< 2 समु 14 >

1 और ज़रोयाह के बेटे योआब ने जान लिया कि बादशाह का दिल अबीसलोम की तरफ़ लगा है।
וַיֵּ֖דַע יֹואָ֣ב בֶּן־צְרֻיָ֑ה כִּֽי־לֵ֥ב הַמֶּ֖לֶךְ עַל־אַבְשָׁלֹֽום׃
2 तब योआब ने तक़ू'अ को आदमी भेज कर वहाँ से एक 'अक़्लमन्द 'औरत बुलवाई और उससे कहा कि “ज़रा सोग वाली सा भेस करके मातम के कपड़े पहन ले, और तेल न लगा बल्कि ऐसी 'औरत की तरह बन जा, जो बड़ी मुद्दत से मुर्दा के लिए मातम कर रही हो।
וַיִּשְׁלַ֤ח יֹואָב֙ תְּקֹ֔ועָה וַיִּקַּ֥ח מִשָּׁ֖ם אִשָּׁ֣ה חֲכָמָ֑ה וַיֹּ֣אמֶר אֵ֠לֶיהָ הִֽתְאַבְּלִי־נָ֞א וְלִבְשִׁי־נָ֣א בִגְדֵי־אֵ֗בֶל וְאַל־תָּס֙וּכִי֙ שֶׁ֔מֶן וְהָיִ֕ית כְּאִשָּׁ֗ה זֶ֚ה יָמִ֣ים רַבִּ֔ים מִתְאַבֶּ֖לֶת עַל־מֵֽת׃
3 और बादशाह के पास जाकर उससे इस तरह कहना। फिर योआब ने जो बातें कहनी थीं सिखायीं।
וּבָאת֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ וְדִבַּ֥רְתְּ אֵלָ֖יו כַּדָּבָ֣ר הַזֶּ֑ה וַיָּ֧שֶׂם יֹואָ֛ב אֶת־הַדְּבָרִ֖ים בְּפִֽיהָ׃
4 और जब तक़ू'अ की वह 'औरत बादशाह से बातें करने लगी, तो ज़मीन पर औंधे मुँह होकर गिरी और सिज्दा करके कहा, ऐ बादशाह तेरी दुहाई है!।”
וַ֠תֹּאמֶר הָאִשָּׁ֤ה הַתְּקֹעִית֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ וַתִּפֹּ֧ל עַל־אַפֶּ֛יהָ אַ֖רְצָה וַתִּשְׁתָּ֑חוּ וַתֹּ֖אמֶר הֹושִׁ֥עָה הַמֶּֽלֶךְ׃ ס
5 बादशाह ने उससे कहा, “तुझे क्या हुआ?” उसने कहा, “मैं सच मुच एक बेवा हूँ और मेरा शौहर मर गया है।
וַיֹּֽאמֶר־לָ֥הּ הַמֶּ֖לֶךְ מַה־לָּ֑ךְ וַתֹּ֗אמֶר אֲבָ֛ל אִשָּֽׁה־אַלְמָנָ֥ה אָ֖נִי וַיָּ֥מָת אִישִֽׁי׃
6 तेरी लौंडी के दो बेटे थे, वह दोनों मैदान पर आपस में मार पीट करने लगे, और कोई न था जो उनको छुड़ा देता, इसलिए एक ने दूसरे को ऐसी मार लगाई कि उसे मार डाला।
וּלְשִׁפְחָֽתְךָ֙ שְׁנֵ֣י בָנִ֔ים וַיִּנָּצ֤וּ שְׁנֵיהֶם֙ בַּשָּׂדֶ֔ה וְאֵ֥ין מַצִּ֖יל בֵּֽינֵיהֶ֑ם וַיַּכֹּ֧ו הָאֶחָ֛ד אֶת־הָאֶחָ֖ד וַיָּ֥מֶת אֹתֹֽו׃
