< इस्त 3 >

1 “फिर हमने मुड़ कर बसन का रास्ता लिया और बसन का बादशाह 'ओज अदराई में अपने सब आदमियों को लेकर हमारे मुक़ाबले में जंग करने को आया।
וַנֵּ֣פֶן וַנַּ֔עַל דֶּ֖רֶךְ הַבָּשָׁ֑ן וַיֵּצֵ֣א עוֹג֩ מֶֽלֶךְ־הַבָּשָׁ֨ן לִקְרָאתֵ֜נוּ ה֧וּא וְכָל־עַמּ֛וֹ לַמִּלְחָמָ֖ה אֶדְרֶֽעִי׃
2 और ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा, 'उससे मत डर, क्यूँकि मैंने उसको और उसके सब आदमियों और मुल्क को तेरे क़ब्ज़े में कर दिया है; जैसा तूने अमोरियों के बादशाह सीहोन से जो हस्बोन में रहता था किया, वैसा ही तू इससे भी करेगा।
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֤ה אֵלַי֙ אַל־תִּירָ֣א אֹת֔וֹ כִּ֣י בְיָדְךָ֞ נָתַ֧תִּי אֹת֛וֹ וְאֶת־כָּל־עַמּ֖וֹ וְאֶת־אַרְצ֑וֹ וְעָשִׂ֣יתָ לּ֔וֹ כַּאֲשֶׁ֣ר עָשִׂ֗יתָ לְסִיחֹן֙ מֶ֣לֶךְ הָֽאֱמֹרִ֔י אֲשֶׁ֥ר יוֹשֵׁ֖ב בְּחֶשְׁבּֽוֹן׃
3 चुनाँचे ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा ने बसन के बादशाह 'ओज को भी उसके सब आदमियों समेत हमारे क़ाबू में कर दिया, और हमने उनको यहाँ तक मारा के उनमें से कोई बाक़ी न रहा।
וַיִּתֵּן֩ יְהוָ֨ה אֱלֹהֵ֜ינוּ בְּיָדֵ֗נוּ גַּ֛ם אֶת־ע֥וֹג מֶֽלֶךְ־הַבָּשָׁ֖ן וְאֶת־כָּל־עַמּ֑וֹ וַנַּכֵּ֕הוּ עַד־בִּלְתִּ֥י הִשְׁאִֽיר־ל֖וֹ שָׂרִֽיד׃
4 और हमने उसी वक़्त उसके सब शहर ले लिए, और एक शहर भी ऐसा न रहा जो हमने उनसे ले न लिया हो। यूँ अरजूब का सारा मुल्क जो बसन में 'ओज की सल्तनत में शामिल था और उसमें साठ शहर थे, हमारे क़ब्ज़े में आया।
וַנִּלְכֹּ֤ד אֶת־כָּל־ עָרָיו֙ בָּעֵ֣ת הַהִ֔וא לֹ֤א הָֽיְתָה֙ קִרְיָ֔ה אֲשֶׁ֥ר לֹא־לָקַ֖חְנוּ מֵֽאִתָּ֑ם שִׁשִּׁ֥ים עִיר֙ כָּל־חֶ֣בֶל אַרְגֹּ֔ב מַמְלֶ֥כֶת ע֖וֹג בַּבָּשָֽׁן׃
5 यह सब शहर फ़सीलदार थे और इनकी ऊँची — ऊँची दीवारें और फाटक और बेंडे थे। इनके 'अलावा बहुत से ऐसे क़स्बे भी हमने ले लिए जो फ़सीलदार न थे।
כָּל־אֵ֜לֶּה עָרִ֧ים בְּצֻר֛וֹת חוֹמָ֥ה גְבֹהָ֖ה דְּלָתַ֣יִם וּבְרִ֑יחַ לְבַ֛ד מֵעָרֵ֥י הַפְּרָזִ֖י הַרְבֵּ֥ה מְאֹֽד׃
