< आमाल 15 >
1 फिर कुछ लोग यहूदिया से आ कर भाइयों को यह तालीम देने लगे, “ज़रूरी है कि आप का मूसा की शरी'अत के मुताबिक़ ख़तना किया जाए, वर्ना आप नजात नहीं पा सकेंगे।”
Και τινές κατελθόντες από της Ιουδαίας εδίδασκον τους αδελφούς, ότι εάν δεν περιτέμνησθε κατά το έθος του Μωϋσέως, δεν δύνασθε να σωθήτε.
2 पस, जब पौलुस और बरनबास की उन से बहुत तकरार और बहस हुई तो कलीसिया ने ये ठहराया कि पौलुस और बरनबास और उन में से चन्द शख़्स इस मस्ले के लिए रसूलों और बुज़ुर्गों के पास येरूशलेम जाएँ।
Γενομένης λοιπόν αντιστάσεως και συζητήσεως ουκ ολίγης υπό του Παύλου και Βαρνάβα προς αυτούς, ενέκριναν να αναβή ο Παύλος και ο Βαρνάβας και τινές άλλοι εξ αυτών προς τους αποστόλους και πρεσβυτέρους εις Ιερουσαλήμ περί του ζητήματος τούτου.
3 पस, कलीसिया ने उनको रवाना किया और वो ग़ैर क़ौमों को रुजू लाने का बयान करते हुए फ़ीनिके और सामरिया सूबे से गुज़रे और सब भाइयों को बहुत ख़ुश करते गए।
Εκείνοι λοιπόν προπεμφθέντες υπό της εκκλησίας, διήρχοντο την Φοινίκην και Σαμάρειαν, εκδιηγούμενοι την επιστροφήν των εθνών, και επροξένουν χαράν μεγάλην εις πάντας τους αδελφούς.
4 जब येरूशलेम में पहुँचे तो कलीसिया और रसूल और बुज़ुर्ग उन से ख़ुशी के साथ मिले। और उन्हों ने सब कुछ बयान किया जो ख़ुदा ने उनके ज़रिए किया था।
Ότε δε ήλθον εις Ιερουσαλήμ, υπεδέχθησαν υπό της εκκλησίας και των αποστόλων και των πρεσβυτέρων, και ανήγγειλαν όσα ο Θεός έκαμε δι' αυτών.
5 मगर फ़रीसियों के फ़िर्के में से जो ईमान लाए थे, उन में से कुछ ने उठ कर कहा “कि उनका ख़तना कराना और उनको मूसा की शरी'अत पर अमल करने का हुक्म देना ज़रूरी है।”
Εσηκώθησαν δε τινές των από της αιρέσεως των Φαρισαίων, οίτινες είχον πιστεύσει, και έλεγον ότι πρέπει να περιτέμνωμεν αυτούς και να παραγγέλλωμεν να φυλάττωσι τον νόμον του Μωϋσέως.
6 पस, रसूल और बुज़ुर्ग इस बात पर ग़ौर करने के लिए जमा हुए।
Και συνήχθησαν οι απόστολοι και οι πρεσβύτεροι, διά να σκεφθώσι περί του πράγματος τούτου.
7 और बहुत बहस के बाद पतरस ने खड़े होकर उन से कहा कि ऐ भाइयों तुम जानते हो कि बहुत अर्सा हुआ जब ख़ुदा ने तुम लोगों में से मुझे चुना कि ग़ैर क़ौमें मेरी ज़बान से ख़ुशख़बरी का कलाम सुनकर ईमान लाएँ।
Μετά δε πολλήν συζήτησιν σηκωθείς ο Πέτρος, είπε προς αυτούς· Άνδρες αδελφοί, σεις εξεύρετε ότι απ' αρχής ο Θεός εξέλεξε μεταξύ ημών διά του στόματός μου να ακούσωσι τα έθνη τον λόγον του ευαγγελίου και να πιστεύσωσι.
8 और ख़ुदा ने जो दिलों को जानता है उनको भी हमारी तरह रूह — उल — क़ुद्दूस दे कर उन की गवाही दी।
Και ο καρδιογνώστης Θεός έδωκεν εις αυτούς μαρτυρίαν, χαρίσας εις αυτούς το Πνεύμα το Άγιον καθώς και εις ημάς,
9 और ईमान के वसीले से उन के दिल पाक करके हम में और उन में कुछ फ़र्क़ न रख्खा।
και δεν έκαμεν ουδεμίαν διάκρισιν μεταξύ ημών και αυτών, καθαρίσας τας καρδίας αυτών διά της πίστεως.
