< आमाल 7 >
1 फिर सरदार काहिन ने कहा, “क्या ये बातें इसी तरह पर हैं?”
১পরে মহাযাজক বললেন, এসব কথা কি সত্য? তিনি বললেন,
2 उस ने कहा, “ऐ भाइयों! और बुज़ुर्गों, सुनें। ख़ुदा ऐ' ज़ुल — जलाल हमारे बुज़ुर्ग अब्रहाम पर उस वक़्त ज़ाहिर हुआ जब वो हारान शहर में बसने से पहले मसोपोतामिया मुल्क में था।“
২প্রিয় ভাইয়েরা ও পিতারা, শুনুন। আমাদের পিতা অব্রাহাম হারণ নগরে বাস করার আগে যেদিনের মিসপটেমিয়া দেশে ছিলেন, সেদিন মহিমার ঈশ্বর তাঁকে দর্শন দিয়েছিলেন,
3 और उस से कहा कि 'अपने मुल्क और अपने कुन्बे से निकल कर उस मुल्क में चला जा'जिसे मैं तुझे दिखाऊँगा।
৩তিনি বললেন, “তুমি নিজের দেশ থেকে ও সমস্ত আত্মীয় স্বজনদের কাছ থেকে বাইরে বের হও এবং আমি যেদেশ তোমাকে দেখাই, সেদেশে চল।”
4 इस पर वो कसदियों के मुल्क से निकल कर हारान में जा बसा; और वहाँ से उसके बाप के मरने के बाद ख़ुदा ने उसको इस मुल्क में लाकर बसा दिया, जिस में तुम अब बसते हो।
৪তখন তিনি কলদীয়দের দেশ থেকে বের হয়ে এসে হারণে বসবাস করলেন; আর তাঁর পিতার মৃত্যুর পর (ঈশ্বর) তাঁকে সেখান থেকে এদেশে আনলেন, যেদেশে আপনারা এখন বাস করছেন।
5 और उसको कुछ मीरास बल्कि क़दम रखने की भी उस में जगह न दी मगर वा'दा किया कि में ये ज़मीन तेरे और तेरे बाद तेरी नस्ल के क़ब्ज़े में कर दूँगा, हालाँकि उसके औलाद न थी।
৫কিন্তু এদেশে তাঁকে অধিকার দিলেন না, এক টুকরো জমিও না; আব্রাহাম প্রতিজ্ঞা করলেন যে, তিনি তাঁকে ও তাঁর পরে তাঁর বংশকে অধিকার দেবেন, যদিও তখন তাঁর কোনও সন্তান হয়নি।
6 और ख़ुदा ने ये फ़रमाया, तेरी नस्ल ग़ैर मुल्क में परदेसी होगी, वो उसको ग़ुलामी में रख्खेंगे और चार सौ बरस तक उन से बदसुलूकी करेंगे।
৬আর ঈশ্বর এমন বললেন যে, “তাঁর বংশ বিদেশে বাস করবে এবং লোকে তাদের দাস বানাবে ও তাদের প্রতি চারশো বছর পর্যন্ত অত্যাচার করবে;”
7 फिर ख़ुदा ने कहा, जिस क़ौम की वो ग़ुलामी में रहेंगे उसको मैं सज़ा दूँगा; और उसके बाद वो निकलकर इसी जगह मेरी इबादत करेंगे।
৭আর তারা যে জাতির দাস হবে, আমিই তাদের বিচার করব, এটা ঈশ্বর আরও বললেন, “তারপরে তারা বাইরে বেরিয়ে আসবে এবং এই স্থানে আমার আরাধনা করবে।”
8 और उसने उससे ख़तने का 'अहद बाँधा; और इसी हालत में अब्रहाम से इज़्हाक़ पैदा हुआ, और आठवें दिन उसका ख़तना किया गया; और इज़्हाक़ से या'क़ूब और याक़ूब से बारह क़बीलों के बुज़ुर्ग पैदा हुए।
৮আর তিনি অব্রাহামকে ত্বকছেদের প্রতিজ্ঞা দিলেন, আর এভাবে অব্রাহাম ইসাহাক কে জন্ম দিলেন এবং আটদিনের দিন তাঁর ত্বকছেদ করল: পরে ইসাহাক যাকোবের এবং যাকোব সেই বারো জন পিতৃকুলপতির জন্ম দিলেন।