7 और अब देख कि सब कुम्बे का कुम्बा तेरी लौंडी के ख़िलाफ़ उठ खड़ा हुआ है, और वह कहते हैं, कि उसको जिसने अपने भाई को मारा हमारे हवाले कर ताकि हम उसको उसके भाई की जान के बदले, जिसे उसने मार डाला क़त्ल करें, और यूँ वारिस को भी हलाक कर दें, इस तरह वह मेरे अंगारे को जो बाक़ी रहा है बुझा देंगे, और मेरे शौहर का न तो नाम न बक़िया रू — ए — ज़मीन पर छोड़ेंगे।”
וְהִנֵּה֩ קָ֨מָה כָֽל־הַמִּשְׁפָּחָ֜ה עַל־שִׁפְחָתֶ֗ךָ וַיֹּֽאמְרוּ֙ תְּנִ֣י ׀ אֶת־מַכֵּ֣ה אָחִ֗יו וּנְמִתֵ֙הוּ֙ בְּנֶ֤פֶשׁ אָחִיו֙ אֲשֶׁ֣ר הָרָ֔ג וְנַשְׁמִ֖ידָה גַּ֣ם אֶת־הַיֹּורֵ֑שׁ וְכִבּ֗וּ אֶת־גַּֽחַלְתִּי֙ אֲשֶׁ֣ר נִשְׁאָ֔רָה לְבִלְתִּ֧י שֹׂום־ (שִׂים)־לְאִישִׁ֛י שֵׁ֥ם וּשְׁאֵרִ֖ית עַל־פְּנֵ֥י הָאֲדָמָֽה׃ פ
8 बादशाह ने उस 'औरत से कहा, “तू अपने घर जा और मैं तेरे बारे में हुक्म करूँगा।”
וַיֹּ֧אמֶר הַמֶּ֛לֶךְ אֶל־הָאִשָּׁ֖ה לְכִ֣י לְבֵיתֵ֑ךְ וַאֲנִ֖י אֲצַוֶּ֥ה עָלָֽיִךְ׃
9 तक़ू'अ की उस 'औरत ने बादशाह से कहा, “ऐ मेरे मालिक! ऐ बादशाह! सारा गुनाह मुझ पर और मेरे बाप के घराने पर हुआ और बादशाह और उसका तख़्त बे गुनाह रहे।”
וַתֹּ֜אמֶר הָאִשָּׁ֤ה הַתְּקֹועִית֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ עָלַ֞י אֲדֹנִ֥י הַמֶּ֛לֶךְ הֶעָוֹ֖ן וְעַל־בֵּ֣ית אָבִ֑י וְהַמֶּ֥לֶךְ וְכִסְאֹ֖ו נָקִֽי׃ ס
10 तब बादशाह ने फ़रमाया, “जो कोई तुझसे कुछ कहे उसे मेरे पास ले आना और फिर वह तुझको छूने नहीं पायेगा।”
וַיֹּ֖אמֶר הַמֶּ֑לֶךְ הַֽמְדַבֵּ֤ר אֵלַ֙יִךְ֙ וַֽהֲבֵאתֹ֣ו אֵלַ֔י וְלֹֽא־יֹסִ֥יף עֹ֖וד לָגַ֥עַת בָּֽךְ׃
11 तब उसने कहा कि “मैं 'अर्ज़ करती हूँ कि बादशाह ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को याद करे, कि ख़ून का बदला लेने वाला और हलाक न करने पाए, ऐसा न हो कि वह मेरे बेटे को हलाक कर दें” उसने जवाब दिया, “ख़ुदावन्द की हयात की क़सम तेरे बेटे का एक बाल भी ज़मीन पर नहीं गिरने पायेगा।”
וַתֹּאמֶר֩ יִזְכָּר־נָ֨א הַמֶּ֜לֶךְ אֶת־יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֗יךָ מֵהַרְבִית (מֵהַרְבַּ֞ת) גֹּאֵ֤ל הַדָּם֙ לְשַׁחֵ֔ת וְלֹ֥א יַשְׁמִ֖ידוּ אֶת־בְּנִ֑י וַיֹּ֙אמֶר֙ חַי־יְהוָ֔ה אִם־יִפֹּ֛ל מִשַּׂעֲרַ֥ת בְּנֵ֖ךְ אָֽרְצָה׃
12 तब उस 'औरत ने कहा, “ज़रा मेरे मालिक बादशाह से तेरी लौंडी एक बात कहे?”
