< 2 तवा 6 >
1 तब सुलेमान ने कहा, ख़ुदावन्द ने फ़रमाया है कि वह गहरी तारीकी में रहेगा।
তখন শলোমন বললেন, “সদাপ্রভু বলেছেন যে তিনি ঘন মেঘের মাঝে বসবাস করবেন;
2 लेकिन मैंने एक घर तेरे रहने के लिए बल्कि तेरी हमेशा सुकूनत के वास्ते एक जगह बनाई है।
আমি তোমার জন্য এক দর্শনীয় মন্দির তৈরি করেছি, সেটি এমন এক স্থান, যেখানে তুমি চিরকাল বসবাস করবে।”
3 और बादशाह ने अपना मुँह फेरा और इस्राईल की जमा'अत को बरकत दी और इस्राईल की सारी जमा'अत खड़ी रही।
ইস্রায়েলের সমগ্র জনসমাজ যখন সেখানে দাঁড়িয়েছিল, রাজামশাই তখন তাদের দিকে মুখ ফিরিয়ে তাদের আশীর্বাদ করলেন।
4 तब उसने कहा, ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा मुबारक हो जिस ने अपने मुँह से मेरे बाप दाऊद से कलाम किया “और उसे अपने हाथों से यह कहकर पूरा किया।”
পরে তিনি বললেন: “ইস্রায়েলের ঈশ্বর সেই সদাপ্রভুর গৌরব হোক, যিনি নিজের হাতে তাঁর সেই প্রতিজ্ঞাটি পূরণ করেছেন, যেটি তিনি নিজের মুখে আমার বাবা দাউদের কাছে করলেন। কারণ তিনি বললেন,
5 कि जिस दिन मै अपनी क़ौम को मुल्के मिस्र से निकाल लाया तब से मै ने इस्राईल के सब क़बीलों में से न तो किसी शहर को चुना ताकि उसमे घर बनाया जाए और वहाँ मेरा नाम हो और न किसी आदमी को चुना ताकि वह मेरी क़ौम इस्राईल का पेशवा हो।
‘যেদিন আমি আমার প্রজাদের মিশর দেশ থেকে বের করে এনেছিলাম, সেদিন থেকে না একটি মন্দির নির্মাণ করার জন্য আমি ইস্রায়েলে কোনও বংশের একটি নগর মনোনীত করেছি, যেন সেখানে আমার নাম বজায় থাকে, না আমি আমার প্রজা ইস্রায়েলের উপর শাসনকর্তারূপে কাউকে মনোনীত করেছি।
6 लेकिन मैंने येरूशलेम को चुना कि वहाँ मेरा नाम हों और दाऊद को चुना ताकि वह मेरी क़ौम इस्राईल पर हाकिम हों।
কিন্তু আমার নাম বজায় রাখার জন্য এখন আমি জেরুশালেমকে মনোনীত করেছি এবং আমার প্রজা ইস্রায়েলকে শাসন করার জন্য আমি দাউদকে মনোনীত করেছি।’
7 और मेरे बाप दाऊद के दिल में था की ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम के लिए एक घर बनाए।
“ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নামে একটি মন্দির নির্মাণ করার বাসনা আমার বাবা দাউদের অন্তরে ছিল।
8 लेकिन ख़ुदावन्द ने मेरे बाप दाऊद से कहा, “चूँकि मेरे नाम के लिए एक घर बनाने का ख़्याल तेरे दिल में था इसलिए तूने अच्छा किया कि अपने दिल में ऐसा ठाना।”
কিন্তু সদাপ্রভু আমার বাবা দাউদকে বললেন, ‘আমার নামে একটি মন্দির নির্মাণ করার কথা ভেবে তুমি ভালোই করেছ।
9 तू भी तो इस घर को न बनाना बल्कि तेरा बेटा जो तेरे सुल्ब से निकलेगा वही मेरे नाम के लिए घर बनाएगा।
তবে, তুমি সেই মন্দির নির্মাণ করবে না, কিন্তু তোমার সেই ছেলে, যে তোমারই রক্তমাংস—সেই আমার নামে একটি মন্দির নির্মাণ করবে।’
10 और खुदवन्द ने अपनी वह बात जो उसने कही थी पूरी की क्यूँकि मैं अपने बाप दाऊद की जगह उठा हूँ और जैसा ख़ुदावन्द ने वा'दा किया था मैं इस्राईल के तख़्त पर बैठा हूँ और मैंने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम के लिए उस घर को बनाया है।
“সদাপ্রভু তাঁর করা প্রতিজ্ঞাটি পূরণ করেছেন: আমি আমার বাবা দাউদের স্থলাভিষিক্ত হয়েছি এবং সদাপ্রভুর প্রতিজ্ঞানুসারে এখন আমি ইস্রায়েলের সিংহাসনে বসেছি, এবং ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নামের উদ্দেশে আমি মন্দিরটি নির্মাণ করেছি।