9 और बुज़ुर्गों ने हसद में आकर युसूफ़ को बेचा कि मिस्र में पहुँच जाए; मगर ख़ुदा उसके साथ था।
৯আর পিতৃকুলপতিরা যোষেফের উপর হিংসা করে তাঁকে বিক্রি করলে তিনি মিশরে যান এবং ঈশ্বর তাঁদের সঙ্গে ছিলেন।
10 और उसकी सब मुसीबतों से उसने उसको छुड़ाया; और मिस्र के बादशाह फिर'औन के नज़दीक उसको मक़बूलियत और हिक्मत बख़्शी, और उसने उसे मिस्र और अपने सारे घर का सरदार कर दिया।
১০কিন্তু ঈশ্বর তাঁর সাথে সাথে ছিলেন এবং তাঁর সমস্ত দু: খকষ্ট থেকে তাঁকে উদ্ধার করলেন, আর মিশরের রাজা ফরৌনের কাছে অনুগ্রহ ও জ্ঞানীর পরিচয় দিলেন; এজন্য ফরৌণ তাঁকে মিশরের ও নিজের সমস্ত ঘরের অধ্যক্ষ পদে নিযুক্ত করলেন।
11 फिर मिस्र के सारे मुल्क और कनान में काल पड़ा, और बड़ी मुसीबत आई; और हमारे बाप दादा को खाना न मिलता था।
১১পরে সমস্ত মিশরে ও কনানে দূর্ভিক্ষ হল, লোকেরা খুব কষ্ট পেতে থাকল, আর আমাদের পূর্বপুরুষদের খাবারের অভাব হল।
12 लेकिन याक़ूब ने ये सुनकर कि, मिस्र में अनाज है; हमारे बाप दादा को पहली बार भेजा।
১২কিন্তু মিশরে খাবার আছে শুনে যাকোব আমাদের পূর্বপুরুষদের প্রথমবার পাঠালেন।
13 और दूसरी बार यूसुफ़ अपने भाइयों पर ज़ाहिर हो गया और यूसुफ़ की क़ौमियत फिर'औन को मा'लूम हो गई।
১৩পরে দ্বিতীয়বারে যোষেফ নিজের ভাইদের সাথে পরিচিত হলেন এবং যোষেফের বংশ সম্পর্কে ফরৌণ জানতে পারলেন।
14 फिर यूसुफ़ ने अपने बाप याक़ूब और सारे कुन्बे को जो पछहत्तर जाने थीं; बुला भेजा।
১৪পরে যোষেফ নিজের পিতা যাকোবকে এবং নিজের সমস্ত বংশকে, পঁচাত্তর জন লোককে নিজের কাছে ডেকে পাঠালেন।
15 और याक़ूब मिस्र में गया वहाँ वो और हमारे बाप दादा मर गए।
১৫তাতে যাকোব মিশরে গেলেন, পরে তাঁর ও আমাদের পূর্বপুরুষদের মৃত্যু হল।
16 और वो शहर ऐ सिकम में पहुँचाए गए और उस मक़्बरे में दफ़्न किए गए' जिसको अब्रहाम ने सिक्म में रुपऐ देकर बनी हमूर से मोल लिया था।
১৬আর তাঁদের শিখিমে এনে কবর দেওয়া হয়েছে এবং যে কবর অব্রাহাম রূপো দিয়ে শিখিমে হামোর সন্তানদের কাছ থেকে কিনেছিলেন, সেখানে কবরপ্রাপ্ত হয়েছে।
17 लेकिन जब उस वादे की मी'आद पुरी होने को थी, जो ख़ुदा ने अब्रहाम से फ़रमाया था तो मिस्र में वो उम्मत बढ़ गई; और उनका शुमार ज़्यादा होता गया।
১৭পরে, ঈশ্বর অব্রাহামের কাছে যে প্রতিজ্ঞা করেছিলেন, সেই প্রতিজ্ঞা পূর্ণ হওয়ার দিন এগিয়ে আসলে, লোকেরা মিশরে বেড়ে সংখ্যায় অনেক হয়ে উঠল,
