< आमाल 21 >
1 जब हम उनसे बमुश्किल जुदा हो कर जहाज़ पर रवाना हुए, तो ऐसा हुआ की सीधी राह से कोस टापू में आए, और दूसरे दिन रूदुस में, और वहाँ से पतरा शहर में।
After then it happened sailing our having drawn away from them, having run directly we came to Cos, and the next [day] to Rhodes, and from there and from there to Patara.
2 फिर एक जहाज़ सीधा फ़ीनिके को जाता हुआ मिला, और उस पर सवार होकर रवाना हुए।
And having found a boat passing over into Phoenicia having gone on board we set sail.
3 जब कुप्रुस शहर नज़र आया तो उसे बाएँ हाथ छोड़कर सुरिया को चले, और सूर शहर में उतरे, क्यूँकि वहाँ जहाज़ का माल उतारना था।
(Having sighted *NK(o)*) then Cyprus and having left it on the left we were sailing to Syria and (we disembarked *N(k)O*) at Tyre; There for the ship was unloading the cargo.
4 जब शागिर्दों को तलाश कर लिया तो हम सात रोज़ वहाँ रहे; उन्हों ने रूह के ज़रिए पौलुस से कहा, कि येरूशलेम में क़दम न रखना।
(and *k*) Having sought out (then *no*) the disciples we remained there days seven, who to Paul were telling through the Spirit not (to go up *N(k)O*) to Jerusalem.
5 और जब वो दिन गुज़र गए, तो ऐसा हुआ कि हम निकल कर रवाना हुए, और सब ने बीवियों बच्चों समेत हम को शहर से बाहर तक पहुँचाया। फिर हम ने समुन्दर के किनारे घुटने टेककर दुआ की।
When then it happened that we [were] completing the days, having set out we were journeying while are accompanying us everyone with wives and children as far as outside the city, And having bowed the knees on the shore (having prayed *N(k)O*)
6 और एक दूसरे से विदा होकर हम तो जहाज़ पर चढ़े, और वो अपने अपने घर वापस चले गए।
(we greeted *N(k)O*) one another and (we went up *N(k)(o)*) into the boat, they then returned to [their] own.
7 और हम सूर से जहाज़ का सफ़र पूरा कर के पतुलिमयिस सूबा में पहुँचे, और भाइयों को सलाम किया, और एक दिन उनके साथ रहे।
We ourselves then the voyage having completed from Tyre came down to Ptolemais, and having greeted the brothers we stayed day one with them.
8 दूसरे दिन हम रवाना होकर क़ैसरिया में आए, और फ़िलिप्पुस मुबश्शिर के घर जो उन सातों में से था, उतर कर उसके साथ रहे,
On the now next day having gone forth (those with Paul *K*) (we came *NK(O)*) to Caesarea, and having entered into the house of Philip the evangelist (who *k*) is being of the seven we stayed with him.
9 उस की चार कुँवारी बेटियाँ थीं, जो नबुव्वत करती थीं।
With this [man] now there were daughters four virgins prophesying.
10 जब हम वहाँ बहुत रोज़ रहे, तो अगबुस नाम एक नबी यहूदिया से आया।
Remaining now (of us *K*) days many came down a certain one from Judea a prophet named Agabus,
11 उस ने हमारे पास आकर पौलुस का कमरबन्द लिया और अपने हाथ पाँव बाँध कर कहा, रूह — उल — क़ुद्दूस यूँ फ़रमाता है “कि जिस शख़्स का ये कमरबन्द है उस को यहूदी येरूशलेम में इसी तरह बाँधेगे और ग़ैर क़ौमों के हाथ में सुपुर्द करेंगे।”
and having come to us and having taken the belt of Paul, having bound (both *k*) (of himself *N(k)O*) the feet and the hands he said; Thus says the Spirit Holy; The man of whom is belt this, in this way will bind in Jerusalem the Jews and will deliver [him] into [the] hands of [the] Gentiles.
12 जब ये सुना तो हम ने और वहाँ के लोगों ने उस की मिन्नत की, कि येरूशलेम को न जाए।
When then we had heard these things, were begging we ourselves both and those of that place not to go up him to Jerusalem.
13 मगर पौलुस ने जवाब दिया, कि तुम क्या करते हो? क्यूँ रो रो कर मेरा दिल तोड़ते हो? में तो येरूशलेम में ख़ुदावन्द ईसा मसीह “के नाम पर न सिर्फ़ बाँधे जाने बल्कि मरने को भी तैयार हूँ।”
(Then *N(k)O*) answered Paul; What are you doing weeping and breaking my heart? I myself for not only to be bound but also to die at Jerusalem readiness have for the name of the Lord Jesus.