11 और वही मैंने वह सन्दूक़ रखा है जिस में ख़ुदावन्द का वह 'अहद है जो उसने बनी इस्राईल से किया।
সেখানে আমি সেই সিন্দুকটি রেখেছি, যেটির মধ্যে সদাপ্রভুর সেই নিয়মটি রাখা আছে, যা তিনি ইস্রায়েলী জনতার জন্য স্থাপন করলেন।”
12 और सुलेमान ने इस्राईल की सारी जमा'अत के आमने सामने ख़ुदावन्द के मज़बह के आगे खड़े होकर अपने हाथ फैलाए।
পরে শলোমন ইস্রায়েলের সমগ্র জনসমাজের সামনে সদাপ্রভুর উপস্থিতিতে উঠে দাঁড়িয়েছিলেন এবং তাঁর দু-হাত মেলে ধরেছিলেন।
13 क्यूँकि सुलेमान ने पाँच हाथ लम्बा और पाँच हाथ चौड़ा और तीन हाथ ऊँचा पीतल का एक मिम्बर बना कर सहन के नीचें में उसे रखा था, उसी पर वह खड़ा था, तब उसने इस्राईल की सारी जमा'अत के आमने सामने घुटने टेके और आसमान की तरफ़ अपने हाथ फैलाए
ইত্যবসরে তিনি আবার 2.3 মিটার লম্বা, 2.3 মিটার চওড়া ও 1.4 মিটার উঁচু ব্রোঞ্জের একটি মঞ্চ তৈরি করলেন, এবং সেটি বাইরের দিকের উঠোনের মাঝখানে নিয়ে গিয়ে রেখেছিলেন। সেই মঞ্চে দাঁড়িয়ে তিনি ইস্রায়েলের সমগ্র জনসমাজের সামনে নতজানু হলেন এবং স্বর্গের দিকে দু-হাত প্রসারিত করে দিলেন।
14 और कहने लगा ऐ ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा तेरी तरह न तो आसमान में न ज़मीन पर कोंई ख़ुदा है। तू अपने उन बन्दों के लिए जो तेरे सामने अपने सारे दिल से चलते है 'अहद और रहमत को निगाह रखता है।
তিনি বললেন: “হে ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভু, স্বর্গে বা মর্ত্যে তোমার মতো এমন কোনও ঈশ্বর আর কেউ নেই—তুমি তোমার সেই দাসদের কাছে করা তোমার প্রেমের নিয়ম রক্ষা করে থাকো, যারা সর্বান্তঃকরণে তোমার পথে চলে।
15 तूने अपने बन्दे मेरे बाप दाऊद के हक़ में वह बात क़ाईम रखी जिसका तूने उससे वा'दा किया था, तूने अपने मुँह से फ़रमाया उसे अपने हाथ से पूरा किया जैसा आज के दिन है।
আমার বাবা, তথা তোমার দাস দাউদের কাছে করা প্রতিজ্ঞাটি তুমি পূরণ করেছ; নিজের মুখেই তুমি সেই প্রতিজ্ঞাটি করলে এবং নিজের হাতেই তুমি তা রক্ষাও করেছ—যেমনটি কি না আজ দেখা যাচ্ছে।
16 अब ऐ ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा अपने बन्दा मेरे बाप दाऊद के साथ उस क़ौल को भी पूरा कर जो तूने उस से किया था कि तेरे हाथ मेरे सामने इस्राईल के तख़्त पर बैठने के लिए आदमी की कमी न होगी बशर्ते कि तेरी औलाद जैसे तू मेरे सामने चलता रहा वैसे ही मेरी शरी'अत पर अमल करने के लिए अपनी रास्ते की एहतियात रखें।
“এখন হে ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভু, তোমার দাস ও আমার বাবা দাউদের কাছে তোমার করা সেই প্রতিজ্ঞাটি পূরণ করো, যে প্রতিজ্ঞায় তুমি বললে, ‘শুধু যদি তোমার বংশধরেরা আমার নিয়মানুসারে আমার সামনে চলার জন্য একটু সতর্ক হয়ে তোমার মতো সবকিছু করে, তবে আমার সামনে ইস্রায়েলের সিংহাসনে বসার জন্য তোমার কোনও উত্তরাধিকারীর অভাব হবে না।’
17 और अब ऐ ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा जो क़ौल तूने अपने बन्दा दाऊद से किया था वह सच्चा साबित किया जाए।
আর এখন, হে ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভু, তোমার দাস দাউদের কাছে করা তোমার প্রতিজ্ঞার সেই কথাটি যেন সত্যি হয়।
18 लेकिन क्या ख़ुदा फ़िलहक़ीक़त आदमियों के साथ ज़मीन पर सुकूनत करेगा? देख आसमान बल्कि आसमानों के आसमान में भी तू रुक नहीं सकता तू यह घर तो कुछ भी नहीं जिसे मैंने बनाया!
