< आमाल 7 >
1 फिर सरदार काहिन ने कहा, “क्या ये बातें इसी तरह पर हैं?”
tataH paraM mahAyAjakaH pRSTavAn, eSA kathAM kiM satyA?
2 उस ने कहा, “ऐ भाइयों! और बुज़ुर्गों, सुनें। ख़ुदा ऐ' ज़ुल — जलाल हमारे बुज़ुर्ग अब्रहाम पर उस वक़्त ज़ाहिर हुआ जब वो हारान शहर में बसने से पहले मसोपोतामिया मुल्क में था।“
tataH sa pratyavadat, he pitaro he bhrAtaraH sarvve lAkA manAMsi nidhaddhvaM|asmAkaM pUrvvapuruSa ibrAhIm hAraNnagare vAsakaraNAt pUrvvaM yadA arAm-naharayimadeze AsIt tadA tejomaya Izvaro darzanaM datvA
3 और उस से कहा कि 'अपने मुल्क और अपने कुन्बे से निकल कर उस मुल्क में चला जा'जिसे मैं तुझे दिखाऊँगा।
tamavadat tvaM svadezajJAtimitrANi parityajya yaM dezamahaM darzayiSyAmi taM dezaM vraja|
4 इस पर वो कसदियों के मुल्क से निकल कर हारान में जा बसा; और वहाँ से उसके बाप के मरने के बाद ख़ुदा ने उसको इस मुल्क में लाकर बसा दिया, जिस में तुम अब बसते हो।
ataH sa kasdIyadezaM vihAya hAraNnagare nyavasat, tadanantaraM tasya pitari mRte yatra deze yUyaM nivasatha sa enaM dezamAgacchat|
5 और उसको कुछ मीरास बल्कि क़दम रखने की भी उस में जगह न दी मगर वा'दा किया कि में ये ज़मीन तेरे और तेरे बाद तेरी नस्ल के क़ब्ज़े में कर दूँगा, हालाँकि उसके औलाद न थी।
kintvIzvarastasmai kamapyadhikAram arthAd ekapadaparimitAM bhUmimapi nAdadAt; tadA tasya kopi santAno nAsIt tathApi santAnaiH sArddham etasya dezasyAdhikArI tvaM bhaviSyasIti tampratyaGgIkRtavAn|
6 और ख़ुदा ने ये फ़रमाया, तेरी नस्ल ग़ैर मुल्क में परदेसी होगी, वो उसको ग़ुलामी में रख्खेंगे और चार सौ बरस तक उन से बदसुलूकी करेंगे।
Izvara ittham aparamapi kathitavAn tava santAnAH paradeze nivatsyanti tatastaddezIyalokAzcatuHzatavatsarAn yAvat tAn dAsatve sthApayitvA tAn prati kuvyavahAraM kariSyanti|
7 फिर ख़ुदा ने कहा, जिस क़ौम की वो ग़ुलामी में रहेंगे उसको मैं सज़ा दूँगा; और उसके बाद वो निकलकर इसी जगह मेरी इबादत करेंगे।
aparam Izvara enAM kathAmapi kathitavAn, ye lokAstAn dAsatve sthApayiSyanti tAllokAn ahaM daNDayiSyAmi, tataH paraM te bahirgatAH santo mAm atra sthAne seviSyante|
8 और उसने उससे ख़तने का 'अहद बाँधा; और इसी हालत में अब्रहाम से इज़्हाक़ पैदा हुआ, और आठवें दिन उसका ख़तना किया गया; और इज़्हाक़ से या'क़ूब और याक़ूब से बारह क़बीलों के बुज़ुर्ग पैदा हुए।
pazcAt sa tasmai tvakchedasya niyamaM dattavAn, ata ishAkanAmni ibrAhIma ekaputre jAte, aSTamadine tasya tvakchedam akarot| tasya ishAkaH putro yAkUb, tatastasya yAkUbo'smAkaM dvAdaza pUrvvapuruSA ajAyanta|
9 और बुज़ुर्गों ने हसद में आकर युसूफ़ को बेचा कि मिस्र में पहुँच जाए; मगर ख़ुदा उसके साथ था।
te pUrvvapuruSA IrSyayA paripUrNA misaradezaM preSayituM yUSaphaM vyakrINan|
10 और उसकी सब मुसीबतों से उसने उसको छुड़ाया; और मिस्र के बादशाह फिर'औन के नज़दीक उसको मक़बूलियत और हिक्मत बख़्शी, और उसने उसे मिस्र और अपने सारे घर का सरदार कर दिया।
