< 2 कुरिन्थियों 8 >

1 ऐ, भाइयों! हम तुम को ख़ुदा के उस फ़ज़ल की ख़बर देते हैं जो मकिदुनिया सूबे की कलीसियाओं पर हुआ है।
he bhrAtaraH, mAkidaniyAdezasthAsu samitiSu prakAzito ya IzvarasyAnugrahastamahaM yuSmAn jJApayAmi|
2 कि मुसीबत की बड़ी आज़माइश में उनकी बड़ी ख़ुशी और सख़्त ग़रीबी ने उनकी सख़ावत को हद से ज़्यादा कर दिया।
vastuto bahuklezaparIkSAsamaye teSAM mahAnando'tIvadInatA ca vadAnyatAyAH pracuraphalam aphalayatAM|
3 और मैं गवाही देता हूँ, कि उन्होंने हैसियत के मुवाफ़िक़ बल्कि ताक़त से भी ज़्यादा अपनी ख़ुशी से दिया।
te svecchayA yathAzakti kiJcAtizakti dAna udyuktA abhavan iti mayA pramANIkriyate|
4 और इस ख़ैरात और मुक़द्दसों की ख़िदमत की शिराकत के ज़रिए हम से बड़ी मिन्नत के साथ दरख़्वास्त की।
vayaJca yat pavitralokebhyasteSAM dAnam upakArArthakam aMzanaJca gRhlAmastad bahununayenAsmAn prArthitavantaH|
5 और हमारी उम्मीद के मुवाफ़िक़ ही नहीं दिया बल्कि अपने आप को पहले ख़ुदावन्द के और फिर ख़ुदा की मर्ज़ी से हमारे सुपुर्द किया।
vayaM yAdRk pratyaiQkSAmahi tAdRg akRtvA te'gre prabhave tataH param IzvarasyecchayAsmabhyamapi svAn nyavedayan|
6 इस वास्ते हम ने तितुस को नसीहत की जैसे उस ने पहले शुरू किया था वैसे ही तुम में इस ख़ैरात के काम को पूरा भी करे।
ato hetostvaM yathArabdhavAn tathaiva karinthinAM madhye'pi tad dAnagrahaNaM sAdhayeti yuSmAn adhi vayaM tItaM prArthayAmahi|
7 पस जैसे तुम हर बात में ईमान और कलाम और इल्म और पूरी सरगर्मी और उस मुहब्बत में जो हम से आगे हो गए हो, वैसे ही इस ख़ैरात के काम में आगे ले जाओ।
ato vizvAso vAkpaTutA jJAnaM sarvvotsAho 'smAsu prema caitai rguNai ryUyaM yathAparAn atizedhve tathaivaitena guNenApyatizedhvaM|
8 मैं हुक्म के तौर पर नहीं कहता बल्कि इसलिए कि औरों की सरगर्मी से तुम्हारी सच्चाई को आज़माऊँ।
etad aham AjJayA kathayAmIti nahi kintvanyeSAm utsAhakAraNAd yuSmAkamapi premnaH sAralyaM parIkSitumicchatA mayaitat kathyate|
9 क्यूँकि तुम हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह के फ़ज़ल को जानते हो कि वो अगरचे दौलतमन्द था मगर तुम्हारी ख़ातिर ग़रीब बन गया ताकि तुम उसकी ग़रीबी की वजह से दौलतमन्द हो जाओ।
yUyaJcAsmatprabho ryIzukhrISTasyAnugrahaM jAnItha yatastasya nirdhanatvena yUyaM yad dhanino bhavatha tadarthaM sa dhanI sannapi yuSmatkRte nirdhano'bhavat|
10 और मैं इस अम्र में अपनी राय देता हूँ, क्यूँकि ये तुम्हारे लिए फ़ाइदामन्द है, इसलिए कि तुम पिछले साल से न सिर्फ़ इस काम में बल्कि इसके इरादे में भी अव्वल थे।
etasmin ahaM yuSmAn svavicAraM jJApayAmi| gataM saMvatsaram Arabhya yUyaM kevalaM karmma karttaM tannahi kintvicchukatAM prakAzayitumapyupAkrAbhyadhvaM tato heto ryuSmatkRte mama mantraNA bhadrA|
11 पस अब इस काम को पूरा भी करो ताकि जैसे तुम इरादा करने में मुस्त'इद थे वैसे ही हैसियत के मुवाफ़िक़ पूरा भी करो।
ato 'dhunA tatkarmmasAdhanaM yuSmAbhiH kriyatAM tena yadvad icchukatAyAm utsAhastadvad ekaikasya sampadanusAreNa karmmasAdhanam api janiSyate|
12 क्यूँकि अगर नियत हो तो ख़ैरात उसके मुवाफ़िक़ मक़्बूल होगी जो आदमी के पास है न उसके मुवाफ़िक़ जो उसके पास नहीं।