18 उस वक़्त तक कि दूसरा बादशाह मिस्र पर हुक्मरान हुआ; जो यूसुफ़ को न जानता था।
১৮শেষে মিশরের উপরে এমন আর একজন রাজা হলেন, যে যোষেফকে জানতেন না।
19 उसने हमारी क़ौम से चालाकी करके हमारे बाप दादा के साथ यहाँ तक बदसुलूकी की कि उन्हें अपने बच्चे फेंकने पड़े ताकि ज़िन्दा न रहें।
১৯তিনি আমাদের জাতির সাথে চালাকি করলেন, আমাদের পূর্বপুরুষদের সাথে খারাপ ব্যবহার করলেন, উদ্দেশ্যে এই যে, তাঁদের শিশুদের যেন বাইরে ফেলে দেওয়া হয়, যেন তারা বাঁচতে না পারে।
20 इस मौक़े पर मूसा पैदा हुआ; जो निहायत ख़ूबसूरत था, वो तीन महीने तक अपने बाप के घर में पाला गया।
২০সেই দিন মোশির জন্ম হয়। তিনি ঈশ্বরের চোখে সুন্দর ছিলেন এবং তিনমাস পর্যন্ত পিতার বাড়িতে পালিত হন।
21 मगर जब फेंक दिया गया, तो फिर'औन की बेटी ने उसे उठा लिया और अपना बेटा करके पाला।
২১পরে তাঁকে বাইরে ফেলে দিলে ফরৌণের মেয়ে তুলে নেয়, ও নিজের ছেলে করার জন্য লালন পালন করলেন।
22 और मूसा ने मिस्रियों के, तमाम इल्मो की ता'लीम पाई, और वो कलाम और काम में ताक़त वाला था।
২২আর মোশি মিশ্রীয়দের সমস্ত শিক্ষায় শিক্ষিত হলেন এবং তিনি বাক্যে ও কাজে বলবান ছিলেন।
23 और जब वो तक़रीबन चालीस बरस का हुआ, तो उसके जी में आया कि मैं अपने भाइयों बनी इस्राईल का हाल देखूँ।
২৩পরে তাঁর প্রায় সম্পূর্ণ চল্লিশ বছর বয়স হওয়ার পর নিজের ভাইদের, ইস্রায়েল সন্তানদের, পরিচয় করার ইচ্ছা তার হৃদয়ে জাগলো।
24 चुनाँचे उन में से एक को ज़ुल्म उठाते देखकर उसकी हिमायत की, और मिस्री को मार कर मज़्लूम का बदला लिया।
২৪তখন এক জনের উপর অন্যায় করা হচ্ছে দেখে, তিনি তার পক্ষ নিলেন, ঐ মিশ্রীয় লোককে মেরে অত্যাচার সহ্য করা লোকটিকে সুবিচার দিলেন।
25 उसने तो ख़याल किया कि मेरे भाई समझ लेंगे, कि ख़ुदा मेरे हाथों उन्हें छुटकारा देगा, मगर वो न समझे।
২৫তিনি মনে করলেন তার ভাইয়েরা বুঝেছে যে, তাঁর হাতের দ্বারা ঈশ্বর তাদের মুক্তি দিচ্ছেন; কিন্তু তারা বুঝল না।
26 फिर दूसरे दिन वो उन में से दो लड़ते हुओं के पास आ निकला और ये कहकर उन्हें सुलह करने की तरग़ीब दी कि ‘ऐ जवानों तुम तो भाई भाई हो, क्यूँ एक दूसरे पर ज़ुल्म करते हो?’
২৬আর পরের দিন তারা যখন মারামারি করছিল, তখন তিনি তাদের কাছে গিয়ে মিটমাট করে শান্তি দেওয়ার চেষ্টা করলেন, বললেন, হে প্রিয়, তোমরা তো ভাই, একজন অন্য জনের সাথে অন্যায় করছ কেন?
27 लेकिन जो अपने पड़ोसी पर ज़ुल्म कर रहा था, उसने ये कह कर उसे हटा दिया तुझे किसने हम पर हाकिम और क़ाज़ी मुक़र्रर किया?
