< इस्त 16 >
1 'तू अबीब के महीने को याद रखना और उसमें ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की फ़सह करना क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा अबीब के महीने में रात के वक़्त तुझको मिस्र से निकाल लाया।
Наблюдай месяц Авив, и совершай Пасху Господу, Богу твоему, потому что в месяце Авиве вывел тебя Господь, Бог твой, из Египта ночью.
2 और जिस जगह को ख़ुदावन्द अपने नाम के घर के लिए चुने, वहीं तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए अपने गाय — बैल और भेड़ — बकरी में से फ़सह की क़ुर्बानी पेश करना।
И заколай Пасху Господу, Богу твоему, из мелкого и крупного скота на месте, которое изберет Господь, чтобы пребывало там имя Его.
3 तू उसके साथ ख़मीरी रोटी न खाना, बल्कि सात दिन तक उसके साथ बेख़मीरी रोटी जो दुख की रोटी है खाना; क्यूँकि तू मुल्क — ए — मिस्र से हड़बड़ी में निकला था। यूँ तू उम्र भर उस दिन को जब तू मुल्क — ए — मिस्र से निकले याद रख सकेगा।
Не ешь с нею квасного; семь дней ешь с нею опресноки, хлебы бедствия, ибо ты с поспешностью вышел из земли Египетской, дабы ты помнил день исшествия своего из земли Египетской во все дни жизни твоей;
4 और तेरी हदों के अन्दर सात दिन तक कहीं ख़मीर नज़र न आए, और उस क़ुर्बानी में से जिसको तू पहले दिन की शाम को चढ़ाए कुछ गोश्त सुबह तक बाक़ी न रहने पाए।
не должно находиться у тебя ничто квасное во всем уделе твоем в продолжение семи дней, и из мяса, которое ты принес в жертву вечером в первый день, ничто не должно оставаться до утра.
5 तू फ़सह की क़ुर्बानी को अपने फाटकों के अन्दर, जिनको ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझको दिया हो कहीं न चढ़ाना;
Не можешь ты заколать Пасху в котором-нибудь из жилищ твоих, которые Господь, Бог твой, даст тебе;
6 बल्कि जिस जगह को ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा अपने नाम के घर के लिए चुनेगा, वहाँ तू फ़सह की क़ुर्बानी को उस वक़्त जब तू मिस्र से निकला था, या'नी शाम को सूरज डूबते वक़्त अदा करना।
но только на том месте, которое изберет Господь, Бог твой, чтобы пребывало там имя Его, заколай Пасху вечером при захождении солнца, в то самое время, в которое ты вышел из Египта;
7 और जिस जगह को ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा चुने वहीं उसे भून कर खाना और फिर सुबह को अपने — अपने ख़ेमे को लौट जाना।
и испеки и съешь на том месте, которое изберет Господь, Бог твой, а на другой день можешь возвратиться и войти в шатры твои.
8 छ: दिन तक बेख़मीरी रोटी खाना और सातवें दिन ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा की ख़ातिर पाक मजमा' हो, उसमें तू कोई काम न करना।
Шесть дней ешь пресные хлебы, а в седьмой день отдание праздника Господу, Богу твоему; не занимайся работою.
9 फिर तू सात हफ़्ते यूँ गिनना, कि जब से हँसुआ लेकर फ़सल काटनी शुरू' करे तब से सात हफ़्ते गिन लेना।
Семь седмиц отсчитай себе; начинай считать семь седмиц с того времени, как появится серп на жатве;
10 तब जैसी बरकत ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने दी हो, उसके मुताबिक़ अपने हाथ की रज़ा की क़ुर्बानी का हदिया लाकर ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए हफ़्तों की 'ईद मनाना।
тогда совершай праздник седмиц Господу, Богу твоему, по усердию руки твоей, сколько ты дашь, смотря по тому, чем благословит тебя Господь, Бог твой;
11 और उसी जगह जिसे ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा अपने नाम के घर के लिए चुनेगा, तू और तेरे बेटे बेटियाँ और तेरे ग़ुलाम और लौंडियाँ और वह लावी जो तेरे फाटकों के अन्दर हो, और मुसाफ़िर और यतीम और बेवा जो तेरे बीच हों, सब मिल कर ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सामने ख़ुशी मनाना।
и веселись пред Господом, Богом твоим, ты, и сын твой, и дочь твоя, и раб твой, и раба твоя, и левит, который в жилищах твоих, и пришелец, и сирота, и вдова, которые среди тебя, на месте, которое изберет Господь, Бог твой, чтобы пребывало там имя Его;
12 और याद रखना के तू मिस्र में ग़ुलाम था और इन हुक्मों पर एहतियात करके 'अमल करना।
помни, что ты был рабом в Египте, и соблюдай и исполняй постановления сии.