וַתֹּ֙אמֶר֙ הָֽאִשָּׁ֔ה תְּדַבֶּר־נָ֧א שִׁפְחָתְךָ֛ אֶל־אֲדֹנִ֥י הַמֶּ֖לֶךְ דָּבָ֑ר וַיֹּ֖אמֶר דַּבֵּֽרִי׃ ס
13 उसने जवाब दिया, “कह” तब उस 'औरत ने कहा “कि तूने ख़ुदा के लोगों के ख़िलाफ़ ऐसी तदबीर क्यों निकाली है? क्यूँकि बादशाह इस बात के कहने से मुजरिम सा ठहरता है, इसलिए कि बादशाह अपने जिला वतन को फिर घर लौटा कर नहीं आता।
וַתֹּ֙אמֶר֙ הָֽאִשָּׁ֔ה וְלָ֧מָּה חָשַׁ֛בְתָּה כָּזֹ֖את עַל־עַ֣ם אֱלֹהִ֑ים וּמִדַּבֵּ֨ר הַמֶּ֜לֶךְ הַדָּבָ֤ר הַזֶּה֙ כְּאָשֵׁ֔ם לְבִלְתִּ֛י הָשִׁ֥יב הַמֶּ֖לֶךְ אֶֽת־נִדְּחֹֽו׃
14 क्यूँकि हम सबको मरना है, और हम ज़मीन पर गिरे हुए पानी कि तरह हो जाते हैं जो फिर जमा' नहीं हो सकता, और ख़ुदा किसी की जान नहीं लेता बल्कि ऐसे ज़रिए' निकालता है, कि जिला वतन उसके यहाँ से निकाला हुआ न रहे।
כִּי־מֹ֣ות נָמ֔וּת וְכַמַּ֙יִם֙ הַנִּגָּרִ֣ים אַ֔רְצָה אֲשֶׁ֖ר לֹ֣א יֵאָסֵ֑פוּ וְלֹֽא־יִשָּׂ֤א אֱלֹהִים֙ נֶ֔פֶשׁ וְחָשַׁב֙ מַֽחֲשָׁבֹ֔ות לְבִלְתִּ֛י יִדַּ֥ח מִמֶּ֖נּוּ נִדָּֽח׃
15 और मैं जो अपने मालिक से यह बात कहने आई हूँ, तो इसकी वजह यह है कि लोगों ने मुझे डरा दिया था, इसलिए तेरी लौंडी ने कहा कि मैं ख़ुद बादशाह से दरख़्वास्त करूँगी, शायद बादशाह अपनी लौंडी की गुज़ारिश पूरी करे।
וְ֠עַתָּה אֲשֶׁר־בָּ֜אתִי לְדַבֵּ֨ר אֶל־הַמֶּ֤לֶךְ אֲדֹנִי֙ אֶת־הַדָּבָ֣ר הַזֶּ֔ה כִּ֥י יֵֽרְאֻ֖נִי הָעָ֑ם וַתֹּ֤אמֶר שִׁפְחָֽתְךָ֙ אֲדַבְּרָה־נָּ֣א אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ אוּלַ֛י יַעֲשֶׂ֥ה הַמֶּ֖לֶךְ אֶת־דְּבַ֥ר אֲמָתֹֽו׃
16 क्यूँकि बादशाह सुनकर ज़रूर अपनी लौंडी को उस शख़्स के हाथ से छुड़ाएगा, जो मुझे और मेरे बेटे दोनों को ख़ुदा की मीरास में से मिटा डालना चाहता है।’
כִּ֚י יִשְׁמַ֣ע הַמֶּ֔לֶךְ לְהַצִּ֥יל אֶת־אֲמָתֹ֖ו מִכַּ֣ף הָאִ֑ישׁ לְהַשְׁמִ֨יד אֹתִ֤י וְאֶת־בְּנִי֙ יַ֔חַד מִֽנַּחֲלַ֖ת אֱלֹהִֽים׃
17 इसलिए तेरी लौंडी ने कहा कि मेरे मालिक बादशाह की बात तसल्ली बख़्स हो, क्यूँकि मेरा मालिक बादशाह नेकी और गुनाह के फ़र्क करने में ख़ुदा के फ़रिश्ता की तरह है, इसलिए ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे साथ हो।”
וַתֹּ֙אמֶר֙ שִׁפְחָ֣תְךָ֔ יִֽהְיֶה־נָּ֛א דְּבַר־אֲדֹנִ֥י הַמֶּ֖לֶךְ לִמְנוּחָ֑ה כִּ֣י ׀ כְּמַלְאַ֣ךְ הָאֱלֹהִ֗ים כֵּ֣ן אֲדֹנִ֤י הַמֶּ֙לֶךְ֙ לִשְׁמֹ֙עַ֙ הַטֹּ֣וב וְהָרָ֔ע וַֽיהוָ֥ה אֱלֹהֶ֖יךָ יְהִ֥י עִמָּֽךְ׃ פ
18 तब बादशाह ने उस 'औरत से कहा, मैं तुझसे जो कुछ पूछूँ तो उसको ज़रा भी मुझसे मत छिपाना। उस 'औरत ने कहा, “मेरा मालिक बादशाह फ़रमाए।”
וַיַּ֣עַן הַמֶּ֗לֶךְ וַיֹּ֙אמֶר֙ אֶל־הָ֣אִשָּׁ֔ה אַל־נָ֨א תְכַחֲדִ֤י מִמֶּ֙נִּי֙ דָּבָ֔ר אֲשֶׁ֥ר אָנֹכִ֖י שֹׁאֵ֣ל אֹתָ֑ךְ וַתֹּ֙אמֶר֙ הָֽאִשָּׁ֔ה יְדַבֶּר־נָ֖א אֲדֹנִ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃
19 बादशाह ने कहा, “क्या इस सारे मु'आमले में योआब का हाथ तेरे साथ है?” उस 'औरत ने जवाब दिया, तेरी जान की क़सम “ऐ मेरे मालिक बादशाह कोई इन बातों से जो मेरे मालिक बादशाह ने फ़रमाई हैं दहनी याँ बायीं तरफ़ नहीं मुड़ सकता क्यूँकि तेरे ख़ादिम योआब ही ने मुझे हुक्म दिया और उसी ने यह सब बातें तेरी लौंडी को सिखायीं।
וַיֹּ֣אמֶר הַמֶּ֔לֶךְ הֲיַ֥ד יֹואָ֛ב אִתָּ֖ךְ בְּכָל־זֹ֑את וַתַּ֣עַן הָאִשָּׁ֣ה וַתֹּ֡אמֶר חֵֽי־נַפְשְׁךָ֩ אֲדֹנִ֨י הַמֶּ֜לֶךְ אִם־אִ֣שׁ ׀ לְהֵמִ֣ין וּלְהַשְׂמִ֗יל מִכֹּ֤ל אֲשֶׁר־דִּבֶּר֙ אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ כִּֽי־עַבְדְּךָ֤ יֹואָב֙ ה֣וּא צִוָּ֔נִי וְה֗וּא שָׂ֚ם בְּפִ֣י שִׁפְחָֽתְךָ֔ אֵ֥ת כָּל־הַדְּבָרִ֖ים הָאֵֽלֶּה׃
20 और तेरे ख़ादिम योआब ने यह काम इसलिए किया ताकि उस मज़मून के रंग ही को पलट दे और मेरा मालिक 'अक़्लमन्द है, जिस तरह ख़ुदा के फ़रिश्ता में समझ होती है कि दुनिया की सब बातों को जान ले।”
לְבַעֲב֤וּר סַבֵּב֙ אֶת־פְּנֵ֣י הַדָּבָ֔ר עָשָׂ֛ה עַבְדְּךָ֥ יֹואָ֖ב אֶת־הַדָּבָ֣ר הַזֶּ֑ה וַאדֹנִ֣י חָכָ֗ם כְּחָכְמַת֙ מַלְאַ֣ךְ הָאֱלֹהִ֔ים לָדַ֖עַת אֶֽת־כָּל־אֲשֶׁ֥ר בָּאָֽרֶץ׃ ס
21 तब बादशाह ने योआब से कहा, “देख, मैंने यह बात मान ली इसलिए तू जा और उस जवान अबीसलोम को फिर ले आ।”
וַיֹּ֤אמֶר הַמֶּ֙לֶךְ֙ אֶל־יֹואָ֔ב הִנֵּה־נָ֥א עָשִׂ֖יתִי אֶת־הַדָּבָ֣ר הַזֶּ֑ה וְלֵ֛ךְ הָשֵׁ֥ב אֶת־הַנַּ֖עַר אֶת־אַבְשָׁלֹֽום׃
22 तब यूआब ज़मीन पर औंधे होकर गिरा और सज्दा किया और बादशाह को मुबारक बाद दी और योआब कहने लगा, “आज तेरे बन्दा को यक़ीन हुआ ऐ मेरे मालिक बादशाह मुझ पर तेरे करम की नज़र है इसलिए कि बादशाह ने अपने ख़ादिम की गुज़ारिश पूरी की।”
וַיִּפֹּל֩ יֹואָ֨ב אֶל־פָּנָ֥יו אַ֛רְצָה וַיִּשְׁתַּ֖חוּ וַיְבָ֣רֶךְ אֶת־הַמֶּ֑לֶךְ וַיֹּ֣אמֶר יֹואָ֡ב הַיֹּום֩ יָדַ֨ע עַבְדְּךָ֜ כִּי־מָצָ֨אתִי חֵ֤ן בְּעֵינֶ֙יךָ֙ אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ אֲשֶׁר־עָשָׂ֥ה הַמֶּ֖לֶךְ אֶת־דְּבַ֥ר עַבְדֹּו (עַבְדֶּֽךָ)׃
23 फिर योआब उठा, और जसूर को गया और अबीसलोम को येरूशलेम में ले आया।
וַיָּ֥קָם יֹואָ֖ב וַיֵּ֣לֶךְ גְּשׁ֑וּרָה וַיָּבֵ֥א אֶת־אַבְשָׁלֹ֖ום יְרוּשָׁלָֽ͏ִם׃ פ
24 तब बादशाह ने फ़रमाया, “वह अपने घर जाए और मेरा मुँह न देखे।” तब अबीसलोम अपने घर गया और वह बादशाह का मुँह देखने न पाया।
וַיֹּ֤אמֶר הַמֶּ֙לֶךְ֙ יִסֹּ֣ב אֶל־בֵּיתֹ֔ו וּפָנַ֖י לֹ֣א יִרְאֶ֑ה וַיִּסֹּ֤ב אַבְשָׁלֹום֙ אֶל־בֵּיתֹ֔ו וּפְנֵ֥י הַמֶּ֖לֶךְ לֹ֥א רָאָֽה׃ ס
25 और सारे इस्राईल में कोई शख़्स अबीसलोम की तरह उसके हुस्न की वजह से ता'रीफ़ के क़ाबिल न था क्यूँकि उसके पाँव के तलवे से सर के चाँद तक उसमें कोई ऐब न था।
וּכְאַבְשָׁלֹ֗ום לֹא־הָיָ֧ה אִישׁ־יָפֶ֛ה בְּכָל־יִשְׂרָאֵ֖ל לְהַלֵּ֣ל מְאֹ֑ד מִכַּ֤ף רַגְלֹו֙ וְעַ֣ד קָדְקֳדֹ֔ו לֹא־הָ֥יָה בֹ֖ו מֽוּם׃
26 जब वह अपना सिर मुंडवाता था क्यूँकि हर साल के आख़िर में वह उसे मुंडवाता था इसलिए कि उसके बाल घने थे, इसलिए वह उनको मुंडवाता था तो अपने सिर के बाल वज़न में शाही तौल बाट के मुताबिक़ दो सौ मिस्क़ाल के बराबर पाता था।
וּֽבְגַלְּחֹו֮ אֶת־רֹאשֹׁו֒ וְֽ֠הָיָה מִקֵּץ֙ יָמִ֤ים ׀ לַיָּמִים֙ אֲשֶׁ֣ר יְגַלֵּ֔חַ כִּֽי־כָבֵ֥ד עָלָ֖יו וְגִלְּחֹ֑ו וְשָׁקַל֙ אֶת־שְׂעַ֣ר רֹאשֹׁ֔ו מָאתַ֥יִם שְׁקָלִ֖ים בְּאֶ֥בֶן הַמֶּֽלֶךְ׃
27 और अबीसलोम से तीन बेटे पैदा हुए और एक बेटी जिसका नाम तमर था वह बहुत ख़ूबसूरत 'औरत थी।
וַיִּֽוָּלְד֤וּ לְאַבְשָׁלֹום֙ שְׁלֹושָׁ֣ה בָנִ֔ים וּבַ֥ת אַחַ֖ת וּשְׁמָ֣הּ תָּמָ֑ר הִ֣יא הָיְתָ֔ה אִשָּׁ֖ה יְפַ֥ת מַרְאֶֽה׃ פ
28 और अबीसलोम पूरे दो बरस येरूशलेम में रहा और बादशाह का मुँह न देखा।
וַיֵּ֧שֶׁב אַבְשָׁלֹ֛ום בִּירוּשָׁלַ֖͏ִם שְׁנָתַ֣יִם יָמִ֑ים וּפְנֵ֥י הַמֶּ֖לֶךְ לֹ֥א רָאָֽה׃
