< आमाल 10 >

1 क़ैसरिया शहर में कुर्नेलियुस नाम एक शख़्स था। वह सौ फ़ौजियोंका सूबेदार था, जो अतालियानी कहलाती है।
وَكَانَ فِي قَيْصَرِيَّةَ رَجُلٌ ٱسْمُهُ كَرْنِيلِيُوسُ، قَائِدُ مِئَةٍ مِنَ ٱلْكَتِيبَةِ ٱلَّتِي تُدْعَى ٱلْإِيطَالِيَّةَ.١
2 वो दीनदार था, और अपने सारे घराने समेत ख़ुदा से डरता था, और यहूदियों को बहुत ख़ैरात देता और हर वक़्त ख़ुदा से दुआ करता था
وَهُوَ تَقِيٌّ وَخَائِفُ ٱللهِ مَعَ جَمِيعِ بَيْتِهِ، يَصْنَعُ حَسَنَاتٍ كَثِيرَةً لِلشَّعْبِ، وَيُصَلِّي إِلَى ٱللهِ فِي كُلِّ حِينٍ.٢
3 उस ने तीसरे पहर के क़रीब रोया में साफ़ साफ़ देखा कि ख़ुदा का फ़रिश्ता मेरे पास आकर कहता है, “कुर्नेलियुस!”
فَرَأَى ظَاهِرًا فِي رُؤْيَا نَحْوَ ٱلسَّاعَةِ ٱلتَّاسِعَةِ مِنَ ٱلنَّهَارِ، مَلَاكًا مِنَ ٱللهِ دَاخِلًا إِلَيْهِ وَقَائِلًا لَهُ: «يَا كَرْنِيلِيُوسُ!».٣
4 उसने उस को ग़ौर से देखा और डर कर कहा ख़ुदावन्द क्या है? उस ने उस से कहा, तेरी दु'आएँ और तेरी ख़ैरात यादगारी के लिए ख़ुदा के हुज़ूर पहुँची।
فَلَمَّا شَخَصَ إِلَيْهِ وَدَخَلَهُ ٱلْخَوْفُ، قَالَ: «مَاذَا يَا سَيِّدُ؟».فَقَالَ لَهُ: «صَلَوَاتُكَ وَصَدَقَاتُكَ صَعِدَتْ تَذْكَارًا أَمَامَ ٱللهِ.٤
5 अब याफ़ा में आदमी भेजकर शमौन को जो पतरस कहलाता है, बुलवा ले।
وَٱلْآنَ أَرْسِلْ إِلَى يَافَا رِجَالًا وَٱسْتَدْعِ سِمْعَانَ ٱلْمُلَقَّبَ بُطْرُسَ.٥
6 वो शमौन दब्बाग़ के यहाँ मेहमान है, जिसका घर समुन्दर के किनारे है।
إِنَّهُ نَازِلٌ عِنْدَ سِمْعَانَ رَجُلٍ دَبَّاغٍ بَيْتُهُ عِنْدَ ٱلْبَحْرِ. هُوَ يَقُولُ لَكَ مَاذَا يَنْبَغِي أَنْ تَفْعَلَ».٦
7 और जब वो फ़रिश्ता चला गया जिस ने उस से बातें की थी, तो उस ने दो नौकरों को और उन में से जो उसके पास हाज़िर रहा करते थे, एक दीनदार सिपाही को बुलाया।
فَلَمَّا ٱنْطَلَقَ ٱلْمَلَاكُ ٱلَّذِي كَانَ يُكَلِّمُ كَرْنِيلِيُوسَ، نَادَى ٱثْنَيْنِ مِنْ خُدَّامِهِ، وَعَسْكَرِيًّا تَقِيًّا مِنَ ٱلَّذِينَ كَانُوا يُلَازِمُونَهُ،٧
8 और सब बातें उन से बयान कर के उन्हें याफ़ा में भेजा।
وَأَخْبَرَهُمْ بِكُلِّ شَيْءٍ وَأَرْسَلَهُمْ إِلَى يَافَا.٨
9 दूसरे दिन जब वो राह में थे, और शहर के नज़दीक पहुँचे तो पतरस दोपहर के क़रीब छत पर दुआ करने को चढ़ा।