6 और जैसा हमने हस्बोन के बादशाह सीहोन के यहाँ किया वैसा ही इन सब आबाद शहरों को म'ए 'औरतों और बच्चों के बिल्कुल नाबूद कर डाला।
וַנַּחֲרֵ֣ם אוֹתָ֔ם כַּאֲשֶׁ֣ר עָשִׂ֔ינוּ לְסִיחֹ֖ן מֶ֣לֶךְ חֶשְׁבּ֑וֹן הַחֲרֵם֙ כָּל־עִ֣יר מְתִ֔ם הַנָּשִׁ֖ים וְהַטָּֽף׃
7 लेकिन सब चौपायों और शहरों के माल को लूट कर हमने अपने लिए रख लिया।
וְכָל־הַבְּהֵמָ֛ה וּשְׁלַ֥ל הֶעָרִ֖ים בַּזּ֥וֹנוּ לָֽנוּ׃
8 यूँ हमने उस वक़्त अमोरियों के दोनों बादशाहों के हाथ से, जो यरदन पार रहते थे उनका मुल्क वादी — ए — अरनोन से कोह — ए — हरमून तक ले लिया।
וַנִּקַּ֞ח בָּעֵ֤ת הַהִוא֙ אֶת־הָאָ֔רֶץ מִיַּ֗ד שְׁנֵי֙ מַלְכֵ֣י הָאֱמֹרִ֔י אֲשֶׁ֖ר בְּעֵ֣בֶר הַיַּרְדֵּ֑ן מִנַּ֥חַל אַרְנֹ֖ן עַד־הַ֥ר חֶרְמֽוֹן׃
9 इस हरमून को सैदानी सिरयून, और अमोरी सनीर कहते हैं
צִידֹנִ֛ים יִקְרְא֥וּ לְחֶרְמ֖וֹן שִׂרְיֹ֑ן וְהָ֣אֱמֹרִ֔י יִקְרְאוּ־ל֖וֹ שְׂנִֽיר׃
10 और सलका और अदराई तक मैदान के सब शहर और सारा जिल'आद और सारा बसन या'नी 'ओज की सल्तनत के सब शहर जो बसन में शामिल थे हमने ले लिए।
כֹּ֣ל ׀ עָרֵ֣י הַמִּישֹׁ֗ר וְכָל־הַגִּלְעָד֙ וְכָל־הַבָּשָׁ֔ן עַד־סַלְכָ֖ה וְאֶדְרֶ֑עִי עָרֵ֛י מַמְלֶ֥כֶת ע֖וֹג בַּבָּשָֽׁן׃
11 क्यूँकि रिफ़ाईम की नसल में से सिर्फ़ बसन का बादशाह 'ओज बाक़ी रहा था। उसका पलंग लोहे का बना हुआ था और वह बनी अम्मोन के शहर रब्बा में मौजूद है, और आदमी के हाथ के नाप के मुताबिक़ नौ हाथ लम्बा और चार हाथ चौड़ा है।
כִּ֣י רַק־ע֞וֹג מֶ֣לֶךְ הַבָּשָׁ֗ן נִשְׁאַר֮ מִיֶּ֣תֶר הָרְפָאִים֒ הִנֵּ֤ה עַרְשׂוֹ֙ עֶ֣רֶשׂ בַּרְזֶ֔ל הֲלֹ֣ה הִ֔וא בְּרַבַּ֖ת בְּנֵ֣י עַמּ֑וֹן תֵּ֧שַׁע אַמּ֣וֹת אָרְכָּ֗הּ וְאַרְבַּ֥ע אַמּ֛וֹת רָחְבָּ֖הּ בְּאַמַּת־אִֽישׁ׃
12 इसलिए इस मुल्क पर हमने उस वक़्त क़ब्ज़ा कर लिया, और 'अरो'ईर जो वादी — ए — अरनोन के किनारे है और जिल'आद के पहाड़ी मुल्क का आधा हिस्सा और उसके शहर मैंने रूबीनियों और जद्दियों को दिए।
וְאֶת־הָאָ֧רֶץ הַזֹּ֛את יָרַ֖שְׁנוּ בָּעֵ֣ת הַהִ֑וא מֵעֲרֹעֵ֞ר אֲשֶׁר־עַל־נַ֣חַל אַרְנֹ֗ן וַחֲצִ֤י הַֽר־הַגִּלְעָד֙ וְעָרָ֔יו נָתַ֕תִּי לָרֻֽאוּבֵנִ֖י וְלַגָּדִֽי׃