29 तब अबीसलोम ने योआब को बुलवाया ताकि उसे बादशाह के पास भेजे, लेकिन उसने उसके पास आने से इन्कार किया, और उसने दोबारह बुलवाया लेकिन वह न आया।
וַיִּשְׁלַ֨ח אַבְשָׁלֹ֜ום אֶל־יֹואָ֗ב לִשְׁלֹ֤חַ אֹתֹו֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ וְלֹ֥א אָבָ֖ה לָבֹ֣וא אֵלָ֑יו וַיִּשְׁלַ֥ח עֹוד֙ שֵׁנִ֔ית וְלֹ֥א אָבָ֖ה לָבֹֽוא׃
30 तब उसने अपने मुलाज़िमों से कहा, “देखो योआब का खेत मेरे खेत से लगा है और उसमें जौ हैं इसलिए जाकर उसमें आग लगा दो।” और अबीसलोम के मुलाज़िमों ने उस खेत में आग लगा दी।
וַיֹּ֨אמֶר אֶל־עֲבָדָ֜יו רְאוּ֩ חֶלְקַ֨ת יֹואָ֤ב אֶל־יָדִי֙ וְלֹו־שָׁ֣ם שְׂעֹרִ֔ים לְכ֖וּ וְהֹוצִּתֵיהָ (וְהַצִּית֣וּהָ) בָאֵ֑שׁ וַיַּצִּ֜תוּ עַבְדֵ֧י אַבְשָׁלֹ֛ום אֶת־הַחֶלְקָ֖ה בָּאֵֽשׁ׃ פ
31 तब योआब उठा और अबीसलोम के पास उसके घर जाकर उससे कहने लगा, “तेरे ख़ादिमों ने मेरे खेत में आग क्यों लगा दी?”
וַיָּ֣קָם יֹואָ֔ב וַיָּבֹ֥א אֶל־אַבְשָׁלֹ֖ום הַבָּ֑יְתָה וַיֹּ֣אמֶר אֵלָ֔יו לָ֣מָּה הִצִּ֧יתוּ עֲבָדֶ֛ךָ אֶת־הַחֶלְקָ֥ה אֲשֶׁר־לִ֖י בָּאֵֽשׁ׃
32 अबीसलोम ने योआब को जवाब दिया कि “देख मैंने तुझे कहला भेजा कि यहाँ आ ताकि मैं तुझे बादशाह के पास यह कहने को भेजूँ, कि मैं जसूर से यहाँ क्यों आया? मेरे लिए वहीँ रहना बेहतर होता, इसलिए बादशाह अब मुझे अपना दीदार दे और अगर मुझमें कोई बुराई हो तो मुझे मार डाले।”
וַיֹּ֣אמֶר אַבְשָׁלֹ֣ום אֶל־יֹואָ֡ב הִנֵּ֣ה שָׁלַ֣חְתִּי אֵלֶ֣יךָ ׀ לֵאמֹ֡ר בֹּ֣א הֵ֠נָּה וְאֶשְׁלְחָה֩ אֹתְךָ֙ אֶל־הַמֶּ֜לֶךְ לֵאמֹ֗ר לָ֤מָּה בָּ֙אתִי֙ מִגְּשׁ֔וּר טֹ֥וב לִ֖י עֹ֣ד אֲנִי־שָׁ֑ם וְעַתָּ֗ה אֶרְאֶה֙ פְּנֵ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וְאִם־יֶשׁ־בִּ֥י עָוֹ֖ן וֶהֱמִתָֽנִי׃
33 तब योआब ने बादशाह के पास जाकर उसे यह पैग़ाम दिया और जब उसने अबीसलोम को बुलवाया तब वह बादशाह के पास आया और बादशाह के आगे ज़मीन पर सर झुका दिया, और बादशाह ने अबीसलोम को बोसा दिया।
וַיָּבֹ֨א יֹואָ֣ב אֶל־הַמֶּלֶךְ֮ וַיַּגֶּד־לֹו֒ וַיִּקְרָ֤א אֶל־אַבְשָׁלֹום֙ וַיָּבֹ֣א אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ וַיִּשְׁתַּ֨חוּ לֹ֧ו עַל־אַפָּ֛יו אַ֖רְצָה לִפְנֵ֣י הַמֶּ֑לֶךְ וַיִּשַּׁ֥ק הַמֶּ֖לֶךְ לְאַבְשָׁלֹֽום׃ פ

< 2 समु 14 >