< कुलुस्सियों 3 >

1 तुम को मसीह के साथ ज़िन्दा कर दिया गया है, इस लिए वह कुछ तलाश करो जो आस्मान पर है जहाँ मसीह ख़ुदा के दहने हाथ बैठा है।
فَبِمَا أَنَّكُمْ قَدْ قُمْتُمْ مَعَ الْمَسِيحِ، فَاسْعَوْا إِلَى الأُمُورِ الَّتِي فِي الْعُلَى، حَيْثُ الْمَسِيحُ جَالِسٌ عَنْ يَمِينِ اللهِ.١
2 दुनियावी चीज़ों को अपने ख़यालों का मर्कज़ न बनाओ बल्कि आस्मानी चीज़ों को।
اُحْصُرُوا اهْتِمَامَكُمْ بِالأُمُورِ الَّتِي فِي الْعُلَى، لَا بِالأُمُورِ الأَرْضِيَّةِ.٢
3 क्यूँकि तुम मर गए हो और अब तुम्हारी ज़िन्दगी मसीह के साथ ख़ुदा में छुपी है।
فَإِنَّكُمْ قَدْ مُتُّمْ، وَحَيَاتُكُمْ مَسْتُورَةٌ مَعَ الْمَسِيحِ فِي اللهِ.٣
4 मसीह ही तुम्हारी ज़िन्दगी है। जब वह ज़ाहिर हो जाएगा तो तुम भी उस के साथ ज़ाहिर हो कर उस के जलाल में शरीक हो जाओगे।
فَعِنْدَمَا يُظْهَرُ الْمَسِيحُ، وَهُوَ حَيَاتُنَا، عِنْدَئِذٍ تُظْهَرُونَ أَنْتُمْ أَيْضاً مَعَهُ فِي الْمَجْدِ.٤
5 चुनाँचे उन दुनियावी चीज़ों को मार डालो जो तुम्हारे अन्दर काम कर रही हैं: ज़िनाकारी, नापाकी, शहवतपरस्ती, बुरी ख़्वाहिशात और लालच (लालच तो एक क़िस्म की बुतपरस्ती है)
فَأَمِيتُوا إِذَنْ مُيُولَكُمْ الأَرْضِيَّةَ: الزِّنَى، النَّجَاسَةَ، جُمُوحَ الْعَاطِفَةِ، الشَّهْوَةَ الرَّدِيئَةَ، وَالاشْتِهَاءَ النَّهِمَ الَّذِي هُوَ عِبَادَةُ أَصْنَامٍ.٥
6 ख़ुदा का ग़ज़ब ऐसी ही बातों की वजह से नाज़िल होगा।
فَبِسَبَبِ هَذِهِ الْخَطَايَا يَنْزِلُ غَضَبُ اللهِ،٦
7 एक वक़्त था जब तुम भी इन के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारते थे, जब तुम्हारी ज़िन्दगी इन के क़ाबू में थी।
وَفِيهَا سَلَكْتُمْ فِي الْمَاضِي، حِينَ كُنْتُمْ تَعِيشُونَ فِيهَا.٧
8 लेकिन अब वक़्त आ गया है कि तुम यह सब कुछ यानी ग़ुस्सा, तैश, बदसुलूकी, बुह्तान और गन्दी ज़बान ख़स्ताहाल कपड़े की तरह उतार कर फेंक दो।
وَأَمَّا الآنَ، فَانْزِعُوا عَنْكُمْ، أَنْتُمْ أَيْضاً، هذِهِ الْخَطَايَا كُلَّهَا: الْغَضَبَ، النَّقْمَةَ، الْخُبْثَ، التَّجْدِيفَ، الْكَلامَ الْقَبِيحَ الْخَارِجَ مِنْ أَفْوَاهِكُمْ.٨
9 एक दूसरे से बात करते वक़्त झूठ मत बोलना, क्यूँकि तुमने अपनी पुरानी फ़ितरत उस की हरकतो समेत उतार दी है।
لَا يَكْذِبْ أَحَدُكُمْ عَلَى الآخَرِ، إِذْ قَدْ نَزَعْتُمُ الإِنْسَانَ الْعَتِيقَ وَأَعْمَالَهُ٩
10 साथ साथ तुमने नई फ़ितरत पहन ली है, वह फ़ितरत जिस की ईजाद हमारा ख़ालिक़ अपनी सूरत पर करता जा रहा है ताकि तुम उसे और बेहतर तौर पर जान लो।