ثُمَّ فِي ٱلْغَدِ فِيمَا هُمْ يُسَافِرُونَ وَيَقْتَرِبُونَ إِلَى ٱلْمَدِينَةِ، صَعِدَ بُطْرُسُ عَلَى ٱلسَّطْحِ لِيُصَلِّيَ نَحْوَ ٱلسَّاعَةِ ٱلسَّادِسَةِ.٩
10 और उसे भूख लगी, और कुछ खाना चहता था, लेकिन जब लोग तैयारी कर रहे थे, तो उस पर बेख़ुदी छा गई।
فَجَاعَ كَثِيرًا وَٱشْتَهَى أَنْ يَأْكُلَ. وَبَيْنَمَا هُمْ يُهَيِّئُونَ لَهُ، وَقَعَتْ عَلَيْهِ غَيْبَةٌ،١٠
11 और उस ने देखा कि आस्मान खुल गया और एक चीज़ बड़ी चादर की तरह चारों कोनों से लटकती हुई ज़मीन की तरफ़ उतर रही है।
فَرَأَى ٱلسَّمَاءَ مَفْتُوحَةً، وَإِنَاءً نَازِلًا عَلَيْهِ مِثْلَ مُلَاءَةٍ عَظِيمَةٍ مَرْبُوطَةٍ بِأَرْبَعَةِ أَطْرَافٍ وَمُدَلَّاةٍ عَلَى ٱلْأَرْضِ.١١
12 जिसमें ज़मीन के सब क़िस्म के चौपाए, कीड़े मकोड़े और हवा के परिन्दे हैं।
وَكَانَ فِيهَا كُلُّ دَوَابِّ ٱلْأَرْضِ وَٱلْوُحُوشِ وَٱلزَّحَّافَاتِ وَطُيُورِ ٱلسَّمَاءِ.١٢
13 और उसे एक आवाज़ आई कि ऐ पतरस, “उठ ज़बह कर और खा,”
وَصَارَ إِلَيْهِ صَوْتٌ: «قُمْ يَا بُطْرُسُ، ٱذْبَحْ وَكُلْ».١٣
14 मगर पतरस ने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द हरगिज़ नहीं क्यूँकि में ने कभी कोई हराम या नापाक चीज़ नहीं खाई।”
فَقَالَ بُطْرُسُ: «كَلَّا يَارَبُّ! لِأَنِّي لَمْ آكُلْ قَطُّ شَيْئًا دَنِسًا أَوْ نَجِسًا».١٤
15 फिर दूसरी बार उसे आवाज़ आई, कि “जिनको ख़ुदा ने पाक ठहराया है तू उन्हें हराम न कह”
فَصَارَ إِلَيْهِ أَيْضًا صَوْتٌ ثَانِيَةً: «مَا طَهَّرَهُ ٱللهُ لَا تُدَنِّسْهُ أَنْتَ!».١٥
16 तीन बार ऐसा ही हुआ, और फ़ौरन वो चीज़ आसमान पर उठा ली गई।
وَكَانَ هَذَا عَلَى ثَلَاثِ مَرَّاتٍ، ثُمَّ ٱرْتَفَعَ ٱلْإِنَاءُ أَيْضًا إِلَى ٱلسَّمَاءِ.١٦
17 जब पतरस अपने दिल में हैरान हो रहा था, कि ये रोया जो में ने देखी क्या है, तो देखो वो आदमी जिन्हें कुर्नेलियुस ने भेजा था, शमौन के घर पूछ कर के दरवाज़े पर आ खड़े हुए।
وَإِذْ كَانَ بُطْرُسُ يَرْتَابُ فِي نَفْسِهِ: مَاذَا عَسَى أَنْ تَكُونَ ٱلرُّؤْيَا ٱلَّتِي رَآهَا؟ إِذَا ٱلرِّجَالُ ٱلَّذِينَ أُرْسِلُوا مِنْ قِبَلِ كَرْنِيلِيُوسَ، وكَانُوا قَدْ سَأَلُوا عَنْ بَيْتِ سِمْعَانَ وَقَدْ وَقَفُوا عَلَى ٱلْبَابِ١٧
18 और पुकार कर पूछने लगे कि शमौन जो पतरस कहलाता है? “यही मेहमान है।”
وَنَادَوْا يَسْتَخْبِرُونَ: «هَلْ سِمْعَانُ ٱلْمُلَقَّبُ بُطْرُسَ نَازِلٌ هُنَاكَ؟».١٨