“কিন্তু ঈশ্বর কি সত্যিই পৃথিবীতে মানুষের সাথে বসবাস করবেন? আকাশমণ্ডল, এমনকি স্বর্গের স্বর্গও তাঁকে ধারণ করতে পারে না। তবে আমার নির্মাণ করা এই মন্দিরই বা কেমন করে তোমাকে ধারণ করবে!
19 तो भी ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा अपने बन्दे की दुआ और मुनाजात का लिहाज़ कर कि उस फ़रियाद दुआ को सून ले जो तेरा बन्दा तेरे सामने करता है।
তবুও হে আমার ঈশ্বর সদাপ্রভু, তোমার দাসের প্রার্থনায় ও দয়া লাভের জন্য তার করা এই অনুরোধের প্রতি মনোযোগ দাও। তোমার উপস্থিতিতে তোমার এই দাস যে ক্রন্দন ও প্রার্থনা করছে, তা তুমি শোনো।
20 ताकि तेरी आँखे इस घर की तरफ़ यानी उसी जगह की तरफ़ जिसकी बारे में तूने फ़रमाया कि मैं अपना नाम वहाँ रखूँगा दिन और रात खुली रहे ताकि तू उस दुआ को सूने जो तेरा बन्दा इस मक़ाम की तरफ़ चेहरा कर के तुझ से करेगा।
দিনরাত এই মন্দিরের প্রতি, এই যে স্থানটির বিষয়ে তুমি বলেছ যে তুমি সেখানে তোমার নাম বজায় রাখবে, তোমার চোখদুটি যেন খোলা থাকে। এই স্থানটির দিকে তাকিয়ে করা তোমার দাসের প্রার্থনা যেন তুমি শুনতে পাও।
21 और तू अपने बन्दा और अपनी क़ौम इस्राईल की मुनाजात को जब वह इस जगह की तरफ़ चेहरा कर के करें तो सून लेना बल्कि तू आसमान पर से जो तेरी सुकूनत गाह है सून लेना और सुनकर मु'आफ़ कर देना।
তোমার এই দাস ও তোমার প্রজা ইস্রায়েল যখন এই স্থানটির দিকে তাকিয়ে প্রার্থনা করবে তখন তুমি তাদের মিনতি শুনো। স্বর্গ থেকে, তোমার সেই বাসস্থান থেকে তুমি তা শুনো; এবং শুনে তাদের ক্ষমাও কোরো।
22 अगर कोई शख़्स अपने पड़ोसी का गुनाह करे और उसे क़सम खिलाने के लिए उसकों हल्फ़ दिया जाए और वह आकर इस घर में तेरे मज़बह के आगे क़सम खाए।
“যখন কেউ তার প্রতিবেশীর প্রতি কোনও অন্যায় করবে ও তাকে শপথ করতে বলা হবে এবং সে এই মন্দিরে রাখা তোমার এই যজ্ঞবেদির সামনে এসে শপথ করবে,
23 तो तू आसमान पर से सुनकर 'अमल करना और अपने बन्दों का इन्साफ़ कर के बदकार को सज़ा देना ताकि उसके 'आमाल को उसी कि सर डाले और सादिक़ को सच्चा ठहराना ताकि उसकी सदाक़त के मुताबिक़ उसे बदला दे।
তখন তুমি স্বর্গ থেকে তা শুনে সেইমতোই কাজ কোরো। তোমার দাসদের বিচার কোরো, দোষীকে শাস্তি দিয়ো ও তার কৃতকর্মের ফল তার মাথায় চাপিয়ে দিয়ো, এবং নিরপরাধের পক্ষসমর্থন করে, তার নিষ্কলুষতা অনুসারে তার প্রতি আচরণ কোরো।
24 और अगर तेरी क़ौम इस्राईल तेरा गुनाह करने के ज़रिए'अपने दुश्मनों से शिकस्त खाए और फिर तेरी तरफ़ रुजू' लाए और तेरे नाम का इकरार कर के इस घर में तेरे सामने दुआ और मुनाजात करे।
