< 2 सला 5 >
1 अराम के बादशाह के लश्कर का सरदार ना'मान, अपने आक़ा के नज़दीक मु'अज़्ज़िज़ — 'इज़्ज़तदार शख़्स था; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने उसके वसीले से अराम को फ़तह बख़्शी थी। वह ज़बरदस्त सूर्मा भी था, लेकिन कोढ़ी था।
Naamán, general del ejército del rey de Siria, era gran varón delante de su señor, y en alta estima, porque el SEÑOR había dado salud a la Siria por él. Era este hombre valeroso de virtud, pero leproso.
2 और अरामी दल बाँधकर निकले थे, और इस्राईल के मुल्क में से एक छोटी लड़की को क़ैद करके ले आए थे; वह ना'मान की बीवी की ख़ादमा थी।
Y de Siria habían salido escuadrones, y habían llevado cautiva de la tierra de Israel una muchacha que servía a la mujer de Naamán.
3 उसने अपनी बीबी से कहा, “काश मेरा आक़ा उस नबी के यहाँ होता, जो सामरिया में है! तो वह उसे उसके कोढ़ से शिफ़ा दे देता।”
Esta dijo a su señora: Si rogase mi señor al profeta que está en Samaria, él lo sanaría de su lepra.
4 तो किसी ने अन्दर जाकर अपने मालिक से कहा, “वह लड़की जो इस्राईल के मुल्क की है, ऐसा — ऐसा कहती है।”
Y entrando Naamán a su señor, se lo declaró, diciendo: Así y así ha dicho una muchacha que es de la tierra de Israel.
5 तब अराम के बादशाह ने कहा, “तू जा, और मैं इस्राईल के बादशाह को ख़त भेजूँगा।” तब वह रवाना हुआ, और दस क़िन्तार चाँदी और छः हज़ार मिस्क़ाल सोना और दस जोड़े कपड़े अपने साथ ले लिए।
Y el rey de Siria le dijo: Anda, ve, y yo enviaré letras al rey de Israel. Partió, pues él, llevando consigo diez talentos de plata, y seis mil piezas de oro, y diez mudas de vestidos.
6 और वह उस ख़त को इस्राईल के बादशाह के पास लाया जिसका मज़मून ये था, “ये ख़त जब तुझको मिले, तो जान लेना कि मैंने अपने ख़ादिम ना'मान को तेरे पास भेजा है, ताकि तू उसके कोढ़ से उसे शिफ़ा दे।”
Tomó también letras para el rey de Israel, que decían así: Luego en llegando a ti estas letras, he aquí que he enviado mi siervo Naamán a ti, para que lo sanes de su lepra.
7 जब इस्राईल के बादशाह ने उस ख़त को पढ़ा, तो अपने कपड़े फाड़कर कहा, “क्या मैं ख़ुदा हूँ कि मारूँ और जिलाऊँ, जो ये शख़्स एक आदमी को मेरे पास भेजता है कि उसको कोढ़ से शिफ़ा दूँ? इसलिए अब ज़रा ग़ौर करो, देखो, कि वह किस तरह मुझ से झगड़ने का बहाना ढूँढता है।”
Y cuando el rey de Israel leyó las cartas, rasgó sus vestidos, y dijo: ¿Soy yo Dios, que mate y dé vida, para que éste envíe a mí a que sane un hombre de su lepra? Considerad ahora, y ved cómo busca ocasión contra mí.
8 जब मर्द — ए — ख़ुदा इलीशा' ने सुना कि इस्राईल के बादशाह ने अपने कपड़े फाड़े, तो बादशाह को कहला भेजा, “तूने अपने कपड़े क्यूँ फाड़े? अब उसे मेरे पास आने दे, और वह जान लेगा कि इस्राईल में एक नबी है।”
Y cuando Eliseo, varón de Dios oyó que el rey de Israel había rasgado sus vestidos, envió a decir al rey: ¿Por qué has rasgado tus vestidos? Venga ahora a mí, y sabrá que hay profeta en Israel.
9 तब ना'मान अपने घोड़ों और रथों के साथ आया, और इलीशा' के घर के दरवाज़े पर खड़ा हुआ,
Y vino Naamán con su caballería y con su carro, y se paró a las puertas de la casa de Eliseo.
10 और इलीशा' ने एक क़ासिद के ज़रिए' कहला भेजा, “जा और यरदन में सात बार ग़ोता मार, तो तेरा जिस्म फिर बहाल हो जाएगा और तू पाक साफ़ होगा।”
Entonces Eliseo le envió un mensajero, diciendo: Ve, y lávate siete veces en el Jordán, y tu carne se te restaurará, y serás limpio.