19 जब पतरस उस ख़्वाब को सोच रहा था, तो रूह ने उस से कहा देख तीन आदमी तुझे पूछ रहे हैं।
وَبَيْنَمَا بُطْرُسُ مُتَفَكِّرٌ فِي ٱلرُّؤْيَا، قَالَ لَهُ ٱلرُّوحُ: «هُوَذَا ثَلَاثَةُ رِجَالٍ يَطْلُبُونَكَ.١٩
20 पस, उठ कर नीचे जा और बे — खटके उनके साथ हो ले; क्यूँकि मैं ने ही उनको भेजा है।
لَكِنْ قُمْ وَٱنْزِلْ وَٱذْهَبْ مَعَهُمْ غَيْرَ مُرْتَابٍ فِي شَيْءٍ، لِأَنِّي أَنَا قَدْ أَرْسَلْتُهُمْ».٢٠
21 पतरस ने उतर कर उन आदमियों से कहा, “देखो जिसको तुम पूछते हो वो मैं ही हूँ तुम किस वजह से आये हो।”
فَنَزَلَ بُطْرُسُ إِلَى ٱلرِّجَالِ ٱلَّذِينَ أُرْسِلُوا إِلَيْهِ مِنْ قِبَلِ كَرْنِيلِيُوسَ، وَقَالَ: «هَا أَنَا ٱلَّذِي تَطْلُبُونَهُ. مَاهُوَ ٱلسَّبَبُ ٱلَّذِي حَضَرْتُمْ لِأَجْلِهِ؟».٢١
22 उन्होंने कहा, “कुर्नेलियुस सूबेदार जो रास्तबाज़ और ख़ुदा तरस आदमी और यहूदियों की सारी क़ौम में नेक नाम है उस ने पाक फ़रिश्ते से हिदायत पाई कि तुझे अपने घर बुलाकर तुझ से कलाम सुने।”
فَقَالُوا: «إِنَّ كَرْنِيلِيُوسَ قَائِدَ مِئَةٍ، رَجُلًا بَارًّا وَخَائِفَ ٱللهِ وَمَشْهُودًا لَهُ مِنْ كُلِّ أُمَّةِ ٱلْيَهُودِ، أُوحِيَ إِلَيْهِ بِمَلَاكٍ مُقَدَّسٍ أَنْ يَسْتَدْعِيَكَ إِلَى بَيْتِهِ وَيَسْمَعَ مِنْكَ كَلَامًا».٢٢
23 पस उस ने उन्हें अन्दर बुला कर उनकी मेहमानी की, और दूसरे दिन वो उठ कर उनके साथ रवाना हुआ, और याफ़ा में से कुछ भाई उसके साथ हो लिए।
فَدَعَاهُمْ إِلَى دَاخِلٍ وَأَضَافَهُمْ. ثُمَّ فِي ٱلْغَدِ خَرَجَ بُطْرُسُ مَعَهُمْ، وَأُنَاسٌ مِنَ ٱلْإِخْوَةِ ٱلَّذِينَ مِنْ يَافَا رَافَقُوهُ.٢٣
24 वो दूसरे रोज़ क़ैसरिया में दाख़िल हुए, और कुर्नेलियुस अपने रिश्तेदारों और दिली दोस्तों को जमा कर के उनकी राह देख रहा था।
وَفِي ٱلْغَدِ دَخَلُوا قَيْصَرِيَّةَ. وَأَمَّا كَرْنِيلِيُوسُ فَكَانَ يَنْتَظِرُهُمْ، وَقَدْ دَعَا أَنْسِبَاءَهُ وَأَصْدِقَاءَهُ ٱلْأَقْرَبِينَ.٢٤
25 जब पतरस अन्दर आने लगा तो ऐसा हुआ कि कुर्नेलियुस ने उसका इस्तक़बाल किया और उसके क़दमों में गिर कर सिज्दा किया।
وَلَمَّا دَخَلَ بُطْرُسُ ٱسْتَقْبَلَهُ كَرْنِيلِيُوسُ وَسَجَدَ وَاقِعًا عَلَى قَدَمَيْهِ.٢٥
26 लेकिन पतरस ने उसे उठा कर कहा, “खड़ा हो, मैं भी तो इंसान हूँ।”
فَأَقَامَهُ بُطْرُسُ قَائِلًا: «قُمْ، أَنَا أَيْضًا إِنْسَانٌ».٢٦
27 और उससे बातें करता हुआ अन्दर गया और बहुत से लोगों को इकट्ठा पा कर।
ثُمَّ دَخَلَ وَهُوَ يَتَكَلَّمُ مَعَهُ وَوَجَدَ كَثِيرِينَ مُجْتَمِعِينَ.٢٧
28 उनसे कहा तुम तो जानते हो कि यहूदी को ग़ैर क़ौम वाले से सोहबत रखना या उसके यहाँ जाना ना जायज़ है मगर ख़ुदा ने मुझ पर ज़ाहिर किया कि मैं किसी आदमी को नजिस या नापाक न कहूँ।
فَقَالَ لَهُمْ: «أَنْتُمْ تَعْلَمُونَ كَيْفَ هُوَ مُحَرَّمٌ عَلَى رَجُلٍ يَهُودِيٍّ أَنْ يَلْتَصِقَ بِأَحَدٍ أَجْنَبِيٍّ أَوْ يَأْتِيَ إِلَيْهِ. وَأَمَّا أَنَا فَقَدْ أَرَانِي ٱللهُ أَنْ لَا أَقُولَ عَنْ إِنْسَانٍ مَا إِنَّهُ دَنِسٌ أَوْ نَجِسٌ.٢٨
29 इसी लिए जब मैं बुलाया गया तो बे' उज़्र चला आया, पस अब मैं पूछता हूँ कि मुझे किस बात के लिए बुलाया है?
فَلِذَلِكَ جِئْتُ مِنْ دُونِ مُنَاقَضَةٍ إِذِ ٱسْتَدْعَيْتُمُونِي. فَأَسْتَخْبِرُكُمْ: لِأَيِّ سَبَبٍ ٱسْتَدْعَيْتُمُونِي؟».٢٩
30 कुर्नेलियुस ने कहा “इस वक़्त पूरे चार रोज़ हुए कि मैं अपने घर तीसरे पहर दुआ कर रहा था। और क्या देखता हूँ। कि एक शख़्स चमकदार पोशाक पहने हुए मेरे सामने खड़ा हुआ।”
فَقَالَ كَرْنِيلِيُوسُ: «مُنْذُ أَرْبَعَةِ أَيَّامٍ إِلَى هَذِهِ ٱلسَّاعَةِ كُنْتُ صَائِمًا. وَفِي ٱلسَّاعَةِ ٱلتَّاسِعَةِ كُنْتُ أُصَلِّي فِي بَيْتِي، وَإِذَا رَجُلٌ قَدْ وَقَفَ أَمَامِي بِلِبَاسٍ لَامِعٍ٣٠
31 और कहा कि ऐ'कुर्नेलियुस तेरी दुआ सुन ली गई और तेरी ख़ैरात की ख़ुदा के हुज़ूर याद हुई।
وَقَالَ: يَا كَرْنِيلِيُوسُ، سُمِعَتْ صَلَاتُكَ وَذُكِرَتْ صَدَقَاتُكَ أَمَامَ ٱللهِ.٣١
32 पस किसी को याफ़ा में भेज कर शमौन को जो पतरस कहलाता है अपने पास बुला, वो समुन्दर के किनारे शमौन दब्बाग़ के घर में मेहमान है।
فَأَرْسِلْ إِلَى يَافَا وَٱسْتَدْعِ سِمْعَانَ ٱلْمُلَقَّبَ بُطْرُسَ. إِنَّهُ نَازِلٌ فِي بَيْتِ سِمْعَانَ رَجُلٍ دَبَّاغٍ عِنْدَ ٱلْبَحْرِ. فَهُوَ مَتَى جَاءَ يُكَلِّمُكَ.٣٢
33 पस उसी दम में ने तेरे पास आदमी भेजे और तूने ख़ूब किया जो आ गया, अब हम सब ख़ुदा के हुज़ूर हाज़िर हैं ताकि जो कुछ ख़ुदावन्द ने फ़रमाया है उसे सुनें।
فَأَرْسَلْتُ إِلَيْكَ حَالًا. وَأَنْتَ فَعَلْتَ حَسَنًا إِذْ جِئْتَ. وَٱلْآنَ نَحْنُ جَمِيعًا حَاضِرُونَ أَمَامَ ٱللهِ لِنَسْمَعَ جَمِيعَ مَا أَمَرَكَ بِهِ ٱللهُ».٣٣
