< आमाल 6 >
1 उन दिनों में जब शागिर्द बहुत होते जाते थे, तो यूनानी माइल यहूदी इब्रानियों की शिकायत करने लगे; इसलिए कि रोज़ाना ख़बरगीरी में उनकी बेवाओं के बारे में लापरवाही होती थी।
Now in those days, as the disciples were multiplying, a complaint arose from the Hellenists against the Hebrews, because their widows were being overlooked in the daily distribution.
2 और उन बारह ने शागिर्दों की जमा'अत को अपने पास बुलाकर कहा, मुनासिब नहीं कि हम ख़ुदा के कलाम को छोड़कर खाने पीने का इन्तिज़ाम करें।
So summoning the multitude of the disciples the twelve said: “It is not advantageous that we should forsake the Word of God to serve at tables.
3 पस, ऐ भाइयों! अपने में से सात नेक नाम शख़्सों को चुन लो जो रूह और दानाई से भरे हुए हों; कि हम उनको इस काम पर मुक़र्रर करें।
Therefore, brothers, select from among you seven men of good reputation, full of Holy Spirit and wisdom, whom we will appoint over this need.
4 लेकिन हम तो दुआ में और कलाम की ख़िदमत में मशग़ूल रहेंगे।
But we will give ourselves continually to prayer and to the ministry of the Word.”
5 ये बात सारी जमा'अत को पसन्द आई, पस उन्होंने स्तिफ़नुस नाम एक शख़्स को जो ईमान और रूह — उल — क़ुद्दूस से भरा हुआ था और फ़िलिप्पुस, व प्रुख़ुरुस, और नीकानोर, और तीमोन, और पर्मिनास और नीकुलाउस। को जो नौ मुरीद यहूदी अन्ताकी था, चुन लिया।
The statement pleased the whole multitude; and they chose Stephen, a man full of faith and Holy Spirit, and Philip and Prochorus and Nicanor and Timon and Parmenas and Nicholas, a proselyte from Antioch,
6 और उन्हें रसूलों के आगे खड़ा किया; उन्होंने दुआ करके उन पर हाथ रखे।
whom they set before the Apostles; and after praying they laid hands on them.
7 और ख़ुदा का कलाम फैलता रहा, और येरूशलेम में शागिर्दों का शुमार बहुत ही बढ़ता गया, और काहिनों की बड़ी गिरोह इस दीन के तहत में हो गई।
Well the Word of God kept spreading, and the number of disciples in Jerusalem kept multiplying at a great rate, and a large company of the priests were obeying the faith.
8 स्तिफ़नुस फ़ज़ल और क़ुव्वत से भरा हुआ लोगों में बड़े बड़े अजीब काम और निशान ज़ाहिर किया करता था;
While Stephen, full of faith and power, was doing great wonders and signs among the people.
9 कि उस इबादतख़ाने से जो लिबिरतीनों का कहलाता है; और कुरेनियों शहर और इस्कन्दरियों क़स्बा और उन में से जो किलकिया और आसिया सूबे के थे, ये कुछ लोग उठ कर स्तिफ़नुस से बहस करने लगे।
Then there arose some from what is called the Synagogue of the Freedmen (Cyrenians, Alexandrians, and those from Cilicia and Asia), disputing with Stephen.
10 मगर वो उस दानाई और रूह का जिससे वो कलाम करता था, मुक़ाबिला न कर सके।
And they were not able to withstand the wisdom and the Spirit with which he spoke.
11 इस पर उन्होंने कुछ आदमियों को सिखाकर कहलवा दिया “हम ने इसको मूसा और ख़ुदा के बर — ख़िलाफ़ कुफ़्र की बातें करते सुना।”
Then they instigated men to say, “We have heard him speaking blasphemous words against Moses and God.”
12 फिर वो 'अवाम और बुज़ुर्गों और आलिमों को उभार कर उस पर चढ़ गए; और पकड़ कर सद्रे — ए — 'अदालत में ले गए।
And they stirred up the people, and the elders and the scribes; and coming upon him they seized him, and brought him in to the Sanhedrin;
13 और झूठे गवाह खड़े किए जिन्होंने कहा, ये शख़्स इस पाक मुक़ाम और शरी'अत के बरख़िलाफ़ बोलने से बाज़ नहीं आता।
and they put forward false witnesses who said: “This man never stops speaking blasphemous words against the holy place and the law;
14 क्यूँकि हम ने उसे ये कहते सुना है; कि वही ईसा नासरी इस मुक़ाम को बरबाद कर देगा, और उन रस्मों को बदल डालेगा, जो मूसा ने हमें सौंपी हैं।
for we have heard him saying that this Jesus the Natsorean will destroy this place and change the customs that Moses delivered to us.”
15 और उन सब ने जो अदालत में बैठे थे, उस पर ग़ौर से नज़र की तो देखा कि उसका चेहरा फ़रिश्ते के जैसा है।
All who sat in the council, looking intently at him, saw his face like the face of an angel.