14 जब उस ने न माना तो हम ये कह कर चुप हो गए “कि ख़ुदावन्द की मर्ज़ी पूरी हो।”
Not is being persuaded then he we were silent having said; Of the Lord the will (should be [done]. *N(k)O*)
15 उन दिनों के बाद हम अपने सफ़र का सामान तैयार करके येरूशलेम को गए।
After now days these having packed the baggage we were ascending to Jerusalem.
16 और क़ैसरिया से भी कुछ शागिर्द हमारे साथ चले और एक पुराने शागिर्द मनासोन कुप्रीस के रहने वाले को साथ ले आए, ताकि हम उस के मेहमान हों।
Went then also [some] of the disciples from Caesarea with us, bringing [one] with whom we may lodge, Mnason a certain Cypriot, an early disciple.
17 जब हम येरूशलेम में पहुँचे तो ईमानदार भाई बड़ी ख़ुशी के साथ हम से मिले।
Having arrived now we at Jerusalem gladly (received *N(k)O*) us the brothers.
18 और दूसरे दिन पौलुस हमारे साथ या'क़ूब के पास गया, और सब बुज़ुर्ग वहाँ हाज़िर थे।
On the now following [day] was going in Paul with us unto James, all and arrived the elders.
19 उस ने उन्हें सलाम करके जो कुछ ख़ुदा ने उस की ख़िदमत से ग़ैर क़ौमों में किया था, एक एक कर के बयान किया।
And having greeted them he was relating by one each of the things did God among the Gentiles through the ministry of him.
20 उन्होंने ये सुन कर ख़ुदा की तारीफ़ की फिर उस से कहा, ऐ भाई तू देखता है, कि यहूदियों में हज़ारों आदमी ईमान ले आए हैं, और वो सब शरी'अत के बारे में सरगर्म हैं।
Those then having heard were glorifying (God, *N(K)O*) (They said *NK(o)*) then to him; You see brother, how many myriads there are (among the *NO*) (Jews *N(k)O*) who having believed and all zealous ones for the law are.
21 और उन को तेरे बारे में सिखा दिया गया है, कि तू ग़ैर क़ौमों में रहने वाले सब यहूदियों को ये कह कर मूसा से फिर जाने की ता'लीम देता है, कि न अपने लड़कों का ख़तना करो न मूसा की रस्मों पर चलो।
They have been informed now about you that apostasy you teach from Moses those among the Gentiles all Jews telling not to circumcise them the children nor in the customs to walk.
22 पस, क्या किया जाए? लोग ज़रूर सुनेंगे, कि तू आया है।
What then is it? Certainly (should multitude to assemble *K*) they will hear (for *k*) that you have come.
23 इसलिए जो हम तुझ से कहते हैं वो कर; हमारे यहाँ चार आदमी ऐसे हैं, जिन्हों ने मन्नत मानी है।
This therefore do you what to you we say; There are with us men four a vow having (on *NK(o)*) themselves;
24 उन्हें ले कर अपने आपको उन के साथ पाक कर और उनकी तरफ़ से कुछ ख़र्च कर, ताकि वो सिर मुंडाएँ, तो सब जान लेंगे कि जो बातें उन्हें तेरे बारे में सिखाई गई हैं, उन की कुछ असल नहीं बल्कि तू ख़ुद भी शरी'अत पर अमल करके दुरुस्ती से चलता है।
These [men] having taken do be purified with them and do bear expense for them so that (they will shave *N(k)O*) the head, and (will know *N(k)O*) all that of which they have been informed about you no [thing] is, but you walk orderly also yourself keeping the law.
25 मगर ग़ैर क़ौमों में से जो ईमान लाए उनके बारे में हम ने ये फ़ैसला करके लिखा था, कि वो सिर्फ़ बुतों की क़ुर्बानी के गोश्त से और लहू और गला घोंटे हुए जानवरों और हरामकारी से अपने आप को बचाए रखें।
Concerning now those having believed of the Gentiles we ourselves (wrote to *NK(O)*) having adjudged (nothing such to keep them only except *K*) to keep from them the both idol-sacrifices and (*k*) blood and what is strangled and sexual immorality.
26 इस पर पौलुस उन आदमियों को लेकर और दूसरे दिन अपने आपको उनके साथ पाक करके हैकल में दाख़िल हुआ और ख़बर दी कि जब तक हम में से हर एक की नज़्र न चढ़ाई जाए तक़द्दुस के दिन पूरे करेंगे।
Then Paul having taken the men on the following day with them having been purified was entering into the temple declaring the fulfillment of the days of the purification until that was offered for one each of them the sacrifice.