kintvIzvarastasya sahAyo bhUtvA sarvvasyA durgate rakSitvA tasmai buddhiM dattvA misaradezasya rAjJaH phirauNaH priyapAtraM kRtavAn tato rAjA misaradezasya svIyasarvvaparivArasya ca zAsanapadaM tasmai dattavAn|
11 फिर मिस्र के सारे मुल्क और कनान में काल पड़ा, और बड़ी मुसीबत आई; और हमारे बाप दादा को खाना न मिलता था।
tasmin samaye misara-kinAnadezayo rdurbhikSahetoratikliSTatvAt naH pUrvvapuruSA bhakSyadravyaM nAlabhanta|
12 लेकिन याक़ूब ने ये सुनकर कि, मिस्र में अनाज है; हमारे बाप दादा को पहली बार भेजा।
kintu misaradeze zasyAni santi, yAkUb imAM vArttAM zrutvA prathamam asmAkaM pUrvvapuruSAn misaraM preSitavAn|
13 और दूसरी बार यूसुफ़ अपने भाइयों पर ज़ाहिर हो गया और यूसुफ़ की क़ौमियत फिर'औन को मा'लूम हो गई।
tato dvitIyavAragamane yUSaph svabhrAtRbhiH paricito'bhavat; yUSapho bhrAtaraH phirauN rAjena paricitA abhavan|
14 फिर यूसुफ़ ने अपने बाप याक़ूब और सारे कुन्बे को जो पछहत्तर जाने थीं; बुला भेजा।
anantaraM yUSaph bhrAtRgaNaM preSya nijapitaraM yAkUbaM nijAn paJcAdhikasaptatisaMkhyakAn jJAtijanAMzca samAhUtavAn|
15 और याक़ूब मिस्र में गया वहाँ वो और हमारे बाप दादा मर गए।
tasmAd yAkUb misaradezaM gatvA svayam asmAkaM pUrvvapuruSAzca tasmin sthAne'mriyanta|
16 और वो शहर ऐ सिकम में पहुँचाए गए और उस मक़्बरे में दफ़्न किए गए' जिसको अब्रहाम ने सिक्म में रुपऐ देकर बनी हमूर से मोल लिया था।
tataste zikhimaM nItA yat zmazAnam ibrAhIm mudrAdatvA zikhimaH pitu rhamoraH putrebhyaH krItavAn tatzmazAne sthApayAJcakrire|
17 लेकिन जब उस वादे की मी'आद पुरी होने को थी, जो ख़ुदा ने अब्रहाम से फ़रमाया था तो मिस्र में वो उम्मत बढ़ गई; और उनका शुमार ज़्यादा होता गया।
tataH param Izvara ibrAhImaH sannidhau zapathaM kRtvA yAM pratijJAM kRtavAn tasyAH pratijJAyAH phalanasamaye nikaTe sati isrAyellokA simaradeze varddhamAnA bahusaMkhyA abhavan|
18 उस वक़्त तक कि दूसरा बादशाह मिस्र पर हुक्मरान हुआ; जो यूसुफ़ को न जानता था।
zeSe yUSaphaM yo na paricinoti tAdRza eko narapatirupasthAya
19 उसने हमारी क़ौम से चालाकी करके हमारे बाप दादा के साथ यहाँ तक बदसुलूकी की कि उन्हें अपने बच्चे फेंकने पड़े ताकि ज़िन्दा न रहें।
asmAkaM jJAtibhiH sArddhaM dhUrttatAM vidhAya pUrvvapuruSAn prati kuvyavaharaNapUrvvakaM teSAM vaMzanAzanAya teSAM navajAtAn zizUn bahi rnirakSepayat|
20 इस मौक़े पर मूसा पैदा हुआ; जो निहायत ख़ूबसूरत था, वो तीन महीने तक अपने बाप के घर में पाला गया।
etasmin samaye mUsA jajJe, sa tu paramasundaro'bhavat tathA pitRgRhe mAsatrayaparyyantaM pAlito'bhavat|
21 मगर जब फेंक दिया गया, तो फिर'औन की बेटी ने उसे उठा लिया और अपना बेटा करके पाला।
kintu tasmin bahirnikSipte sati phirauNarAjasya kanyA tam uttolya nItvA dattakaputraM kRtvA pAlitavatI|
22 और मूसा ने मिस्रियों के, तमाम इल्मो की ता'लीम पाई, और वो कलाम और काम में ताक़त वाला था।
tasmAt sa mUsA misaradezIyAyAH sarvvavidyAyAH pAradRSvA san vAkye kriyAyAJca zaktimAn abhavat|
23 और जब वो तक़रीबन चालीस बरस का हुआ, तो उसके जी में आया कि मैं अपने भाइयों बनी इस्राईल का हाल देखूँ।
sa sampUrNacatvAriMzadvatsaravayasko bhUtvA isrAyelIyavaMzanijabhrAtRn sAkSAt kartuM matiM cakre|
24 चुनाँचे उन में से एक को ज़ुल्म उठाते देखकर उसकी हिमायत की, और मिस्री को मार कर मज़्लूम का बदला लिया।
teSAM janamekaM hiMsitaM dRSTvA tasya sapakSaH san hiMsitajanam upakRtya misarIyajanaM jaghAna|
25 उसने तो ख़याल किया कि मेरे भाई समझ लेंगे, कि ख़ुदा मेरे हाथों उन्हें छुटकारा देगा, मगर वो न समझे।
tasya hastenezvarastAn uddhariSyati tasya bhrAtRgaNa iti jJAsyati sa ityanumAnaM cakAra, kintu te na bubudhire|
26 फिर दूसरे दिन वो उन में से दो लड़ते हुओं के पास आ निकला और ये कहकर उन्हें सुलह करने की तरग़ीब दी कि ‘ऐ जवानों तुम तो भाई भाई हो, क्यूँ एक दूसरे पर ज़ुल्म करते हो?’
tatpare 'hani teSAm ubhayo rjanayo rvAkkalaha upasthite sati mUsAH samIpaM gatvA tayo rmelanaM karttuM matiM kRtvA kathayAmAsa, he mahAzayau yuvAM bhrAtarau parasparam anyAyaM kutaH kuruthaH?
27 लेकिन जो अपने पड़ोसी पर ज़ुल्म कर रहा था, उसने ये कह कर उसे हटा दिया तुझे किसने हम पर हाकिम और क़ाज़ी मुक़र्रर किया?
tataH samIpavAsinaM prati yo jano'nyAyaM cakAra sa taM dUrIkRtya kathayAmAsa, asmAkamupari zAstRtvavicArayitRtvapadayoH kastvAM niyuktavAn?
28 क्या तू मुझे भी क़त्ल करना चहता है? जिस तरह कल उस मिस्री को क़त्ल किया था।
hyo yathA misarIyaM hatavAn tathA kiM mAmapi haniSyasi?
29 मूसा ये बात सुन कर भाग गया, और मिदियान के मुल्क में परदेसी रहा, और वहाँ उसके दो बेटे पैदा हुए।
tadA mUsA etAdRzIM kathAM zrutvA palAyanaM cakre, tato midiyanadezaM gatvA pravAsI san tasthau, tatastatra dvau putrau jajJAte|
30 और जब पूरे चालीस बरस हो गए, तो कोह-ए-सीना के वीराने में जलती हुई झाड़ी के शो'ले में उसको एक फ़रिश्ता दिखाई दिया।
anantaraM catvAriMzadvatsareSu gateSu sInayaparvvatasya prAntare prajvalitastambasya vahnizikhAyAM paramezvaradUtastasmai darzanaM dadau|
31 जब मूसा ने उस पर नज़र की तो उस नज़ारे से ताज़्जुब किया, और जब देखने को नज़दीक गया तौ ख़ुदावन्द की आवाज़ आई कि
mUsAstasmin darzane vismayaM matvA vizeSaM jJAtuM nikaTaM gacchati,
32 मैं तेरे बाप दादा का ख़ुदा या'नी अब्रहाम इज़्हाक़ और याक़ूब का ख़ुदा हूँ तब मूसा काँप गया और उसको देखने की हिम्मत न रही।
etasmin samaye, ahaM tava pUrvvapuruSANAm Izvaro'rthAd ibrAhIma Izvara ishAka Izvaro yAkUba Izvarazca, mUsAmuddizya paramezvarasyaitAdRzI vihAyasIyA vANI babhUva, tataH sa kampAnvitaH san puna rnirIkSituM pragalbho na babhUva|
33 ख़ुदावन्द ने उससे कहा कि अपने पाँव से जूती उतार ले, क्यूँकि जिस जगह तू खड़ा है, वो पाक ज़मीन है।
paramezvarastaM jagAda, tava pAdayoH pAduke mocaya yatra tiSThasi sA pavitrabhUmiH|