وَلَبِسْتُمُ الْجَدِيدَ الَّذِي يَتَجَدَّدُ لِبُلُوغِ تَمَامِ الْمَعْرِفَةِ وَفْقاً لِصُورَةِ خَالِقِهِ،١٠
11 जहाँ यह काम हो रहा है वहाँ लोगों में कोई फ़र्क़ नहीं है, चाहे कोई ग़ैरयहूदी हो या यहूदी, मख़्तून हो या नामख़्तून, ग़ैरयूनानी हो या स्कूती, ग़ुलाम हो या आज़ाद। कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, सिर्फ़ मसीह ही सब कुछ और सब में है।
وَفِيهِ لَا فَرْقَ بَيْنَ يُونَانِيٍّ وَيَهُودِيٍّ، أَوْ مَخْتُونٍ وَغَيْرِ مَخْتُونٍ، أَوْ مُتَحَضِّرٍ وَغَيْرِ مُتَحَضِّرٍ، أَوْ عَبْدٍ وَحُرٍّ، بَلِ الْمَسِيحُ هُوَ الْكُلُّ وَفِي الْكُلِّ.١١
12 ख़ुदा ने तुम को चुन कर अपने लिए ख़ास — और पाक कर लिया है। वह तुम से मुहब्बत रखता है। इस लिए अब तरस, नेकी, फ़रोतनी, नर्मदिल और सब्र को पहन लो।
فَبِاعْتِبَارِكُمْ جَمَاعَةً مُخْتَارَةً مِنَ اللهِ، قِدِّيسِينَ مَحْبُوبِينَ، الْبَسُوا دَائِماً مَشَاعِرَ الْحَنَانِ وَاللُّطْفَ وَالتَّوَاضُعَ وَالوَدَاعَةَ وَطُولَ الْبَالِ،١٢
13 एक दूसरे को बर्दाश्त करो, और अगर तुम्हारी किसी से शिकायत हो तो उसे मुआफ़ कर दो। हाँ, यूँ मुआफ़ करो जिस तरह ख़ुदावन्द ने आप को मुआफ़ कर दिया है।
مُحْتَمِلِينَ بَعْضُكُمْ بَعْضاً، وَمُسَامِحِينَ بَعْضُكُمْ بَعْضاً. إِنْ كَانَ لأَحَدِكُمْ شَكْوَى عَلَى آخَرَ، كَمَا سَامَحَكُمُ الرَّبُّ، هكَذَا افْعَلُوا أَنْتُمْ أَيْضاً.١٣
14 इन के अलावा मुहब्बत भी पहन लो जो सब कुछ बाँध कर कामिलियत की तरफ़ ले जाती है।
وَفَوْقَ هَذَا كُلِّهِ الْبَسُوا الْمَحَبَّةَ، فَهِيَ رَابِطَةُ الْكَمَالِ.١٤
15 मसीह की सलामती तुम्हारे दिलों में हुकूमत करे। क्यूँकि ख़ुदा ने तुम को इसी सलामती की ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए बुला कर एक बदन में शामिल कर दिया है। शुक्रगुज़ार भी रहो।
وَلْيَمْلِكْ فِي قُلُوبِكُمْ سَلامُ الْمَسِيحِ، فَإِلَيْهِ قَدْ دُعِيتُمْ فِي الْجَسَدِ الْوَاحِدِ؛ وَكُونُوا شَاكِرِينَ!١٥
16 तुम्हारी ज़िन्दगी में मसीह के कलाम की पूरी दौलत घर कर जाए। एक दूसरे को हर तरह की हिक्मत से तालीम देते और समझाते रहो। साथ साथ अपने दिलों में ख़ुदा के लिए शुक्रगुज़ारी के साथ ज़बूर, हम्द — ओ — सना और रुहानी गीत गाते रहो।
لِتَسْكُنْ كَلِمَةُ الْمَسِيحِ فِي دَاخِلِكُمْ بِغِنىً، فِي كُلِّ حِكْمَةٍ، مُعَلِّمِينَ وَوَاعِظِينَ بَعْضُكُمْ بَعْضَاً، مُرَنِّمِينَ بِمَزَامِيرَ وَتَسَابِيحَ وَأَنَاشِيدَ رُوحِيَّةٍ فِي قُلُوبِكُمْ لِلهِ، رَافِعِينَ لَهُ الْحَمْدَ.١٦