11 पर ना'मान नाराज़ होकर चला गया और कहने लगा, “मुझे यक़ीन था कि वह निकल कर ज़रूर मेरे पास आएगा, और खड़ा होकर ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से दुआ करेगा, और उस जगह के ऊपर अपना हाथ इधर — उधर हिला कर कोढ़ी को शिफ़ा देगा।
Y Naamán se fue enojado, diciendo: He aquí yo decía para mí: Saldrá él luego, y estando en pie invocará el nombre del SEÑOR su Dios, y alzará su mano, y tocará el lugar, y sanará la lepra.
12 क्या दमिश्क़ के दरिया, अबाना और फ़रफ़र, इस्राईल की सब नदियों से बढ़ कर नहीं हैं? क्या मैं उनमें नहाकर पाक साफ़ नहीं हो सकता?” इसलिए वह लौटा और बड़े ग़ुस्से में चला गया।
Abana y Farfar, los ríos de Damasco, ¿no son mejores que todas las aguas de Israel? Si me lavare en ellos, ¿no seré también limpio? Y se volvió, y se fue enojado.
13 तब उसके मुलाज़िम पास आकर उससे यूँ कहने लगे, “ऐ हमारे बाप, अगर वह नबी कोई बड़ा काम करने का हुक्म तुझे देता, तो क्या तू उसे न करता? इसलिए जब वह तुझ से कहता है कि नहा ले और पाक साफ़ हो जा, तो कितना ज़्यादा इसे मानना चाहिए?”
Entonces sus criados se llegaron a él, y le hablaron, diciendo: Padre mío, si el profeta te mandara alguna gran cosa, ¿no la hicieras? ¿Cuánto más, diciéndote: Lávate, y serás limpio?
14 तब उसने उतरकर नबी के कहने के मुताबिक़ यरदन में सात ग़ोते लगाए, और उसका जिस्म छोटे बच्चे के जिस्म की तरह हो गया और वह पाक साफ़ हुआ।
El entonces descendió, y se lavó siete veces en el Jordán, conforme a la palabra del varón de Dios; y su carne se volvió como la carne de un niño, y fue limpio.
15 फिर वह अपनी जिलौ के सब लोगों के साथ नबी के पास लौटा, और उसके सामने खड़ा हुआ और कहने लगा, “देख, अब मैंने जान लिया कि इस्राईल को छोड़ और कहीं इस ज़मीन पर कोई ख़ुदा नहीं। इसलिए अब करम फ़रमाकर अपने ख़ादिम का तोहफ़ा कु़बूल कर।”
Y volvió al varón de Dios, él y toda su compañía, y se puso delante de él, y dijo: He aquí ahora conozco que no hay Dios en toda la tierra, sino en Israel. Te ruego que recibas algún presente de tu siervo.
16 लेकिन उसने जवाब दिया, “ख़ुदावन्द की हयात की क़सम जिसके आगे मैं खड़ा हूँ, मैं कुछ नहीं लूँगा।” और उसने उससे बहुत मजबूर किया कि ले, पर उसने इन्कार किया।
Mas él dijo: Vive el SEÑOR, delante del cual estoy, que no lo tomaré. E importunándole que tomase, él nunca quiso.
17 तब ना'मान ने कहा, “अच्छा, तो मैं तेरी मिन्नत करता हूँ, कि तेरे ख़ादिम को दो ख़च्चरों का बोझ मिट्टी दी जाए' क्यूँकि तेरा ख़ादिम अब से आगे ख़ुदावन्द के सिवा किसी गै़र — मा'बूद के सामने न तो सोख़्तनी क़ुर्बानी न ज़बीहा पेश करेगा।
Entonces Naamán dijo: Te ruego, pues, ¿no se dará a tu siervo la carga de un par de mulas de esta tierra? Porque de aquí adelante tu siervo no sacrificará holocausto ni sacrificio a otros dioses, sino al SEÑOR.
18 तब इतनी बात में ख़ुदावन्द तेरे ख़ादिम को मु'आफ़ करे, कि जब मेरा आक़ा इबादत करने को रिम्मोन के बुतख़ाने में जाए और वह मेरे हाथ का सहारा ले, और मैं रिम्मोन के बुतख़ाने में सिज्दे में जाऊँ; तो जब मैं रिम्मोन के बुतख़ाने में सिज्दे में हो जाऊँ, तो ख़ुदावन्द इस बात में तेरे ख़ादिम को मु'आफ़ करे।”
En esto perdone el SEÑOR a tu siervo: que cuando mi señor entrare en el templo de Rimón, y para adorar en él se apoyare sobre mi mano, si yo también me inclinare en el templo de Rimón, que el SEÑOR perdone en esto a tu siervo, si en el templo de Rimón me inclino.