34 मैंने वाक़'ई अपनी उस उम्मत की मुसीबत देखी जो मिस्र में है। और उनका आह — व नाला सुना पस उन्हें छुड़ाने उतरा हूँ, अब आ मैं तुझे मिस्र में भेजूँगा।
ahaM misaradezasthAnAM nijalokAnAM durddazAM nitAntam apazyaM, teSAM kAtaryyoktiJca zrutavAn tasmAt tAn uddharttum avaruhyAgamam; idAnIm Agaccha misaradezaM tvAM preSayAmi|
35 जिस मूसा का उन्होंने ये कह कर इन्कार किया था, तुझे किसने हाकिम और क़ाज़ी मुक़र्रर किया 'उसी को ख़ुदा ने हाकिम और छुड़ाने वाला ठहरा कर, उस फ़रिश्ते के ज़रिए से भेजा जो उस झाड़ी में नज़र आया था।
kastvAM zAstRtvavicArayitRtvapadayo rniyuktavAn, iti vAkyamuktvA tai ryo mUsA avajJAtastameva IzvaraH stambamadhye darzanadAtrA tena dUtena zAstAraM muktidAtAraJca kRtvA preSayAmAsa|
36 यही शख़्स उन्हें निकाल लाया और मिस्र और बहर — ए — क़ुलज़ूम और वीराने में चालीस बरस तक अजीब काम और निशान दिखाए।
sa ca misaradeze sUphnAmni samudre ca pazcAt catvAriMzadvatsarAn yAvat mahAprAntare nAnAprakArANyadbhutAni karmmANi lakSaNAni ca darzayitvA tAn bahiH kRtvA samAninAya|
37 ये वही मूसा है, जिसने बनी इस्राईल से कहा, ख़ुदा तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिए मुझ सा एक नबी पैदा करेगा।
prabhuH paramezvaro yuSmAkaM bhrAtRgaNasya madhye mAdRzam ekaM bhaviSyadvaktAram utpAdayiSyati tasya kathAyAM yUyaM mano nidhAsyatha, yo jana isrAyelaH santAnebhya enAM kathAM kathayAmAsa sa eSa mUsAH|
38 ये वही है, जो वीराने की कलीसिया में उस फ़रिश्ते के साथ जो कोह-ए-सीना पर उससे हम कलाम हुआ, और हमारे बाप दादा के साथ था उसी को ज़िन्दा कलाम मिला कि हम तक पहुँचा दे।
mahAprAntarasthamaNDalImadhye'pi sa eva sInayaparvvatopari tena sArddhaM saMlApino dUtasya cAsmatpitRgaNasya madhyasthaH san asmabhyaM dAtavyani jIvanadAyakAni vAkyAni lebhe|
39 मगर हमारे बाप दादा ने उसके फ़रमाँबरदार होना न चाहा, बल्कि उसको हटा दिया और उनके दिल मिस्र की तरफ़ माइल हुए।
asmAkaM pUrvvapuruSAstam amAnyaM katvA svebhyo dUrIkRtya misaradezaM parAvRtya gantuM manobhirabhilaSya hAroNaM jagaduH,
40 और उन्होंने हारून से कहा, हमारे लिए ऐसे मा'बूद बना जो हमारे आगे आगे चलें, क्यूँकि ये मूसा जो हमें मुल्क — ए मिस्र से निकाल लाया, हम नहीं जानते कि वो क्या हुआ।
asmAkam agre'gre gantum asmadarthaM devagaNaM nirmmAhi yato yo mUsA asmAn misaradezAd bahiH kRtvAnItavAn tasya kiM jAtaM tadasmAbhi rna jJAyate|
41 और उन दिनों में उन्होंने एक बछड़ा बनाया, और उस बुत को क़ुर्बानी चढ़ाई, और अपने हाथों के कामों की ख़ुशी मनाई।
tasmin samaye te govatsAkRtiM pratimAM nirmmAya tAmuddizya naivedyamutmRjya svahastakRtavastunA AnanditavantaH|
42 पस ख़ुदा ने मुँह मोड़कर उन्हें छोड़ दिया कि आसमानी फ़ौज को पूजें चुनाँचे नबियों की किताबों में लिखा है ऐ इस्राईल के घराने क्या तुम ने वीराने में चालीस बरस मुझको ज़बीहे और क़ुर्बानियाँ गुज़रानी?