২৭কিন্তু প্রতিবেশীর প্রতি অন্যায় করেছিল যে ব্যক্তি, সে তাকে ঠেলে ফেলে দিয়ে বলল, তোমাকে শাসনকর্ত্তা ও বিচারকর্ত্তা করে আমাদের উপরে কে নিযুক্ত করেছে?
28 क्या तू मुझे भी क़त्ल करना चहता है? जिस तरह कल उस मिस्री को क़त्ल किया था।
২৮কালকে যেমন সেই মিশ্রীয়কে মেরে ফেলেছিলে, তেমনি কি আমাকেও মেরে ফেলতে চাও?
29 मूसा ये बात सुन कर भाग गया, और मिदियान के मुल्क में परदेसी रहा, और वहाँ उसके दो बेटे पैदा हुए।
২৯এই কথায় মোশি পালিয়ে গেল, আর মিদিয়ণ দেশে বিদেশী হয়ে বসবাস করতে লাগল; সেখানে তার দুই ছেলের জন্ম হয়।
30 और जब पूरे चालीस बरस हो गए, तो कोह-ए-सीना के वीराने में जलती हुई झाड़ी के शो'ले में उसको एक फ़रिश्ता दिखाई दिया।
৩০পরে চল্লিশ বছর পূর্ণ হলে সীনয় পর্বতের মরূপ্রান্তে এক দূত একটা ঝোপে অগ্নিশিখায় তাকে দেখা দিল।
31 जब मूसा ने उस पर नज़र की तो उस नज़ारे से ताज़्जुब किया, और जब देखने को नज़दीक गया तौ ख़ुदावन्द की आवाज़ आई कि
৩১মোশি সে দৃশ্য দেখে আশ্চর্য্য হয়ে উঠল, আরও ভালো করে দেখার জন্য কাছে যাচ্ছিল, এমন দিনের প্রভুর এক আওয়াজ শোনা গেল, বললেন,
32 मैं तेरे बाप दादा का ख़ुदा या'नी अब्रहाम इज़्हाक़ और याक़ूब का ख़ुदा हूँ तब मूसा काँप गया और उसको देखने की हिम्मत न रही।
৩২“আমি তোমার পূর্বপুরুষদের ঈশ্বর, অব্রাহামের, ইসহাকের ও যাকোবের ঈশ্বর।” তখন মোশি ভয় পেয়ে ভাল করে আর দেখার সাহস করলেন না।
33 ख़ुदावन्द ने उससे कहा कि अपने पाँव से जूती उतार ले, क्यूँकि जिस जगह तू खड़ा है, वो पाक ज़मीन है।
৩৩পরে প্রভু তাঁকে বললেন, “তোমার পা থেকে জুতো খুলে ফেল; কারণ যে জায়গাতে তুমি দাঁড়িয়ে আছ, ওটা পবিত্র স্থান।
34 मैंने वाक़'ई अपनी उस उम्मत की मुसीबत देखी जो मिस्र में है। और उनका आह — व नाला सुना पस उन्हें छुड़ाने उतरा हूँ, अब आ मैं तुझे मिस्र में भेजूँगा।
৩৪আমি মিশরের মধ্যে আমার প্রজাদের দুঃখ ভাল করে দেখেছি, তাদের কান্না শুনেছি, আর তাদের উদ্ধার করতে নেমে এসেছি, এখন এসো, আমি তোমাকে মিশরে পাঠাই।”
35 जिस मूसा का उन्होंने ये कह कर इन्कार किया था, तुझे किसने हाकिम और क़ाज़ी मुक़र्रर किया 'उसी को ख़ुदा ने हाकिम और छुड़ाने वाला ठहरा कर, उस फ़रिश्ते के ज़रिए से भेजा जो उस झाड़ी में नज़र आया था।
৩৫এই যে মোশিকে তারা অস্বীকার করেছিল, বলেছিল, তোমাকে শাসনকর্ত্তা ও বিচারকর্ত্তা করে কে নিযুক্ত করেছে? তাঁকেই ঈশ্বর, যে দূত ঝোপে তাঁকে দেখা দিয়েছিল, সেই দূতের হাতের দ্বারা অধ্যক্ষ ও মুক্তিদাতা করে পাঠালেন।