13 और जिल'आद का बाक़ी हिस्सा और सारा बसन या'नी अरजूब का सारा मुल्क जो 'ओज की क़लमरौ में था, मैंने मनस्सी के आधे क़बीले को दिया। बसन रिफ़ाईम का मुल्क कहलाता था।
וְיֶ֨תֶר הַגִּלְעָ֤ד וְכָל־הַבָּשָׁן֙ מַמְלֶ֣כֶת ע֔וֹג נָתַ֕תִּי לַחֲצִ֖י שֵׁ֣בֶט הַֽמְנַשֶּׁ֑ה כֹּ֣ל חֶ֤בֶל הָֽאַרְגֹּב֙ לְכָל־הַבָּשָׁ֔ן הַה֥וּא יִקָּרֵ֖א אֶ֥רֶץ רְפָאִֽים׃
14 और मनस्सी के बेटे याईर ने जसूरियों और मा'कातियों की सरहद तक अरजूब के सारे मुल्क को ले लिया और अपने नाम पर बसन के शहरों को हव्वत याईर का नाम दिया, जो आज तक चला आता है
יָאִ֣יר בֶּן־מְנַשֶּׁ֗ה לָקַח֙ אֶת־כָּל־חֶ֣בֶל אַרְגֹּ֔ב עַד־גְּב֥וּל הַגְּשׁוּרִ֖י וְהַמַּֽעֲכָתִ֑י וַיִּקְרָא֩ אֹתָ֨ם עַל־שְׁמ֤וֹ אֶת־הַבָּשָׁן֙ חַוֺּ֣ת יָאִ֔יר עַ֖ד הַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃
15 और जिल'आद मैंने मकीर को दिया,
וּלְמָכִ֖יר נָתַ֥תִּי אֶת־הַגִּלְעָֽד׃
16 और रूबीनियों और जद्दियों को मैंने जिल'आद से वादी — ए — अरनोन तक का मुल्क, या'नी उस वादी के बीच के हिस्से को उनकी एक हद ठहरा कर दरिया — ए — यबोक़ तक, जो 'अम्मोनियों की सरहद है उनको दिया।
וְלָרֻאוּבֵנִ֨י וְלַגָּדִ֜י נָתַ֤תִּי מִן־הַגִּלְעָד֙ וְעַד־נַ֣חַל אַרְנֹ֔ן תּ֥וֹךְ הַנַּ֖חַל וּגְבֻ֑ל וְעַד֙ יַבֹּ֣ק הַנַּ֔חַל גְּב֖וּל בְּנֵ֥י עַמּֽוֹן׃
17 और मैदान को और किन्नरत से लेकर मैदान के दरिया या'नी दरिया — ए — शोर तक, जो पूरब में पिसगा के ढाल तक फैला हुआ है और यरदन और उसका सारा इलाके को भी मैंने इन ही को दे दिया।
וְהָֽעֲרָבָ֖ה וְהַיַּרְדֵּ֣ן וּגְבֻ֑ל מִכִּנֶּ֗רֶת וְעַ֨ד יָ֤ם הָֽעֲרָבָה֙ יָ֣ם הַמֶּ֔לַח תַּ֛חַת אַשְׁדֹּ֥ת הַפִּסְגָּ֖ה מִזְרָֽחָה׃
18 “और मैंने उस वक़्त तुमको हुक्म दिया, कि ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने तुमको यह मुल्क दिया है कि तुम उस पर क़ब्ज़ा करो। इसलिए तुम सब जंगी मर्द हथियारबंद होकर अपने भाइयों बनी — इस्राईल के आगे — आगे पार चलो;