tasmAd IzvarasteSAM prati vimukhaH san AkAzasthaM jyotirgaNaM pUjayituM tebhyo'numatiM dadau, yAdRzaM bhaviSyadvAdinAM grantheSu likhitamAste, yathA, isrAyelIyavaMzA re catvAriMzatsamAn purA| mahati prAntare saMsthA yUyantu yAni ca| balihomAdikarmmANi kRtavantastu tAni kiM| mAM samuddizya yuSmAbhiH prakRtAnIti naiva ca|
43 बल्कि तुम मोलक के ख़ेमे और रिफ़ान देवता के तारे को लिए फिरते थे, या'नी उन मूरतों को जिन्हें तुम ने सज्दा करने के लिए बनाया था। पस में तुम्हें बाबुल के परे ले जाकर बसाऊँगा।
kintu vo molakAkhyasya devasya dUSyameva ca| yuSmAkaM rimphanAkhyAyA devatAyAzca tArakA| etayorubhayo rmUrtI yuSmAbhiH paripUjite| ato yuSmAMstu bAbelaH pAraM neSyAmi nizcitaM|
44 शहादत का ख़ेमा वीराने में हमारे बाप दादा के पास था, जैसा कि मूसा से कलाम करने वाले ने हुक्म दिया था, जो नमूना तूने देखा है, उसी के मुवाफ़िक़ इसे बना।
aparaJca yannidarzanam apazyastadanusAreNa dUSyaM nirmmAhi yasmin Izvaro mUsAm etadvAkyaM babhASe tat tasya nirUpitaM sAkSyasvarUpaM dUSyam asmAkaM pUrvvapuruSaiH saha prAntare tasthau|
45 उसी ख़ेमे को हमारे बाप दादा अगले बुज़ुर्गों से हासिल करके ईसा के साथ लाए जिस वक़्त उन क़ौमों की मिल्कियत पर क़ब्ज़ा किया जिनको ख़ुदा ने हमारे बाप दादा के सामने निकाल दिया, और वो दाऊद के ज़माने तक रहा।
pazcAt yihozUyena sahitaisteSAM vaMzajAtairasmatpUrvvapuruSaiH sveSAM sammukhAd IzvareNa dUrIkRtAnAm anyadezIyAnAM dezAdhikRtikAle samAnItaM tad dUSyaM dAyUdodhikAraM yAvat tatra sthAna AsIt|
46 उस पर ख़ुदा की तरफ़ से फ़ज़ल हुआ, और उस ने दरख़्वास्त की, कि में याक़ूब के ख़ुदा के वास्ते घर तैयार करूँ।
sa dAyUd paramezvarasyAnugrahaM prApya yAkUb IzvarArtham ekaM dUSyaM nirmmAtuM vavAJcha;
47 मगर सुलैमान ने उस के लिए घर बनाया।
kintu sulemAn tadarthaM mandiram ekaM nirmmitavAn|
48 लेकिन ख़ुदा हाथ के बनाए हुए घरों में नहीं रहता चुनाँचे नबी कहता है कि
tathApi yaH sarvvoparisthaH sa kasmiMzcid hastakRte mandire nivasatIti nahi, bhaviSyadvAdI kathAmetAM kathayati, yathA,
49 ख़ुदावन्द फ़रमाता है, आसमान मेरा तख़्त और ज़मीन मेरे पाँव तले की चौकी है, तुम मेरे लिए कैसा घर बनाओगे, या मेरी आरामगाह कौन सी है?