36 यही शख़्स उन्हें निकाल लाया और मिस्र और बहर — ए — क़ुलज़ूम और वीराने में चालीस बरस तक अजीब काम और निशान दिखाए।
৩৬তিনি মিশরে, লোহিত সমুদ্রে ও মরূপ্রান্তে চল্লিশ বছর পর্যন্ত নানারকম অদ্ভুত লক্ষণ ও চিহ্ন-কাজ করে তাদের বের করে আনলেন।
37 ये वही मूसा है, जिसने बनी इस्राईल से कहा, ख़ुदा तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिए मुझ सा एक नबी पैदा करेगा।
৩৭ইনি সেই মোশি, যে ইস্রায়েল সন্তানদের একথা বলেছিলেন, “ঈশ্বর তোমাদের জন্য তোমাদের ভাইদের মধ্যে থেকে আমার মতো একজন ভাববাদীকে উৎপন্ন করবে।”
38 ये वही है, जो वीराने की कलीसिया में उस फ़रिश्ते के साथ जो कोह-ए-सीना पर उससे हम कलाम हुआ, और हमारे बाप दादा के साथ था उसी को ज़िन्दा कलाम मिला कि हम तक पहुँचा दे।
৩৮তিনিই মরূপ্রান্তে ইহূদিদের সাথে সভাতে ছিলেন; যে দূত সীনয় পর্বতে তাঁর সাথে কথা বলেছিলেন, । তিনিই তাঁর এবং আমাদের পূর্বপুরুষদের সাথে ছিলেন। তিনি আমাদের দেওয়ার জন্য জীবনদায়ী বাক্যসকল পেয়েছিলেন।
39 मगर हमारे बाप दादा ने उसके फ़रमाँबरदार होना न चाहा, बल्कि उसको हटा दिया और उनके दिल मिस्र की तरफ़ माइल हुए।
৩৯আমাদের পূর্বপুরুষেরা তাঁর কথা মানতে চাইল না, বরং তাঁকে ঠেলে ফেলে দিলেন, আর মনে মনে আবার মিশরের দিকে ফিরলেন,
40 और उन्होंने हारून से कहा, हमारे लिए ऐसे मा'बूद बना जो हमारे आगे आगे चलें, क्यूँकि ये मूसा जो हमें मुल्क — ए मिस्र से निकाल लाया, हम नहीं जानते कि वो क्या हुआ।
৪০হারোণকে বললেন, “আমাদের জন্য দেবতা তৈরি কর, তাঁরাই আমাদের আগে আগে যাবেন, কারণ এই যে মোশি মিশর দেশ থেকে আমাদের বের করে আনলেন, তাঁর কি হল, আমরা জানি না।”
41 और उन दिनों में उन्होंने एक बछड़ा बनाया, और उस बुत को क़ुर्बानी चढ़ाई, और अपने हाथों के कामों की ख़ुशी मनाई।
৪১আর সেই দিন তারা একটা বাছুর তৈরি করলেন এবং সেই মূর্তির উদ্দেশ্যে বলি উৎসর্গ করলেন, ও নিজেদের হাতের তৈরি জিনিসে আনন্দ করতে লাগলেন।
42 पस ख़ुदा ने मुँह मोड़कर उन्हें छोड़ दिया कि आसमानी फ़ौज को पूजें चुनाँचे नबियों की किताबों में लिखा है ऐ इस्राईल के घराने क्या तुम ने वीराने में चालीस बरस मुझको ज़बीहे और क़ुर्बानियाँ गुज़रानी?
৪২কিন্তু ঈশ্বর খুশি হলেন না, তাঁদের আকাশের বাহিনী পূজো করার জন্য সমর্পণ করলেন; যেমন ভাববাদী গ্রন্থে লেখা আছে, প্রিয় ইস্রায়েল লোকেরা, মরূপ্রান্তে চল্লিশ বছর পর্যন্ত তোমরা কি আমার উদ্দেশ্যে পশুবলি ও বলিদান উপহার উৎসর্গ করেছিলে?
