< इस्त 27 >

1 फिर मूसा ने बनी — इस्राईल के बुज़ुर्गों के साथ हो कर लोगों से कहा कि “जितने हुक्म आज के दिन मैं तुमको देता हूँ उन सब को मानना।
And he commanded Moses and [the] elders of Israel the people saying keep all the commandment which I [am] commanding you this day.
2 और जिस दिन तुम यरदन पार हो कर उस मुल्क में जिसे ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको देता है पहुँचो, तो तू बड़े — बड़े पत्थर खड़े करके उन पर चूने की अस्तरकारी करना;
And it will be on the day when you will pass over the Jordan to the land which Yahweh God your [is] about to give to you and you will set up for yourself stones large and you will whitewash them with lime.
3 और पार हो जाने के बाद इस शरी'अत की सब बातें उन पर लिखना, ताकि उस वा'दे के मुताबिक़ जो ख़ुदावन्द तेरे बाप — दादा के ख़ुदा ने तुझ से किया, उस मुल्क में जिसे ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको देता है या'नी उस मुल्क में जहाँ दूध और शहद बहता है तू पहुँच जाये।
And you will write on them all [the] words of the law this when passing over you so that this you may go into the land which Yahweh God your - [is] about to give to you a land flowing of milk and honey just as he spoke Yahweh [the] God of ancestors your to you.
4 इसलिए तुम यरदन के पार हो कर उन पत्थरों को जिनके बारे में मैं तुमको आज के दिन हुक्म देता हूँ, कोह — ए — 'ऐबाल पर नस्ब करके उन पर चूने की अस्तरकारी करना।
And it will be when have passed over you the Jordan you will set up the stones these which I [am] commanding you this day on [the] mountain of Ebal and you will whitewash them with lime.
5 और वहीं तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए पत्थरों का एक मज़बह बनाना, और लोहे का कोई औज़ार उन पर न लगाना।
And you will build there an altar to Yahweh God your an altar of stones not you will wield on them iron.
6 और तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा का मज़बह बे तराशे पत्थरों से बनाना, और उस पर ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ पेश करना।
Stones complete you will build [the] altar of Yahweh God your and you will offer up on it burnt offerings to Yahweh God your.
7 और वहीं सलामती की क़ुर्बानियाँ अदा करना और उनको खाना और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सामने ख़ुशी मनाना।
And you will sacrifice peace offerings and you will eat [them] there and you will rejoice before Yahweh God your.
8 और उन पत्थरों पर इस शरी'अत की सब बातें साफ़ — साफ़ लिखना।”
And you will write on the stones all [the] words of the law this surely clearly doing well.
9 फिर मूसा और लावी काहिनों ने सब बनी — इस्राईल से कहा, ऐ इस्राईल, ख़ामोश हो जा और सुन, तू आज के दिन ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की क़ौम बन गया है।
And he spoke Moses and the priests the Levites to all Israel saying keep silent - and listen O Israel the day this you have become a people of Yahweh God your.
10 इसलिए तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की बात सुनना और उसके सब आईन और अहकाम पर जो आज के दिन मैं तुझको देता हूँ 'अमल करना।”
And you will listen to [the] voice of Yahweh God your and you will do (commandments his *Q(K)*) and statutes his which I [am] commanding you this day.
11 और मूसा ने उसी दिन लोगों से ताकीद करके कहा कि;
And he commanded Moses the people on the day that saying.
12 “जब तुम यरदन पार हो जाओ, तो कोह — ए — गरिज़ीम पर शमौन, और लावी, और यहूदाह, और इश्कार, और यूसुफ़, और बिनयमीन खड़े हों और लोगों को बरकत सुनाएँ।
These [tribes] they will stand to bless the people on [the] mountain of Gerizim when have passed over you the Jordan Simeon and Levi and Judah and Issachar and Joseph and Benjamin.
13 और रूबिन, और जद्द, और आशर, और ज़बूलून, और दान, और नफ़्ताली कोह — ए — 'ऐबाल पर खड़े होकर ला'नत सुनाएँ।
And these [tribes] they will stand on the curse on [the] mountain of Ebal Reuben Gad and Asher and Zebulun Dan and Naphtali.
14 और लावी बलन्द आवाज़ से सब इस्राईली आदमियों से कहें कि:
And they will answer the Levites and they will say to every person of Israel a voice high.
15 'ला'नत उस आदमी पर जो कारीगरी की सन'अत की तरह खोदी हुई या ढाली हुई मूरत बना कर जो ख़ुदावन्द के नज़दीक मकरूह है, उसको किसी पोशीदा जगह में नस्ब करे। और सब लोग जवाब दें और कहें, 'आमीन।
[is] cursed The person who he will make an image and a molten image abomination of Yahweh [the] work of [the] hands of a craftsman and he will set [it] up in secrecy and they will answer all the people and they will say amen.
16 'ला'नत उस पर जो अपने बाप या माँ को हक़ीर जाने। और सब लोग कहें, 'आमीन।
[is] cursed [one who] dishonors Father his and mother his and it will say all the people amen.
17 'ला'नत उस पर जो अपने पड़ोसी की हद के निशान को हटाये। और सब लोग कहें, 'आमीन।
[is] cursed [one who] displaces [the] boundary of Neighbor his and it will say all the people amen.
18 'ला'नत उस पर जो अन्धे को रास्ते से गुमराह करे। और सब लोग कहें, 'आमीन।
[is] cursed [one who] leads astray A blind [person] on the way and it will say all the people amen.
19 'ला'नत उस पर जो परदेसी और यतीम और बेवा के मुक़द्दमे को बिगाड़े।” और सब लोग कहें, 'आमीन।
[is] cursed [one who] turns aside [the] justice of A sojourner a fatherless one and a widow and it will say all the people amen.
20 'ला'नत उस पर जो अपने बाप की बीवी से मुबाश्रत करे, क्यूँकि वह अपने बाप के दामन को बेपर्दा करता है। और सब लोग कहें, 'आमीन।
[is] cursed [one who] lies With [the] wife of father his for he has uncovered [the] skirt of father his and it will say all the people amen.
21 'ला'नत उस पर जो किसी चौपाए के साथ जिमा'अ करे। और सब लोग कहें, 'आमीन।
[is] cursed [one who] lies With any animal and it will say all the people amen.
22 'ला'नत उस पर जो अपनी बहन से मुबाश्रत करे, चाहे वह उसके बाप की बेटी हो चाहे माँ की। और सब लोग कहें, 'आमीन।
[is] cursed [one who] lies With sister his [the] daughter of father his or [the] daughter of mother his and it will say all the people amen.
23 'ला'नत उस पर जो अपनी सास से मुबाश्रत करे। और सब लोग कहें, 'आमीन।
[is] cursed [one who] lies With mother-in-law his and it will say all the people amen.
24 'ला'नत उस पर जो अपने पड़ोसी को पोशीदगी में मारे। और सब लोग कहें, 'आमीन।
[is] cursed [one who] strikes neighbor His in secrecy and it will say all the people amen.
25 'लानत उस पर जो बे — गुनाह को क़त्ल करने के लिए इनाम ले। और सब लोग कहें, 'आमीन।
[is] cursed [one who] takes A bribe to strike down a person of blood innocent and it will say all the people amen.
26 'ला'नत उस पर जो इस शरी'अत की बातों पर 'अमल करने के लिए उन पर क़ाईम न रहे।” और सब लोग कहें, 'आमीन।
[is] cursed [the one] who Not he will carry out [the] words of the law this by observing them and it will say all the people amen.

< इस्त 27 >