“তোমার প্রজা ইস্রায়েল যখন তোমার বিরুদ্ধে পাপ করার কারণে শত্রুর কাছে পরাজিত হবে ও যখন তারা আবার তোমার কাছে ফিরে এসে তোমার নামের প্রশংসা করবে, এবং এই মন্দিরে তোমার সামনে এসে প্রার্থনা ও মিনতি উৎসর্গ করবে,
25 तो तू आसमान पर से सुनकर अपनी क़ौम इस्राईल के गुनाह को बख़्श देना और उनको इस मुल्क में जो तूने उनको और उनके बाप दादा को दिया है फिर ले आना।
তখন তুমি স্বর্গ থেকে তা শুনো ও তোমার প্রজা ইস্রায়েলের পাপ ক্ষমা কোরো এবং তুমি তাদের ও তাদের পূর্বপুরুষদের যে দেশ দিয়েছিলে, সেই দেশে তাদের ফিরিয়ে এনো।
26 और जब इस वजह से कि उन्होंने तेरा गुनाह किया हों आसमान बंद हो जाए और बारिश न हो और वह इस मक़ाम की तरफ़ चेहरा कर के दुआ करें और तेरे नाम का इक़रार करे और अपने गुनाह से बाज़ आए जब तू उनकों दुःख दे।
“তোমার প্রজারা তোমার বিরুদ্ধে পাপ করার কারণে যখন আকাশের দ্বার রুদ্ধ হয়ে যাবে ও বৃষ্টি হবে না, আর যখন তারা এই স্থানটির দিকে তাকিয়ে প্রার্থনা করবে ও তোমার নামের প্রশংসা করবে এবং তুমি যেহেতু তাদের কষ্ট দিয়েছ, তাই তারা তাদের পাপপথ থেকে ফিরে আসবে,
27 तो तू आसमान पर से सुनकर अपने बन्दों और अपनी क़ौम इस्राईल का गुनाह मु'आफ़ कर देना क्यूँकि तूने उनको उस अच्छी रास्ते की ता'लिम दी जिस पर उनको चलना फ़र्ज़ है और अपने मुल्क पर जैसे तूने अपनी क़ौम के मीरास के लिए दिया है पानी न बरसाना।
তখন স্বর্গ থেকে তুমি তা শুনো ও তোমার দাসদের, তোমার প্রজা ইস্রায়েলের পাপ ক্ষমা কোরো। সঠিক জীবনযাপনের পথ তুমি তাদের শিক্ষা দিয়ো, এবং যে দেশটি তুমি তোমার প্রজাদের এক উত্তরাধিকাররূপে দিয়েছ, সেই দেশে তুমি বৃষ্টি পাঠিয়ো।
28 अगर मुल्क में काल हो, अगर वबा हो, अगर बा'द — ए — समूम या गेरुई टिड्डी या कमला हो, अगर उनके दुश्मन उनके शहरों के मुल्क में उनकों घेर ले ग़रज़ कैसी ही बला या कैसा ही रोग हो।
“যখন দেশে দুর্ভিক্ষ বা মহামারি দেখা দেবে, অথবা ফসল ক্ষেতে মড়ক লাগবে বা ছাতারোগ লাগবে, পঙ্গপাল বা ফড়িং হানা দেবে, অথবা শত্রুরা তাদের যে কোনো নগরে তাদের যখন অবরুদ্ধ করে রাখবে, যখন এরকম কোনও বিপত্তি বা রোগজ্বালার প্রকোপ পড়বে,
29 तू जो दु'आऔर मुनाजात किसी एक शख़्स या तेरी सारी क़ौम इस्राईल की तरफ़ से हों जिन में से हर शख़्स अपने दुःख और रन्ज को जानकर अपने हाथ इस घर की तरफ़ फैलाए।
এবং তোমার প্রজা ইস্রায়েলের মধ্যে কেউ যদি তখন প্রার্থনা বা মিনতি করে—তাদের যন্ত্রণা ও ব্যথার বিষয়ে সচেতন হয়, ও এই মন্দিরের দিকে তাদের হাতগুলি প্রসারিত করে—
30 तू तो आसमान पर से जो तेरी रहने की जगह है सुनकर मु'आफ़ कर देना और हर शख़्स को जिसके दिल को तू जनता है उसकी सब चालचलन के मुताबिक़ बदला देना क्यूँकि सिर्फ़ तू ही बनी आदम के दिलों को जनता है
