< 2 कुरिन्थियों 11 >
1 क़ाश कि तुम मेरी थोड़ी सी बेवक़ूफ़ी की बर्दाश्त कर सकते; हाँ तुम मेरी बर्दाश्त करते तो हो।
OJALÁ toleraseis un poco mi locura; empero toleradme.
2 मुझे तुम्हारे ज़रिए ख़ुदा की सी ग़ैरत है क्यूँकि मैंने एक ही शौहर के साथ तुम्हारी निस्बत की है ताकि तुम को पाक दामन कुँवारी की तरह मसीह के पास हाज़िर करूँ।
Pues que os celo con celo de Dios; porque os he desposado á un marido, para presentaros [como] una virgen pura á Cristo.
3 लेकिन मैं डरता हूँ कहीं ऐसा न हो कि जिस तरह साँप ने अपनी मक्कारी से हव्वा को बहकाया उसी तरह तुम्हारे ख़यालात भी उस ख़ुलूस और पाकदामनी से हट जाएँ जो मसीह के साथ होनी चाहिए।
Mas temo que como la serpiente engañó á Eva con su astucia, sean corrompidos así vuestros sentidos en alguna manera, de la simplicidad que es en Cristo.
4 क्यूँकि जो आता है अगर वो किसी दूसरे ईसा का ऐलान करता है जिसका हमने ऐलान नहीं किया या कोई और रूह तुम को मिलती है जो न मिली थी या दूसरी ख़ुशख़बरी मिली जिसको तुम ने क़ुबूल न किया था; तो तुम्हारा बर्दाश्त करना बजा है।
Porque si el que viene, predicare otro Jesús que el que hemos predicado, ó recibiereis otro espíritu del que habéis recibido, ú otro evangelio del que habéis aceptado, [lo] sufrierais bien.
5 मैं तो अपने आप को उन अफ़्ज़ल रसूलों से कुछ कम नहीं समझता।
Cierto pienso que en nada he sido inferior á aquellos grandes apóstoles.
6 और अगर तक़रीर में बेशोऊर हूँ तो इल्म के एतबार से तो नहीं बल्कि हम ने इस को हर बात में तमाम आदमियों में तुम्हारी ख़ातिर ज़ाहिर कर दिया।
Porque aunque [soy] basto en la palabra, empero no en la ciencia: mas en todo somos ya del todo manifiestos á vosotros.
7 क्या ये मुझ से ख़ता हुई कि मैंने तुम्हें ख़ुदा की ख़ुशख़बरी मुफ़्त पहुँचा कर अपने आप को नीचे किया ताकि तुम बुलन्द हो जाओ।
¿Pequé yo humillándome á mí mismo, para que vosotros fueseis ensalzados, porque os he predicado el evangelio de Dios de balde?
8 मैंने और कलीसियाओं को लूटा या'नी उनसे उज्रत ली ताकि तुम्हारी ख़िदमत करूँ।
He despojado las otras iglesias, recibiendo salario para ministraros á vosotros.
9 और जब मैं तुम्हारे पास था और हाजत मंद हो गया था, तो भी मैंने किसी पर बोझ नहीं डाला क्यूँकि भाइयों ने मकिदुनिया से आकर मेरी ज़रूरत को पूरा कर दिया था; और मैं हर एक बात में तुम पर बोझ डालने से बाज़ रहा और रहूँगा।
Y estando con vosotros y teniendo necesidad, á ninguno fuí carga; porque lo que me faltaba, suplieron los hermanos que vinieron de Macedonia: y en todo me guardé de seros gravoso, y me guardaré.
10 मसीह की सदाक़त की क़सम जो मुझ में है अख़िया के इलाक़ा में कोई शख़्स मुझे ये करने से न रोकेगा।
Es la verdad de Cristo en mí, que esta gloria no me será cerrada en las partes de Acaya.
11 किस वास्ते? क्या इस वास्ते कि मैं तुम से मुहब्बत नहीं रखता? इसको ख़ुदा जानता है।
¿Por qué? ¿porque no os amo? Dios lo sabe.
12 लेकिन जो करता हूँ वही करता रहूँगा ताकि मौक़ा ढूँडने वालो को मौक़ा न दूँ बल्कि जिस बात पर वो फ़ख़्र करते हैं उस में हम ही जैसे निकलें।
Mas lo que hago, haré aún, para cortar la ocasión de aquellos que la desean, á fin de que en aquello que se glorían, sean hallados semejantes á nosotros.
13 क्यूँकि ऐसे लोग झूठे रसूल और दग़ा बाज़ी से काम करने वाले हैं और अपने आपको मसीह के रसूलों के हमशक्ल बना लेते हैं।
Porque éstos son falsos apóstoles, obreros fraudulentos, transfigurándose en apóstoles de Cristo.
14 और कुछ अजीब नहीं शैतान भी अपने आपको नूरानी फ़रिश्ते का हम शक्ल बना लेता है।
Y no es maravilla, porque el mismo Satanás se transfigura en ángel de luz.
15 पस अगर उसके ख़ादिम भी रास्तबाज़ी के ख़ादिमों के हमशक्ल बन जाएँ तो कुछ बड़ी बात नहीं लेकिन उनका अन्जाम उनके कामों के मुवाफ़िक़ होगा।
Así que, no es mucho si también sus ministros se transfiguran como ministros de justicia; cuyo fin será conforme á sus obras.
16 मैं फिर कहता हूँ कि मुझे कोई बेवक़ूफ़ न समझे और न बेवक़ूफ़ समझ कर मुझे क़ुबूल करो कि मैं भी थोड़ा सा फ़ख़्र करूँ।
Otra vez digo: Que nadie me estime ser loco; de otra manera, recibidme como á loco, para que aun me gloríe yo un poquito.
