बाप — दादा ने क़ब्ज़ा किया था, और तू उसको अपने क़ब्ज़े में लाएगा; फिर वह तुझसे भलाई करेगा और तेरे बाप — दादा से ज़्यादा तुमको बढ़ाएगा।
et assumet, atque introducet in Terram, quam possederunt patres tui, et obtinebis eam: et benedicens tibi, maioris numeri te esse faciat quam fuerint patres tui.
6 और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे और तेरी औलाद के दिल का ख़तना करेगा, ताकि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से मुहब्बत रख्खे और ज़िन्दा रहे।
Circumcidet Dominus Deus tuus cor tuum, et cor seminis tui: ut diligas Dominum Deum tuum in toto corde tuo, et in tota anima tua, ut possis vivere.
7 और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा यह सब ला'नतें तुम्हारे दुश्मनों और कीना रखने वालों पर, जिन्होंने तुझको सताया नाज़िल करेगा।
Omnes autem maledictiones has convertet super inimicos tuos, et eos, qui oderunt te et persequuntur.
8 और तू लौटेगा और ख़ुदावन्द की बात सुनेगा, और उसके सब हुक्मों पर जो मैं आज तुझको देता हूँ 'अमल करेगा।
Tu autem reverteris, et audies vocem Domini Dei tui: faciesque universa mandata quae ego praecipio tibi hodie:
9 और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको तेरे कारोबार और आस औलाद और चौपायों के बच्चों और ज़मीन की पैदावार के लिहाज़ से तेरी भलाई की ख़ातिर तुझको बढ़ाएगा; फिर तुझसे ख़ुश होगा, जैसे वह तेरे बाप — दादा से ख़ुश था।
et abundare te faciet Dominus Deus tuus in cunctis operibus manuum tuarum, in sobole uteri tui, et in fructu iumentorum tuorum, in ubertate terrae tuae, et in rerum omnium largitate. Revertetur enim Dominus, ut gaudeat super te in omnibus bonis, sicut gavisus est in patribus tuis:
10 बशर्ते कि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की बात को सुनकर उसके अहकाम और आईन को माने जो शरी'अत की इस किताब में लिखे हैं, और अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की तरफ़ फिरे।
si tamen audieris vocem Domini Dei tui, et custodieris praecepta eius et ceremonias, quae in hac lege conscripta sunt: et revertaris ad Dominum Deum tuum in toto corde tuo, et in tota anima tua.
11 क्यूँकि वह हुक्म जो आज के दिन मैं तुझको देता हूँ, तेरे लिए बहुत मुश्किल नहीं और न वह दूर है।
Mandatum hoc, quod ego praecipio tibi hodie, non supra te est, neque procul positum,
12 वह आसमान पर तो है नहीं कि तू कहे कि 'आसमान पर कौन हमारी ख़ातिर चढ़े, और उसको हमारे पास लाकर सुनाए ताकि हम उस पर 'अमल करें?'
nec in caelo situm, ut possis dicere: Quis nostrum valet ad caelum ascendere, ut deferat illud ad nos, et audiamus atque opere compleamus?
13 और न वह समन्दर पार है कि तू कहे, 'समन्दर पर कौन हमारी ख़ातिर जाए, और उसको हमारे पास ला कर सुनाए ताकि हम उस पर 'अमल करें?'
Neque trans mare positum: ut causeris, et dicas: Quis ex nobis poterit transfretare mare, et illud ad nos usque deferre: ut possimus audire, et facere quod praeceptum est?
14 बल्कि वह कलाम तेरे बहुत नज़दीक है; वह तुम्हारे मुँह में और तुम्हारे दिल में है, ताकि तुम उस पर 'अमल करो।
Sed iuxta te est sermo valde, in ore tuo, et in corde tuo, ut facias illum.
15 देखो, मैंने आज के दिन ज़िन्दगी और भलाई को, और मौत और बुराई को तुम्हारे आगे रख्खा है।
Considera quod hodie proposuerim in conspectu tuo vitam et bonum, et econtrario mortem et malum:
16 क्यूँकि मैं आज के दिन तुमको हुक्म करता हूँ, कि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से मुहब्बत रखे और उसकी राहों पर चले, और उसके फ़रमान और आईन और अहकाम को माने ताकि तू ज़िन्दा रहे और बढ़े; और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उस मुल्क में तुझको बरकत बख़्शे, जिस पर क़ब्ज़ा करने को तू वहाँ जा रहा है।
ut diligas Dominum Deum tuum, et ambules in viis eius, et custodias mandata illius ac ceremonias atque iudicia: et vivas, atque multiplicet te, benedicatque tibi in Terra, ad quam ingredieris possidendam.
17 लेकिन अगर तेरा दिल फिर जाए और तू न सुने, बल्कि गुमराह होकर और मा'बूदों की परस्तिश और इबादत करने लगे;
Si autem aversum fuerit cor tuum, et audire nolueris, atque errore deceptus adoraveris deos alienos, et servieris eis:
18 तो आज के दिन मैं तुमको जता देता हूँ कि तुम ज़रूर फ़ना हो जाओगे, और उस मुल्क में जिस पर क़ब्ज़ा करने को तुम यरदन पार जा रहे हो तुम्हारी उम्र दराज़ न होगी।
praedico tibi hodie quod pereas, et parvo tempore moreris in Terra, ad quam, Iordane transmisso, ingredieris possidendam.
19 मैं आज के दिन आसमान और ज़मीन को तुम्हारे बरख़िलाफ़ गवाह बनाता हूँ, कि मैंने ज़िन्दगी और मौत की और बरकत और ला'नत को तुम्हारे आगे रख्खा है; इसलिए तुम ज़िन्दगी को इख़्तियार करो कि तुम भी ज़िन्दा रहो और तुम्हारी औलाद भी;
Testes invoco hodie caelum et terram, quod proposuerim vobis vitam et mortem, benedictionem et maledictionem. Elige ergo vitam, ut et tu vivas, et semen tuum:
20 ताकि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से मुहब्बत रखे, और उसकी बात सुने और उसी से लिपटा रहे; क्यूँकि वही तेरी ज़िन्दगी और तेरी उम्र की दराज़ी है, ताकि तू उस मुल्क में बसा रहे जिसको तेरे बाप — दादा अब्रहाम और इस्हाक़ और या'क़ूब को देने की क़सम ख़ुदावन्द ने उनसे खाई थी।”
et diligas Dominum Deum tuum, atque obedias voci eius, et illi adhaereas (ipse est enim vita tua, et longitudo dierum tuorum) ut habites in Terra, pro qua iuravit Dominus patribus tuis, Abraham, Isaac, et Iacob, ut daret eam illis.