তবে তখন তুমি স্বর্গ থেকে, তোমার বাসস্থান থেকে তা শুনো। তাদের ক্ষমা কোরো, ও প্রত্যেকের সাথে তাদের কৃতকর্মানুসারে আচরণ কোরো, যেহেতু তুমি তো তাদের অন্তর জানো (কারণ একমাত্র তুমিই মানুষের হৃদয়ের খবর রাখো),
31 ताकि जब तक वह उस मुल्क में जिसे तूने हमारे बाप दादा को दिया जीते रहे तेरा ख़ौफ़ मानकर तेरे रास्तों में चलें।
যেন তারা তোমাকে ভয় করে ও যে দেশটি তুমি আমাদের পূর্বপুরুষদের দিয়েছিলে, সেই দেশে বেঁচে থাকাকালীন তারা যেন সবসময় তোমার প্রতি বাধ্যতা দেখিয়ে চলে।
32 और वह परदेसी भी जो तेरी क़ौम इस्राईल में से नहीं है जब वह तेरे बुज़ुर्ग नाम और क़ौमी हाथ और तेरे बुलन्द बाज़ू की वजह से दूर मुल्क से आए और आकर इस घर की तरफ़ चेहरा कर के दुआ करें।
“যে তোমার প্রজা ইস্রায়েলের অন্তর্ভুক্ত নয়, এমন কোনও বিদেশি তোমার মহানামের এবং তোমার পরাক্রমী হাতের ও তোমার প্রসারিত বাহুর কথা শুনে যখন দূরদেশ থেকে আসবে—তারা যখন এসে এই মন্দিরের দিকে তাকিয়ে প্রার্থনা করবে,
33 तो तूआसमान पर से जो तेरी रहने की जगह है सून लेना और जिस जिस बात के लिए वह परदेसी तुझ से फ़रियाद करे उसके मुताबिक़ करना ताकि ज़मीन की सब क़ौम तेरे नाम को पहचाने और तेरी क़ौम इस्राईल की तरह तेरा ख़ौफ़ माने और जान ले कि यह घर जिसे मैंने बनाया है तेरे नाम का कहलाता है।
তখন তুমি স্বর্গ থেকে, তোমার সেই বাসস্থান থেকে তা শুনো। সেই বিদেশি তোমার কাছে যা চাইবে, তা তাকে দিয়ো, যেন পৃথিবীর সব মানুষজন তোমার নাম জানতে পারে ও তোমাকে ভয় করে, ঠিক যেভাবে তোমার নিজস্ব প্রজা ইস্রায়েল করে এসেছে, এবং তারা যেন এও জানতে পারে যে এই যে ভবনটি আমি তৈরি করেছি, তা তোমার নাম বহন করে চলেছে।
34 अगर तेरे लोग चाहे किसी रास्ते से तू उनको भेजे अपने दुश्मन से लड़ने को निकले और इस शहर की तरफ़ जिसे तूने चुना है और इस घर की तरफ़ जिसे मैंने तेरे नाम के लिए बनाया है चेहरा करके तुझ से दुआ करें।
“তোমার প্রজাদের তুমি যে কোনো স্থানে পাঠাও না কেন, তারা যখন তাদের শত্রুদের বিরুদ্ধে যুদ্ধে যাবে, এবং যখন তারা তোমার মনোনীত এই নগরটির ও তোমার নামে আমি এই যে মন্দিরটি নির্মাণ করেছি, সেটির দিকে তাকিয়ে তোমার কাছে প্রার্থনা করবে,
35 तो तू आसमान पर से उनकी दुआ और मुनाजात को सुनकर उनकी हिमा’अत करना।
তখন তুমি স্বর্গ থেকে তাদের প্রার্থনা ও মিনতি শুনো, এবং তাদের পক্ষসমর্থন কোরো।
36 अगर वह तेरा गुनाह करें क्यूँकि कोई इंसान नहीं जो गुनाह न करता हो और तू उन से नाराज़ होकर उनको दुश्मन के हवाले कर दे ऐसा कि वह दुश्मन उनको क़ैद करके दूर या नज़दीक मुल्क में ले जाए।