19 उसने उससे कहा, “सलामती जा।” तब वह उससे रुख़्सत होकर थोड़ी दूर निकल गया।
Y él le dijo: Vete en paz. Y cuando se apartó de él una milla de tierra,
20 लेकिन उस नबी इलीशा' के ख़ादिम जेहाज़ी ने सोचा, “मेरे आक़ा ने अरामी ना'मान को यूँ ही जाने दिया कि जो कुछ वह लाया था उससे न लिया; इसलिए ख़ुदावन्द की हयात की क़सम, मैं उसके पीछे दौड़ जाऊँगा और उससे कुछ न कुछ लूँगा।”
Giezi, el criado de Eliseo varón de Dios, dijo entre sí: He aquí mi señor estorbó a este siro Naamán, no tomando de su mano las cosas que había traído. Vive el SEÑOR, que correré yo tras él, y tomaré de él alguna cosa.
21 तब जेहाज़ी ना'मान के पीछे चला। जब ना'मान ने देखा, कि कोई उसके पीछे दौड़ा आ रहा है, तो वह उससे मिलने को रथ पर से उतरा और कहा, “खै़र तो है?”
Y siguió Giezi a Naamán; y cuando Naamán le vio que venía corriendo tras él, descendió del carro para recibirle, y dijo: ¿No hay paz?
22 उसने कहा, “सब खै़र है! मेरे मालिक ने मुझे ये कहने को भेजा है कि देख, अम्बियाज़ादों में से अभी दो जवान इफ़्राईम के पहाड़ी मुल्क से मेरे पास आ गए हैं; इसलिए ज़रा एक क़िन्तार चाँदी, और दो जोड़े कपड़े उनके लिए दे दे।”
Y él dijo: Paz. Mi señor me envía a decir: He aquí vinieron a mí en esta hora del monte de Efraín dos jóvenes de los hijos de los profetas; te ruego que les des un talento de plata, y sendas mudas de vestidos.
23 ना'मान ने कहा, “ख़ुशी से दो क़िन्तार ले।” और वह उससे बज़िद हुआ, और उसने दो क़िन्तार चाँदी दो थैलियों में बाँधी और दो जोड़े कपड़ों के साथ उनको अपने दो नौकरों पर लादा, और वह उनको लेकर उसके आगे — आगे चले।
Y Naamán dijo: Si quiere toma dos talentos. Y él le constriñó, y ató dos talentos de plata en dos sacos, y dos mudas de vestidos, y lo puso a cuestas a dos de sus criados, que lo llevasen delante de él.
24 और उसने टीले पर पहुँचकर उनके हाथ से उनको ले लिया और घर में रख दिया, और उन मर्दों को रुख़्सत किया, तब वह चले गए।
Y cuando llegó a un lugar secreto, él lo tomó de mano de ellos, y lo guardó en casa; luego mandó a los hombres que se fuesen.
25 लेकिन ख़ुद अन्दर जाकर अपने आक़ा के सामने खड़ा हो गया। इलीशा' ने उससे कहा, “जेहाज़ी, तू कहाँ से आ रहा है?” उसने कहा, “तेरा ख़ादिम तो कहीं नहीं गया था।”
Y él entró, y se puso delante de su señor. Y Eliseo le dijo: ¿De dónde vienes, Giezi? Y él dijo: Tu siervo no ha ido a ninguna parte.
26 उसने उससे कहा, क्या मेरा दिल उस वक़्त तेरे साथ न था, जब वह शख़्स तुझ से मिलने को अपने रथ पर से लौटा? क्या रुपये लेने, और पोशाक, और जै़तून के बाग़ों और ताकिस्तानों और भेड़ों और गु़लामों, और लौंडियों के लेने का ये वक़्त है?
El entonces le dijo: ¿No fue también mi corazón, cuando el hombre volvió de su carro a recibirte? ¿Es tiempo de tomar plata, y de tomar vestidos, olivares, viñas, ovejas y bueyes, siervos y siervas?
27 इसलिए ना'मान का कोढ़ तुझे और तेरी नस्ल को हमेशा लगा रहेगा। इसलिए वह बर्फ़ की तरह सफ़ेद कोढ़ी होकर उसके सामने से चला गया।
La lepra de Naamán se te pegará a ti, y a tu simiente para siempre. Y salió de delante de él leproso, blanco como la nieve.