27 जब वो सात दिन पूरे होने को थे, तो आसिया के यहूदियों ने उसे हैकल में देखकर सब लोगों में हलचल मचाई और यूँ चिल्लाकर उस को पकड़ लिया।
When now were about the seven days to be completed, the from Asia Jews having seen him in the temple were stirring up all the crowd and laid upon him hands
28 कि “ऐ इस्राईलियो; मदद करो ये वही आदमी है, जो हर जगह सब आदमियों को उम्मत और शरी'अत और इस मुक़ाम के ख़िलाफ़ ता'लीम देता है, बल्कि उस ने यूनानियों को भी हैकल में लाकर इस पाक मुक़ाम को नापाक किया है।”
crying out; Men Israelites, do help. This is the man who against the people and the law and place this all those (everywhere *N(k)O*) teaching, besides and also Greeks he has brought into the temple and has defiled holy place this.
29 (उन्होंने उस से पहले त्रुफ़िमुस इफ़िसी को उसके साथ शहर में देखा था। उसी के बारे में उन्होंने ख़याल किया कि पौलुस उसे हैकल में ले आया है)।
It was they for (having foreseen *NK(o)*) Trophimus the Ephesian in the city with him, whom they were supposing that into the temple had brought Paul.
30 और तमाम शहर में हलचल मच गई, और लोग दौड़ कर जमा हुए, और पौलुस को पकड़ कर हैकल के दरवाज़े के फाटक से बाहर घसीट कर ले गए, और फ़ौरन दरवाज़े बन्द कर लिए गए।
Was thrown into commotion also the city whole and there was a rushing together of the people, And having laid hold of Paul they were dragging him outside the temple; and immediately were shut the doors.
31 जब वो उसे क़त्ल करना चहते थे, तो ऊपर सौ फ़ौजियों के सरदार के पास ख़बर पहुँची “कि तमाम येरूशलेम में खलबली पड़ गई है।”
Of them seeking (then *N(k)O*) him to kill there came a report to the commander of the cohort that all (are in an uproar *N(k)O*) Jerusalem;
32 वो उसी वक़्त सिपाहियों और सूबेदारों को ले कर उनके पास नीचे दौड़ा आया। और वो पलटन के सरदार और सिपाहियों को देख कर पौलुस की मार पीट से बाज़ आए।
who at once having taken with [him] soldiers and centurions ran down upon them. And having seen the commander and the soldiers they stopped beating Paul.
33 इस पर पलटन के सरदार ने नज़दीक आकर उसे गिरफ़्तार किया “और दो ज़ंजीरों से बाँधने का हुक्म देकर पूछने लगा, ये कौन है, और इस ने क्या किया है?”
(Then *NK(o)*) having drawn near the commander laid hold of him and he commanded [him] to be bound with chains two and he was inquiring who (maybe *k*) he would be and what it is he having done.
34 भीड़ में से कुछ चिल्लाए और कुछ पस जब हुल्लड़ की वजह से कुछ हक़ीक़त दरियाफ़्त न कर सका, तो हुक्म दिया कि उसे क़िले में ले जाओ।
Others however another [or] one thing (were crying out *N(k)O*) in the crowd. Not (is being able *N(k)O*) now (he *no*) to know the facts on account of the uproar he ordered to be brought him into the barracks.
35 जब सीढ़ियों पर पहुँचा तो भीड़ की ज़बरदस्ती की वजह से सिपाहियों को उसे उठाकर ले जाना पड़ा।
When now he came to the stairs, it happened that being carried he by the soldiers because of the violence of the crowd;
36 क्यूँकि लोगों की भीड़ ये चिल्लाती हुई उसके पीछे पड़ी “कि उसका काम तमाम कर।”
Were following for the multitude of the people (crying out; *N(k)O*) Away with him.
37 “और जब पौलुस को क़िले के अन्दर ले जाने को थे? उस ने पलटन के सरदार से कहा क्या मुझे इजाज़त है कि तुझ से कुछ कहूँ? उस ने कहा तू यूनानी जानता है?
Being about then to be brought into the barracks Paul says to the commander; If is it permitted to me to say something to you? Then he was saying; Greek do you know?
38 क्या तू वो मिस्री नहीं? जो इस से पहले ग़ाज़ियों में से चार हज़ार आदमियों को बाग़ी करके जंगल में ले गया।”
Surely then you yourself are the Egyptian before these the days having led a revolt and having led out into the wilderness the four thousand men of the Assassins?
39 पौलुस ने कहा “मैं यहूदी आदमी किलकिया के मशहूर सूबा तरसुस शहर का बाशिन्दा हूँ, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि मुझे लोगों से बोलने की इजाज़त दे।”
Said however Paul; I myself a man indeed am a Jew of Tarsus of Cilicia not [of an] insignificant city a citizen, I implore however you; do allow me to speak to the people.
40 जब उस ने उसे इजाज़त दी तो पौलुस ने सीढ़ियों पर खड़े होकर लोगों को इशारा किया। जब वो चुप चाप हो गए, तो इब्रानी ज़बान में यूँ कहने लगा।
When was permitting then he Paul having stood on the stairs made a sign with the hand to the people, great then silence having taken place (he addressed [them] *NK(o)*) in the Hebrew language saying: