< 2 समु 1 >

1 और साऊल की मौत के बा’द जब दाऊद अमालीक़ियों को मार कर लौटा और दाऊद को सिक़लाज में रहते हुए दो दिन हो गए।
শৌলের মৃত্যুর পর, দাউদ অমালেকীয়দের বধ করে ফিরে আসার পর সিক্লগে দু-দিন কাটিয়েছিলেন।
2 तो तीसरे दिन ऐसा हुआ कि एक शख़्स लश्करगाह में से साऊल के पास से अपने लिबास को फाड़े और सिर पर ख़ाक डाले हुए आया और जब वह दाऊद के पास पहुँचा तो ज़मीन पर गिरा और सिज्दा किया।
তৃতীয় দিনে শৌলের সৈন্যশিবির থেকে ছিন্নবস্ত্রে ও মাথায় ধুলো মেখে একটি লোক সেখানে পৌঁছেছিল। দাউদের কাছে এসে সে তাঁকে সম্মান জানানোর জন্য মাটিতে উবুড় হয়ে পড়েছিল।
3 दाऊद ने उससे कहा, “तू कहाँ से आता है?” उसने उससे कहा, “मैं इस्राईल की लश्करगाह में से बच निकला हूँ।”
“তুমি কোথা থেকে এসেছ?” দাউদ তাকে জিজ্ঞাসা করলেন। সে উত্তর দিয়েছিল, “আমি ইস্রায়েলী সৈন্যশিবির থেকে পালিয়ে এসেছি।”
4 तब दाऊद ने उससे पू छा, “क्या हाल रहा? ज़रा मुझे बता।” उसने कहा कि “लोग जंग में से भाग गए, और बहुत से गिरे मर गए और साऊल और उसका बेटा यूनतन भी मर गये हैं।”
“কী হয়েছে?” দাউদ জিজ্ঞাসা করলেন। “আমায় বলো।” “লোকজন যুদ্ধস্থল থেকে পালিয়েছে,” সে উত্তর দিয়েছিল। “তাদের মধ্যে অনেকেই মারা গেছে। শৌল ও তাঁর ছেলে যোনাথনও মারা গিয়েছেন।”
5 तब दाऊद ने उस जवान से जिसने उसको यह ख़बर दी कहा, “तुझे कैसे मा'लूम है कि साऊल और उसका बेटा यूनतन मर गये?”
যে যুবকটি দাউদের কাছে এই খবরটি এনেছিল তাকে তখন দাউদ বললেন, “তুমি কী করে জানলে শৌল ও তাঁর ছেলে যোনাথন মারা গিয়েছেন?”
6 वह जवान जिसने उसको यह ख़बर दी कहने लगा कि मैं कूह — ए — जिलबू’आ पर अचानक पहुँच गया और क्या देखा कि साऊल अपने नेज़ह पर झुका हुआ है रथ और सवार उसका पीछा किए आ रहे हैं।
“ঘটনাচক্রে আমি গিলবোয় পাহাড়ে ছিলাম,” যুবকটি বলল, “আর শৌল তখন সেখানে তাঁর বর্শার উপর হেলান দিয়ে দাঁড়িয়েছিলেন, আর রথ ও সেগুলির সারথিরা বীর-বিক্রমে তাঁর পিছু ধাওয়া করল।
7 और जब उसने अपने पीछे नज़र की तो मुझको देखा और मुझे पुकारा, मैंने जवाब दिया “मैं हाज़िर हूँ।”
তিনি যখন এদিক-ওদিক চেয়ে আমাকে দেখতে পেয়েছিলেন, তখন তিনি আমায় ডাক দিলেন, ও আমি বললাম, ‘আমি কী করতে পারি?’
8 उसने मुझे कहा तू कौन है? मैंने उसे जवाब दिया मैं अमालीक़ी हूँ।
“তিনি আমায় জিজ্ঞাসা করলেন, ‘তুমি কে?’ “‘একজন অমালেকীয়,’ আমি উত্তর দিয়েছিলাম।
9 फिर उसने मुझसे कहा, मेरे पास खड़ा होकर मुझे क़त्ल कर डाल क्यूँकि मैं बड़े तकलीफ़ में हूँ और अब तक मेरी जान मुझ में है।
“পরে তিনি আমায় বললেন, ‘আমার পাশে দাঁড়িয়ে আমাকে হত্যা করো! আমি মৃত্যুযন্ত্রণা ভোগ করছি, কিন্তু আমি এখনও বেঁচে আছি।’
10 तब मैंने उसके पास खड़े होकर उसे क़त्ल किया क्यूँकि मुझे यक़ीन था कि अब जो वह गिरा है तो बचेगा नहीं और मैं उसके सिर का ताज और बाज़ू पर का कंगन लेकर उनको अपने ख़ुदावन्द के पास लाया हूँ।
“তাই আমি তাঁর পাশে দাঁড়িয়ে তাঁকে হত্যা করলাম, যেহেতু আমি বুঝতে পেরেছিলাম যে পড়ে যাওয়ার পর তাঁর পক্ষে আর কোনোভাবেই বেঁচে থাকা সম্ভব নয়। আর আমি তাঁর মাথার মুকুটটি ও তাঁর হাতের বাজুটি খুলে নিয়ে সেগুলি এখানে আমার প্রভু আপনার কাছে এনেছি।”
11 तब दाऊद ने अपने कपड़ों को पकड़ कर उनको फाड़ डाला और उसके साथ सब आदमियों ने भी ऐसा ही किया।
তখন দাউদ ও তাঁর সঙ্গে থাকা সব লোকজন নিজেদের পোশাক ধরে ছিঁড়ে ফেলেছিলেন।
12 और वह साऊल और उसके बेटे यूनतन और ख़ुदावन्द के लोगों और इस्राईल के घराने के लिये मातम करने लगे और रोने लगे और शाम तक रोज़ा रखा इसलिए कि वह तलवार से मारे गये थे।
সন্ধ্যা পর্যন্ত তারা শৌলের ও তাঁর ছেলে যোনাথনের, ও সদাপ্রভুর সৈন্যদলের এবং ইস্রায়েল জাতির জন্য শোকপ্রকাশ করে কেঁদেছিলেন ও উপবাস করলেন, কারণ তারা তরোয়ালের আঘাতে মারা পড়েছিলেন।
13 फिर दाऊद ने उस जवान से जो यह ख़बर लाया था पूछा कि “तू कहाँ का है?” उसने कहा, “मैं एक परदेसी का बेटा और 'अमालीक़ी हूँ।”
যে ছেলেটি দাউদের কাছে এই খবরটি এনেছিল, তিনি তাকে বললেন, “তুমি কোথাকার লোক?” “আমি এক বিদেশির ছেলে, একজন অমালেকীয়,” সে উত্তর দিয়েছিল।
14 दाऊद ने उससे कहा, “तू ख़ुदावन्द के ममसूह को हलाक करने के लिए उस पर हाथ चलाने से क्यूँ न डरा?”
দাউদ তাকে জিজ্ঞাসা করলেন, “সদাপ্রভুর অভিষিক্ত ব্যক্তিকে মেরে ফেলার জন্য হাত উঠাতে কেন তোমার ভয় করল না?”
15 फिर दाऊद ने एक जवान को बुलाकर कहा, “नज़दीक जा और उसपर हमला कर।” इसलिए उसने उसे ऐसा मारा कि वह मर गया।
পরে দাউদ তাঁর লোকদের মধ্যে একজনকে ডেকে বললেন, “যাও, ওকে আঘাত করে মাটিতে ফেলে দাও!” তখন সে তাকে আঘাত করে মাটিতে ফেলে দিল, ও সে মারা গেল।
16 और दाऊद ने उससे कहा, “तेरा ख़ून तेरे ही सिर पर हो क्यूँकि तू ही ने अपने मुँह से ख़ुद अपने ऊपर गवाही दी। और कहा कि मैंने ख़ुदावन्द के ममसूह को जान से मारा।”
কারণ দাউদ তাকে বললেন, “তোমার রক্তের দোষ তুমিই তোমার মাথায় বহন করো। তোমার নিজের মুখেই তুমি তোমার বিরুদ্ধে সাক্ষ্য দিয়ে বলেছ, ‘আমি সদাপ্রভুর অভিষিক্ত ব্যক্তিকে হত্যা করেছি।’”
17 और दाऊद ने साऊल और उसके बेटे यूनतन पर इस मर्सिया के साथ मातम किया।
শৌল ও তাঁর ছেলে যোনাথনের জন্য দাউদ এই বিলাপ-গীতটি গেয়েছিলেন,
18 और उसने उनको हुक्म दिया कि बनी यहूदाह को कमान का गीत सिखायें। देखो वह याशर की किताब में लिखा है।
এবং তিনি আদেশ দিলেন যেন যিহূদার লোকজনকেও ধনুকের এই বিলাপ-গীতটি শেখানো হয় (এটি যাশের গ্রন্থে লেখা আছে):
19 “ए इस्राईल! तेरे ही ऊँचे मक़ामों पर तेरा ग़ुरूर मारा गया, हाय! पहलवान कैसे मर गए।
“হে ইস্রায়েল, তোমার চূড়ায় এক গজলা হরিণ মরে পড়ে আছে। বীরপুরুষেরা হেথায় কেমন সব পড়ে আছেন!
20 यह जात में न बताना, अस्क़लोन की गलियों में इसकी ख़बर न करना, ऐसा न हो कि फ़िलिस्तियों की बेटियाँ ख़ुश हों, ऐसा न हो कि नामख़्तूनों की बेटियाँ ग़ुरूर करें।
“গাতে এ খবর দিয়ো না, অস্কিলোনের পথে পথে তা ঘোষণা কোরো না, ফিলিস্তিনীদের মেয়েরা পুলকিত হোক, বিধর্মী লোকদের মেয়েরা আনন্দিত হোক।
21 ऐ जिलबू'आ के पहाड़ों! तुम पर न ओस पड़े और न बारिश हो और न हदिया की चीज़ों के खेत हों, क्यूँकि वहाँ पहलवानों की ढाल बुरी तरह से फेंक दी गई, या'नी साऊल की ढाल जिस पर तेल नहीं लगाया गया था।
“হে গিলবোয়ের পাহাড়-পর্বত, তোমাদের উপর যেন কখনও শিশির বা বৃষ্টি না পড়ে, তোমাদের সমতল ক্ষেতেও যেন বৃষ্টি না পড়ে। কারণ সেখানে বীরপুরুষের ঢাল অবজ্ঞাত হল, শৌলের সেই ঢাল—আর তৈল-মর্দিত হবে না।
22 मक़तूलों के ख़ून से ज़बरदस्तों की चर्बी से यूनतन की कमान कभी न टली, और साऊल की तलवार ख़ाली न लौटी।
“নিহতের রক্ত না নিয়ে, বীরপুরুষের মাংস না পেয়ে, যোনাথনের ধনুক কখনও পিছু ফিরত না, শৌলের তরোয়াল কখনও অতৃপ্ত ফিরত না।
23 साऊल और यूनतन अपने जीते जी अज़ीज़ और दिल पसन्द थे और अपनी मौत के वक़्त अलग न हुए, वह 'उक़ाबों से तेज़ और शेर बबरों से ताक़त वर थे।
শৌল ও যোনাথন— জীবনকালে তারা ছিলেন প্রিয়তম ও প্রশংসিত, মরণেও তারা হননি বিচ্ছিন্ন। তারা ছিলেন ঈগলের চেয়েও দ্রুতগামী, তারা ছিলেন সিংহের চেয়েও শক্তিশালী।
24 हे इस्राईली औरतों, साऊल के लिए रोओ, जिसने तुमको अच्छे अच्छे अर्ग़वानी लिबास पहनाए और सोने के ज़ेवरों से तुम्हारे लिबास को आरास्ता किया।
“হে ইস্রায়েলের মেয়েরা, শৌলের জন্য কাঁদো, যিনি তোমাদের টকটকে লাল রংয়ের মিহি কাপড় পরিয়েছেন, যিনি তোমাদের পোশাক সোনা গয়নায় সাজিয়েছেন।
25 हाय! लड़ाई में पहलवान कैसे मर गये! यूनतन तेरे ऊँचे मक़ामों पर क़त्ल हुआ।
“বীরপুরুষেরা যুদ্ধে কেমন হত হলেন! তোমার চূড়ায় যোনাথন মৃত পড়ে আছেন।
26 ऐ मेरे भाई यूनतन! मुझे तेरा ग़म है, तू मुझको बहुत ही प्यारा था, तेरी मुहब्बत मेरे लिए 'अजीब थी, औरतों की मुहब्बत से भी ज़्यादा।
হে যোনাথন, ভাই আমার; তোমার জন্য আজ আমি মর্মাহত, হে বন্ধু, আমার কাছে তুমি কত যে প্রিয় ছিলে। আমার প্রতি তোমার প্রেম যে অপরূপ ছিল, নারীদের প্রেমের চেয়েও বুঝি বেশি অপরূপ।
27 हाय, पहलवान कैसे मर गये और जंग के हथियार बरबाद हो गये।”
“বীরপুরুষেরা আছেন হেথায় কেমন সব পড়ে! যুদ্ধের সব হাতিয়ার যে বিনষ্ট রয়েছে পড়ে!”

< 2 समु 1 >