17 और जो कुछ भी तुम करो ख़्वाह ज़बानी हो या अमली वह ख़ुदावन्द ईसा का नाम ले कर करो। हर काम में उसी के वसीले से ख़ुदा बाप का शुक्र करो।
وَمَهْمَا كَانَ مَا تَعْمَلُونَهُ، بِالْقَوْلِ أَوْ بِالْفِعْلِ، فَلْيَجْرِ كُلُّ شَيْءٍ بِاسْمِ الرَّبِّ يَسُوعَ، رَافِعِينَ بِهِ الشُّكْرَ لِلهِ الآبِ.١٧
18 बीवियो, अपने शौहर के ताबे रहें, क्यूँकि जो ख़ुदावन्द में है उस के लिए यही मुनासिब है।
أَيَّتُهَا الزَّوْجَاتُ اخْضَعْنَ لأَزْوَاجِكُنَّ كَمَا يَلِيقُ (بِالْعِيشَةِ) فِي الرَّبِّ.١٨
19 शौहरो, अपनी बीवियों से मुहब्बत रखो। उन से तल्ख़ मिज़ाजी से पेश न आओ।
أَيُّهَا الأَزْوَاجُ، أَحِبُّوا زَوْجَاتِكُمْ، وَلا تُعَامِلُوهُنَّ بِقَسْوَةٍ.١٩
20 बच्चे, हर बात में अपने माँ — बाप के ताबे रहें, क्यूँकि यही ख़ुदावन्द को पसन्द है।
أَيُّهَا الأَوْلادُ، أَطِيعُوا وَالِدِيكُمْ فِي كُلِّ أَمْرٍ، لأَنَّ ذَلِكَ مَرْضِيٌّ فِي الرَّبِّ.٢٠
21 वालिदो, अपने बच्चों को ग़ुस्सा न करें, वर्ना वह बेदिल हो जाएँगे।
أَيُّهَا الآبَاءُ، لَا تُثِيرُوا غَضَبَ أَوْلادِكُمْ لِئَلّا يُصِيبَهُمُ الْفَشَلُ.٢١
22 ग़ुलामों, हर बात में अपने दुनियावी मालिकों के ताबे रहो। न सिर्फ़ उन के सामने ही और उन्हें ख़ुश रखने के लिए ख़िदमत करें बल्कि ख़ुलूसदिली और ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ मान कर काम करें।
أَيُّهَا الْعَبِيدُ، أَطِيعُوا فِي كُلِّ أَمْرٍ سَادَتَكُمُ الْبَشَرِيِّينَ، فَلا تَعْمَلُوا بِجِدٍّ فَقَطْ حِينَ تَكُونُ عُيُونُهُمْ عَلَيْكُمْ، كَمَنْ يُحَاوِلُ إِرْضَاءَ النَّاسِ، بَلْ بِقَلْبٍ صَادِقٍ خَائِفِينَ الرَّبَّ.٢٢
23 जो कुछ भी तुम करते हो उसे पूरी लगन के साथ करो, इस तरह जैसा कि तुम न सिर्फ़ इंसान ों की बल्कि ख़ुदावन्द की ख़िदमत कर रहे हो।
وَمَهْمَا عَمِلْتُمْ، فَاجْتَهِدُوا فِيهِ مِنْ صَمِيمِ الْقَلْبِ، وَكَأَنَّهُ لِلرَّبِّ لَا لِلنَّاسِ،٢٣
24 तुम तो जानते हो कि ख़ुदावन्द तुम को इस के मुआवज़े में वह मीरास देगा जिस का वादा उस ने किया है। हक़ीक़त में तुम ख़ुदावन्द मसीह की ही ख़िदमत कर रहे हो।
عَالِمِينَ أَنَّكُمْ سَوْفَ تَنَالُونَ الْمُكَافَأَةَ بِالْمِيرَاثِ مِنَ الرَّبِّ. فَإِنَّمَا أَنْتُمْ عَبِيدٌ تَخْدِمُونَ الرَّبَّ الْمَسِيحَ٢٤
25 लेकिन जो ग़लत काम करे उसे अपनी ग़लतियों का मुआवज़ा भी मिलेगा। ख़ुदा तो किसी की भी तरफ़दारी नहीं करता।
وَأَمَّا مَنْ عَمِلَ شَرّاً فَسَوْفَ يَنَالُ جَزَاءَ عَمَلِهِ الشِّرِّيرِ، وَلَيْسَ مُحَابَاةٌ.٢٥

< कुलुस्सियों 3 >