parezo vadati svargo rAjasiMhAsanaM mama| madIyaM pAdapIThaJca pRthivI bhavati dhruvaM| tarhi yUyaM kRte me kiM pranirmmAsyatha mandiraM| vizrAmAya madIyaM vA sthAnaM kiM vidyate tviha|
50 क्या ये सब चीज़ें मेरे हाथ से नहीं बनी
sarvvANyetAni vastUni kiM me hastakRtAni na||
51 ऐ गर्दन कशो, दिल और कान के नामख़्तूनों, तुम हर वक़्त रूह — उल — क़ुद्दूस की मुख़ालिफ़त करते हो; जैसे तुम्हारे बाप दादा करते थे, वैसे ही तुम भी करते हो।
he anAjJAgrAhakA antaHkaraNe zravaNe cApavitralokAH yUyam anavarataM pavitrasyAtmanaH prAtikUlyam Acaratha, yuSmAkaM pUrvvapuruSA yAdRzA yUyamapi tAdRzAH|
52 नबियों में से किसको तुम्हारे बाप दादा ने नहीं सताया? उन्हों ने तो उस रास्तबाज़ के आने की पेश — ख़बरी देनेवालों को क़त्ल किया, और अब तुम उसके पकड़वाने वाले और क़ातिल हुए।
yuSmAkaM pUrvvapuruSAH kaM bhaviSyadvAdinaM nAtADayan? ye tasya dhArmmikasya janasyAgamanakathAM kathitavantastAn aghnan yUyam adhUnA vizvAsaghAtino bhUtvA taM dhArmmikaM janam ahata|
53 तुम ने फ़रिश्तों के ज़रिए से शरी'अत तो पाई, पर अमल नहीं किया।
yUyaM svargIyadUtagaNena vyavasthAM prApyApi tAM nAcaratha|
54 जब उन्होंने ये बातें सुनीं तो जी में जल गए, और उस पर दाँत पीसने लगे।
imAM kathAM zrutvA te manaHsu biddhAH santastaM prati dantagharSaNam akurvvan|
55 मगर उस ने रूह — उल — क़ुद्दूस से भरपूर होकर आसमान की तरफ़ ग़ौर से नज़र की, और ख़ुदा का जलाल और ईसा को ख़ुदा की दहनी तरफ़ खड़ा देख कर कहा।
kintu stiphAnaH pavitreNAtmanA pUrNo bhUtvA gagaNaM prati sthiradRSTiM kRtvA Izvarasya dakSiNe daNDAyamAnaM yIzuJca vilokya kathitavAn;
56 “देखो मैं आसमान को खुला, और इबने — आदम को ख़ुदा की दहनी तरफ़ खड़ा देखता हूँ”
pazya, meghadvAraM muktam Izvarasya dakSiNe sthitaM mAnavasutaJca pazyAmi|
57 मगर उन्होंने बड़े ज़ोर से चिल्लाकर अपने कान बन्द कर लिए, और एक दिल होकर उस पर झपटे।
tadA te proccaiH zabdaM kRtvA karNeSvaGgulI rnidhAya ekacittIbhUya tam Akraman|
58 और शहर से बाहर निकाल कर उस पर पथराव करने लगे, और गवाहों ने अपने कपड़े साऊल नाम एक जवान के पाँव के पास रख दिए।
pazcAt taM nagarAd bahiH kRtvA prastarairAghnan sAkSiNo lAkAH zaulanAmno yUnazcaraNasannidhau nijavastrANi sthApitavantaH|
59 पस स्तिफ़नुस पर पथराव करते रहे, और वो ये कह कर दुआ करता रहा “ऐ ख़ुदावन्द ईसा मेरी रूह को क़ुबूल कर।”
anantaraM he prabho yIze madIyamAtmAnaM gRhANa stiphAnasyeti prArthanavAkyavadanasamaye te taM prastarairAghnan|
60 फिर उस ने घुटने टेक कर बड़ी आवाज़ से पुकारा, “ऐ ख़ुदावन्द ये गुनाह इन के ज़िम्मे न लगा।” और ये कह कर सो गया।
tasmAt sa jAnunI pAtayitvA proccaiH zabdaM kRtvA, he prabhe pApametad eteSu mA sthApaya, ityuktvA mahAnidrAM prApnot|