10 पस, अब तुम शागिर्दों की गर्दन पर ऐसा जुआ रख कर जिसको न हमारे बाप दादा उठा सकते थे, न हम ख़ुदा को क्यूँ आज़माते हो?
Τώρα λοιπόν διά τι πειράζετε τον Θεόν, επιβάλλοντες ζυγόν εις τον τράχηλον των μαθητών, τον οποίον ούτε οι πατέρες ημών ούτε ημείς δεν ηδυνήθημεν να βαστάσωμεν;
11 हालाँकि हम को यक़ीन है कि जिस तरह वो ख़ुदावन्द ईसा के फ़ज़ल ही से नजात पाएँगे, उसी तरह हम भी पाएँगे।
Αλλά διά της χάριτος του Κυρίου Ιησού Χριστού πιστεύομεν ότι θέλομεν σωθή καθ' ον τρόπον και εκείνοι.
12 फिर सारी जमा'अत चुप रही और पौलुस और बरनबास का बयान सुनने लगी, कि ख़ुदा ने उनके ज़रिए ग़ैर क़ौमों में कैसे कैसे निशान और अजीब काम ज़हिर किए।
Εσιώπησε δε παν το πλήθος και ήκουον τον Βαρνάβαν και τον Παύλον εξιστορούντας όσα σημεία και τέρατα έκαμεν ο Θεός δι' αυτών μεταξύ των εθνών.
13 जब वो ख़ामोश हुए तो या'क़ूब कहने लगा कि, “ऐ भाइयों मेरी सुनो!”
Και αφού αυτοί εσιώπησαν, απεκρίθη ο Ιάκωβος, λέγων· Άνδρες αδελφοί, ακούσατέ μου.
14 शमौन ने बयान किया कि ख़ुदा ने पहले ग़ैर क़ौमों पर किस तरह तवज्जह की ताकि उन में से अपने नाम की एक उम्मत बना ले।
Ο Συμεών εφανέρωσε τίνι τρόπω κατ' αρχάς ο Θεός επεσκέφθη τα έθνη ώστε να λάβη εξ αυτών λαόν διά το όνομα αυτού.
15 और नबियों की बातें भी इस के मुताबिक़ हैं। चुनाँचे लिखा है कि।
Και με τούτο συμφωνούσιν οι λόγοι των προφητών, καθώς είναι γεγραμμένον·
16 इन बातों के बाद मैं फिर आकर दाऊद के गिरे हुए खेमों को उठाऊँगा, और उस के फ़टे टूटे की मरम्मत करके उसे खड़ा करूँगा।
Μετά ταύτα θέλω επιστρέψει και θέλω ανοικοδομήσει την σκηνήν του Δαβίδ την πεπτωκυίαν, και τα κατηδαφισμένα αυτής θέλω ανοικοδομήσει και θέλω ανορθώσει αυτήν,
17 ताकि बाक़ी आदमी या'नी सब क़ौमें जो मेरे नाम की कहलाती हैं ख़ुदावन्द को तलाश करें'
διά να εκζητήσωσι τον Κύριον οι λοιποί των ανθρώπων, και πάντα τα έθνη, επί τα οποία καλείται το όνομά μου, λέγει Κύριος ο ποιών ταύτα πάντα.
18 ये वही ख़ुदावन्द फ़रमाता है जो दुनिया के शुरू से इन बातों की ख़बर देता आया है। (aiōn )
Απ' αιώνος είναι γνωστά εις τον Θεόν πάντα τα έργα αυτού. (aiōn )
19 पस, मेरा फ़ैसला ये है, कि जो ग़ैर क़ौमों में से ख़ुदा की तरफ़ रुजू होते हैं हम उन्हें तकलीफ़ न दें।
Όθεν εγώ κρίνω να μη παρενοχλώμεν τους από των εθνών επιστρέφοντας εις τον Θεόν,
20 मगर उन को लिख भेजें कि बुतों की मकरूहात और हरामकारी और गला घोंटे हुए जानवरों और लहू से परहेज़ करें।
αλλά να γράφωμεν προς αυτούς να απέχωσιν από των μιασμάτων των ειδώλων και από της πορνείας και του πνικτού και του αίματος.