וָאֲצַ֣ו אֶתְכֶ֔ם בָּעֵ֥ת הַהִ֖וא לֵאמֹ֑ר יְהוָ֣ה אֱלֹהֵיכֶ֗ם נָתַ֨ן לָכֶ֜ם אֶת־הָאָ֤רֶץ הַזֹּאת֙ לְרִשְׁתָּ֔הּ חֲלוּצִ֣ים תַּֽעַבְר֗וּ לִפְנֵ֛י אֲחֵיכֶ֥ם בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֖ל כָּל־בְּנֵי־חָֽיִל׃
19 मगर तुम्हारी बीवियाँ और तुम्हारे बाल बच्चे और चौपाये क्यूँकि मुझे मा'लूम है कि तुम्हारे पास चौपाये बहुत हैं, इसलिए यह सब तुम्हारे उन ही शहरों में रह जाएँ जो मैंने तुमको दिए हैं;
רַ֠ק נְשֵׁיכֶ֣ם וְטַפְּכֶם֮ וּמִקְנֵכֶם֒ יָדַ֕עְתִּי כִּֽי־מִקְנֶ֥ה רַ֖ב לָכֶ֑ם יֵֽשְׁבוּ֙ בְּעָ֣רֵיכֶ֔ם אֲשֶׁ֥ר נָתַ֖תִּי לָכֶֽם׃
20 आखीर तक कि ख़ुदावन्द तुम्हारे भाइयों को चैन न बख़्शे जैसे तुमको बख़्शा, और वह भी उस मुल्क पर जो ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा यरदन के उस पार तुमको देता है क़ब्ज़ा न कर लें। तब तुम सब अपनी मिल्कियत में जो मैंने तुमको दी है लौट कर आने पाओगे।
עַ֠ד אֲשֶׁר־יָנִ֨יחַ יְהוָ֥ה ׀ לַֽאֲחֵיכֶם֮ כָּכֶם֒ וְיָרְשׁ֣וּ גַם־הֵ֔ם אֶת־הָאָ֕רֶץ אֲשֶׁ֨ר יְהוָ֧ה אֱלֹהֵיכֶ֛ם נֹתֵ֥ן לָהֶ֖ם בְּעֵ֣בֶר הַיַּרְדֵּ֑ן וְשַׁבְתֶּ֗ם אִ֚ישׁ לִֽירֻשָּׁת֔וֹ אֲשֶׁ֥ר נָתַ֖תִּי לָכֶֽם׃
21 और उसी मौक़े' पर मैंने यशू'अ को हुक्म दिया, कि जो कुछ ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने इन दो बादशाहों से किया वह सब तूने अपनी आँखों से देखा; ख़ुदावन्द ऐसा ही उस पार उन सब सल्तनतों का हाल करेगा जहाँ तू जा रहा है।
וְאֶת־יְהוֹשׁ֣וּעַ צִוֵּ֔יתִי בָּעֵ֥ת הַהִ֖וא לֵאמֹ֑ר עֵינֶ֣יךָ הָרֹאֹ֗ת אֵת֩ כָּל־אֲשֶׁ֨ר עָשָׂ֜ה יְהוָ֤ה אֱלֹהֵיכֶם֙ לִשְׁנֵי֙ הַמְּלָכִ֣ים הָאֵ֔לֶּה כֵּֽן־יַעֲשֶׂ֤ה יְהוָה֙ לְכָל־הַמַּמְלָכ֔וֹת אֲשֶׁ֥ר אַתָּ֖ה עֹבֵ֥ר שָֽׁמָּה׃
22 तुम उनसे न डरना, क्यूँकि ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा तुम्हारी तरफ़ से आप जंग कर रहा है।
לֹ֖א תְִּירָא֑וּם כִּ֚י יְהוָ֣ה אֱלֹֽהֵיכֶ֔ם ה֖וּא הַנִּלְחָ֥ם לָכֶֽם׃ ס
23 उस वक़्त मैंने ख़ुदावन्द से 'आजिज़ी के साथ दरख़्वास्त की कि,
וָאֶתְחַנַּ֖ן אֶל־יְהוָ֑ה בָּעֵ֥ת הַהִ֖וא לֵאמֹֽר׃
24 ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा तूने अपने बन्दे को अपनी 'अज़मत और अपना ताक़तवर हाथ दिखाना शुरू' किया है क्यूँकि आसमान में या ज़मीन पर ऐसा कौन मा'बूद है जो तेरे से काम या करामात कर सके।
אֲדֹנָ֣י יְהוִ֗ה אַתָּ֤ה הַֽחִלּ֙וֹתָ֙ לְהַרְא֣וֹת אֶֽת־עַבְדְּךָ֔ אֶ֨ת־גָּדְלְךָ֔ וְאֶת־יָדְךָ֖ הַחֲזָקָ֑ה אֲשֶׁ֤ר מִי־אֵל֙ בַּשָּׁמַ֣יִם וּבָאָ֔רֶץ אֲשֶׁר־יַעֲשֶׂ֥ה כְמַעֲשֶׂ֖יךָ וְכִגְבוּרֹתֶֽךָ׃
25 इसलिए मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि मुझे पार जाने दे कि मैं भी अच्छे मुल्क को जो यरदन के पार है और उस ख़ुशनुमा पहाड़ और लुबनान को देखूँ।
אֶעְבְּרָה־נָּ֗א וְאֶרְאֶה֙ אֶת־הָאָ֣רֶץ הַטּוֹבָ֔ה אֲשֶׁ֖ר בְּעֵ֣בֶר הַיַּרְדֵּ֑ן הָהָ֥ר הַטּ֛וֹב הַזֶּ֖ה וְהַלְּבָנֽוֹן׃
26 लेकिन ख़ुदावन्द तुम्हारी वजह से मुझसे नाराज़ था और उसने मेरी न सुनी; बल्कि ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा, कि बस कर इस मज़मून पर मुझसे फिर कभी कुछ न कहना।
וַיִּתְעַבֵּ֨ר יְהוָ֥ה בִּי֙ לְמַ֣עַנְכֶ֔ם וְלֹ֥א שָׁמַ֖ע אֵלָ֑י וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֤ה אֵלַי֙ רַב־לָ֔ךְ אַל־תּ֗וֹסֶף דַּבֵּ֥ר אֵלַ֛י ע֖וֹד בַּדָּבָ֥ר הַזֶּֽה׃
27 तू कोह — ए — पिसगा की चोटी पर चढ़ जा और पश्चिम और उत्तर और दख्खिन और पूरब की तरफ़ नज़र दौड़ा कर उसे अपनी आँखों से देख ले, क्यूँकि तू इस यरदन के पार नहीं जाने पाएगा।
עֲלֵ֣ה ׀ רֹ֣אשׁ הַפִּסְגָּ֗ה וְשָׂ֥א עֵינֶ֛יךָ יָ֧מָּה וְצָפֹ֛נָה וְתֵימָ֥נָה וּמִזְרָ֖חָה וּרְאֵ֣ה בְעֵינֶ֑יךָ כִּי־לֹ֥א תַעֲבֹ֖ר אֶת־הַיַּרְדֵּ֥ן הַזֶּֽה׃
28 पर यशू'अ को वसीयत कर और उसकी हौसला अफ़्ज़ाई करके उसे मज़बूत कर क्यूँकि वह इन लोगों के आगे पार जाएगा; और वही इनको उस मुल्क का, जिसे तू देख लेगा मालिक बनाएगा।
וְצַ֥ו אֶת־יְהוֹשֻׁ֖עַ וְחַזְּקֵ֣הוּ וְאַמְּצֵ֑הוּ כִּי־ה֣וּא יַעֲבֹ֗ר לִפְנֵי֙ הָעָ֣ם הַזֶּ֔ה וְהוּא֙ יַנְחִ֣יל אוֹתָ֔ם אֶת־הָאָ֖רֶץ אֲשֶׁ֥ר תִּרְאֶֽה׃
29 चुनाँचे हम उस वादी में जो बैत फ़ग़ूर है ठहरे रहे।
וַנֵּ֣שֶׁב בַּגָּ֔יְא מ֖וּל בֵּ֥ית פְּעֽוֹר׃ פ

< इस्त 3 >