34 पतरस ने ज़बान खोल कर कहा, अब मुझे पूरा यक़ीन हो गया कि ख़ुदा किसी का तरफ़दार नहीं।
فَفَتَحَ بُطْرُسُ فَاهُ وَقَالَ: «بِٱلْحَقِّ أَنَا أَجِدُ أَنَّ ٱللهَ لَا يَقْبَلُ ٱلْوُجُوهَ.٣٤
35 बल्कि हर क़ौम में जो उस से डरता और रास्तबाज़ी करता है, वो उसको पसन्द आता है।
بَلْ فِي كُلِّ أُمَّةٍ، ٱلَّذِي يَتَّقِيهِ وَيَصْنَعُ ٱلْبِرَّ مَقْبُولٌ عِنْدَهُ.٣٥
36 जो कलाम उस ने बनी इस्राईल के पास भेजा, जब कि ईसा मसीह के ज़रिए जो सब का ख़ुदा है, सुलह की ख़ुशख़बरी दी।
ٱلْكَلِمَةُ ٱلَّتِي أَرْسَلَهَا إِلَى بَنِي إِسْرَائِيلَ يُبَشِّرُ بِٱلسَّلَامِ بِيَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ. هَذَا هُوَ رَبُّ ٱلْكُلِّ.٣٦
37 इस बात को तुम जानते हो जो यूहन्ना के बपतिस्मे की मनादी के बाद गलील से शुरू होकर तमाम यहूदिया सूबा में मशहूर हो गई।
أَنْتُمْ تَعْلَمُونَ ٱلْأَمْرَ ٱلَّذِي صَارَ فِي كُلِّ ٱلْيَهُودِيَّةِ مُبْتَدِئًا مِنَ ٱلْجَلِيلِ، بَعْدَ ٱلْمَعْمُودِيَّةِ ٱلَّتِي كَرَزَ بِهَا يُوحَنَّا.٣٧
38 कि ख़ुदा ने ईसा नासरी को रूह — उल — क़ुद्दूस और क़ुदरत से किस तरह मसह किया, वो भलाई करता और उन सब को जो इब्लीस के हाथ से ज़ुल्म उठाते थे शिफ़ा देता फिरा, क्यूँकि ख़ुदा उसके साथ था।
يَسُوعُ ٱلَّذِي مِنَ ٱلنَّاصِرَةِ كَيْفَ مَسَحَهُ ٱللهُ بِٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ وَٱلْقُوَّةِ، ٱلَّذِي جَالَ يَصْنَعُ خَيْرًا وَيَشْفِي جَمِيعَ ٱلْمُتَسَلِّطِ عَلَيْهِمْ إِبْلِيسُ، لِأَنَّ ٱللهَ كَانَ مَعَهُ.٣٨
39 और हम उन सब कामों के गवाह हैं, जो उस ने यहूदियों के मुल्क और येरूशलेम में किए, और उन्हों ने उस को सलीब पर लटका कर मार डाला।
وَنَحْنُ شُهُودٌ بِكُلِّ مَا فَعَلَ فِي كُورَةِ ٱلْيَهُودِيَّةِ وَفِي أُورُشَلِيمَ. ٱلَّذِي أَيْضًا قَتَلُوهُ مُعَلِّقِينَ إِيَّاهُ عَلَى خَشَبَةٍ.٣٩
40 उस को ख़ुदा ने तीसरे दिन जिलाया और ज़ाहिर भी कर दिया।
هَذَا أَقَامَهُ ٱللهُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ، وَأَعْطَى أَنْ يَصِيرَ ظَاهِرًا،٤٠
41 न कि सारी उम्मत पर बल्कि उन गवाहों पर जो आगे से ख़ुदा के चुने हुए थे, या'नी हम पर जिन्हों ने उसके मुर्दों में से जी उठने कि बाद उसके साथ खाया पिया।