21 क्यूँकि पुराने ज़माने से हर शहर में मूसा की तौरेत का ऐलान करने वाले होते चले आए हैं: और वो हर सबत को इबादतख़ानों में सुनाई जाती हैं।
Διότι ο Μωϋσής από γενεάς αρχαίας έχει εν πάση πόλει τους κηρύττοντας αυτόν εν ταις συναγωγαίς, αναγινωσκόμενος κατά παν σάββατον.
22 इस पर रसूलों और बुज़ुर्गों ने सारी कलीसिया समेत मुनासिब जाना कि अपने में से चन्द शख़्स चुन कर पौलुस और बरनबास के साथ अन्ताकिया को भेजें, या'नी यहूदाह को जो बरसब्बा कहलाता है। और सीलास को ये शख़्स भाइयों में मुक़द्दम थे।
Τότε εφάνη εύλογον εις τους αποστόλους και εις τους πρεσβυτέρους μεθ' όλης της εκκλησίας να εκλέξωσιν εξ αυτών άνδρας και να πέμψωσιν εις Αντιόχειαν μετά του Παύλου και Βαρνάβα, Ιούδαν τον επονομαζόμενον Βαρσαβάν και Σίλαν, άνδρας προεστώτας μεταξύ των αδελφών,
23 और उनके हाथ ये लिख भेजा कि “अन्ताकिया और सूरिया और किलकिया के रहने वाले भाइयों को जो ग़ैर क़ौमों में से हैं। रसूलों और बुज़ुर्ग भाइयों का सलाम पहूँचे।”
και έγραψαν διά χειρός αυτών ταύτα· Οι απόστολοι και οι πρεσβύτεροι και οι αδελφοί προς τους εξ εθνών αδελφούς τους κατά την Αντιόχειαν και Συρίαν και Κιλικίαν, χαίρειν.
24 चूँकि हम ने सुना है, कि कुछ ने हम में से जिनको हम ने हुक्म न दिया था, वहाँ जाकर तुम्हें अपनी बातों से घबरा दिया। और तुम्हारे दिलों को उलट दिया।
Επειδή ηκούσαμεν ότι τινές εξ ημών εξελθόντες σας ετάραξαν με λόγους και διαστρέφουσι τας ψυχάς σας, λέγοντες να περιτέμνησθε και να φυλάττητε τον νόμον, εις τους οποίους ημείς δεν παρηγγείλαμεν τούτο,
25 इसलिए हम ने एक दिल होकर मुनासिब जाना कि कुछ चुने हुए आदमियों को अपने अज़ीज़ों बरनबास और पौलुस के साथ तुम्हारे पास भेजें।
εφάνη εύλογον εις ημάς, συνελθόντας ομοθυμαδόν, να εκλέξωμεν άνδρας και να πέμψωμεν προς εσάς μετά των αγαπητών ημών Βαρνάβα και Παύλου,
26 ये दोनों ऐसे आदमी हैं, जिन्होंने अपनी जानें हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह के नाम पर निसार कर रख्खी हैं।
ανθρώπων οίτινες παρέδωκαν τας ψυχάς αυτών υπέρ του ονόματος του Κυρίου ημών Ιησού Χριστού.
27 चुनाँचे हम ने यहूदाह और सीलास को भेजा है, वो यही बातें ज़बानी भी बयान करेंगे।
Απεστείλαμεν λοιπόν τον Ιούδαν και τον Σίλαν διά να σας απαγγείλωσι και αυτοί διά στόματος τα αυτά.
28 क्यूँकि रूह — उल — क़ुद्दूस ने और हम ने मुनासिब जाना कि इन ज़रूरी बातों के सिवा तुम पर और बोझ न डालें
Διότι εφάνη εύλογον εις το Άγιον Πνεύμα και εις ημάς να μη επιβάλλωμεν εις εσάς μηδέν πλειότερον βάρος εκτός των αναγκαίων τούτων,
29 कि तुम बुतों की क़ुर्बानियों के गोश्त से और लहू और गला घोंटे हुए जानवरों और हरामकारी से परहेज़ करो। अगर तुम इन चीज़ों से अपने आप को बचाए रख्खोगे, तो सलामत रहोगे, वस्सलामत।
να απέχητε από ειδωλοθύτων και αίματος και πνικτού και πορνείας· από των οποίων φυλάττοντες εαυτούς θέλετε πράξει καλώς. Έρρωσθε.