17 जो कुछ मैं कहता हूँ वो ख़ुदावन्द के तौर पर नहीं बल्कि गोया बेवक़ूफ़ी से और उस हिम्मत से कहता हूँ जो फ़ख़्र करने में होती है।
Lo que hablo, no lo hablo según el Señor, sino como en locura, con esta confianza de gloria.
18 जहाँ और बहुत सारे जिस्मानी तौर पर फ़ख़्र करते हैं मैं भी करूँगा।
Pues que muchos se glorían según la carne, también yo me gloriaré.
19 क्यूँकि तुम को अक़्लमन्द हो कर ख़ुशी से बेवक़ूफ़ों को बर्दाश्त करते हो।
Porque de buena gana toleráis los necios, siendo vosotros sabios:
20 जब कोई तुम्हें ग़ुलाम बनाता है या खा जाता है या फँसा लेता है या अपने आपको बड़ा बनाता है या तुम्हारे मुँह पर तमाचा मारता है तो तुम बर्दाश्त कर लेते हो।
Porque toleráis si alguno os pone en servidumbre, si alguno os devora, si alguno toma, si alguno se ensalza, si alguno os hiere en la cara.
21 मेरा ये कहना ज़िल्लत के तौर पर सही कि हम कमज़ोर से थे मगर जिस किसी बात में कोई दिलेर है (अगरचे ये कहना बेवक़ूफ़ी है) मैं भी दिलेर हूँ।
Dígolo cuanto á la afrenta, como si nosotros hubiésemos sido flacos. Empero en lo que otro tuviere osadía (hablo con locura), también yo tengo osadía.
22 क्या वही इब्रानी हैं? मैं भी हूँ, क्या वही अब्रहाम की नस्ल से हैं? मैं भी हूँ।
¿Son Hebreos? yo también. ¿Son Israelitas? yo también. ¿Son simiente de Abraham? también yo.
23 क्या वही मसीह के ख़ादिम हैं? (मेरा ये कहना दीवानगी है) मैं ज़्यादा तर हूँ मेहनतों में ज़्यादा क़ैद में ज़्यादा कोड़े खाने में हद से ज़्यादा बारहा मौत के ख़तरों में रहा हूँ।
¿Son ministros de Cristo? (como poco sabio hablo) yo más: en trabajos más abundante; en azotes sin medida; en cárceles más; en muertes, muchas veces.
24 मैंने यहूदियों से पाँच बार एक कम चालीस चालीस कोड़े खाए।
De los judíos cinco veces he recibido cuarenta [azotes] menos uno.
25 तीन बार बेंत लगे एक बार पथराव किया गया तीन मर्तबा जहाज़ टूटने की बला में पड़ा रात दिन समुन्दर में काटा।
Tres veces he sido azotado con varas; una vez apedreado; tres veces he padecido naufragio; una noche y un día he estado en lo profundo [de la mar];
26 मैं बार बार सफ़र में दरियाओं के ख़तरों में डाकूओं के ख़तरों में अपनी क़ौम से ख़तरों में ग़ैर क़ौमों के ख़तरों में शहर के ख़तरों में वीरान के ख़तरों में समुन्दर के ख़तरों में झूठे भाइयों के ख़तरों में।
En caminos muchas veces, peligros de ríos, peligros de ladrones, peligros de los de [mi] nación, peligros de los Gentiles, peligros en la ciudad, peligros en el desierto, peligros en la mar, peligros entre falsos hermanos;
27 मेहनत और मशक़्क़त में बारहा बेदारी की हालत में भूख और प्यास की मुसीबत में बारहा फ़ाक़ा कशी में सर्दी और नंगे पन की हालत में रहा हूँ।
En trabajo y fatiga, en muchas vigilias, en hambre y sed, en muchos ayunos, en frío y en desnudez;
28 और बातों के अलावा जिनका मैं ज़िक्र नहीं करता सब कलीसियाओं की फ़िक्र मुझे हर रोज़ आती है।
Sin [otras] cosas además, lo que sobre mí se agolpa cada día, la solicitud de todas las iglesias.
29 किसी की कमज़ोरी से मैं कमज़ोर नहीं होता, किसी के ठोकर खाने से मेरा दिल नहीं दुःखता?
¿Quién enferma, y yo no enfermo? ¿Quién se escandaliza, y yo no me quemo?
30 अगर फ़ख़्र ही करना ज़रूर है तो उन बातों पर फ़ख़्र करूँगा जो मेरी कमज़ोरी से मुता'ल्लिक़ हैं।
Si es menester gloriarse, me gloriaré yo de lo que es de mi flaqueza.
31 ख़ुदावन्द ईसा का ख़ुदा और बाप जिसकी हमेशा तक हम्द हो जानता है कि मैं झूठ नहीं कहता। (aiōn )
El Dios y Padre del Señor nuestro Jesucristo, que es bendito por siglos, sabe que no miento. (aiōn )
32 दमिश्क़ के शहर में उस हाकिम ने जो बादशाह अरितास की तरफ़ से था मेरे पकड़ने के लिए दमिश्क़ियों के शहर पर पहरा बिठा रखा था।
En Damasco, el gobernador de la provincia del rey Aretas guardaba la ciudad de los Damascenos para prenderme;
33 फिर मै टोकरे में खिड़की की राह दिवार पर से लटका दिया गया और मैं उसके हाथों से बच गया।
Y fuí descolgado del muro en un serón por una ventana, y escapé de sus manos.