“তারা যখন তোমার বিরুদ্ধে পাপ করবে—কারণ এমন কেউ নেই, যে পাপ করে না—এবং তুমি তাদের প্রতি ক্রুদ্ধ হবে ও তাদের সেই শত্রুদের হাতে সঁপে দেবে, যারা তাদের দূর বা নিকটবর্তী কোনও দেশে বন্দি করে নিয়ে যাবে;
37 तो भी अगर वह उस मुल्क में जहाँ क़ैद होकर पहुँचाए गए, होश में आए और रुजू' लाए और अपनी ग़ुलामी के मुल्क में तुझ से मुनाजात करें और कहें कि हम ने गुनाह किया है हम टेढ़ी चाल चले और हम ने शरारत की।
এবং সেই দেশে বন্দি জীবন কাটাতে কাটাতে যদি তাদের মন পরিবর্তন হয়, ও তারা অনুতাপ করে ও তাদের সেই বন্দিদশার দেশে থাকতে থাকতেই যদি তারা তোমাকে অনুরোধ জানিয়ে বলে, ‘আমরা পাপ করেছি, আমরা অন্যায় করেছি ও দুষ্টতামূলক আচরণ করেছি’;
38 इसलिएअगर वह अपनी ग़ुलामी के मुल्क में जहाँ उनको ग़ुलाम कर के ले गए हों अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से तेरी तरफ़ फिरें और अपने मुल्क की तरफ़ जो तूने उनको बाप दादा को दिया और इस शहर की तरफ़ जिसे तूने चुना हैं और इस घर की तरफ़ जो मैनें तेरे नाम के लिए बनाया है चेहरा कर के दुआ कर।
আর যদি তারা যেখানে তাদের নিয়ে যাওয়া হবে, সেই বন্দিদশার দেশে থেকেই মনপ্রাণ ঢেলে দিয়ে তোমার কাছে ফিরে আসে, ও তুমি তাদের পূর্বপুরুষদের যে দেশটি দিয়েছ, সেই দেশের দিকে তাকিয়ে, ও যে নগরটিকে তুমি মনোনীত করেছ, সেটির দিকে তাকিয়ে, এবং তোমার নামে আমি যে মন্দিরটি নির্মাণ করেছি, সেটির দিকে তাকিয়ে প্রার্থনা করে;
39 तो तू आसमान पर से जो तेरी रहने की जगह है उनकी दुआ और मुनाजात सुनकर उनकी हिमायत करना और अपनी क़ौम को जिस ने तेरा गुनाह किया हो मु'माफ़ कर देना।
তবে স্বর্গ থেকে, তোমার বাসস্থান থেকে তুমি তাদের করা প্রার্থনা ও মিনতি শুনো, এবং তাদের পক্ষসমর্থন কোরো। তোমার সেই প্রজাদের ক্ষমাও কোরো, যারা তোমার বিরুদ্ধে পাপ করেছে।
40 इसलिए ऐ मेरे ख़ुदा मै तेरी मिन्नत करता हूँ कि उस दुआ की तरफ़ जो इस मक़ाम में की जाए तेरी ऑंखें खुली और तेरे कान लगें रहें।
“এখন, হে আমার ঈশ্বর, এই স্থানে যে প্রার্থনাটি উৎসর্গ করা হচ্ছে, তার প্রতি যেন তোমার চোখ খোলা থাকে ও তোমার কান সজাগ থাকে।
41 इसलिए अब ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा तू अपनी ताक़त के सन्दूक़ के साथ उठकर अपनी आरामगाह में दाख़िल हो, ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा तेरे काहिन नजात से मुलव्वस हों और तेरे मुक़द्दस नेकी में मगन रहें।
“হে ঈশ্বর সদাপ্রভু, এখন ওঠো ও তোমার বিশ্রামস্থানে এসো,
42 ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा तू अपने मम्सूह की दुआ नामंजूर न कर, तू अपने बन्दा दाऊद पर की रहमतें याद फ़रमा।
হে ঈশ্বর সদাপ্রভু, তোমার অভিষিক্ত জনকে অগ্রাহ্য কোরো না।