yasmin icchukatA vidyate tena yanna dhAryyate tasmAt so'nugRhyata iti nahi kintu yad dhAryyate tasmAdeva|
13 ये नहीं कि औरों को आराम मिले और तुम को तकलीफ़ हो।
yata itareSAM virAmeNa yuSmAkaJca klezena bhavitavyaM tannahi kintu samatayaiva|
14 बल्कि बराबरी के तौर पर इस वक़्त तुम्हारी दौलत से उनकी कमी पूरी हो ताकि उनकी दौलत से भी तुम्हारी कमी पूरी हो और इस तरह बराबरी हो जाए।
varttamAnasamaye yuSmAkaM dhanAdhikyena teSAM dhananyUnatA pUrayitavyA tasmAt teSAmapyAdhikyena yuSmAkaM nyUnatA pUrayiSyate tena samatA janiSyate|
15 चुनाँचे कलाम में लिखा है, “जिस ने बहुत मन्ना जमा किया उस का कुछ ज़्यादा न निकला और जिस ने थोड़ा जमा किया उसका कुछ कम न निकला।”
tadeva zAstre'pi likhitam Aste yathA, yenAdhikaM saMgRhItaM tasyAdhikaM nAbhavat yena cAlpaM saMgRhItaM tasyAlpaM nAbhavat|
16 ख़ुदा का शुक्र है जो तितुस के दिल में तुम्हारे वास्ते वैसी ही सरगर्मी पैदा करता है।
yuSmAkaM hitAya tItasya manasi ya Izvara imam udyogaM janitavAn sa dhanyo bhavatu|
17 क्यूँकि उसने हमारी नसीहत को मान लिया बल्कि बड़ा सरगर्म हो कर अपनी ख़ुशी से तुम्हारी तरफ़ रवाना हुआ।
tIto'smAkaM prArthanAM gRhItavAn kiJca svayam udyuktaH san svecchayA yuSmatsamIpaM gatavAn|
18 और हम ने उस के साथ उस भाई को भेजा जिस की तारीफ़ ख़ुशख़बरी की वजह से तमाम कलीसियाओं में होती है।
tena saha yo'para eko bhrAtAsmAbhiH preSitaH susaMvAdAt tasya sukhyAtyA sarvvAH samitayo vyAptAH|
19 और सिर्फ़ यही नहीं बल्कि वो कलीसियाओं की तरफ़ से इस ख़ैरात के बारे में हमारा हमसफ़र मुक़र्रर हुआ और हम ये ख़िदमत इसलिए करते हैं कि ख़ुदावन्द का जलाल और हमारा शौक़ ज़ाहिर हो।
prabho rgauravAya yuSmAkam icchukatAyai ca sa samitibhiretasyai dAnasevAyai asmAkaM saGgitve nyayojyata|
20 और हम बचते रहते हैं कि जिस बड़ी ख़ैरात के बारे में ख़िदमत करते हैं उसके बारे में कोई हम पर हर्फ़ न लाए।
yato yA mahopAyanasevAsmAbhi rvidhIyate tAmadhi vayaM yat kenApi na nindyAmahe tadarthaM yatAmahe|
21 क्यूँकि हम ऐसी चीज़ों की तदबीर करते हैं जो न सिर्फ़ ख़ुदावन्द के नज़दीक भली हैं बल्कि आदमियों के नज़दीक भी।
yataH kevalaM prabhoH sAkSAt tannahi kintu mAnavAnAmapi sAkSAt sadAcAraM karttum AlocAmahe|
22 और हम ने उनके साथ अपने उस भाई को भेजा है जिसको हम ने बहुत सी बातों में बार हा आज़माकर सरगर्म पाया है मगर चूँकि उसको तुम पर बड़ा भरोसा है इसलिए अब बहुत ज़्यादा सरगर्म है।
tAbhyAM sahApara eko yo bhrAtAsmAbhiH preSitaH so'smAbhi rbahuviSayeSu bahavArAn parIkSita udyogIva prakAzitazca kintvadhunA yuSmAsu dRDhavizvAsAt tasyotsAho bahu vavRdhe|
23 अगर कोई तितुस की बारे में पुछे तो वो मेरा शरीक और तुम्हारे वास्ते मेरा हम ख़िदमत है और अगर भाइयों के बारे में पूछा जाए तो वो कलीसियाओं के क़ासिद और मसीह का जलाल हैं।
yadi kazcit tItasya tattvaM jijJAsate tarhi sa mama sahabhAgI yuSmanmadhye sahakArI ca, aparayo rbhrAtrostattvaM vA yadi jijJAsate tarhi tau samitInAM dUtau khrISTasya pratibimbau ceti tena jJAyatAM|
24 पस अपनी मुहब्बत और हमारा वो फ़ख़्र जो तुम पर है कलीसियाओं के रु — ब — रु उन पर साबित करो।
ato hetoH samitInAM samakSaM yuSmatpremno'smAkaM zlAghAyAzca prAmANyaM tAn prati yuSmAbhiH prakAzayitavyaM|

< 2 कुरिन्थियों 8 >