30 पस, वो रुख़्सत होकर अन्ताकिया में पहुँचे और जमा'अत को इकट्ठा करके ख़त दे दिया।
Ούτοι μεν λοιπόν απολυθέντες ήλθον εις Αντιόχειαν, και συνάξαντες το πλήθος ενεχείρησαν την επιστολήν.
31 वो पढ़ कर उसके तसल्ली बख़्श मज़्मून से ख़ुश हुए।
Αναγνώσαντες δε αυτήν, εχάρησαν διά την γενομένην παρηγορίαν.
32 और यहूदाह और सीलास ने जो ख़ुद भी नबी थे, भाइयों को बहुत सी नसीहत करके मज़बूत कर दिया।
Ο Ιούδας δε και ο Σίλας, όντες και αυτοί προφήται, παρηγόρησαν τους αδελφούς διά λόγων πολλών και επεστήριξαν αυτούς.
33 वो चन्द रोज़ रह कर और भाइयों से सलामती की दुआ लेकर अपने भेजने वालों के पास रुख़्सत कर दिए गए।
Και αφού διέτριψαν εκεί καιρόν τινά, απεστάλησαν εν ειρήνη από των αδελφών προς τους αποστόλους.
34 [लेकिन सीलास को वहाँ ठहरना अच्छा लगा]।
Εις τον Σίλαν όμως εφάνη εύλογον να μείνη έτι αυτού.
35 मगर पौलुस और बरनबास अन्ताकिया ही में रहे: और बहुत से और लोगों के साथ ख़ुदावन्द का कलाम सिखाते और उस का ऐलान करते रहे।
Ο δε Παύλος και Βαρνάβας διέτριβον εν Αντιοχεία, διδάσκοντες και κηρύττοντες μετά και άλλων πολλών τον λόγον του Κυρίου.
36 चन्द रोज़ बाद पौलुस ने बरनबास से कहा “कि जिन जिन शहरों में हम ने ख़ुदा का कलाम सुनाया था, आओ फिर उन में चलकर भाइयों को देखें कि कैसे हैं।”
Μετά δε τινάς ημέρας είπεν ο Παύλος προς τον Βαρνάβαν· Ας επιστρέψωμεν τώρα και ας επισκεφθώμεν τους αδελφούς ημών κατά πάσαν πόλιν, εν αις εκηρύξαμεν τον λόγον του Κυρίου, πως έχουσι.
37 और बरनबास की सलाह थी कि यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है। अपने साथ ले चलें।
Και ο μεν Βαρνάβας εστοχάσθη να συμπαραλάβη τον Ιωάννην τον λεγόμενον Μάρκον·
38 मगर पौलुस ने ये मुनासिब न जाना, कि जो शख़्स पम्फ़ीलिया में किनारा करके उस काम के लिए उनके साथ न गया था; उस को हमराह ले चलें।
ο Παύλος όμως έκρινεν άξιον, τον αποχωρισθέντα από αυτών από της Παμφυλίας και μη συνακολουθήσαντα αυτούς εις το έργον, τούτον να μη συμπαραλάβωσι.
39 पस, उन में ऐसी सख़्त तकरार हुई; कि एक दूसरे से जुदा हो गए। और बरनबास मरकुस को ले कर जहाज़ पर कुप्रुस को रवाना हुआ।
Συνέβη λοιπόν ερεθισμός, ώστε απεχωρίσθησαν απ' αλλήλων, και ο μεν Βαρνάβας, παραλαβών τον Μάρκον, εξέπλευσεν εις Κύπρον.
40 मगर पौलुस ने सीलास को पसन्द किया, और भाइयों की तरफ़ से ख़ुदावन्द के फ़ज़ल के सुपुर्द हो कर रवाना किया।
Ο δε Παύλος, εκλέξας τον Σίλαν, εξήλθε, παραδοθείς υπό των αδελφών εις την χάριν του Θεού.
41 और कलीसिया को मज़बूत करता हुआ सूरिया और किलकिया से गुज़रा।
Και διήρχετο την Συρίαν και Κιλικίαν, επιστηρίζων τας εκκλησίας.