13 जब तू अपने खलीहान और कोल्हू का माल जमा' कर चुके, तो सात दिन तक 'ईद — ए — ख़ियाम करना।
Праздник кущей совершай у себя семь дней, когда уберешь с гумна твоего и из точила твоего;
14 और तू और तेरे बेटे बेटियाँ और ग़ुलाम और लौंडियाँ और लावी, और मुसाफ़िर और यतीम और बेवा जो तेरे फाटकों के अन्दर हों, सब तेरी इस 'ईद में ख़ुशी मनाएँ।
и веселись в праздник твой ты и сын твой, и дочь твоя, и раб твой, и раба твоя, и левит, и пришелец, и сирота, и вдова, которые в жилищах твоих;
15 सात दिन तक तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए उसी जगह जिसे ख़ुदावन्द चुने, 'ईद करना, इसलिए कि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे सारे माल में और सब कामों में जिनको तू हाथ लगाये तुझको बरकत बख़्शेगा, इसलिए तू पूरी — पूरी ख़ुशी करना।
семь дней празднуй Господу, Богу твоему, на месте, которое изберет Господь, Бог твой, чтобы призываемо было там имя Его; ибо благословит тебя Господь, Бог твой, во всех произведениях твоих и во всяком деле рук твоих, и ты будешь только веселиться.
16 और साल में तीन बार, या'नी बेख़मीरी रोटी की 'ईद और हफ़्तों की 'ईद और 'ईद — ए — ख़ियाम के मौक़े' पर तेरे यहाँ के सब मर्द ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के आगे, उसी जगह हाज़िर हुआ करें जिसे वह चुनेगा। और जब आएँ तो ख़ुदावन्द के सामने ख़ाली हाथ न आएँ;
Три раза в году весь мужеский пол должен являться пред лице Господа, Бога твоего, на место, которое изберет Он: в праздник опресноков, в праздник седмиц и в праздник кущей; и никто не должен являться пред лице Господа с пустыми руками,
17 बल्कि हर मर्द जैसी बरकत ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझको बख़्शी हो अपनी तौफ़ीक़ के मुताबिक़ दे।
но каждый с даром в руке своей, смотря по благословению Господа, Бога твоего, какое Он дал тебе.
18 तू अपने क़बीलों की सब बस्तियों में जिनको ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको दे, क़ाज़ी और हाकिम मुक़र्रर करना जो सदाक़त से लोगों की 'अदालत करें।
Во всех жилищах твоих, которые Господь, Бог твой, даст тебе, поставь себе судей и надзирателей по коленам твоим, чтоб они судили народ судом праведным;
19 तू इन्साफ़ का ख़ून न करना। तू न तो किसी की रूरि'आयत करना और न रिश्वत लेना, क्यूँकि रिश्वत 'अक़्लमन्द की आँखों को अन्धा कर देती है और सादिक़ की बातों को पलट देती है।
не извращай закона, не смотри на лица и не бери даров, ибо дары ослепляют глаза мудрых и превращают дело правых;
20 जो कुछ बिल्कुल हक़ है तू उसी की पैरवी करना, ताकि तू ज़िन्दा रहे और उस मुल्क का मालिक बन जाये जो ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको देता है।
правды, правды ищи, дабы ты был жив и овладел землею, которую Господь, Бог твой, дает тебе.
21 जो मज़बह तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए बनाये उसके क़रीब किसी क़िस्म के दरख़्त की यसीरत न लगाना,
Не сади себе рощи из каких-либо дерев при жертвеннике Господа, Бога твоего, который ты сделаешь себе,
22 और न कोई सुतून अपने लिए खड़ा कर लेना, जिससे ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा को नफ़रत है।
и не ставь себе столба, что ненавидит Господь Бог твой.