لَيْسَ لِجَمِيعِ ٱلشَّعْبِ، بَلْ لِشُهُودٍ سَبَقَ ٱللهُ فَٱنْتَخَبَهُمْ. لَنَا نَحْنُ ٱلَّذِينَ أَكَلْنَا وَشَرِبْنَا مَعَهُ بَعْدَ قِيَامَتِهِ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ.٤١
42 और उस ने हमें हुक्म दिया कि उम्मत में ऐलान करो और गवाही दो कि ये वही है जो ख़ुदा की तरफ़ से ज़िन्दों और मुर्दों का मुन्सिफ़ मुक़र्रर किया गया।
وَأَوْصَانَا أَنْ نَكْرِزَ لِلشَّعْبِ، وَنَشْهَدَ بِأَنَّ هَذَا هُوَ ٱلْمُعَيَّنُ مِنَ ٱللهِ دَيَّانًا لِلْأَحْيَاءِ وَٱلْأَمْوَاتِ.٤٢
43 इस शख़्स की सब नबी गवाही देते हैं, कि जो कोई उस पर ईमान लाएगा, उस के नाम से गुनाहों की मु'आफ़ी हासिल करेगा।
لَهُ يَشْهَدُ جَمِيعُ ٱلْأَنْبِيَاءِ أَنَّ كُلَّ مَنْ يُؤْمِنُ بِهِ يَنَالُ بِٱسْمِهِ غُفْرَانَ ٱلْخَطَايَا».٤٣
44 पतरस ये बातें कह ही रहा था, कि रूह — उल — क़ुद्दूस उन सब पर नाज़िल हुआ, जो कलाम सुन रहे थे।
فَبَيْنَمَا بُطْرُسُ يَتَكَلَّمُ بِهَذِهِ ٱلْأُمُورِ حَلَّ ٱلرُّوحُ ٱلْقُدُسُ عَلَى جَمِيعِ ٱلَّذِينَ كَانُوا يَسْمَعُونَ ٱلْكَلِمَةَ.٤٤
45 और पतरस के साथ जितने मख़्तून ईमानदार आए थे, वो सब हैरान हुए कि ग़ैर क़ौमों पर भी रूह — उल — क़ुद्दूस की बख़्शिश जारी हुई।
فَٱنْدَهَشَ ٱلْمُؤْمِنُونَ ٱلَّذِينَ مِنْ أَهْلِ ٱلْخِتَانِ، كُلُّ مَنْ جَاءَ مَعَ بُطْرُسَ، لِأَنَّ مَوْهِبَةَ ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ قَدِ ٱنْسَكَبَتْ عَلَى ٱلْأُمَمِ أَيْضًا.٤٥
46 क्यूँकि उन्हें तरह तरह की ज़बाने बोलते और ख़ुदा की तारीफ़ करते सुना; पतरस ने जवाब दिया।
لِأَنَّهُمْ كَانُوا يَسْمَعُونَهُمْ يَتَكَلَّمُونَ بِأَلْسِنَةٍ وَيُعَظِّمُونَ ٱللهَ. حِينَئِذٍ أَجَابَ بُطْرُسُ:٤٦
47 “क्या कोई पानी से रोक सकता है, कि बपतिस्मा न पाएँ, जिन्हों ने हमारी तरह रूह — उल — क़ुद्दूस पाया?”
«أَتُرَى يَسْتَطِيعُ أَحَدٌ أَنْ يَمْنَعَ ٱلْمَاءَ حَتَّى لَا يَعْتَمِدَ هَؤُلَاءِ ٱلَّذِينَ قَبِلُوا ٱلرُّوحَ ٱلْقُدُسَ كَمَا نَحْنُ أَيْضًا؟».٤٧
48 और उस ने हुक्म दिया कि उन्हें ईसा मसीह के नाम से बपतिस्मा दिया जाए इस पर उन्हों ने उस से दरख़्वास्त की कि चन्द रोज़ हमारे पास रह।
وَأَمَرَ أَنْ يَعْتَمِدُوا بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ. حِينَئِذٍ سَأَلُوهُ أَنْ يَمْكُثَ أَيَّامًا.٤٨

< आमाल 10 >