< आमू 4 >
1 ऐ बसन की गायों, जो कोह — ए — सामरिया पर रहती हो, और ग़रीबों को सताती और ग़रीबों को कुचलती और अपने मालिकों से कहती हो, 'लाओ, हम पियें,' तुम ये बात सुनो।
Ihr Basanskühe, hört dies Wort, die ihr verweilt auf Samarias Berg, die ihr die Niedrigen bedrücken und die Armen schinden helft, die ihr zu euren Herren sprecht: "Nur immer her, damit wir trinken können!"
2 ख़ुदावन्द ख़ुदा ने अपनी पाकीज़गी की क़सम खाई है कि तुम पर वह दिन आएँगे, जब तुम को आंकड़ियों से और तुम्हारी औलाद को शस्तों से खींच ले जाएँगे।
Geschworen hat der Herr, der Herr, bei seiner Heiligkeit: "Fürwahr, es kommen Tage über euch, da treibt man euch mit Haken fort, was von euch übrigbleibt mit Stacheln.
3 और ख़ुदावन्द फ़रमाता है, तुम में से हर एक उस रख़ने से जो उसके सामने होगा निकल भागेगी, और तुम क़ैद में डाली जाओगी।
Da schleppt man euch hinaus mit Ungestüm, die eine nach der anderen, und wirft euch in den Fluß." Ein Spruch des Herrn.
4 बैतएल में आओ और गुनाह करो, और जिल्जाल में कसरत से गुनाह करो, और हर सुबह अपनी क़ुर्बानियाँ और तीसरे रोज़ दहेकी लाओ,
"Nach Betel zieht und sündigt! Nach Gilgal, sündigt dort noch mehr! Bringt morgens eure Opfer dar, am dritten Tage eure Zehnten!
5 और शुक्रगुज़ारी का हदिया ख़मीर के साथ आग पर पेश करो, और रज़ा की क़ुर्बानी का 'ऐलान करो, और उसको मशहूर करो, क्यूँकि ऐ बनी इस्राईल, ये सब काम तुम को पसंद हैं, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
Dankopfer bringt von dem Gesäuerten! Ruft auf zu freiwilligen Opfern! Ihr tut es ja so gern, ihr Söhne Israels." Ein Spruch des Herrn, des Herrn. -
6 ख़ुदावन्द फ़रमाता है, अगरचे मैंने तुम को तुम्हारे हर शहर में दाँतों की सफ़ाई, और तुम्हारे हर मकान में रोटी की कमी दी है; तोभी तुम मेरी तरफ़ रुजू' न लाए।
"Schon machte ich an allen euren Städten eure Zähne blank und ließ an allen euren Plätzen an Brot es mangeln, und dennoch kamt ihr nicht zu mir zurück." Ein Spruch des Herrn.
7 और अगरचे मैंने मेंह को, जबकि फ़सल पकने में तीन महीने बाक़ी थे तुम से रोक लिया; और एक शहर पर बरसाया और दूसरे से रोक रख्खा, एक क़िता' ज़मीन पर बरसा और दूसरा क़िता' बारिश न होने की वजह से सूख गया;
"Und ich versagte euch den Regen drei Monde vor der Ernte. Ich ließ auf eine Stadt zwar regnen, doch auf die andre nicht. So ward die eine Gegend zwar beregnet; jedoch die andere, auf die kein Regen fiel, verdorrte.
8 और दो तीन बस्तियाँ आवारा हो कर एक बस्ती में आईं, ताकि लोग पानी पिएँ पर वह आसूदा न हुए, तो भी तुम मेरी तरफ़ रुजू' न लाए, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
So taumelten die Städte zwei und drei zu einer Stadt, um Wasser dort zu trinken, und wurden nicht gesättigt, und ihr kamet dennoch nicht zu mir zurück." Ein Spruch des Herrn.
9 फिर मैंने तुम पर बाद — ए — समूम और गेरोई की आफ़त भेजी, और तुम्हारे बेशुमार बाग़ और ताकिस्तान और अंजीर और जै़तून के दरख़्त, टिड्डियों ने खा लिए; तोभी तुम मेरी तरफ़ रुजू' न लाए, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
"Ich schlug mit Kornbrand euch und Meltau, auf schwere Weise eure Gärten, eure Weinberge. Die Heuschrecke fraß Feigen- und Olivenbäume ab, und dennoch kamt ihr nicht zu mir zurtick." Ein Spruch des Herrn.
10 मैंने मिस्र के जैसी वबा तुम पर भेजी और तुम्हारे जवानों को तलवार से क़त्ल किया; तुम्हारे घोड़े छीन लिए और तुम्हारी लश्करगाह की बदबू तुम्हारे नथनों में पहुँची, तोभी तुम मेरी तरफ़ रुजू' न लाए, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
"Ich sandte eine Pest zu euch nach Art und Weise der ägyptischen, schlug mit dem Schwerte eure Jünglinge samt euren besten Pferden. Gestank ließ ich von eurem Lager aus euch in die Nase dringen, und dennoch kamt ihr nicht zu mir zurück." Ein Spruch des Herrn.
11 “मैंने तुम में से कुछ को उलट दिया, जैसे ख़ुदा ने सदूम और 'अमूरा को उलट दिया था; और तुम उस लुक्टी की तरह हुए जो आग से निकाली जाए, तोभी तुम मेरी तरफ़ रुजू' न लाए,” ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
"Und einen Umsturz bracht' ich über euch, wie Gott einst Sodom und Gomorrha umgestürzt; ihr gleichet einem Scheit, der Glut entrissen, und dennoch kamt ihr nicht zu nur zurück." Ein Spruch des Herrn.
12 “इसलिए ऐ इस्राईल, मैं तुझ से यूँ ही करूँगा, और चूँकि मैं तुझ से यूँ करूँगा, इसलिए ऐ इस्राईल, तू अपने ख़ुदा से मुलाक़ात की तैयारी कर!”
"Drum Israel, will ich mit dir nun so verfahren, und weil ich so mit dir verfahren will, so halte, Israel, dich auch bereit für die Begegnung deines Gottes!"
13 क्यूँकि देख, उसी ने पहाड़ों को बनाया और हवा को पैदा किया, वह इंसान पर उसके ख़यालात को ज़ाहिर करता है और सुबह को तारीक बना देता है और ज़मीन के ऊँचे मक़ामात पर चलता है; उसका नाम ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज है।
Ja, sieh! Er ist der Berge Bildner und des Windes Schöpfer. Er kann dem Menschen kundtun, was er selber im geheimen denkt. Er macht zum Morgenrot die Finsternis und wandelt auf der Erde Höhen. "Herr, Gott der Heerscharen", das ist sein Name.