43 बल्कि तुम मोलक के ख़ेमे और रिफ़ान देवता के तारे को लिए फिरते थे, या'नी उन मूरतों को जिन्हें तुम ने सज्दा करने के लिए बनाया था। पस में तुम्हें बाबुल के परे ले जाकर बसाऊँगा।
৪৩তোমরা বরং মোলকের তাঁবু ও রিফন দেবতার তারা তুলে নিয়ে বহন করেছ, সেই মুর্ত্তিগুলো, যা তোমরা পূজো করার জন্য গড়েছিলে; আর আমি তোমাদের বাবিলের ওদিকে নির্বাসিত করব।
44 शहादत का ख़ेमा वीराने में हमारे बाप दादा के पास था, जैसा कि मूसा से कलाम करने वाले ने हुक्म दिया था, जो नमूना तूने देखा है, उसी के मुवाफ़िक़ इसे बना।
৪৪যেমন তিনি আদেশ করেছিলেন, সাক্ষ্য তাঁবু মরূপ্রান্তে আমাদের পূর্বপুরুষদের কাছে ছিল, যিনি মোশিকে বলেছিলেন, তুমি যেমন নমুনা দেখলে, সেরকম ওটা তৈরি কর।
45 उसी ख़ेमे को हमारे बाप दादा अगले बुज़ुर्गों से हासिल करके ईसा के साथ लाए जिस वक़्त उन क़ौमों की मिल्कियत पर क़ब्ज़ा किया जिनको ख़ुदा ने हमारे बाप दादा के सामने निकाल दिया, और वो दाऊद के ज़माने तक रहा।
৪৫আর আমাদের পূর্বপুরুষেরা তাদের দিনের ওটা পেয়ে যিহোশূয়ের কাছে আনলেন, যখন সেই জাতিগনের অধিকারে প্রবেশ করল, যাদের ঈশ্বর আমাদের পূর্বপুরুষের সামনে থেকে তাড়িয়ে দিলেন। সেই তাঁবু দায়ূদের দিন পর্যন্ত ছিল।
46 उस पर ख़ुदा की तरफ़ से फ़ज़ल हुआ, और उस ने दरख़्वास्त की, कि में याक़ूब के ख़ुदा के वास्ते घर तैयार करूँ।
৪৬ইনি ঈশ্বরের দৃষ্টিতে অনুগ্রহ পেলেন এবং যাকোবের ঈশ্বরের জন্য একটি ঘর নির্ম্মাণ করার জন্য অনুমতি চাইলেন;
47 मगर सुलैमान ने उस के लिए घर बनाया।
৪৭কিন্তু শলোমন তাঁর জন্য একটি গৃহ নির্মাণ করলেন।
48 लेकिन ख़ुदा हाथ के बनाए हुए घरों में नहीं रहता चुनाँचे नबी कहता है कि
৪৮অথচ মহান সর্বশক্তিমান ঈশ্বর হাতের তৈরি গৃহে বাস করেন না; যেমন ভাববাদী বলেন।
49 ख़ुदावन्द फ़रमाता है, आसमान मेरा तख़्त और ज़मीन मेरे पाँव तले की चौकी है, तुम मेरे लिए कैसा घर बनाओगे, या मेरी आरामगाह कौन सी है?
৪৯“স্বর্গ আমার সিংহাসন, পৃথিবী আমার পা রাখার স্থান; প্রভু বলেন, তোমরা আমার জন্য কেমন বাসস্থান বানাবে?”
50 क्या ये सब चीज़ें मेरे हाथ से नहीं बनी
৫০“অথবা আমার বিশ্রামের স্থান কোথায়? আমার হাতই কি এ সমস্ত তৈরী করে নি?”
51 ऐ गर्दन कशो, दिल और कान के नामख़्तूनों, तुम हर वक़्त रूह — उल — क़ुद्दूस की मुख़ालिफ़त करते हो; जैसे तुम्हारे बाप दादा करते थे, वैसे ही तुम भी करते हो।
৫১হে জেদী লোকেরা এবং হৃদয়ে ও কানে অচ্ছিন্নত্বকেরা (অবাধ্য), তোমরা সবদিন পবিত্র আত্মার প্রতিরোধ করে থাক; তোমাদের পূর্বপুরুষেরা যেমন, তোমরাও ঠিক তেমন।
52 नबियों में से किसको तुम्हारे बाप दादा ने नहीं सताया? उन्हों ने तो उस रास्तबाज़ के आने की पेश — ख़बरी देनेवालों को क़त्ल किया, और अब तुम उसके पकड़वाने वाले और क़ातिल हुए।
৫২তোমাদের পূর্বপুরুষেরা কোন ভাববাদীকে তাড়না না করেছে? তারা তাঁদের মেরে ফেলেছিল, যাঁরা আগেই সেই ধার্ম্মিকের আসার কথা জানত, যাকে কিছুদিন আগে তোমরা শত্রুর হাতে তুলে দিলে ও মেরে ফেলেছিলে;
53 तुम ने फ़रिश्तों के ज़रिए से शरी'अत तो पाई, पर अमल नहीं किया।
৫৩তোমরা সকলে দূতদের দ্বারা মোশির আদেশ পেয়েছিলে, কিন্তু পালন করনি।
54 जब उन्होंने ये बातें सुनीं तो जी में जल गए, और उस पर दाँत पीसने लगे।
৫৪এই কথা শুনে মহাসভার সদস্যরা আঘাতগ্রস্ত হলো, স্তিফানের দিকে চেয়ে দাঁতে দাঁত ঘষতে লাগল।
55 मगर उस ने रूह — उल — क़ुद्दूस से भरपूर होकर आसमान की तरफ़ ग़ौर से नज़र की, और ख़ुदा का जलाल और ईसा को ख़ुदा की दहनी तरफ़ खड़ा देख कर कहा।
৫৫কিন্তু তিনি পবিত্র আত্মায় পূর্ণ হয়ে স্বর্গের দিকে এক নজরে চেয়ে ঈশ্বরের মহিমা দেখলেন এবং যীশু ঈশ্বরের ডানদিকে দাঁড়িয়ে আছেন,
56 “देखो मैं आसमान को खुला, और इबने — आदम को ख़ुदा की दहनी तरफ़ खड़ा देखता हूँ”
৫৬আর তিনি বললেন, দেখ, আমি দেখছি, স্বর্গ খোলা রয়েছে, মনুষ্যপুত্র ঈশ্বরের ডানদিকে দাঁড়িয়ে আছেন।
57 मगर उन्होंने बड़े ज़ोर से चिल्लाकर अपने कान बन्द कर लिए, और एक दिल होकर उस पर झपटे।
৫৭কিন্তু তারা খুব জোরে চিৎকার করে উঠল, নিজে নিজের কান চেপে ধরল এবং একসাথে তাঁর উপরে গিয়ে পড়ল;
58 और शहर से बाहर निकाल कर उस पर पथराव करने लगे, और गवाहों ने अपने कपड़े साऊल नाम एक जवान के पाँव के पास रख दिए।
৫৮আর তাঁকে শহর থেকে বের করে পাথর মারতে লাগল; এবং সাক্ষীরা নিজে নিজের কাপড় খুলে শৌল নামের একজন যুবকের পায়ের কাছে রাখল।
59 पस स्तिफ़नुस पर पथराव करते रहे, और वो ये कह कर दुआ करता रहा “ऐ ख़ुदावन्द ईसा मेरी रूह को क़ुबूल कर।”
৫৯এদিকে তারা স্তিফানকে পাথর মারছিল, আর তিনি তাঁর নাম ডেকে প্রার্থনা করলেন, হে প্রভু যীশু আমার আত্মাকে গ্রহণ করো।
60 फिर उस ने घुटने टेक कर बड़ी आवाज़ से पुकारा, “ऐ ख़ुदावन्द ये गुनाह इन के ज़िम्मे न लगा।” और ये कह कर सो गया।
৬০পরে তিনি হাঁটু পেতে জোরে জোরে বললেন, প্রভু, এদের বিরুদ্ধে এই পাপ ধর না। এই বলে তিনি মারা গেলেন। আর শৌল তার হত্যার আদেশ দিচ্ছিলেন।